पहले नॉवेल लिखा 'HOW TO MURDER YOUR HUSBAND' और फिर उसके पति का क़त्ल हो गया, बेहद सनसनीख़ेज़ क्राइम स्टोरी

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पहले नॉवेल लिखा 'HOW TO MURDER YOUR HUSBAND' और फिर उसके पति का क़त्ल हो गया, बेहद सनसनीख़ेज़ क्राइ...
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SHAMS KI ZUBANI: अमेरिका की एक अदालत में इन दिनों एक बेहतरीन और दिलचस्प मुक़दमा चल रहा है। ये मुक़दमा क़त्ल का है। क़त्ल का इल्ज़ाम एक ऐसी लेखिका पर लगा है जिसकी पहचान रोमांटिक कहानियां और नॉवेल लिखने में महारत हासिल है। जिसकी पहचान ही रोमांस की है। मगर अदालत में जब ये मुकदमा शुरू हुआ तो जिस लेख के साथ वकील ने इल्ज़ामों को दलील के साथ पेश किया तो उसकी सफाई देने में शब्द कमज़ोर पड़ने लगे।

ये मुक़दमा चल रहा है 71 साल की नैन्सी क्रॉम्पटन ब्रोफी (Nancy Crampton-Brophy) पर। इल्ज़ाम है कि नैन्सी ने अपने पति डेनियल ब्रोफी (Daniel Brophy) की गोली मारकर हत्या की। और ये वारदात हुई थी 2018 में। असल में डेनियल ब्रोफी की मौत हुई थी 2 जून 2018 को।

डेनियल पोर्टलैंड के ओरेगॉन (Oregon Culinary Institute) में एक शेफ़ थे। लेकिन 2 जून 2018 की सुबह क़रीब 7.30 बजे उनकी लाश उनके एक दोस्त को किचन में पड़ी मिली थी। उन्हें दो गोली लगी हुई थीं एक पीठ पर और एक छाती पर। पुलिस की तफ़्तीश के मुताबिक ये दोनों गोलियां बेहद क़रीब से मारी गई थीं। 9 mm की गोली पहले पीठ में मारी गई और फिर बेहद क़रीब से उनके सीने पर गोली उतार दी गई।

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SHAMS KI ZUBANI: डेनियल ब्रोफी को गोली किसने मारी इसका पता अभी तक नहीं चल सका है। अलबत्ता गोली गोली कब मारी गई, और उस गोली की वजह से डेनियल की मौत कितनी देर में हुई इसका पता तो ऑटोप्सी से चल चुका है। लेकिन इस मुकदमें में उस वक़्त दिलचस्प मोड़ आ गया जब वकील ने अपनी दलील के वक़्त नैन्सी के एक लेख का ज़िक्र किया, जिसकी शीर्षक था ‘HOW TO MURDER YOUR HUSBAND’।

वकील ने बाक़ायदा इस लेख की एक कॉपी अदालत में पेश करते हुए लिखा कि इसमें नैन्सी में बड़े ही विस्तार से अपने पति को मारने के असली मकसद और तौर तरीक़े के बारे में खुलकर लिखा है। जिसे बाद में उन्होंने हक़ीक़त में अंजाम तक भी पहुँचाया।

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इस लेख के साथ साथ वकील ने अदालत में जो दस्तावेज रखे हैं उसके मुताबिक नैन्सी ने अदालत में झूठ बोला, और मौत की सच्चाई को छुपा रही हैं। असल में अपने बयान में नैन्सी ने दावा किया था कि जिस रोज ये घटना घटी उस रोज तो वो अपने ही घर पर थीं।

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SHAMS KI ZUBANI: प्रॉसीक्यूशन की जांच में ये बात सामने आई है कि जून 2018 में जिस वक़्त डेनियल की मौत हुई उस वक़्त नैन्सी क्रॉम्पटन ब्रोफी पोर्टलैंड में ही थी। नैंसी के ख़िलाफ़ पुलिस की तफ़्तीश ये कहती है कि जिस रोज़ क़त्ल हुआ उसी दिन क़त्ल वाली वारदात से सिर्फ 13 मिनट पहले ही नैंसी उस इलाक़े में थी जहां क़त्ल हुआ। और इस बात के पुलिस के पास CCTV की फुटेज भी बाक़ायदा मौजूद है। इसके बावजूद नैंसी ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट के जरिए लोगों को बरगलाने की कोशिश की थी। अपनी पोस्ट में नैन्सी ने लिखा था कि उनके पति की किसी ने हत्या कर दी और अब उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा है कि वो क्या करें।

वकील का दावा है कि असल में नैन्सी ने बड़े ही शातिर तरीक़े से और बड़ी प्लानिंग के बाद इस हत्या को अंजाम दिया। और हत्या के पीछे मक़सद का ज़िक्र करते हुए वकील ने दावा किया कि असल में डेनियल की एक बीमा पॉलिसी की रकम हड़पने की गरज से नैन्सी ने ये वारदात अंजाम दी।

SHAMS KI ZUBANI: असल में नैन्सी के पति की 1.4 मिलियन डॉलर की बीमा पॉलिसी थी। जिसमें नैन्सी नॉमिनी थीं। पुलिस की जांच में ये बात भी सामने आई है कि आर्थिक तौर पर तंगहाली के बावजूद नैन्सी ने कभी भी अपने पति की बीमा पॉलिसी की किश्त को जमा करने में कोताही नहीं बरती।

पुलिस की जांच का खुलासा यही है कि दोनों पति पत्नी महीने का ख़र्च बड़ी ही मुश्किल ने निकाल पा रहे थे। तमाम मुश्किलों के बावजूद 2017 में नैन्सी ने क़रीब 16 हज़ार डॉलर का बीमा प्रीमियम जमा किया था।

SHAMS KI ZUBANI: असल में नैन्सी का नॉवेल पुलिस की इस तफ़्तीश में बड़ा ही दिलचस्प रोल निभाया जिसने पुलिस को तफ़्तीश करके नैन्सी को पूरी तरह से खंगालने और उनके ख़िलाफ़ सबूत जुटाने को मजबूर भी किया।

दरअसल एक जगह नैन्सी ने अपने नॉवेल How to Murder Your Husband में लिखा था कि अगर किसी को मारना है तो ये कोई मुश्किल नहीं है, ये आसान है। मुझे इश्यू नहीं है , मुझे कोई परेशानी नहीं है कि अगर दीवार पर खून के निशान हों, या फिर इंसान की खोपड़ी बिखरी पड़ी हो।

मैं हालांकि झूठ नहीं बोलती हूं लेकिन ये भी सच है कि अगर क़त्ल करने के बाद बचा जा सकता है तो वो क़त्ल कर देना चाहिए। क्योंकि जेल में क़ैदियों के कपड़ों के कलर हैं वो मुझे पसंद नहीं हैं मुझे जेल और जेल की वर्दी भी पसंद नहीं है। ऐसे में अगर क़त्ल करने के बाद आप बच सकते हैं और आप बाहर हैं तो क़त्ल हो जाना चाहिए।

SHAMS KI ZUBANI: पुलिस के पास अब एक नॉवेल और मौका-ए-वारदात के पास के CCTV फुटेज दो चीजें थी जो इशारा कर रही थीं कि आखिर इस मर्डर से इन दोनों चीज़ों को जोड़ा कैसे जाए। पुलिस को ये भी लगा कि वो बड़ी ही आसानी से बच भी सकती है। क्योंकि पुलिस को इस बात का पूरा भरोसा था कि नैंसी इस दलील से बच भी सकती है कि जिस नॉवेल का ज़िक्र किया जा रहा है वो तो 2011 में लिखा था जबकि क़त्ल 2018 में हुआ।

दूसरी सबसे बड़ी दलील ये भी बन सकती थी कि नैंसी कह सकती है कि वो इतनी बेवकूफ़ नहीं है कि वो ही क़त्ल का प्लॉट नॉवेल में लिखे और उसे अमल में लाते हुए अपने ही पति का क़त्ल भी कर दे। ज़ाहिर है कि पहला शक मुझ पर ही किया जाएगा। तब पुलिस को ये अहसास हुआ कि इसके बाद अभी और सबूत की ज़रूरत है वर्ना मामला बिगड़ जाएगा।

SHAMS KI ZUBANI: इसी बीच पुलिस को ये भी पता चला कि नैंसी ने कुछ घोस्ट गन खरीदी थी। इसकी भी नैंसी के पास बेहतरीन एलबाई थी। उसने अपने बयान में ये बात पहले ही बता दी थी कि उसने गन इसलिए ख़रीदी थी क्योंकि लिखने के दौरान उसे कई तरह के रिसर्च की ज़रूरत पड़ती है, जैसे किसी को अगर गोली से मारा जाए तो पिस्टल कैसे काम करता है, गोली लगने के बाद कोई इंसान कैसे प्रतिक्रिया देता है वगैराह वगैराह। ये सारी दलील पहले ही नैंसी दे चुकी थी। लिहाजा वो गन उसने किसी क़त्ल के लिए नहीं बल्कि अपने अगले नॉवेल के प्लॉट के लिए उसने इन तमाम चीज़ों को इकट्ठा किया था।

इसके बाद अपने केस को और मज़बूत करने और सबूत की तलाश में पुलिस ने नैंसी को और खंगालना शुरू किया। तब पुलिस को पता चला कि नैंसी के घर के पास ही एक शूटिंग रेंज है और नैंसी कई बार उस शूटिंग रेंज में गई भी थी, गन को चलाने की प्रेक्टिस करने के सिलसिले में।

SHAMS KI ZUBANI: सवाल यही उठता था कि आखिर नैंसी को गन चलाने की प्रेक्टिस करने की क्या ज़रूरत थी। पति को गोली मारने के लिए या फिर सचमुच अपने अगले नॉवेल के प्लॉट को परखने के लिए। पुलिस के सामने ये सवाल तो थे लेकिन उनके जवाब के तौर पर पुलिस के पास कोई ऐसा पुख़्ता सबूत और चश्मदीद नहीं था।

पुलिस परेशान थी, क्योंकि क़ातिल मिला नहीं था, और इससे भी बड़ी बात कि इस क़त्ल में किसी और की भागीदारी की कोई सूरत भी नहीं दिखाई दे रही थी। लिहाजा पुलिस ने मिले हुए सबूतों और सुरागों के बल पर पुलिस को गिरफ़्तार करने का इरादा कर लिया। और आख़िरकार 2020 में नैंसी को गिरफ़्तार भी कर लिया गया।

क्या अजीब इत्तेफ़ाक था, जैसे ही ये मामला अदालत में पेश हुआ उसी वक़्त दुनिया में कोरोना महामारी ने दस्तक दे दी। पूरी दुनिया कोरोना की चपेट में आ चुकी थी, हर तरफ लॉकडाउन होने लगा था। कोरोना से अमेरिका में हालात और भी ज़्यादा ख़राब हुए। कोरोना की वजह से हर देश की तरह अमेरिका में भी तालाबंदी हो गई और अदालत का काम काज भी रूक गया। लिहाजा ये केस कोरोना की वजह से लटक गया। दो साल तक ये केस अदालत में यूं ही लटका रहा।

SHAMS KI ZUBANI: लेकिन दो साल बाद 2022 की अप्रैल में जब इस केस की सुनवाई दोबारा शुरू हुई तो सरकारी वकील ने इसी दलील से अपनी बात शुरू की कि क़त्ल के 13 मिनट के फासले पर नैंसी की गाड़ी उसी इलाक़े में देखी गई। और नैंसी ने झूठ कहा कि वो थी नहीं। ऐसे में सवाल यही था कि आखिर नैंसी ने झूठ क्यों बोला।

सरकारी वकील की दूसरी अहम दलील यही थी कि जिस जगह क़त्ल हुआ वहां कोई दूसरा ऐसा शख्स मौजूद नहीं था जिस पर क़त्ल करने का शक और वजह हो। ऐसे में शक की सुई का नैंसी की तरफ घूमना लाजमी है। लेकिन तीसरी दलील काबिले गौर थी, जिसमें सरकारी वकील ने कहा कि नैंसी ने शूटिंग रेंज में जाकर गन चलाने की प्रेक्टिस की थी। और इत्तेफाक़ से क़त्ल भी गन से ही हुआ। चौथी सबसे मारक दलील यही थी कि उन्होंने एक नॉवेल भी लिखा था जिसका प्लॉट और तरीक़ा हू ब हू मिलता जुलता है।

SHAMS KI ZUBANI: इसके बाद जो सबसे पुख़्ता दलील दी गई जिसके आधार पर पुलिस नैंसी को घेरने का इंतज़ाम कर सकती थी वो थी कि नैंसी के पति डेनियल ब्रोफी ने क़रीब चार साल पहले एक लाइफ इंश्योरेंश करवाया था। वो जीवनबीमा डेनियल के नाम पर था। जिसकी रकम थी 1.4 मिलियन डॉलर। ये रकम काफी बड़ी थी।

दलील में ये कहा गया कि नैंसी और डेनियल की माली हालत काफी बिगड़ी भी। घर के तमाम खर्चों के साथ साथ बीमा की किस्त का भार भी उनके लिए दुश्वारियां पैदा कर रहा था। पुलिस की तफ़्तीश में ये बात साफ हो गई थी कि बीते पांच छह सालों के दौरान ब्रोफी फैमिली ने अपने ख़र्च में काफी कटौती कर दी थी।

लेकिन जिस चीज़ पर पुलिस का ध्यान गया वो ये था कि तमाम खर्चों में कटौती के बावजूद नैंसी ने बीमा की किस्त जमा करने में कभी कोई देरी नहीं की। उसने बीमा की आखिरी किस्त 16 हज़ार डॉलर का भी किया था। पुलिस को ये बात खटकने वाली लगी, बीमा की किस्त का वक़्त पर देना।

SHAMS KI ZUBANI: पुलिस ने ये शक ज़ाहिर किया कि आखिर ये बीमा डेनियल के नाम पर क्यों जबकि उनकी उम्र 60 साल थी और नैंसी उनसे भी छह साल बड़ी थीं। तो फिर ये बीमा नैंसी के नाम क्यों नहीं था। दूसरा ये कि जब इतनी किल्लत थी तो इतनी बड़ी रकम का बीमा क्यों करवाया जिसकी किस्त भी बड़ी होती है। तब पुलिस इस नतीजे पर आ पहुंची कि इसी बीमा की रकम के लिए ही नैंसी ने अपने पति का क़त्ल किया। और पुलिस के इस शक को बाक़ायदा चार्जशीट में लिखा भी गया।

अदालत ने पुलिस की तमाम दलीलों को तो मान लिया लेकिन उसने अपने एक फैसले में ये बात साफ कर दी कि नैंसी के नॉवेल को किसी तरह का सबूत नहीं माना जा सकता क्योंकि नॉवेल सात साल पहले लिखा गया था और कत्ल का हू ब हू उसी तरह से होना एक इत्तेफ़ाक़ भी हो सकता है, लिहाजा नॉवेल के आधार पर नैंसी को आरोपी ठहराना अदालत को समझ में नहीं आ रहा लिहाजा इसे कार्यवाही से निकाल दिया जाए।

अदालत में नैंसी की क़िस्मत का फैसला करने के लिए और उसके पति के क़त्ल के मामले में फैसला सुनाने के लिए जिरह जारी है। मुमकिन है कि अगले चार से पांच हफ़्तों के भीतर अदालत किसी नतीजे पर पहुँचे।

हालांकि इस क़िस्से का सबसे ताज़ा अपडेट ये है कि सरकारी वकील ने मौजूद सबूत और सुरागों की मदद से नैन्सी को ही क़ातिल ठहराने के लिए तगड़ी दलील पेश की है। अदालत में पुख़्ता तौर पर ये दलील दी गई है कि नैन्सी ने ही उस रोज शनिवार की सुबह साढ़े सात बजे OCI में ऐन उस वक़्त अपने ही पति को गोली मारी जब वो अपनी किचन में थे और किचन का दरवाज़ा बंद करने वाले थे। ये वो वक़्त था जब इंस्टीट्यूट में छात्र तब तक पहुँचे नहीं थे।

सरकारी वक़ील ने अदालत के सामने CCTV की वो फुटेज भी रखी है जिसमें नैन्सी की टोयटा मिनी वैन नज़र आ रही है। जो उस रोज क़त्ल से कुछ देर पहले ही मौका-ए-वारदात के पास देखी गई थी। इसके अलावा पुलिस ने सबूत के तौर पर नैन्सी का मोबाइल फोन और उसकी लोकेशन रिपोर्ट, और वो घोस्ट गन भी अदालत में रखी है जिसके बारे में पुलिस का अंदाज़ा है कि क़त्ल उसी से किया गया।

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