SI QUEY: सेना की नौकरी छोड़कर उसने छोटे बच्चों के दिल और लीवर को खाना पसंद किया, थाईलैंड के नरभक्षी का 60 साल बाद हुआ दाह संस्कार
thailand most notorious serial killer who cremated after 60 yera in bangkok
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दिल और लीवर को खाना उसे बेहद पसंद था
थाईलैंड की ज़मीन पर वो था खौफ का दूसरा नाम
नरभक्षी जिसका 60 साल बाद हुआ अंतिम संस्कार
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ये तस्वीर और ये ताबूत उस नरभक्षी सी क्वे (si quey) की है जिससे कभी पूरा थाईलैंड खौफ खाया करता था. ये उस शख्स की तस्वीर है जो बच्चों का दिल,लीवर और आतों को बड़े चाव से खाया करता था. ये ताबूत उसी सीरियल किलर का है जिसके मृत शरीर को 60 सालों तक म्यूज़ियम में रखा गया.
बैंकाक के सिरिराज अस्पताल के फॉरेंसिक संग्रहालय में कांच के ताबूत में बंद इस सीरियल किलर के मृत शरीर का अब 60 साल बाद अंतिम संस्कार किया गया. म्यूज़ियम के लोगों ने इस खौफनाक सीरियल किलर का अंतिम संसकार पूरे रीति रिवाज से किया और थाईलैंड के लोगों ने इसकी आत्मा के लिए प्रार्थना भी की ताकि अगले जन्म में ये एक गंदी आत्मा के रूप में दुनिया में न आए.
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कौन था सी क्वे?
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सी क्वे चीन का रहने वाला था. लेकिन साल 1946 में थाईलैंड आकर माली का काम करने लगा. इससे पहले ये चीनी सेना का जवान था. जब उस वक्त दूसरे विश्व युद्ध की मार से दुनिया जूझ रही थी तब इन लोगों को खाने को कई दिनों तक कुछ नहीं मिला करता था और इसीलिए इसे लाशों को खाने की आदत पड़ गई. चीनी सेना का जवान रहते समय इसे युद्ध में मारे गए लोगों का मांस खाना रास आता था.
सेना की नौकरी छोड़ बना सीरियल किलर
अब सेना की नौकरी छोड़कर सीक्वे थाईलैंड आ चुका था. लेकिन उसे अब भी मांस खाने की बुरी आदत थी. जब उसे कहीं इंसानी मांस मिला नहीं तब उसने छोटे बच्चों को अपना शिकार बनाना चालू किया.
सी क्वे ने हैवानियत की हद तो तब पार की जब ये बच्चों का क़त्ल कर उनके मृत शरीर को भी तड़पाने लगा. पहले ये छोटे-छोटे बच्चों का शिकार कर उन्हें मौत के घाट उतारता फिर उनके शरीर से आंते, दिल और लीवर निकालकर बड़े ही चाव से खाता.
इसकी दरिंदगी की कहानी यूं ही चलती रहती वो तो एक रोज़ साल 1958 में एक 8 साल के बच्चे का शव जलाते वक्त गांव के लोगों ने इसे देख लिया और इसकी शिकायत पुलिस को कर दी.
जब जांच पड़ताल की गई तब जाकर ये पता चला की ये दरिंदा एक सीरियल किलर है जो बच्चों को अपना शिकार बनाता है. जब सी क्वे पर सारे आरोप सिद्ध हो गए तब 32 साल की उम्र में इसे मौत की सज़ा सुनाई गई और 16 सिंतबर 1959 को फायरिंग स्काड ने इस साइको किलर को अपनी गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतार डाला
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