पाकिस्तान-अफगानिस्तान ट्रेड रूट पर तालिबान का कब्जा स्पिन बोलडक में तालिबान ने जारी की नई टैक्स लिस्ट

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तालिबान ने पाकिस्तानी सीमा से लगे अफगानिस्तान के स्पिन बोलडक पर कब्जा कर लिया है। अफगानिस्तान आर्मी और तालिबान के बीच लगभग एक महीने से लड़ाई चल रही थी। तालिबान ने एक महीने की लड़ाई के बाद जुलाई की शुरुआत में ही अफगानी सेना को मैदान छोड़ने पर मंजूर कर दिया।

स्पिन बोलडक वो रास्ता है जो पाकिस्तान से लगा हुआ है। ये वो ट्रेडरुट है जहां से पाकिस्तान से सामान अफगानिस्तान और अफगानिस्तान का सामान पाकिस्तान भेजा जाता है। मंगलवार से तालिबान ने इस इलाके में पाकिस्तान से आने वाले सामान पर नया टैक्स लगा दिया है। सोमवार को ही दो हफ्ते के बाद पाकिस्तान ने अपना ये बॉर्डर खोला है। पाकिस्तान ने तालिबान और अफगानी आर्मी के बीच हो रही लड़ाई की वजह से अपने बॉर्डर सील किए हुए हैं।

तालिबान से वार्ता के बाद ही पाकिस्तान की ओर से ये बॉर्डर खोला गया है। बॉर्डर खुलने के बाद जो भी ट्रक पाकिस्तान से अफगानिस्तान में घुस रहा है तालिबान उस पर स्पिन बोलडक में टैक्स वसूल रहे हैं। तालिबान ने बीस पेज की एक टैक्स लिस्ट जारी की है। इसमें आने जाने वाले सामान पर अलग-अलग टैक्स लगाया गया है।

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अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आयात और निर्यात करने वाले लोग इस नए टैक्स से खुश नहीं है। उनके मुताबिक अब उन्हें दो-दो जगहों पर टैक्स देना होता है। एक टैक्स तो तालिबान को जाता है जबकि दूसरा टैक्स अफगानिस्तानी सरकार को देना पड़ता है क्योंकि पूरे अफगानिस्तान में ने तो सरकार का कब्जा है और न ही तालिबान का। ऐसे में जिस इलाके से ट्रक गुजरता है वहां पर उन्हें टैक्स भरना पड़ता है।

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स्पिन बोलडक में हुई लड़ाई के बाद वहां से भागकर कई लोगों ने पाकिस्तान में घुसने की कोशिश की थी लेकिन पाकिस्तान ने उन्हें घुसने की इजाजत नहीं दी। हाल में ही तालिबान से जान बचाकर भाग रहे अफगानी आर्मी के करीब 40 सैनिक और अफसरों ने पाकिस्तान के चमन बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान में शरण ली थी । पाकिस्तान ने भी इन सैनिकों को पाकिस्तान में आने के लिए अपने बॉर्डर खोल दिए थे।

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फिलहाल पाकिस्तान अपने कब्जे में आए इलाकों में न केवल टैक्स वसूल रहा है बलकि उसने कई जगहों पर शरीयत भी लागू कर दी है । ऐसे इलाकों में वहां रहने वाले लोगों की जिंदगी उसी 90 के दशक में लौट गई है जब अफगानिस्तान पर तालिबान काबिज थे।

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दूसरी ओर अमेरिका भी अफगानिस्तान आर्मी की मदद के लिए तालिबान के ठिकानों पर हमला कर रहा है। अमेरिकी जनरल इस बात को पहले ही साफ कर चुके हैं कि जोर जबरदस्ती से तालिबान अफगानिस्तान की हुकूमत पर कब्जा नहीं कर सकता।

सबसे पहले उसे अफगानिस्तान सरकार में बैठे लोगों से बात करनी होगी और किसी समझौते पर पहुंचना होगा। दूसरी ओर पाकिस्तान के रक्षा विशेषज्ञ तालिबान पर अमेरिकी हमलों से तिलमिलाए हुए हैं । वो बार-बार इस बात की दुहाई दे रहे हैं कि जब अमेरिका अफगानिस्तान में रहकर बीस साल तक कुछ नहीं कर पाया तो वो अफगानिस्तान के बाहर बने बेसों से तालिबान पर बमबारी कर क्या हासिल कर लेगा।

पाकिस्तान और चीन भले ही खुलेआम ये बात कह रहा हो कि वो अफगानिस्तान में किसी पक्ष के साथ नहीं है लेकिन ये बात सबको पता है कि पाकिस्तान तालिबान को चोरी छिपे पूरा सहयोग दे रहा है। चीन किसी भी कीमत पर अफगानिस्तान से अमेरिका को बाहर निकालना चाहता है ताकि अफगानिस्तान में बैठकर न केवल वो अमेरिका बलकि उसके सहयोगी देशों को परेशान कर सके जिसमें भारत भी शामिल है।

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