काबुल पर तालिबान का 'कब्ज़ा'!
Taliban is about to capture Kabul
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तालिबानी दहशतगर्दों के ताडंव की लगातार तस्वीरें सामने आ रही हैं, बेहिसाब बम बरस रहे हैं, रॉकेट लॉन्चर आग उगल रहे हैं। गोलियों की तड़तड़ाहट से हर इलाका थर्रा रहा है, इस अंतहीन तबाही से हर कोई सन्न है, तालिबानी आतंकी लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
यकीन मानिए अफगानिस्तान के जर्रे-जर्रे में खौफ है, कब किसकी सांसों की डोर छूट जाए पता नहीं। क्योंकि तालिबानी आतंकी अफगानिस्तान पर पूरी तरह कब्जा करने के लिए हर कुछ मिटाने पर आमादा है। जहां-जहां से गुजर रहा है तालिबान का कारवां, वहां दहशत और बर्बादियों के निशान है।
सुरक्षा बलों और तालिबानी लड़ाकों के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में जंग हो रही है, लेकिन तालिबान को रोक पाना मुश्किल साबित हो रहा है, तालिबान लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं। देश के ग्रामीण इलाकों के बाद मुख्य प्रांतीय राजधानियों पर उसका कब्जा बढ़ता जा रहा है।
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तालिबान अब धीरे-धीरे अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के नजदीक पहुंच रहे हैं, पहले अफगानिस्तान के छोटे-छोटे इलाकों पर कब्जा किया और अब मुख्य शहरों पर कब्जा करते जा रहे हैं तालिबानी आतंकी। उत्तरपूर्व अफगानिस्तान के कुंदुज शहर में तालिबानी लड़ाकों ने अहम सरकारी इमरातों पर कब्जा कर लिया है। कुंदुज रणनीतिक रूप से अहम है, क्योंकि ये खनिज संपन्न उत्तरी प्रातों और मध्य एशिया का गेटवे है। बताया जा रहा है कि यहां केवल आर्मी बेस और एयरपोर्ट ही अफगान सुरक्षाबलों के नियंत्रण में है। जहां वो तालिबान को पहुंचने से रोकने की कोशिशों में जुटे हैं। लेकिन तालिबान के तेवर को देखते हुए शायद ही अफगान सेना उन्हें रोकने में कामयाब हो सके।
इसके अलावा तालिबान ने एक अन्य शहर सर-ए-पोल को कब्जे में ले लिया है, तालिबान ने निमरोज और जुजजवान पर भी कब्जा कर लिया है। तालिबान ने शेबरगान सिटी में एक जेल पर हमलाकर यहां बंद 700 तालिबान लड़ाकों को छुड़ा लिया।तालिबान के मंसूबे खतरनाक है, क्योंकि जैसे-जैसे वो इलाकों पर कब्जा करते जा रहे हैं वैसे-वैसे तालिबान शरीया कानून को भी बेरहमी से लागू करते जा रहे हैं।
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तालिबान ने बदख्शां, तखर और गजनी प्रांत में फतवा जारी कर दिया है। उसने कहा है कि अगर 12 साल से अधिक उम्र की लड़कियां और विधवा महिलाएं घर के बाहर अकेली दिखीं, तो तालिबान के लड़ाके उन्हें उठाकर ले जाएंगे। अफगान महिलाओं पर इस्लामी शरिया कानून लागू होगा। तालिबान ने ये कानून 1996-2001 के दौरान भी लागू कर रखा था। तब तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा था। जाहिर है तालिबानी आतंकी अब रूकनेवाले नहीं है, उनके कहर का दायरा लगातार बड़ा होता जा रहा है ऐसे में सवाल है कि अफगानी सेना काबुल और उसके आस-पास इलाकों को कब तक इस वार से महफूज रख पाएंगें।
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