Shams ki Zubani : सिरफिरों की मान्यताओं का ऐसा भयानक क़िस्सा, जिसे सुनकर रुह फ़ना हो जाएगी

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Shams ki Zubani : सिरफिरों की मान्यताओं का ऐसा भयानक क़िस्सा, जिसे सुनकर रुह फ़ना हो जाएगी
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Shams ki Zubani : दिल्ली का बुराड़ी कांड दुनिया भर की सुर्खियां बटोर चुका है। रहस्य और रोमांच के साथ साथ अंधविश्वास का लबादा ओढ़े ये कहानी क्राइम का वो क़िस्सा है जो एक बार सुनता है तो सुन्न पड़ जाता है। और अपने ही सवालों में उलझ जाता है कि आखिर ये आज के ज़माने में और वो भी देश की राजधानी दिल्ली जैसे तरक्कीपसंद शहर में एक पढ़ा लिखा परिवार भी ऐसी दकियानूसी सोच का शिकार हो सकता है।

लेकिन क्राइम की कहानी के इस सिलसिले में आज जो क़िस्सा लेकर आए हैं उसके सामने शायद बुराड़ी कांड भी बौना नज़र आए। ये कहानी सात समंदर पार यूरोप के देश स्पेन की है।

इस क़िस्से की शुरूआत होती है क़रीब 52 साल पहले। दिसंबर 1970 का महीना। स्पेन के सांताक्रूज़ इलाके में एक मशहूर डॉक्टर वाल्टर ट्रैंकलर ने दरवाजे पर दस्तक सुनी। उसकी नौकरानी सबाइन रसोई के कामों में व्यस्त थी। लिहाजा बिना किसी झिझक के डॉक्टर ट्रैंकलर ने दरवाजा खोला। सामने दो आदमी खड़े थे, जिन्होंने अपना तार्रुफ हेराल्ड अलेक्जेंडर और फ्रैंक के रूप में करवाया। ये दोनों ट्रैंकलर की नौकरानी सबाइन के पिता और भाई थे। डॉक्टर 15 साल की सबाइन को रसोई से ले आए और परिवार को सामने के दरवाजे के पास निजी बातचीत करने की अनुमति दे दी।

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Shams ki Zubani : मिस्टर ट्रैंकलर उनकी बातचीत को सुनना नहीं चाहते थे, मगर दोनों आदमियों की हालत ने उन्हें चौंका दिया था। वे दोनों कीचड़ में लिपटे हुए थे। दोनों की इस हालत ने डॉक्टर को हैरानी में डाल दिया। तब डॉक्टर को उनकी बातचीत पर कान देने को मजबूर कर दिया। और जब डॉक्टर ने उन लोगों की बात चीत सुनी तो सिर से पांव तक सिहरन दौड़ गई। ऐसा लगा डॉक्टर को काठ मार गया और वो वहीं जमकर खड़े रहे।

डॉक्टर सोच ही रहा था कि शायद सबाइन तेज़ी से चिल्लाती हुई बेहोश हो जाएगी। लेकिन डॉक्टर की हैरानी का ठिकाना नहीं रहा जब उसने देखा कि सबाइन ने अपने पिता का हाथ थाम लिया और प्यार से उसके गाल को चूम लिया।

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डॉक्टर के लिए ये इसलिए भी हैरान कर रहा था क्योंकि उनकी नौकरानी ने एक भयानक काम को अपनी रजामंदी दे दी थी। उसने कहा कि "मुझे यकीन है कि आपने वह किया है जो आपको लगता है कि ज़रूरी है।" इसके बाद पूरा परिवार एक-दूसरे को गले लगाने लगा।

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डॉक्टर ने महसूस किया कि वह उन लोगों के एक खतरनाक ग्रुप के साथ था, जो सही और गलत की समझ खो चुका है। वह दौड़कर अपने कमरे में गया, अंदर घुसा दरवाजे को मजबूत से बंद कर लिया और पुलिस को फोन कर दिया।

Shams ki Zubani : जब तक पुलिस उसके घर नहीं पहुँच गई डॉक्टर अपने कमरे में ही बंद रहा। लेकिन पुलिस के आने तक उसका हर मिनट भारी लग रहा था। उसे नहीं पता था कि उसके घर में घुस आए लोग भाग जाएंगे या फिर उसको पकड़ने आएंगे।

पुलिस कुछ ही मिनटों में वहां पहुंच गई। डॉक्टर की हैरानी का ठिकाना नहीं रहा जब उसने देखा कि अलेक्जेंडर परिवार अभी भी वहीं था और पुलिस के आने के बावजूद लापरवाही से आपस में बातें कर रहा था।

डॉक्टर ने देखा कि हैराल्ड के हाथों से कीचड़ टपक रहा था। इसी बीच पुलिस अधिकारियों ने डॉक्टर के घर पहुंचे तो वहां मौजूद अलेक्जेंडर परिवार के बारे में ये पता चला कि उन लोगों ने कुछ लोगों की हत्या कर दी है। पुलिस की भी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा। क्योंकि उनके हाव भाव से कतई पता नहीं चल रहा था कि उन लोगों ने कुछ ऐसा किया है। पुलिस को अपने सुनने पर यकीन ही नहीं हुआ। तब हेराल्ड से पूछा, " क्या चल रहा है? हैराल्ड ने बिना किसी हिचक के वो घटना पुलिसवालों के सामने दोहरा दी जो उसने अपनी बेटी को सुनाई थी, और जिसे सुनकर ही डॉक्टर ने पुलिस बुला ली थी। उन लोगों ने बेझिझक होकर उस अपार्टमेंट का पता भी बता दिया जहां वारदात हुई थी।

Shams ki Zubani : पुलिस अधिकारी बुरी तरह से हैरान थी, उसे अब भी लग रहा था कि ये कोई शरारत तो नहीं। तब पुलिस ने बताई गई बात की सच्चाई का पता लगाने के लिए कुछ अधिकारियों को उस जगह भेजा जहां जुर्म करने की बात हैराल्ड ने बताई थी।

पुलिस जब उस जगह पहुँची तो उसके सामने एक भयानक मंजर था। ऐसा जैसा उसने अभी तक न तो कभी देखा और न ही सुना। वहां तीन शव बेहद बुरी तरह क्षत-विक्षत अपार्टमेंट में पड़े थे। एक शव बेडरूम में और दो लिविंग रूम में। ऐसा लग रहा था कि जैसे वहां खून की होली खेली गई हो। लेकिन पुलिस की आंखें उस वक़्त फटी की फटी रह गई जब उनकी नज़र कमरे की दीवारों पर पड़ी। वहां मरने वालों के स्तन, दिल और गुप्तांग को शरीर से जुदा करके दीवार पर कीलों से ठोंक दिया गया था।

पुलिस के अधिकारी सोच में पड़ गए कि ऐसी कौन सी बात हो गई जिसके कोई इंसान शैतान बन जाए और पागलपन की उस हद में पहुँचने के बाद ऐसी वहशी हरकत को अंजाम दे जिसे देखकर शायद शैतान भी शरमा जाए।

Shams ki Zubani : अब पुलिस इस पूरे क़िस्से के बैकग्राउंड में पहुँचने की कोशिश में लग गई ताकि पूरा सच समझ में आ जाए। असल में 1800 में एक मजहब बना था लोरबर समाज। जिसकी शुरूआत ड्रेसेडोन, जर्मनी से हुई थी। हेराल्ड अलेक्जेंडर ने इस पंथ का नेतृत्व संभाल रखा था।

असल में लोरबर पंथ क़रीब 100 लोगों का एक छोटा सा समूह था। और इस ग्रुप की विचार धारा और मान्यताएँ एक सिद्धांत के इर्द-गिर्द केंद्रित थीं। इस ग्रुप की यही सोच थी कि लोरबर समाज के बाहर सब कुछ शुद्ध बुराई थी और जिसका मालिक शैतान है।

ग्रुप की कमान संभालने के बाद, हैराल्ड से ही उन्हें एक औलाद होगी जो कोई और नहीं बल्कि भगवान का मसीहा होगा, और उसका नाम फ्रेंक रखा जाएगा। हैराल्ड के अनुयायियों ने अपने नेता के इस नए फरमान को बाकायदा मान भी लिया।

फ्रैंक बॉय, एक भगवान की तरह था। वो भगवान की ही तरह पूजनीय था। और उसके पालन पोषण की यही शर्त रखी गई थी कि उसकी मूर्खतापूर्ण मांगों को भी बिना किसी सवाल के पूरा किया जाए। उस पर कोई बंधन नहीं था। आलम ये था कि उसके कही बातों को ईश्वर का वचन मानकर अनुयायी कतार बांधकर खड़े रहते थे।

Shams ki Zubani : फ्रेंक जब बड़ा हुआ तो उसे इंसानी ज़रूरत महसूस हुई। तब उसे पता चला कि अगर उसने अपने ग्रुप से बाहर जाकर कहीं भी कोई संबंध कायम किए तो वो ग़लत हो जाएगा और उसे ईश निंदा जैसा संगीन अपराध माना जाएगा।

तब फ्रैंक ने अपने अनुयायियों को अनाचार करने को कहा। अपनी मां और अपनी ही बहन के साथ संबंध बनाने के लिए उसने सभी को प्रेरित किया। फ्रेंक को ईश्वर की आवाज़ समझने वाले अनुयायियों ने उसकी बात को बिना किसी हिचकिचाहट के मान भी लिया।

1960 के दशक के आखिर में ये हैराल्ड के परिवार और इसके अजीब रिवाज के बारे में बात फैलनी शुरू हो गई थी। हैराल्ड अलेक्जेंडर परिवार को अब समझ में आने लगा था कि वो कभी भी क़ानून के झमेले में फंस सकते हैं इसलिए हैराल्ड परिवार ने अपना बोरिया बिस्तरा समेटा और स्पेन में कैनरी आइलैंड में चले गए। हालांकि जगह जरूर बदल ली लेकिन सोच और आदतें पहले जैसी ही रही।

इधर फ्रैंक का पागलपन बढ़ता ही जा रहा था और अब वो पूरी तरह से बेलगाम हो चुका था। स्पेन जाने के दस महीने बाद 22 दिसंबर 1970 को फ्रैंक ने घोषणा की कि अब हत्या का समय आ गया है। मान्यता ये बताई गई कि हत्या का समय महिलाओं के स्वर्ग में प्रवेश सुनिश्चित करने का एक साधन है। उनका मानना ​​​​था कि महिलाएं स्वाभाविक रूप से दुष्ट होती हैं और इस हत्या प्रक्रिया के बिना उन्हें स्वर्ग में प्रवेश से वंचित कर दिया जाएगा।

Shams ki Zubani : तब हैराल्ड परिवार की महिलाओं से ये कहा गया कि वे किसी भी दिन हत्या के घंटे का इंतजार करें, जैसा कि फ्रैंक ने उचित समझा। और जब फ्रैंक सही वक्त बताए तो महिलाओं को हमले के लिए खुद को हाजिर करना होगा।

एक रोज फ्रैंक ने अपनी मां को ही हत्या के लिए चुन लिया। क्योंकि उसे इस बात का यकीन हो गया था उसकी बिगड़ी शक्ल ओ सूरत की ज़िम्मेदार और कसूरवार उसकी मां है लिहाजा उसके लिए अब मरने की घड़ी आ गई है।

सबसे हैरानी तो इस बात की कि इस ग्रुप के अनुयायी किसी भी सूरत में अपने मारने के फैसले पर सवाल ही नहीं उठाते थे। इसलिए जब फ्रैंक अपनी मां के सिर को लकड़ी की मुगरी से मारा तो वह ऐसी मुद्रा बनाकर बैठ गई कि फ्रैंक के लिए उसे मारना मुश्किल नहीं हुआ।

फ्रैंक ने अपनी माँ को पीटना जारी रखा, जो उल्टा लेटी हुई थी, और इस बीच, हैराल्ड ने अपना हारमोनियम बजाना शुरू कर दिया। कोई चीख पुकार नहीं हुई। फ्रैंक की दो बहनें-पेट्रा और मरीना भी वहां पहुँच गईं लेकिन माँ के कत्लेआम को देखकर भी उनपर कोई असर नहीं हुआ। हैराल्ड ने उन्हें बताया कि हत्या की घड़ी आ गई है।

Shams ki Zubani : लड़कियों को नियम पता थे। वे वहीं खड़ी रही और बड़ी ही तसल्ली से अपनी बारी का इंतजार करती रहीं। माँ को मारने के बाद फ्रैंक ने अपनी दोनों बहनों को बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। कुछ ही मिनटों में दोनों खून से लथपथ फर्श पर सपाट पड़े थे।

ये बात उस वक़्त खुली जब पड़ोसियों में से एक ने बाद में बताया कि उन्होंने हैराल्ड के अपार्टमेंट से कुछ दबी हुई कराहें सुनी। लेकिन हैराल्ड तेज़ आवाज़ में संगीत बजा रहा था लिहाजा उसमें वो धीमी कराहें दब गईं। जैसे ही फ्रैंक ने तीनों की हत्या का काम पूरा किया तब दोनों ने मिलकर लाशों से मृतकों के ‘अशुद्ध' अंगों को काटना चालू कर दिया।

फ्रैंक एक पेशेवर हत्यारा नहीं था बल्कि एक सनकी हत्यारा था। उसने तीनों के अंगों को काटने के बाद उन्हें कील के सहारे दीवार पर लटका दिया।

हैराल्ड और फ्रैंक ने अनुष्ठान पूरा करने के बाद चारों ओर दौड़ना शुरू किया और जोर ज़ोर से गीत गाने शुरू कर दिए। दोनों खुशी से झूम रहे थे।

Shams ki Zubani : इस वीभत्स अनुष्ठान के अगले दिन हैराल्ड और फ्रैंक डॉक्टर वाल्टर ट्रैंकलर के घर पहुँचे जहां उन्हें सबाइन के साथ ऐसा ही करना था। लेकिन इसी बीच उनकी आपसी बातचीत को डॉक्टर ने सुनकर पुलिस बुला ली थी।

मगर पुलिस ने न तो फ्रैंक और न ही हैराल्ड को अदालत के कठघरे में खड़े होने लायक समझा, क्योंकि दोनों को मानसिकतौर पर कमजोर पाकर दोनों को पागलखाने भेज दिया गया। इसी बीच सबाइन ने भी उनके साथ जाने की गुहार लगाई, लेकिन उसे एक कॉन्वेंट में भेज दिया गया। उसके बाद उसकी किसी ने नहीं सुनी।

फ्रैंक और हेराल्ड अलेक्जेंडर कई सालों तक पागलखाने में रहे। लेकिन 1991 में, मनोरोग अस्पताल में भर्ती होने के 20 साल बाद दोनों बाप बेटे अस्पताल से भागने में सफल रहे। और उसके बाद से अब तक उनका कोई पता नहीं चला।

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