दावा: Taliban ने कुर्सी के लिए अपने Supreme Leader को ही मार डाला, इस बात में कितनी सच्चाई है?
Taliban chief dead, Baradar held hostage by Haqqanis? Report sparks rumours
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अफगानिस्तान में सरकार गठन के साथ ही तालिबान के अंदर आपसी कलह की खबरें आने लगी थीं. बरादर गुट और हक्कानी नेटवर्क सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर आपस में भिड़ गए थे. जिससे कयास लगाए जाने लगे कि गोली लगने से मुल्ला की मौत हो चुकी है. इन्हीं आशंकाओं पर ब्रेक लगाने के लिए मुल्ला बरादर का एक वीडियो भी जारी हुआ. जिसमें वो खुद को स्वस्थ बता रहा है कि वो ठीक है.
हालांकि हाल ही में एक मैगजीन ने दावा किया है कि उस संघर्ष के बाद हक्कानी नेटवर्क ने किसी अज्ञात जगह पर बरादर को बंधक बना रखा है और उससे वीडियो भी जबरन बनवाया गया था. इससे पहले मुल्ला बरादर ने एक ऑडियो भी जारी किया था जिसमें उसने कहा था कि वो स्वस्थ है और उसके खिलाफ झूठी अफवाहें फैलाई जा रही हैं. बरादर ने ऑडियो जारी करके कहा था कि वो बिल्कुल स्वस्थ है और उसके खिलाफ झूठी अफवाहें फैलाई जा रही हैं.
अफगानिस्तान में सरकार गठन के साथ ही तालिबान के अंदर संघर्ष सामने आया था. बरादर गुट और हक्कानी नेटवर्क सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर आपस में भिड़ गए थे. हालांकि उस वक्त इसका खंडन कर दिया गया था लेकिन धीरे धीरे सच्चाई सामने आ रही है. तो क्या तालिबान को खत्म करने के लिए किसी बाहरी भस्मासुर की जरूरत नहीं पड़ेगी
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कहा तो ये भी जा रहा है कि अफगान राष्ट्रपति भवन में हुई झड़प के बाद मुल्ला बरादर ने टीवी पर एक लिखित बयान को पढ़ा था. जिससे उसके बंधक बनाए जाने की अटकलें और तेज हो गई थीं. वहीं कई विशेषज्ञों ने ये भी कहा था कि मुल्ला दबाव दबाव में था और उससे जबरन बयान पढ़वाया गया.
किस बात को लेकर है आपस में जंग ?
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मुल्ला बरादर तालिबान सरकार में अल्पसंख्यकों और गैर तालिबानी नेताओं को शामिल करना चाहता था. जिससे वो तालिबान की एक अलग छवि दुनिया के सामने पेश कर सके. जबकि हक्कानी नेटवर्क ऐसा नहीं चाहता था. इसी को लेकर दोनों गुटों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था जो खूनी संघर्ष में बदल गया.
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जबकि दावा तो ये भी किया जा रहा है कि काबुल की सत्ता पर काबिज होने को लेकर दोनों गुटों के बीच विवाद है. बरादर खेमा अपनी कूटनीति को सत्ता पर काबिज होने की वजह मानता है.तो वहीं हक्कानी नेटवर्क अपने आत्मघाती रवैये को काबुल की सत्ता का श्रेय देना चाहता है...
इस बात पर चौंकाने वाली बात ये है कि तालिबान का सुप्रीम लीडर और खूंखार आतंकी हिबतुल्ला अखुंदजादा भी कई दिनों से दुनिया के सामने नहीं आया है.
वैसे तो पिछले पांच सालों से वो दुनिया के सामने नहीं आया. लेकिन इतने बड़े खूनी संघर्ष के बाद भी उसका कोई संदेश न आना इस बात का संकेत देता है किअखुंदजादा का काम तमाम हो चुका है.
हिबतुल्ला अखुंदजादा की जानकारी दुनिया की खुफिया एजेंसियों को भी नहीं है. वो कहां रहता है और उसकी दिनचर्या क्या होती है इसकी जानकारी भी बहुत ही कम लोगों को है. यहां तक कि तालिबान के कई बड़े नेताओं ने भी अब तक अखुंदजादा को नहीं देखा है. हालांकि वो बीच-बीच में वीडियो जारी कर तालिबानी नेताओं को संदेश भेजता रहता है. लेकिन इधर कई दिनों से उसका कोई संदेश नहीं आया जिससे उसकी मौत की आशंका गहरा रही है.
लिहाजा इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि तालिबान ने जिस फसल को बोया है अब वो उसी को काट रहा है.
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