ओसामा की मौत से पहले के वो आखिरी 38 मिनट
terrorist osama bin laden killed by american force
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एबटाबाद में वो 38 मिनट, जिनमें दुनिया में अब तक के सबसे बड़े ऑपरेशन ओसामा को अंजाम दिया गया, आखिर उन 38 मिनटों में ऐसा क्या हुआ? ऑपरेशन लादेन के ऐसे राज़ जिनके बारे में अब तक किसी को पता नहीं था, वो बेहद दिलचस्प है।
एबटाबाद में 1 मई की रात चले आपरेशन ओसामा के एक एक मिनट का पूरा सच, न्यूयार्कर नाम की मैगजीन में एबटाबाद आपरेशन की पूरी तैयारी और आपरेशन के उन 38 मिनटों का पूरा ब्यौरा दिया गया है।
क्या आप जानते हैं कि इस ऑपरेशन में 23 सील कमांडोज के अलावा दो लोग और शामिल थे, मिशन लादेन में अमेरिकियों के अलावा एक पाकिस्तानी मूल का नागरिक भी था, इस मिशन में अहमद नाम का एक ट्रांसलेटर भी था जिसका काम स्थानीय लोगों से बातचीत करने का था। मिशन में उसका काम आस पडोस के लोगों को ओसामा के घर से दूर रखना था। अहमद के अलावा बेल्जियन मोलिनॉइस ब्रीड का एक कुत्ता काइरो भी इस आपरेशन का अहम हिस्सा था।
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अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी लादेन के काम करने के तरीके को जानती थी, लादेन कहीं सील कमांडोज़ को धोखा देकर भाग न जाए इसके लिए मिशन में काइरो को भी शामिल किया गया ताकि वो सूंघ कर मकान में मौजूद खुफिया रास्ते का पता लगा सके। एक सील कमांडो ने ओसामा को मारने से ठीक पहले उसकी बीवी को गले लगाया था, लादेन के शरीर के किस हिस्से में मारी गई पहली गोली और कहां दागी गई दूसरी गोली। 38 मिनट का एक एक राज़ इस मैगज़ीन के आर्टिकल में दर्ज है।
लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद में छिपा हुआ है इस बात की जानकारी अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को थी लेकिन इस बात के पुख्ता सबूत उनके पास नहीं थे, इससे पहले भी अमेरिका लादेन की तलाश में कई बार आपरेशन कर चुका था लेकिन हर बार हताशा ही हाथ लगी। ऐसे में पाकिस्तान के हुक्मरानों को जानाकारी दिए बगैर अमेरिका ने आपरेशन का रिस्क उठाया। आपरेशन को अंजाम देने से पहले अमेरिका ने किसी भी गडबडी से बचने की पूरी तैयारी कर रखी थी। फिर तय हुई ओसामा की मौत की तारीख।
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तारीख - 1 मई 2011
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वक्त - रात के 11 बजे
जगह- अफगानिस्तान का जलालाबाद एयरफील्ड
जलालाबाद के यूएस एयरफील्ड में रात होने के बावजूद हलचल थी, दो एम एच 60 ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर उड़ने के लिए तैयार खड़े थे। इन दो हेलिकॉप्टर में सवार थे दुनिया के सबसे खतरनाक ऑपरेशनों को अंजाम देने वाली यूएस नेवी सील के टीम सिक्स के 23 कमांडो। इसके अलावा इस हेलिकॉप्टर में अहमद नाम का एक पाकिस्तानी अमेरिकन ट्रांसलेटर और काइरो नाम का कुत्ता भी टीम के साथ था।
हेलिकॉप्टर की हेड लाइट बंद थी, हेलिकॉप्टर के पायलट नाइट विज़न चश्मे पहने हुए थे। शोर को कम करने के लिए रेडियो सेट की आवाज भी बहुत कम की गई थी और अंदर बैठे सभी लोग बिल्कुल शांत थे। 15 मिनट बाद ही ये हेलिकॉप्टर पहाडियों के बीच से पाकिस्तान की सीमा मे घुस गया। पाकिस्तान के रडार इन हेलिकॉप्टरों को पक़ड नहीं पाए, जानकारों का मानना था कि ज्यादातर पाकिस्तानी राडार भारत से जुडी सीमा पर नजर रखते हैं लिहाजा इस तरफ से उसकी वायुसीमा में घुसने पर ये हेलिकॉप्टर इन रडारों की रेंज में नहीं आए। पहली बाधा पार कर ये हेलिकॉप्टर बढ गए अपने लक्ष्य की तरफ।
एबटाबाद पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से 150 मील दूर एक छोटा सा शहर, अमेरिकन खुफिया एजेंसी को इस बात की जानकारी मिली थी कि एबटाबाद के ही एक मकान में छिपा है ओसामा बिन लादेन। वो लादेन जिसे ढूंढने में अमेरिका ने अरबों खर्च किए, लेकिन दस साल की तलाश में वो उसके करीब तक नहीं पहुंच पाए। हेलिकॉप्टर में सवार नेवी सील की टीम ऐसे कई आपरेशन को अंजाम दे चुकी थी लेकिन ये मिशन उन सबसे अलग था क्योंकि ये मिशन था अमेरिका के सबसे बडे दुश्मन के खिलाफ।
मैगजीन के मुताबिक अमेरिका इस आपरेशन में कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था लिहाजा इन दो हेलिकॉप्टर के उडने के बाद जलालाबाद के एयरबेस से 4 हेलिकॉप्टर और रवाना किए गए। इनमे से दो को अफगानिस्तान-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया गया जबकि दो हेलिकॉप्टर पाकिस्तान की सीमा के अंदर आ गए, ये सभी हेलिकॉप्टर मिशन में किसी भी तरह की दिक्कत आने पर सहयोग के लिए तैनात किए गए थे।
नेवी सील कमाडोज को लिए हेलिकॉप्टर एबटाबाद के लादेन के ठिकाने पर पहुंच गए थे। लादेन के ठिकाने के करीब पहुंचते ही पहले हेलिकॉप्टर में हलचल शुरु हो गई, कमांडो तैयार होने लगे, लादेन की हवेली में उतरने के लिए जैसे ही रस्सी फेंकने के लिए सील कमांडो आदेश का इंतजार कर रहे थे लेकिन हेलिकॉप्टर लादेन के ठिकाने से आगे बढ गया।
हेलिकॉप्टर हवा में अब नीचे जाता जा रहा था, पायलट का नियंत्रण उससे खत्म हो चुका था, हेलिकॉप्टर में बैठे एक एक शख्स को ये अंदाजा हो चुका था कि हेलिकॉप्टर क्रैश होने वाला है। मिशन की पहली मुसीबत शुरू हो गई थी।
अमेरिकन सील कमांडोज के लिए ये मुसीबत की शुरुआत थी लेकिन उसके हौसले मजबूत थे। उनकी असली चुनौती तो लादेन की हवेली के अंदर घुसने पर शुरु हुई, लादेन की एबटाबाद की हवेली ऐसे बनाई गई थी कि हर कमरा एक पिंजरे की तरह था और हवेली में इतने दरवाजे थे कि एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक पहुंचना बहुत मुश्किल
पहले हेलिकॉप्टर में खराबी के बाद पायलट उसे लादेन के मकान के ऊपर हवा में मंडराता रहा, हेलिकॉप्टर से दो रस्से नीचे फेंके गए और 12 कमांडो मकान के अहाते में उतर गए। न्यूयॉर्कर के मुताबिक दूसरे हेलिकॉप्टर से 4 नेवी सील कमांडो, ट्रांसलेटर और कुत्ते को मकान के बाहर ही उतारा गया। इन कमांडो का काम अंदर की गतिविधियों पर नजर रखने का था जबकि अहमद का काम स्थानीय लोगों को इस पूरे मिशन से दूर रखने का था।
अमेरिकी एजेंसियों ने मिशन की पूरी तैयारी की थी इसलिए खोजी कुत्ते को साथ ले जाया गया था, अगर लादेन मकान में नहीं मिलता है तो कुत्ते की मदद से खुफिया रास्तों की तलाश की जाती। बाकी बचे 6 सील कमांडो को हेलिकॉप्टर ने मकान की छत पर उतार दिया।
सील कमांडोज बांउड्री वॉल के सहारे जानवरों के बाडे वाले हिस्से में पहुंचे और कम आवाज वाले विस्फोटक से वहां लगे गेट को उडा दिया। घर के अंदर उन्हें एक और गेट मिला, उसे भी विस्फोटक से उडा दिया गया। मकान के ग्राउंड फ्लोर पर सील कमांडोज का पहला एनकांउटर हुआ लादेन के कुरियर अबू अहमद अल कुवैती से, अमेरिकी सैनिकों को देखकर वो अपने बीवी बच्चों को बताने अंदर गया। वो सफेद सलवार कमीज पहने हुआ था, जब वो वापस लौटा तो उसके हाथ में हथियार था, लेकिन वो हमला कर पाता उससे पहले ही कमांडो ने उसे ढेर कर दिया।
मकान के अंदरुनी हिस्से में मौजूद कमांडो की टीम 3-3 की तीन टुकडियों में बंट गई थी। उनका काम अंदर का रास्ता साफ करने का था जिससे छत पर उतरी दूसरी टीम अपने काम को आसानी से अंजाम दे सके। अमेरिकन कमाडोज को लगा था कि मकान के अंदर काफी लोग मौजूद होंगे, एक टुकड़ी अंदर के हिस्से के मेन गेट के पास पहुंची, वहां उनका सामना हुआ अबरार से, अबरार के हाथ में एके 47 थी और उसके साथ उसकी बीवी थी। कुछ ही मिनटों में अमेरिकी सैनिकों ने दोनों को मार गिराया।
मकान के बाहर मौजूद कमाडोज इस बात पर नजर रख रहे थे कि मकान से कोई बाहर निकल न पाए साथ ही बाहर से अगर किसी तरह की परेशानी होती है तो उसका सामना किया जाए। अहमद बाहर की सड़क पर टहल रहा था, वो ऐसे व्यवहार कर रहा था कि लोगों को लगे कि सादे कपड़ो में पुलिस है। दरअसल हेलिकॉप्टर और फायरिंग की आवाज के चलते पडोस के लोगों के मिशन में रुकावट डालने का खतरा था इसलिए अहमद को इस काम को अंजाम देने को कहा गया था, लेकिन मिशन के पहले पंद्रह मिनट बिना किसी रुकावट के गुजर गए।
कुछ पडोसियों ने जरुर शोर सुनकर बाहर आए लेकिन अहमद ने उन्हें पश्तो में कहा कि वो वापस जाएं क्योंकि यहां पुलिस का आपरेशन चल रहा है, दूसरी तरफ सील कमांडोज की नजरे ढूंढ रही थीं लादेन को क्योंकि उन्हें इस बात की पुख्ता जानकारी नहीं थी कि लादेन इसी हवेली में मौजूद है।
एक एक कर लादेन के सहयोगियों को तो अमेरिकी कमांडोज ने मौत के घाट उतार दिया लेकिन लादेन अभी भी पकड़ से दूर था, ग्राउंड फ्लोर को पूरी तरह साफ करने के बाद कमांडो ने पहली मंजिल के कमरों की तलाशी लेनी शुरु की, पहली मंजिल पर पहुंच कर कमांडो को ये डर लगा कि कहीं लादेन ने उन्हें फंसाने के लिए जाल तो नहीं बिछाया है। आखिर दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी जहां मौजूद है वहां सुरक्षा इतनी कम कैसे है, हर मंजिल पर जाने के लिए सीढियों पर दरवाजे लगे हुए थे जो बंद थे। सील कमांडो की टुकडी उन्हें विस्फोटक से उडाकर आगे बढ रही थी।
ऊपर बढने पर उनका सामना हुआ लादेन के बेटे खालिद से, खालिद ने सीढी के ऊपर से ही एके 47 से फायर किया लेकिन जवाबी कार्रवाई मे वो भी मारा गया। अब सील कमांडो के सामने था तीसरी मंजिल पर जाने वाली सीढी का दरवाजा और एक उम्मीद की दुनिया का सबसे बडा दहशतगर्द उन्हें यहीं मिलेगा।
तीसरी मंजिल तक पहुंचने वाली आखिरी सीढी पर पहुंचकर कमांडोज को उनके नाइटविजन चश्मे की हरी रौशनी में बेडरुम के दरवाजे के पीछे छुपे एक शख्स की हल्की सी झलक दिखी। ये शख्स दरवाजे के पीछे से झांक रहा था, लंबा और भरे बदन का लंबी दाढी वाला ये शख्स और कोई नहीं ओसामा बिन लादेन था।
ओसामा को देखकर कमांडो बडी तेजी से बेडरुम के अंदर घुसे लेकिन अंदर पहुंचकर वो चौंक गए, कमरे में लादेन की दोनो बीवियां उसे घेरकर खड़ी थी। लादेन की छोटी बीवी अम्माल अरबी मे तेज़ तेज चिल्ला रही थी, कमांडो को लगा कि वो उन पर हमला करने वाली है, बिना सेकेंड गंवाए एक गोली उसके पैर में मारी, लेकिन उन्हें लगा कि दोनों बीवियां कहीं मानव बम न हों। लेकिन टार्गेट को इतना करीब पाकर कमांडोज किसी भी कीमत पर उसे छोड़ना नहीं चाहते थे। लिहाजा जान हथेली पर रखकर दो कमांडो कंबल लेकर आगे बढे और दोनों औरतों पर डाल दिया, उनकी योजना थी कि अगर बम फटता भी है तो कंबल की वजह से केवल दो कमांडोज की जान जाएगी और बाकी के कमांडो मिशन को अंजाम दे देंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
दोनों बीवियों को हटाने के बाद टार्गेट सामने था, गहरे रंग की सलवार कमीज में निहत्था लादेन। सील कमांडो की दूसरी टोली कमरे के अंदर थी और एम फोर लेजर गन के निशाने पर था लादेन, 5.56 एमएम गोली सील कमांडोज़ की बंदूक से चली और सीधे लादेन के सीने में धंस गई, गोली से लादेन पीछे गिर गया तो अगली गोली उसके सिऱ में आंख के ठीक बगल में मारी गई। लादेन ने वहीं दम तोड़ दिया।
सील कमांडोज ने वाशिंगटन में दिल थाम कर बैठे आफिसर्स को कोड मैसेज दिया जेरीनिमों इकिया, यानि लादेन मारा गया, 9-11 के नौ साल सात महीने और 20 दिन बाद अमेरिका ने अपना बदला ले लिया। उनका सबसे बडा दुश्मन खत्म हो चुका था।
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