Sidhu Moose Wala Murder : जेल में कैदी बंद, फिर भी क्राइम नहीं है कम!

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Sidhu Moose Wala Murder :  जेल में कैदी बंद, फिर भी क्राइम नहीं है कम!
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हिमांशु मिश्रा के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट

Sidhu Moose Wala Murder : गैंगस्टर संपत नेहरा, नीरज बवानिया, लॉरेन्स बिष्नोई, हाशिम बाबा और दिल्ली एनसीआर यहाँ तक कि पंजाब और हरियाणा में अपनी धमक रखने वाले ये गैंगस्टर्स देश की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल में बन्द है। कायदे से इस गैंग के गुर्गे खत्म हो जाने चाहिए थे लेकिन न तो इनके गैंग खत्म हुए है और न ही जेल में बैठे इन गैंग्स्टर की धमक कम हुई, लेकिन क्यों ? हकीकत तो ये है जेल में बैठ कर ये आराम से अपने गैंग को न सिर्फ ऑपरेट कर रहे है बल्कि इनका धंधा और चल पड़ा है।

मोबाइल फोन है क्राइम की जड़

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तिहाड़ जेल में अधिकारी रहे सुनील गुप्ता की माने तो गैंगस्टर के पास पहुच रहे मोबाइल फ़ोन इसकी जड़ है। एक बार जब जेल में बन्द इन गैंगस्टर्स के पास मोबाइल फोन पहुंच जाता है तो न सिर्फ ये आराम से अपना गैंग चलाते है बल्कि जेल के अंदर सामान्य कैदियों के सामने अपनी पहुँच दिखाते है। अगर कोई कैदी बढ़िया डील डॉल का दिखता है तो ये उसकी जमानत भी करवाने में मदद करते है और जब वो बाहर निकलता है तो इनके लिए काम करने लगता है। उसे इस बात का भी डर नहीं होता कि अगर वो कभी जेल गया तो उसे किसी से डरने की जरूरत है।

इनमें से लॉरेन्स बिश्नोई तिहाड़ की जेल नम्बर 8 में बंद था, संपत नेहरा तिहाड़ जेल की 5 नंबर जेल में है, जबकि काला जठेड़ी, काला राणा और हाशिम बाबा तीनों मंडोली जेल में है। गोल्डी बरार अभी फरार है और आशंका है कि वो कनाडा में छिपा बैठा है। ये सभी एक दूसरे के साथ मिल कर काम करते है। नीरज बवानिया और टिल्लू ताजपुरिया दोनों तिहाड़ जेल में बन्द है।

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कैसे पहुँचते है जेल में मोबाइल

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तिहाड़ जेल के पूर्व पीआरओ की माने तो इसकी कई वजहें होती है

कभी कभार सुरक्षा में लापरवाही हो जाती है

कई बार लालच में सुरक्षा कर्मी ले जाते है मोबाइल

देखने में आया है कई बार जेल के बाहर से मोबाइल को अच्छे से पैक कर अंदर अंदाजे से फेंक दिया जाता हैं

कैदी अपने शरीर में छिपा कर लाते है, कुछ दिन पहले तो एक कैदी ने छोटा मोबाइल निगल लिया था

बाहर से आने वाले अनाज और कपड़ों में छिपा कर कई बार मोबाइल अंदर ले जाते है

जेल में कैसे करते है मोबाइल का इस्तेमाल

कैदी जैमर का तार काट देते है

उन्हें जेल की वो लोकेशन भी पता होती है जहां जैमर का असर नहीं होता

कई बार ये दूसरों के नेट इस्तेमाल करते है

इस्तेमाल करने के बाद ये मोबाइल अपने सेल के बाहर छिपा देते है और जांच के दौरान बच जाते है।

यही वजह है तमाम सख्ती के बावजूद कैदी कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेते है। जिस वक्त गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की हत्या हुई, उस वक़्त भी जांच में पता लगा था कि जेल में बैठकर किस तरह से टिल्लू ने गोगी की हत्या की साजिश रची थी। जेल में बैठकर सुकेश चंद्रशेखर ने भी 200 करोड़ की ठगी को अंजाम दिया और बाद में सुकेश की मदद करने के आरोप में 8 जेल के अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था।

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