ऐसी मर्डर मिस्ट्री जो दिमाग़ को हिलाकर रख देगी जिस पर पुलिस को हुआ शक उसी की मिली लाश
Shams Ki zubani: पांच दोस्तों की ऐसी कहानी जिसमें शक भी है, संबंध भी है, गुनाह भी है और सस्पेंस भी और साथ में है अदालत का वो ऐतिहासिक वो फैसला जिसने क़ानून की परिभाषा ही बदल दी।
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Shams Ki zubani: टीवी हमारी ज़िंदगी में कितना गहरा असर डाल सकता है और उस असर में आकर कोई भी इंसान किस हद तक गुनाह के दलदल में गहरे धंस सकता है। क्राइम की कहानी में आज का क़िस्सा इसी बात को उजागर करता है।
आज का क़िस्सा एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री का है जिसमें एक वक़्त ऐसा भी था जब गुनहगार क़ानून के रखवालों से दो क़दम आगे चलता हुआ दिखाई दिया। इस मर्डर मिस्ट्री को जब पुलिस सुलझाने निकली तो उसे एक के बाद एक कई पहेलियों के उतार चढ़ाव से गुज़रना पड़ा।
इस कहानी को बताने से पहले आपको एक क़ानून में हुए बड़े बदलाव को बताना शायद सबसे पहली ज़रूरत है। निर्भया केस हिन्दुस्तान में कौन नहीं जानता। जब एक लड़की के साथ देश की राजधानी में हैवानियत की इंतेहा हो गई थी और फिर उसके बाद पूरे देश में भूचाल आ गया था। सड़क से संसद तक सभी जगह क़ानून को सख्त करने और गुनहगारों को सख्त सज़ा दिलाने की वकालत तेज हो गई थी।
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उसी वक़्त एक क़ानून में संशोधन किया गया था। असल में इस बदलाव की ज़रूरत इसलिए महसूस हुई थी क्योंकि निर्भया के जो छह गुनहगार थे उनमें से एक नाबालिग भी था। जिस वक़्त उस नाबालिग ने इस गुनाह को अंजाम दिया था उस वक़्त उसकी उम्र साढ़े 17 साल थी। क़ानूनन बालिग होने में उसे छह महीने बचे थे। और पुराना क़ानून उसे सख्त सज़ा देने का हिमायती नहीं था।
Shams Ki zubani: लिहाजा उस क़ानून की आड़ में वो बच भी गया। हालांकि कहा तो यहां तक गया था कि निर्भया पर सबसे ज़्यादा जुल्म उसी ने ढाये थे। मगर नाबालिग होने की वजह से वो क़ानून की सख्त धाराओं में घिरने से बच गया। और सिर्फ तीन साल की सज़ा ही दी जा सकी। और वो भी बाल सुधार गृह में रहने की। जुविनाइल जस्टिस बोर्ड ने उसके लिए इतनी ही सज़ा मुकर्रर की थी। तीन साल के बाद वो आजाद भी हो गया।
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इस गुनहगार के आज़ाद होने की सूरत में देश के क़ानून में बदलाव किया जाना ज़रूरी हो गया। तब अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया। यानी हत्या के एक मामले में जिस गुनहगार को नाबालिग होने की वजह से तीन साल अधिकतम सज़ा दी जा सकती थी अदालत ने उसे उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई। ये सज़ा सुनाते समय अदालत ने ये कहा कि सज़ा सुनाते समय गुनहगार की उम्र पर ध्यान देना ही काफी नहीं है बल्कि अदालत को ये देखना चाहिए कि गुनहगार ने जो गुनाह किया वो किस किस्म का है।
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Shams Ki zubani: वो गुनाह कितना क्रूर था या कितना संजीदा था। लिहाजा उम्र के साथ साथ उसके जुर्म की गंभीरता पर गौर करना जरूरी है। और इसी टिप्पणी के साथ अदालत ने एक गुनहगार को उम्रकैद की सज़ा सुनाई।
और अदालत के इसी फैसले की रोशनी में आज की कहानी जिसकी शुरुआत पांच साल पहले यानी 2017 में हुई थी। मध्य प्रदेश का एक शहर गुना। गुना शहर में ही पांच दोस्त रहते थे। सभी आस पास के मोहल्लों में रहने वाले थे।
पांचों में बड़ी ही गहरी दोस्ती थी। ज़ात पात और अमीरी ग़रीबी से हटकर। इन्हीं पांच दोस्तों में एक था हेमंत। हेमंत ने अपने पिता से बाइक लेने की ज़िंद कर ली थी लिहाजा सिंचाई विभाग में मुलाजिम हेमंत के पिता ने बेटे की ज़िद मान ली और उसे सेकेंड हैंड बाइक लेने की इजाजत और पैसे दे दिया।
18 मई की रात हेमंत अपने एक दोस्त हनी दुबे के साथ 40 हज़ार रुपये लेकर बाइक लेने के लिए निकला। लेकिन फिर लौटा नहीं। बेटे के घर वापस न लौटने पर हेमंत के पिता परेशान हो जाते हैं। पिता हेमंत की तलाश में निकलते हैं और सभी दोस्तों से पूछताछ करते हैं। दोस्त भी हेमंत के पिता को एक जैसा ही जवाब देते हैं कि वो तो बाइक लेकर रात में ही घर चला गया था। अब हेमंत के पिता को बेटे की फिक्र होती है। लेकिन हेमंत का कहीं कोई सुराग नहीं मिलता। तब हेमंत के पिता पुलिस के पास पहुँचकर बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाते हैं।
पुलिस ने रिपोर्ट लिखने के बाद उस पर गंभीरता नहीं दिखाई और मामले को टाल दिया। पुलिस की दलील यही थी कि नई उम्र का लड़का है 40 हज़ार जेब में और नई बाइक भी है हो सकता है कहीं घूमने चला गया हो।
19 मई को हेमंत के पिता के मोबाइल पर एक कॉल आती है। हैरानी की बात ये है कि ये कॉल हेमंत के मोबाइल से थी। लेकिन उस कॉल में फिरौती मांगी गईथी। फोन करने वाले ने हेमंत के पिता से कहा कि तुम्हारा बेटा हमारे पास है, 50 लाख रुपये दे दो बेटा सही सलामत घर पहुँच जाएगा। हेमंत के पिता ने फिरौती मांगने वाले से कहा कि वो पैसे दे देंगे। और इतना कहकर फोन बंद कर देते हैं और सीधा पुलिस स्टेशन का रुख करते हैं।
Shams Ki zubani: हेमंत के पिता की बात सुनकर पुलिस परेशान हो जाती है और समझ जाती है कि मामला किडनैपिंग का है। लिहाजा पुलिस नंबर को ट्रेस करती है तो उसे इंदौर की लोकेशन मिलती है। पुलिस की एक टीम इंदौर रवाना हो जाती है। इधर पुलिस हेमंत के दोस्तों से पूछताछ शुरू करती है। तीन दोस्त तो पुलिस को मिल जाते हैं लेकिन एक दोस्त नहीं मिल रहा था, उसका नाम था ऋतिक।
लिहाजा पुलिस के शक के दायरे में ऋतिक आ जाता है। पुलिस को महसूस होता है कि हो न हो ये कारस्तानी ऋतिक की हो सकती है। पुलिस दो संभावनाओं पर काम करती है, पहली ऋतिक इस कारस्तानी के पीछे हो सकता है या फिर ऋतिक भी हेमंत के साथ गायब हुआ हो।
पुलिस अपनी तफ्तीश में आगे बढ़ ही रही थी कि गुना के पास के जंगलों से पुलिस को एक जली हुई लाश मिलती है। उस लाश को किसी राहगीर ने देखा था लिहाजा पुलिस को इत्तेला देता है। पुलिस लाश की शिनाख्त करती है क्योंकि वो पूरी तरह से जली हुई नहीं थी। वो लाश ऋतिक की थी। ऋतिक की लाश मिलते ही पुलिस भी चौंक जाती है और गुना में हड़कंप मच जाता है। पुलिस इसलिए चौंक जाती है कि जिस पर शक कर रही थी उसकी ही लाश मिल जाती है।
उधर हेमंत का कोई सुराग नहीं मिल रहा था। लिहाजा पुलिस एक बार फिर हेमंत के दोस्तों से पूछताछ करती है। पुलिस को बाकी बचे तीन दोस्तों पर शक होने लगता है। हालांकि हेमंत के तीनों दोस्त ज़्यादा पढ़े लिखे नहीं थे।
पुलिस को ऋतिक की लाश वाली जगह के पास ही एक फोन भी मिला था। और वो फोन था हेमंत का। अब यहां पुलिस बुरी तरह से उलझ जाती है। कहानी में जबरदस्त ट्विस्ट आ जाता है। लिहाजा पुलिस अपने रडार पर हनी दुबे, लोकेश लोढ़ा आ जाते हैं। पुलिस दोनों से पूछताछ करना शुरू करती है।
20 मई को पुलिस के सामने एक और नई चीज आती है जो पुलिस को बुरी तरह से उलझा कर रखदेती है। क्योंकि उस रोज पुलिस को लोकेश लोढ़ा की लाश मिलती है। ये लाश भी जंगल में ही मिलती है उसी तरह जली हुई हालत में। उसका भी गला रेता हुआ था।
Shams Ki zubani: अब पुलिस को एक चीज मिल जाती है, क़त्ल का तरीका एक जैसा और लाश को जलाकर फेंकने का तरीका दोनों का एक सा। लेकिन पुलिस इस बात से ज़्यादा परेशान होती है कि जिस पर भी शक होता है उसकी लाश मिल जाती है। पुलिस माजरा समझ नहीं पाती। क्योंकि दो दिन में दो दोस्तों की लाश मिली और तीसरा हेमंत का कोई सुराग नहीं मिल रहा था।
उधर लगातार दो दिन दो लाश मिलने की घटना से गुना में लोग हैरान और परेशान हो गए। लोग पुलिस के खिलाफ गुस्सा निकालने लगे और हेमंत के घरवाले भी पुलिस पर दबाव बनाने लगे। अब पुलिस के लिए ये केस सुलझाना उसकी नाक का सवाल बन गया लिहाजा पुलिस ने अपने सारे घोड़े खोल दिए।
अब पुलिस के शक के दायरे में आते हैं दो और दोस्त। अब पुलिस हनी दुबे के साथ उस पांचवें दोस्त से पूछताछ करती है। वो इन पांच दोस्तों में सबसे ज़्यादा पढ़ा लिखा था। लेकिन वो जब पुलिस को अपने बारे में बताता है तो पुलिस की तस्दीक में वो सब सही निकलती हैं। पुलिस उस पर शक नहीं कर पाती। लिहाजा अब शक की सुई आकर टिक जाती है हनी दुबे पर। परेशानी की बात ये कि हनी सबमें छोटा था और नाबालिग भी था।
Shams Ki zubani: पुलिस हनी दुबे से बात करती है तो उसने फिर वही कहानी दोहरा दी जो उसने पहले दिन पुलिस को बताई थी। उलझन में फंसी पुलिस अचानक हनी दुबे की मां से पूछताछ करने लगती है। पुलिस ने हनी दुबे की मां का अतीत खंगालना शुरू करती है। तब पुलिस को पता चलता है कि हनी दुबे की मां का बड़े और रसूखदार लोगों के साथ उठना बैठना है। और इसके अलावा कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनका आपराधिक रिकॉर्ड भी है। पुलिस को ये भी पता चला कि हेमंत का हनी दुबे का घर भी आना जाना था।
इतना पता चलने पर पुलिस अब पूछताछ के दायरे में हनी दुबे और उसकी मां पूनम दुबे को ले आती है। दोनों पुलिस के सभी सवालों के जवाब देते रहे और हेमंत की गुमशुदगी को लेकर नकारते रहे। लेकिन तब पुलिस ने अपना असली रंग दिखाया और कड़ाई से पूछताछ शुरू की। पुलिस के बदले तेवर देखकर एक ही झटके में सब कुछ साफ हो गया। तब पुलिस के सामने आई एक ऐसी कहानी जिसे सुनकर खुद पुलिस को भी यकीन नहीं हो पा रहा था।
इन दोनों से पूछताछ के बाद पुलिस एक बार फिर गुना के जंगलों का रुख करती है और तलाश शुरू करती है तो उसे अलग अलग जगहों पर लाश के कुछ टुकडे मिलते हैं। वो लाश भी जली हुई थी और गले पर कटे का निशान भी वैसा ही था जैसा बाकी दो लाशों पर मिला था। वो लाश हेमंत की थी। अब पुलिस के सामने तीन दोस्तों की लाशें थीं। और इत्तेफाक से तीनों दोस्त ही नाबालिग थे।
Shams Ki zubani: तब पुलिस हनी दुबे और पूनम दुबे से पूछताछ करती है। वो कहानी ऐसी थी जिसके कुछ पन्नों की इबारत के बारे में सिर्फ पूनम दुबे को ही पता था। पुलिस के सामने जो क़िस्सा आया वो बेहद सनसनीखेज़ था।
असल में पूनम दुबे अपने पति से अलग अपने बेटे हनी दुबे के साथ रहती थी। लेकिन पूनम दुबे को पैसों की भूख थी। और वो अच्छी ज़िंदगी जीना चाहती थी। वो जिस मोहल्ले में रहती थी वहीं हेमंत भी रहता था। उसके पिता सिंचाई विभाग में अफसर थे और उनका रहन सहन काफी अच्छा था।
तब पूनम ने हेमंत के घरवालों से दोस्ती करने का इरादा किया और अपने बेटे को हेमंत से दोस्ती करने को कहा। हनी ने मोहल्ले के नाते हेमंत से दोस्ती शुरू कर दी और दोनों अच्छे दोस्त बन गए। दोनों का एक दूसरे के घर आना जाना शुरू हो गया।
तब हेमंत ने अपने दूसरे दोस्तों के साथ हनी की दोस्ती करवा दी। और धीरे धीरे सभी अच्छे दोस्त हो गए और इनकी मंडली तैयार होगई।
दोस्तों के बीच जब घर आना जाना शुरू हुआ तो पूनम दुबे ने हेमंत के साथ रिश्ते बनाने शुरु किए। इससे हेमंत का हनी दुबे का घर आने जाने का सिलसिला बढ़ गया। हेमंत का वक्त बेवक़्त घर आना अब हनी दुबे को अखरने लगा। तब हनी को अपने दोस्त पर शक हुआ कि हेमंत और उसकी मां के बीच कोई रिश्ता कायम हो गया है। इसी बीच हेमंत को पूनम उकसा कर घर से पैसे और जेवर की चोरी करवाने लगी।
यहां तक सब ठीक चल रहा था। इसी बीच 18 मई को हनी दुबे को पता चला कि हेमंत अपने पिता से 40 हजार रुपये लेकर बाइक लेने जाने वाला है। हनी ने हेमंत से कहा कि वो भी साथ चलेगा। जब हनी और हेमंत पैसे लेकर बाइक से जा रहे थे तो रास्ते में हनी ने बाकी दोस्तों को भी बुला लिया और बियर पार्टी कर ली। और उसी पार्टी के दौरान बियर की खाली बोतल से हेमंत के सिर पर वार किया और फिर उसका गला रेत दिया। और फिर पेट्रोल डालकर हेमंत की लाश को जला दिया। हनी की इस करतूत के उसके दो दोस्त लोकेश और ऋतिक चश्मदीद थे।
Shams Ki zubani: हेमंत का काम तमाम करने के बाद हनी घर गया और उसने ये क़िस्सा अपनी मां को बता दिया। तब पूनम ने हनी को इस गुनाह को और संगीन करने का रास्ता दिखाया और लाश को ढंग से जलाने और ठिकाने लगाने का तरीका बताया। इसके बाद पूनम एक साज़िशरचती है। वो बाकी दोनों दोस्तों को अपना मुंह बंद रखने की हिदायत देती है और हेमंत के पिता से फिरौती वसूलने का प्लान बनाती है।
और वही ऋतिक को हेमंत का मोबाइल देती है और उसे इंदौर जाने को कहती है और वहीं से हेमंत के पिता को फोन करने को कहती है। फोन पर क्या कहना है और कैसे कहना है ये भी पूनम ही ऋतिक को बताती है। पूनम पूरी साज़िश को टीवी पर आने वाले क्राइम सीरियल को देखकर ही उसी आइडिया से तैयार करती है।
हेमंत के पिता को फोन करने के बाद ऋतिक वापस लौट आता है। इसी बीच दूसरा दोस्त लोकेश हनी से कहता है कि उसे फिरौती की रकम में से उसका हिस्सा अभी दो, क्योंकि उसे उन पर भरोसा नहीं था। और पैसे न देने की सूरत में पुलिस में जाने की धमकी देता है। तब हनी और ऋतिक मिल जाते हैं और लोकेश को जंगल में ले जाते हैं। वहां शराब पिलाते हैं और फिर लोकेश की भी हत्या कर देते हैं।
उसी तरह जैसे हेमंत को मारा था। लोकेश का काम तमाम करने के बाद हनी दुबे अपनी मां पूनम दुबे और ऋतिक घर लौट रहे होते हैं। और मां का इशारा पाते ही मौका देखकर हनी अपने दोस्त और इकलौते चश्मदीद ऋतिक को भी मार डालते हैं।
Shams Ki zubani: इस तरह एक क़त्ल को छुपाने के लिए वो लोग दो और क़त्ल कर देते हैं। और वापस गुना लौट आते हैं। लेकिन पुलिस के शक के दायरे में होने की वजह से हनी पुलिस के सवालों से बच नहीं पाता। लेकिन जब पुलिस हनी के साथ साथ पूनम की कुंडली खंगालती है और सख्ती से दोनों से पूछताछ करती है तो सारी कहानी सामने आ जाती है।
यानी जिस जिस पर शक हुआ उसका क़त्ल होता गया और पुलिस एक के बाद एक तीन लाश के चक्कर में उलझकर रह जाती है। पुलिस अब हनी दुबे को मुख्य आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लेती है और पूनम दुबे को साथी आरोपी बना लेती है।
इसके बाद पांच साल तक ये मुकदमा चलता है। पांच साल मुकदमा चलने के बाद इसी साल अदालत हनी दुबे को नाबालिग होने के बावजूद उम्र कैद की सजा सुनाती है। हालांकि जुर्म के वक़्त हनी दुबे नाबालिग था लेकिन अदालत ने अपना फैसला सुनाते वक़्त कहा कि जुर्म के वक़्त जो कुछ उसने किया अदालत उसकी सिर्फ उम्र नहीं देखेगी बल्कि उसने क्या क्या किया और कैसे कैसे किया इस पर गौर करना ज़्यादा जरूरी है।
एक के बाद एक जिस तरह से हनी दुबे ने तीन क़त्ल किए ये गुनाह किसी भी लिहाज से बेहद गंभीर श्रेणी में आता है। लिहाजा उसे उम्र कैद की सज़ा दी जाए। और इसी के साथ ही अदालत ने मां बेटे को उम्र कैद की सजा सुना दी।
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