श्रद्धा मर्डर केस में पिक्चर अभी बहुत बाक़ी है, इन दो चीजों के बिना केस की गुत्थी मुश्किल से सुलझेगी

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श्रद्धा मर्डर केस में पिक्चर अभी बहुत बाक़ी है, इन दो चीजों के बिना केस की गुत्थी मुश्किल से सुलझेग...
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Shraddha Murder Case Update: दिल्ली के महरौली में हुए श्रद्धा मर्डर केस में अचानक सब कुछ एक ओपन एंड शट केस (Open & Shut Case) की तरह लगने लगा। 18 मई को श्रद्धा की हत्या हुई, सितंबर में इस बात पर आशंका हुई कि श्रद्धा कहां हैं, नवंबर में ये खुलासा हुआ कि लिव इन पार्टनर (Live In Partner) आफताब अमीन पूनावाला ने श्रद्धा का मर्डर कर के उसकी लाश के टुकड़ों को जंगल में फेंक दिया।

और जिस दिन से ये केस सामने आया है उस रोज से शायद ही कोई दिन ऐसा बीता है जब सुर्खियों में श्रद्धा मर्डर केस और आफताब का नाम न झलका हो। अभी तक इस केस को लेकर जिन बातों पर कयास लगाए जा रहे थे...अब ज़्यादातर बातों के चेहरे पर पड़ी धूल हट सी गई है और तस्वीर अब काफी हद तक साफ हो गई है कि अब इस केस में क्या होगा...

लेकिन कुछ चीजें अब भी हैं जिन्हें पुलिस को तलाश करनी इसलिए भी ज़रूरी है ताकि मामले की बिखरी और छूटी हुई कड़ियों को जोड़कर उन्हें मुकम्मल बना दिया जाए।

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सबसे पहला सवाल तो यही है कि श्रद्धा मर्डर केस में अब तक हुआ क्या क्या है, तो चलिए बारी बारी इस मामले में पिछले पन्नों को पलटते चलते हैं और देखते हैं कि आखिर क्या क्या हो गया।

Shraddha Murder Case Update: तो चलिए सिलसिलेवार तरीके से इस मामले पर नज़र डाले हैं...

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1)-  34 दिन पहले केस का खुलासा

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13 नवंबर 2022 यही तारीख थी जब मीडिया को पहली बार श्रद्धा वॉल्कर और आफताब अमीन पूनावाला का क़िस्सा पता चला था। देश की राजधानी इस खबर को सुनकर कांप उठी थी कि एक लिव इन पार्टनर ने अपनी प्रेमिका को सिर्फ इसलिए टुकड़ों में तब्दील करके जंगलों में चील कौवों का निवाला बना दिया क्योंकि लिव इन पार्टनर ने उसके साथ शादी करने की जिद करनी शुरू कर दी थी।

2)- श्रद्धा मर्डर केस में लाश के टुकड़ों की तलाश

श्रद्धा मर्डर केस का सबसे अहम पहलू यही था। जब पुलिस को आरोपी आफताब पूनावाला ने बताया था कि उसने अपनी प्रेमिका श्रद्धा की लाश के पहले टुकड़े किए और फिर उन टुकड़ों को किस्तों में जंगल में फेंका।

पुलिस को दिए अपने बयान में आफताब ने ये भी बताया था कि उसने लाश के तकरीबन 35 से ज़्यादा टुकड़े किए हैं और उन्हें कई दिनों तक अपने ही घर के पास मौजूद महरौली के जंगलों में बिघेर दिए थे। ऐसे में पुलिस के लिए इस बात की पड़ताल करनी जरूरी थी कि आखिर आरोपी जो कुछ कह रहा है वो कितना सही है या कितना गलत।

Shraddha Murder Case: तना ही नहीं, पुलिस के लिए सबूत के तौर पर आफताब के कुबूलनामे के बाद उसके केस को पुख्ता करने के लिए ये ज़रूरी था कि वो बिखरे हुए सबूतों को इकट्ठा करे और केस को कोर्ट के सामने ले जाने लायक बनाए।

लिहाजा पुलिस की कई टीमों ने आफताब के साथ महरौली के जंगलों की खाक छानी और वारदात के छह महीनों के बाद कई ऐसी हड्डियां बरामद की जिन्हें इंसानी हड्डियां माना जा रहा था। और फिर पुलिस ने उन हड्डियों की फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा।

साथ ही श्रद्धा के घरवालों खासतौर पर श्रद्धा के पिता और उसके भाई से खून के नमूने इकट्ठे किए ताकि फॉरेंसिक जांच के दौरान श्रद्धा के डीएनए का मिलान करने में मदद मिल सके।

3)- वैज्ञानिक तरीके से केस सुलझाने की कोशिश

श्रद्धा मर्डर केस पहले ही दिन से एक उलझा हुआ केस नज़र आ रहा था। जिसके धागे बड़े ही विचित्र तरीके से कुछ इस तरह आपस में उलझे दिखाई दे रहे थे जैसे आमतौर पर पतंग की सद्दी उलझ जाती है। जिसे सुलझाना बहुत मुश्किल होता है।

खासतौर पर तब जब सबूतों के गायब होने के बाद केस को सुलझाने के लिए उनको इकट्ठा करने की चुनौती होती है। श्रद्धा मर्डर केस में सबसे बड़ी चुनौती पुलिस के सामने यही थी कि क़त्ल जैसे संगीन गुनाह को स्वीकार करने वाला आरोपी उसकी गिरफ्त में ता, उसका कबूलनामा था, और मौका-ए-वारदात थी, मगर जो कुछ नहीं था वो इतना पुख्ता नहीं था जिसके आधार पर पुलिस इस केस को पूरी मज़बूती के साथ अदालत के सामने रखकर इसे इंसाफ की मंजिल तक पहुँचा सकती।

तब पुलिस ने इस केस को सुलझाने के लिए पुलिस ने फॉरेंसिक टीम को मैदान में उतारा और मौका-ए-वारदात के साथ साथ उन तमाम सबूतों की जांच शुरू कर दी जिन्हें पुलिस ने जंगलों और आफताब की निशानदेही पर इकट्ठा किया था।

इसके अलावा पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक सर्वेलैंस टीम को भी मोर्चे पर तैनात किया जिसने आफताब और श्रद्धा के साथ साथ उनके साथ जुड़े हुए तमाम लोगों के मोबाइल और दूसरे अपकरणों को खंगालना शुरू किया ताकि बीते वक़्त के मिटाए गए सबूतों को फिर से ज़िंदा किया जा सके।

इसी टीम के जरिए पुलिस को श्रद्धा के मोबाइल की वॉट्सअप कॉल और मैसेज को फिर से इकट्ठा किया गया। फॉरेंसिक टीम ने मौके पर जा कर सबूत इकट्ठा किए। और फिर उन्हें आफताब के बयान और मिले सबूत से मिलान करने के लिए जरूरी वैज्ञानिक तौर तरीकों का इस्तेमाल किया।

4)-  श्रद्धा मर्डर केस में गवाहों की तलाश

श्रद्धा मर्डर केस की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि इस केस में कोई चश्मदीद नहीं है। लेकिन ज़िंदा श्रद्धा और आफताब को जानने वाले और उनसे मेल मुलाक़ात करने वालों की पहचान के बाद उनके बारे में जानकारियों को जुटाने की कवायद भी पुलिस के लिए कम थकान भरी नहीं थी। क्योंकि मुंबई में रहने वाली श्रद्धा को घूमने फिरने का अच्छा शौक था।

और हत्या से पहले आफताब और श्रद्धा दोनों हिमाचल और उत्तराखंड के ऋषिकेश में भी घूमने गए थे। लिहाजा पुलिस ने पांच राज्यों तक फैली श्रद्धा और आफताब से जुड़ी पहचान को पहचानने और फिर उनसे गवाही लेने के साथ साथ श्रद्धा के माता पिता और उन तमाम दोस्तों की गवाही भी इकट्ठा पुलिस ने की। ये वो दोस्त थे जो श्रद्ध और आफताब दोनों को ही जानते।

5)- आफताब का पॉलीग्रॉफ और नार्को टेस्ट

श्रद्धा मर्डर केस की जांच में लगी पुलिस को इस बात का पक्का यकीन था कि आरोपी आफताब ने श्रद्धा मर्डर केस के बारे में तमाम बातें कबूल तो कर लीं,  लेकिन कई ऐसे राज़ भी हैं जिनकी वजह से अब भी कत्ल की ये कहानी कहीं न कहीं से टूटी और बिखरी मालूम पड़ती है।

लिहाजा उसे मुकम्मल करने के लिए पुलिस ने अब आफताब के दिल और दिमाग में झांकने का इरादा किया था ताकि कोई भी ऐसा सच उसके भीतर बना न रहे जो इस केस के लिए किसी भी सूरत में अहम है।

लिहाजा 1 और 3 दिसंबर को आफताब का नार्को टेस्ट हुआ और नार्को टेस्ट से बहुत पहले उसका पॉलीग्राफ टेस्ट हुआ जो 20 घंटे तक चला। और इन दोनों ही टेस्ट में आफताब ने क़त्ल की बात को कबूल किया है।

इसी बीच आफताल के छतरपुर वाले फ्लैट और जंगल से मिली हड्डियों के बारे में पुलिस की तरफ से दावा किया गया है कि जो डीएनए रिपोर्ट अभी तक मिली है उससे यही पता चलता है कि जिन हड्ड़ियों को जंगल से बरामद किया गया और जिन खून के धब्बों को फ्लैट से बरामद किया गया उनका मिलान श्रद्धा से हो गया। यानी एक लाइन में कहें तो श्रद्धा की हड्डियां और खून के निशान तो मिल गए ।

अब पुलिस को इन दो चीजों की ज़रूरत

ऐसे में ये बात कही और सुनी जा सकती है कि अब तो ये केस एकदम से ओपन एंड शट केस बन चुका है। लेकिन शायद ये केस अब भी इतना सरल नहीं है। क्योंकि अपने केस की फाइल को मजबूत बनाने और उन्हें सबूतों से लबरेज करने के लिए पुलिस को अब भी कई सबूतों की जरूरत है।

श्रद्धा का सिर और मोबाइल की तलाश

खासतौर पर पुलिस को श्रद्धा का मोबाइल और श्रद्धा का वो सिर जिसे आफताब ने कहां फेंक और कहां छुपाया। क्योंकि ये दो बेहद अहम सबूत हैं। श्रद्धा का मोबाइल पुलिस की कहानी को रास्ता दिखाएगा जबकि श्रद्धा का सिर उसकी मौत की पहचान को पुख्ता करेगा।

और इन दोनों चीजों की तलाश के लिए पुलिस को रोशनी दिखेगी नीम बेहोशी की आलम में दिए गए आफताब के जवाबों से। क्योंकि उन सवालों में कई सवाल ऐसे भी हैं जिनका ताल्लुक श्रद्धा की लाश और उसके चेहरे से है साथ ही साथ उसके उस मोबाइल से भी है, जिसे आफताब के मुताबिक मुंबई में कहीं फेंक दिया गया।

क्योंकि पुलिस चार्जशीट दाखिल करने से पहले इन दोनों चीजों को अपने सबूत के तौर पर फाइल  का हिस्सा बनाना चाहती है ताकि केस किसी भी सूरत में कमजोर न पड़े।

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