क़त्ल की प्लानिंग सॉलिड थी, तरीक़ा भी नायाब, मगर शातिर चाल के बीच क़ातिल से हुई ये ग़लती

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क़त्ल की प्लानिंग सॉलिड थी, तरीक़ा भी नायाब, मगर शातिर चाल के बीच क़ातिल से हुई ये ग़लती
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Shams Ki Zubani: क्राइम की कहानी में आज बात होगी उस कत्ल की जिसके लिए साज़िश कुछ इस अंदाज़ में रची गई थी कि हत्या हत्या जैसी न लगे बल्कि लोगों को आखिरी तक मौत की वजह का पता ही नहीं चल पाये। ये सच्ची घटना दक्षिण भारत के नए राज्य तेलंगाना से सामने आई है।

तेलंगाना के खम्मम ज़िले में एक परिवार रहता था। जिसके परिवार के मुखिया के नाम था कि शेख जमाल साहब। बोप्पाराम गांव के रहने वाले शेख जमान साहब खेती किसानी करके घर गृहस्थी की गाड़ी चला रहे थे। उनकी एक बीवी थी नाम था इमाम और उनके दो बच्चे थे। और दोनों ही बेटियां। घर में सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। शेख जमान साहब का ज़्यादातर वक़्त घर की जरूरतों को पूरा करने और खेती किसानी के लिए जरूरी दौड़भाग करने में बीत जाता था।

शेख साहब के घर के ही पड़ोस में एक और परिवार रहता था। उस परिवार में एक नौजवान लड़का था। नाम था मोहन राव। मोहन राव का शेख साहब के घर आना जाना भी था। चूंकि शेख साहब का तो वक़्त अपने खेतों पर ही गुज़रता था।

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Shams Ki Zubani: लिहाजा वो उससे तो मुलाकात कम ही होती लेकिन घर में शेख साहब की बीवी इमाम बी जरूर मोहन राव के साथ दोस्ती का रवैया रखती थीं। धीरे धीरे गुज़रते वक़्त के साथ मोहन राव की इमाम बी के साथ दोस्ती और गहरी होने लगी और अब दोनों और ज़्यादा वक़्त एक दूसरे के साथ बिताने लगे। देखते ही देखते दोनों के बीच प्यार हो गया और ये नया रिश्ता परवान चढने लगा और उधर शेख साहब इस नए खिलते हुए गुल से अनजान थे।

लेकिन कहते हैं न कि इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपती। लिहाजा एक रोज शेख साहब ने अपनी बीवी इमाम बी को अपने ही घर में मोहन राव के साथ उस हालत में देख लिया जिसके बारे में उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

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जाहिर है एक पति को जब अपनी बीवी की बेवफाई का पता चलता है तो उसका गुस्साना लाजमी है। ऐसा शेख साहब भी करते हैं। वो अपनी बीवी को डांटते हैं और गुस्से के आलम में पिटाई तक कर देते हैं लेकिन फिर समझाते भी हैं। और आखिर में चेतावनी या हिदायत देते हैं। और ये बात आई गई जैसी हो जाती है। अगले रोज से फिर सब कुछ सामान्य सा दिखने लगता है।

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Shams Ki Zubani: शेख साहब की डांट का असर ये होता है कि इमाम बी और मोहन राव भी एक दूसरे से मिलना जुलना कम कर देते हैं। वक्त बीतने लगता है। इस बीच शेख साहब की बीवी इमाम बी बहुत परेशान हो जाती है क्योंकि शेख साहब की पाबंदी की वजह से वो मोहन राव से मिल नहीं पाती।

कोशिश भी नहीं करती है क्योंकि उसे डर था कि एक बार रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद अगर दोबारा वही गलती की तो कहीं शेख साहब मार पीटकर उसे घर से न निकाल दें...ऐसे में बहुत बदनामी हो जाएगी। दूसरी तरफ मोहन राव से दूरी इमाम बी को अखरने लगती है। अब इमाम की जिंदगी डर और ख्वाहिश के बीच उलझकर रह जाती है।

तब एक रोज हिम्मत करके इमाम बी ने मोहन राव से बात की। मोहन राव भी यही चाहता था कि किसी तरह उनके प्यार के रास्ते में आने वाला रोड़ा यानी शेख साहब बीच से हट जाएं। लिहाजा मोहन राव ने इमाम बी को टटोला। इमाम बी भी पहले से तैयार थी। तब दोनों एक फैसले पर पहुँचते हैं कि किसी तरह शेख साहब को रास्ते से हटा दिया जाए।

Shams Ki Zubani: ये फैसला तो हो गया कि शेख साहब को रास्ते से हटा दिया जाए...लेकिन अब उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यही था कि आखिर कैसे। अब यहां से शुरू होती है शातिर चाल और उसके लिए खतरनाक सोच। तब दोनों ही लोगों ने किस्से कहानियों से लेकर फिल्मी तौर तरीकों और सच्ची घटनाओं तक में मौत देने के तमाम तरीकों को खंगाल डाला। मगर उन्हें कोई तरीका जच नहीं रहा था, क्योंकि उनकी सोच यही थी कि इस गुनाह को अंजाम देने के बाद भी कोई उन्हें पकड़ न सके। तब वो दोनों फुलप्रूफ प्लान के बारे में सोचने लगे।

लम्बी जद्दोजहद और सोच विचार के बाद वो दोनों एक नतीजे पर पहुँचे कि क्यों न शेख साहब को ऐसा जहर दे दिया जाए ताकि ये गुमान हो कि शायद उन्हें किसी सांप ने डस लिया है। लेकिन उन्हें इस प्लान में भी खोट दिख गया क्योंकि उन्होंने कुछ किस्सों में ये भी पढ़ रखा था कि सांप से कत्ल करवाने के मामले में भी लोग पकड़े जा चुके हैं। लिहाजा वो दोनों ऐसी तरकीब की तलाश में जुटे रहे कि कत्ल भी हो जाए और जमाने में उसे हादसा का नकाब आसानी से पहनाया जा सके।

Shams Ki Zubani: तब मोहन राव ने अपने एक जानकार डॉक्टर से जहर और नींद की दो गोली लेने का इरादा किया। इसका इंतजाम हो जाने के बाद करना ये था कि नींद की गोलियां देने के बाद शेख साहब को जहर का इंजेक्शन दे देना था। लेकिन कई दिनों तक इंतजार करने के बाद ये तय हो गया कि इमाम बी से ये काम नहीं हो पाएगा। लिहाजा दोनों फिर दूसरी तरकीब ढूंढ़ना शुरू कर देते हैं।

इसी बीच एक रोज शेख साहब अपनी बेटी से मिलने के लिए बाइक पर घर से निकले। उनकी बेटी आंध्र प्रदेश के बॉर्डर इलाक़े में रहती थी जो उनके घर से महज 20 -22 किलोमीटर की दूरी पर ही था। और इत्तेफाक से उस रोज उनकी बीवी इमाम बी भी उनकी बेटी के ही पास थी। और घर से निकलने से पहले शेख साहब ने अपनी बीवी को अपने आने की इत्तेला भी दे दी।

बीवी ने शेख साहब से जो जो पूछा उन्होंने सारी बातें बता दीं जैसा कि आमतौर पर हर मियां बीवी एक दूसरे को बता ही देते हैं। शेख साहब का सारा प्लान समझने के बाद इमाम बी ने फौरन मोहन राव को फोन किया  और उन्हें शेख साहब के उनके पास आने का सारा प्लान बता दिया।

शेख साहब का प्लान पता होते ही मोहन राव ने अपने तीन दोस्तों को साथ लिया और उसी रास्ते पर घात लगाकर बैठ गया जिस रास्ते से होकर शेख साहब को अपनी बीवी और बेटी के पास पहुँचना था।

खम्मम से गंडरई गांव जाने के रास्ते पर एक जगह मोहन राव खुद ख़ड़ा हो गया। और शेख साहब उसे पहचान न ले इसके लिए मोहन राव ने मंकी कैप पहन ली। और जैसे ही शेख साहब उसे नज़र आए उसने लिफ्ट मांगने के लिए हाथ दिया। शेख साहब ने मोटरसाइकिल रोक ली और मोहन राव को जरूरतमंद समझते हुए लिफ्ट दे दी और अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा लिया।

Shams Ki Zubani: कुछ दूर जाने के बाद शेख साहब को महसूस हुआ कि उनकी जांघ में कुछ नुकीली चीज चुभी। चुभन महसूस होते ही शेख साहब ने अपनी बाइक धीमी कर दी। बाइक धीमी होते ही मोहन राव बाइक से कूद पड़ा। और पैदल ही भागने लगा।

जांघ में किसी चीज का चुभना और फिर बाइक पर लिफ्ट मांगकर सवार होने वाले का पैदल ही भागने लगना। ये बात शेख साहब को समझ में नहीं आई। जब उन्हें कुछ समझ में नहीं आया तो फौरन उन्होंने फोन निकालकर अपनी बीवी इमाम बी को फोन किया। और फोन पर अपनी बीवी को उनके साथ हुई घटना के बारे में कुछ बता पाते तब तक उन्हें ज़ोर से चक्कर आया। और वो बाइक समेत सड़क पर गिर पड़े।

किसी राहगीर को यूं सड़क पर बेसुध होता देख वहां आस पास खेतों में काम करने वाले लोग मदद के लिए दौड़े। किसी ने पुलिस को फोन किया तो कोई उन्हें उठाकर अस्पताल की तरफ दौड़ने लगा। पुलिस की टीम मौके पर पहुँची। लेकिन जब लोग शेख साहब को उठाकर अस्पताल पहुँचे तो वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

बड़ा ही अजीब मामला था। पुलिस ने अपने तौर तरीके से तफ्तीश शुरू की। मौके पर पहुँचकर उनसे बाइक के इर्द गिर्द ज़मीन पर कुछ टटोलने और तलाश करने की कोशिश की। तो कुछ ही दूरी पर पुलिस को एक सिरिंज मिली।

पुलिस ने शेख साहब का पोस्टमॉर्टम करवाया तो उसमें जहर से मौत की वजह बताई गई। अब पुलिस का माथा ठनका। कि मौके के पास से एक सिरिंज का मिलना और एक शख्स का बीच सड़क पर बेसुध होकर गिरना और अस्पताल पहुँचने से पहले मौत होना...सब पुलिस को एक ही कहानी का हिस्सा मालूम पड़ने लगा।

Shams Ki Zubani: लेकिन बड़ा सवाल ये था कि आखिर ये किया किसने। तफ्तीश के दौरान पुलिस को ये पता चला कि बेहोश होने से पहले शेख साहब ने उनकी मदद के लिए पहुँचे लोगों से ये कहा था कि उन्हें कोई चीज चुभाई गई है। ये बात पुलिस को खटक गई। इसके बाद पुलिस ने शेख के घर के आस पास लोगों से भी पूछताछ शूरु की।

पुलिस ने जब तफ्तीश को आगे बढ़ाया तो उसने शेख साहब के साथ साथ उनकी बीवी इमाम बी के फोन को भी खंगाला...इमाम बी के फोन से ही पुलिस को मोहन राव का नंबर मिला। मोहन राव और इमाम बी के रिश्तों को लेकर मोहल्ले में हो रही खुसफुसाहट भी पुलिस को पता चल गई लिहाजा पुलिस ने तब मोहन राव पर निगाह गड़ा दी और पहले उसके मोबाइल को अपने रडार पर लिया जिसने पुलिस के सामने कई तस्वीरें साफ कर दी। फिर पुलिस ने अपने सुराग के आधार पर मोहन राव को उठा लिया।

Shams Ki Zubani: मोहन राव से पूछताछ की फिर पुलिस ने शेख साहब की बीवी इमाम बी से पूछताछ  की और फिर दोनों को आमने सामने बैठाकर पूछना शुरू किया। इसके बाद पुलिस ने उस डॉक्टर को उठाया और फिर मोहन के दो और साथियों को उठाया। पुलिस की ये तरकीब काम कर गई और पूरी कहानी खुल गई।

कहानी बस इतनी सी थी कि कत्ल ऐसे किया जाए जो कत्ल न लगे। और जब इमाम बी अपने काम को अंजाम नहीं दे सकी तो मोहन राव ने खुद ही इस साज़िश को अंजाम देने के लिए मौके की तलाश में जुट गया। लेकिन जैसा की आमतौर पर हरेक कातिल या मुजरिम करता है वो कोई न कोई सुराग या सबूत छोड़ देता है मोहन राव ने तो सबूत ही सबूत छोड़ दिए थे। लिहाजा उनका पकड़ा जाना तय हो गया।

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