सुखदेव गोगामेड़ी के कातिलों को मिला अपने ही आकाओं से धोखा, ट्रक वाली फरारी हुई फेल, फंस गए दोनों शूटर
Sukhdev Singh : सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या के बाद शूटरों के साथ मास्टरमाइंड ने दिया था 'धोखा.
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Sukhdev Singh Gogamedi : राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या के बाद क्या दोनों शूटरों को मर्डर के मास्टरमाइंड से भी धोखा मिला. असल में ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि दोनों शूटर को मर्डर के बाद गोगामेड़ी के घर के पास खड़े एक ट्रक में सवार होकर फरार होना था. लेकिन दोनों शूटर जब मर्डर कर भागे तो उन्हें ट्रक नहीं मिला. इसलिए दोनों शूटर ने पहले एक कार वालों को लूटने का प्रयास किया था. इसके बाद स्कूटी सवार को गोली मार लूट की थी. फिर स्कूटी से भागे थे. इसके बाद भी दोनों शूटर को फोन पर कहा गया कि उन्हें ट्रक मिल जाएगा. जिस वजह से दोनों शूटर ट्रक के इंतजार में एक खेत में करीब 1 घंटे तक छुपे रहे. लेकिन फिर भी ट्रक नहीं मिला, तो दोनों शूटरों को अपने हिसाब से भागना पड़ा था.
PTI की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के जयपुर से भागने की योजना को लेकर कथित हमलावरों और उनके आकाओं के बीच ‘गलत संवाद’ के कारण उनकी गिरफ्तारी हुई। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि पांच दिसंबर को गोगामेड़ी की हत्या करने के बाद शूटर रोहित राठौड़ और नितिन फौजी को ट्रक से तुरंत जयपुर से बाहर निकलना था।
उन्होंने बताया कि हालांकि वाहन के स्थान को लेकर उनके और उनके आकाओं के बीच ‘गलत संवाद’ के कारण वे ऐसा नहीं कर सके, जिससे आरोपियों को भागने के लिए एक वैकल्पिक योजना बनानी पड़ी जिसमें कई वाहनों का इस्तेमाल करना और विभिन्न स्थानों पर छिपना शामिल था। घटना के पांच दिन बाद दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा और राजस्थान पुलिस के संयुक्त अभियान में राठौड़ और नितिन फौजी को चंडीगढ़ के एक होटल से गिरफ्तार किया गया था। जांच प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि योजना के मुताबिक, ‘‘गोगामेड़ी की हत्या के तुरंत बाद दोनों को उनके आकाओं द्वारा उपलब्ध कराये गये ट्रक में सवार होना था।’’
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उन्होंने बताया कि ‘‘ट्रक से राठौड़ और नितिन फौजी को जयपुर से बाहर जाना था लेकिन निर्धारित स्थान पर वाहन नहीं मिला।’’ अधिकारी के मुताबिक जब हमलावरों ने घटना को अंजाम देकर अपने आकाओं से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि जिस स्थान पर वे हैं उससे ट्रक दूर खड़ा है। उन्होंने कहा कि राठौड़ और नितिन फौजी ने एक स्कूटी चुराई और अपने आकाओं के संदेश का इंतजार करते हुए कम से कम एक घंटे तक जयपुर-अजमेर बाईपास के निकट एक खेत में छिपे रहे। अधिकारी ने बताया कि जब उन्हें अपने आकाओं से कोई जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने स्वयं योजना बनाई और डीडवाना के लिए एक टैक्सी किराए पर ली और आगे एक बस, ट्रेन और अन्य टैक्सी के जरिये हिसार, फिर मनाली और अंत में चंडीगढ़ पहुंचे।
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