तालिबान 2.0 : अफ़ग़ान की सरकार के 5 टॉप मंत्री UN की लिस्ट में आतंकी, जानिए, कौन है सबसे कम उम्र का मंत्री?

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तालिबान 2.0 : अफ़ग़ान की सरकार के 5 टॉप मंत्री UN की लिस्ट में आतंकी, जानिए, कौन है सबसे कम उम्र का...
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Afghanistan Taliban 2.0 Government: अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार की घोषणा कर दी गई है. सरकार बनाने से पहले भले ही कई तरह के बदलाव के दावे किए गए. लेकिन असल में वही पुरानी सोच पर ही सरकार बनाई गई है. जिस मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को संयुक्त राष्ट्र ने आतंकियों की लिस्ट में शामिल किया हुआ है वो नई सरकार का प्रमुख यानी प्रधानमंत्री बनाया गया है.

इसके दो डिप्टी प्रधानमंत्री बनाए गए हैं. मुल्ला बरादर और अब्दुल सलाम हन्‍नाफी. दरअसल, मुल्ला बरादर को ही प्रधानमंत्री बनाने की तैयारी थी. 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा जमाने के बाद मुल्ला बरादर को प्रमुख माना भी जा रहा था.

लेकिन हक्कानी गुट और बरादर के बीच तनाव की वजह से बीच का रास्ता निकालना पड़ा. ऐसे में सवाल ये था कि किसे प्रमुख बनाया जाए. इसके बाद शेख हिब्दुल्लाह अखुंदजादा ने ही मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री और दो प्रमुख नेताओं को इनका डिप्टी बनाया. नए तालिबान कैबिनेट में कम से कम 5 नाम ऐसे हैं, जो संयुक्त राष्ट्र (United Nation) की आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल हैं.

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तालिबान सरकार के ये टॉप-5 नेता जो UN की आतंकी लिस्ट में शामिल

1- प्रधानमंत्री : मुल्ला हसन अखुंद

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पेन स्टेट यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार, मुल्ला हसन अखुंद एकमात्र बड़े कद का नेता है जिसने सोवियत–अफ़ग़ान वॉर में हिस्सा नहीं लिया.

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वो तालिबान में धार्मिक मामलों का सबसे बड़ा जानकार है. साल 2001 में बामियान की मूर्ति तोड़ने के लिए अखुंद ने ही दिया था आदेश.

एक संयुक्त राष्ट्र की सैंक्शन रिपोर्ट में उन्हें उमर का "करीबी सहयोगी और राजनीतिक सलाहकार" बताया है।

मूर्ति को लेकर मुल्ला उमर ने मना किया था लेकिन अखुंद ने मूर्ति को यूनेस्को के हेरिटेज लिस्ट में आने से नाराज होकर दिया था आदेश.

अखुंद को तालिबान के दो विंग, मिलिट्री और धार्मिक में से धार्मिक विंग का सबसे बड़ा नेता माना जाता है.

अखुंद तालिबान गुट का सबसे कट्टर धार्मिक और रूढीवादी नेता कहा जाता है, ये महिलाओं के प्रति कट्टर है.

तालिबान की पहली सरकार में वो विदेश मंत्री रह चुका है. इसके बाद साल 2001 में पाकिस्तान चला गया था.

2 - मुल्ला अब्दुल गनी बरादर : डिप्टी प्रधानमंत्री

मुल्ला बरादर का हक्कानी गुट से पिछले दिनों से काफी तनाव चल रहा है. इसलिए हक्कानी के विरोध के चलते पीएम नहीं बना.

बरादर का मतलब भाई से है. इसका जन्म अफ़ग़ानिस्तान के उर्जुगान प्रांत में 1968 में हुआ बताया जाता है.

साल 1980 में इसने मुजाहिद्दीन संगठन से जुड़ा था. अफ़ग़ान-सोबित वॉर में हिस्सा लिया था. जंग में ये काफी कट्टर रहा है.

1990 की शुरुआत में तालिबान गुट को शुरू करने में मुल्ला उमर के साथ मुल्ला बरादर की बड़ी भूमिका रही थी.

मुल्ला उमर का ये इतना खास था कि मुल्ला बरादर ने उमर की बहन से ही फिर शादी रचाई थी.

1996 से 2001 के बीच तालिबान की पहली सरकार के कार्यकाल में ये उप रक्षा मंत्री बना था.

साल 2010 में पाकिस्तान में हुआ था गिरफ्तार

अमेरिका के हमले के बाद ये 2010 में पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया था. सोशल मीडिया पर गिरफ्तारी के इसके कई फोटो वायरल हैं.

अक्टूबर 2018 में पाकिस्तान की जेल से ये रिहा हुआ था. इसके बाद अमेरिका के साथ दोहा में हुई 2020 में की वार्ता में इसकी बड़ी भूमिका रही.

अमेरिका से अफ़ग़ान में शांति वार्ता के बाद बताया जाता है कि ट्रंप ने फोन पर बरादर को कहा था कि वेरी गुड (Very Good)

3 - मुल्ला अब्दुल सलाम हनाफी : डिप्टी प्रधानमंत्री

मुल्ला अब्दुल सलाम हनाफी मूलरूप से अफ़ग़ान के जोज़ान प्रांत का रहने वाला है. ये नशे की तस्करी के लिए संयुक्त राष्ट्र की सैंक्शन लिस्ट में शामिल है.

एक रिपोर्ट के अनुसार, इसने काफी समय तक काबुल यूनिवर्सिटी में बतौर प्रोफेसर की तरह धार्मिक शिक्षा भी दी है.

साल 2020 में अमेरिका के साथ दोहा में तालिबान की वार्ता में अब्दुल सलाम हनाफी की बड़ी भूमिका रही थी.

4- सिराजुद्दीन हक्कानी : आंतरिक-गृहमंत्री

हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी. 2018 में अपने पिता जलालुद्दीन हक्कानी की मौत के बाद संगठन का नेतृत्व संभाला. हक्कानी नेटवर्क वो संगठन है जिसे 1980 के दशक में सबसे प्रभावी सोवियत संघ के खिलाफ अमेरिका समर्थन हासिल था.

इस नेटवर्क की तालिबान में क्या स्थिति है. कौन किसमें शामिल है, ये कह पाना बहुत मुश्किल है. इस पर बहस होती रहती है. क्योंकि दोनों एक साथ मिलकर तो कभी विरोध में काम करते हैं. लेकिन इनका टारगेट एक ही है.

UN सैंक्शन कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच अराजक सीमावर्ती इलाकों में स्थित इस संगठन का नशीली दवाओं के प्रोडक्शन और बिजनेस में गहरी पार्टरनशिप है.

हक्कानी आत्मघाती हमलों और अल कायदा के साथ संबंधों में शामिल होने के कारण FBI के मोस्ट वॉन्टेड व्यक्तियों में से एक है.

हक्क़ानी पर FBI ने 37 करोड़ का इनाम घोषित कर रखा है. एफ़बीआई के इस प्रोफ़ाइल में हक्क़ानी का कद 5 फ़ीट 7 इंच बताया गया है.

वो कभी अफगानिस्तान कभी पाकिस्तान में रहता है और उनके समूह को पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान सीमा पर सक्रिय बताया गया है.

इसकी उम्र 45 साल के क़रीब बताई गई है. वो अरबी बोलता है. एफबीआई के मुताबिक, हक्क़ानी की नागरिकता के बारे में नहीं पता है.

5 - आमिर खान मुत्ताकी : विदेश मंत्री

मूल रूप से पक्तिया के रहने वाले मुत्ताकी खुद को हेलमंद का रहने वाला बताते हैं. पिछली तालिबान सरकार के दौरान शिक्षा मंत्री के साथ-साथ संस्कृति और सूचना मंत्री का पद भी संभाला.

साल 2001 के अंत में अफ़ग़ानिस्तान से भागकर पाकिस्तान के पेशावर में जा छुपा था. इसका नाम भी यूएन की आंतकी लिस्ट में शामिल है.

काबुल पर कब्जा करने के बाद मुत्ताकी ने पंजशीर प्रांत से शांति के साथ बात करने की वकालत की थी. इसके लिए कई योजनाएं भी बनाई थीं.

तालिबान 2.0 : सबसे कम उम्र का एकमात्र युवा मंत्री

मुल्ला याकूब : रक्षा मंत्री

मुल्ला याकूब की एक खास पहचान ये है कि तालिबान की नई सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री बने हैं.

इनका जन्म 1990 में हुआ था. अभी ये 31 साल के हैं और तालिबान सरकार में काफी अहम रक्षा मंत्री का पद मिला है.

रक्षा मंत्री बनाए जाने की बड़ी वजह है कि तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का सबसे बड़ा बेटा होना.

ये अफ़ग़ान मुजाहिद्दीन कमांडर हैं. साल 2016 से ये बतौर तालिबान मिलिट्री चीफ का पद संभाल रहे हैं.

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