दुनिया का सबसे बड़ा हैकर: वो वर्चुअल डाका डालता और असली में खाली हो जाता था खाता

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Shams Ki Zubani: कुछ अरसा पहले अमेरिका की सबसे बड़ी जांच एजेंसी फेडरेल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन यानी जिसे हम और आप आम बोलचाल में FBI के नाम से जानते हैं उसने एक लिस्ट जारी की थी। ये लिस्ट उन शातिर और शार्प हैकरों की थी जिनकी उंगलियों का इशारा पाकर दुनिया का कोई भी कंप्यूटर मज़बूत से मज़बूत तालों से जड़ा कोई लेपटॉप या सर्वर उनके हाथों की कठपुतली बन जाता है।

आज की कहानी का किरदार भी उन्हीं शातिर और शार्प हैकरों में से एक है जिसकी असली पहचान कई नामों की तह में छुपी हुई है। हालांकि उसे एक ऐसा नाम भी मिला जिसे सुनकर दुनिया भर की कई एजेंसियों का हलक सूख जाता है, कई नामी गिरामी संस्थान उसका नाम सुनते ही शायद सबसे ज़्यादा दुखी भी हो जाते होंगे, लेकिन उस हैकर का एक नाम ‘हैप्पी हैकर’ भी है।

Shams Ki Zubani: असल में उसे हैप्पी हैकर कहने की एक सबसे बड़ी वजह ये भी कही जाती है कि उसकी जितनी भी तस्वीरें अब तक जमाने के सामने आई हैं उन सभी में उसका चेहरा मुस्कुराता हुआ ही नज़र आता है। यहां तक कि जब उसे गिरफ़्तार करके हथकड़ियों में जकड़कर जेल ले जाया जा रहा था तब भी उसके चेहरे पर उसकी सदाबहार मुस्कुराहट खेल रही थी।

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शातिर और तेज़ दिमाग हैप्पी हैकर वास्तव में कितना स्मार्ट है कि दुनिया की सबसे ताक़तवर और सबसे आधुनिक जांच एजेंसी FBI इसकी परछाई को पाने के लिए पूरे पांच साल तक दुनिया भर की धूल फांकती रही। FBI की गरज की वजह से ही दुनिया की पुलिस यानी इंटरपोल भी उसकी हर आहट पर कान लगाए बैठी रही, लेकिन उन्हें भी इसकी भनक तक नहीं मिल पा रही थी।

Shams Ki Zubani: असल में इस हैकर के क़िस्से का सिलसिला शुरू होता है 2009 में। अमेरिका के जॉर्जिया में कुछ बैंकों को अजीब सी शिकायतें मिल रही थीं। किसी की शिकायत थी कि बैंक के खाते से उनके पैसे बिना उनके निकाले ही निकल रहे हैं।

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बैंकों को शिकायत पहुँचाने वाले आम खाता धारक या आम ग्राहक ही नहीं थे, बल्कि उनमें से कई तो बड़े बड़े संस्थाओं के बड़े बड़े अधिकारी और कॉरपोरेट घराने भी थे, जिनकी यही शिकायत थी कि उनके खातों को खोखला किया जा रहा है और ये पता ही नही चल पा रहा है कि आखिर ये सब हो कैसे रहा है?

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लेकिन बैंकों में दर्ज हो रही शिकायतों में से सबसे ज़्यादा चौंकानें वाली ऐसी ही शिकायत थी दुनियाभर को सॉफ्टवेयर बनाकर देने वाली कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की। ज़ाहिर है ये इस शिकायत ने अमेरिका की पुलिस को बुरी तरह से चौकन्ना कर दिया।

Shams Ki Zubani: उसे समझ में आ गया कि ये मामला बेहद गंभीर और संगीन है, और साथ ही ये भी अंदाज़ा जॉर्जिया की पुलिस ने लगा लिया कि ये उसके बस की बात भी नहीं है। लिहाजा इस बेहद गंभीर मामले को लेकर FBI अलर्ट हो गया।

FBI ने जब शिकायतों के अंबार को देखा तो वो भी चौंके बिना नहीं रह सकी क्योंकि तब तक क़रीब 60 मिलियन कंप्यूटर हैक किए जाने की शिकायतें दर्ज हो चुकी थी, जिनसे जुड़े खातों को खंगालकर उन्हें क़रीब क़रीब खोखला किया जा चुका था। और ये सब कुछ हुआ था महज तीन साल के भीतर।

हैकिंग के इस मामले में जब FBI जांच के मैदान में कूदी तो वो ये बात तो अच्छी तरह से समझ चुकी थी कि इतने सारे कंप्यूटर को जिसने भी खंगाला है, उसकी तमाम जानकारी, डाटा और खाता सभी पर एक तरह से उस शख्स का इख्तियार हो गया था, जो न जाने कहां था, लेकिन उसकी वजह से पुलिस अंधेरे में ज़रूर भटकने को मजबूर हो गई थी।

Shams Ki Zubani: तफ्तीश कहती है कि इस हैप्पी हैकर ने महज तीन सालों के भीतर अपने एक साथी के साथ मिलकर 2009 से 2012 तक 6 बिलियन डॉलर यानी तीन खरब, 5 अरब 66 करोड़, 6 लाख (3,056,66,000,000) रुपये अलग अलग खातों से हड़प लिए थे। ये इतनी बड़ी रकम है कि इसे शायद गिनने में आम लोगों को शायद इतना ही वक़्त लग जाए जितने समय में इसे चुराया गया। शायद ये रकम का ही कमाल था जिसने FBI के साथ साथ इंटरनेशनल पुलिस को भी बुरी तरह से बेचैन कर दिया था।

FBI के सामने सबसे बड़ा सवाल यही था कि आखिर ये है कौन? जिसने पूरी दुनिया की पुलिस के साथ साथ दुनिया की तमाम एजेंसियों की भी नींद चुरा ली थी। ये कोई ऐसा छलावा था जिसकी परछाई तक का जांच एजेंसियों को पता नहीं चल पा रहा था।

लगातार कई दिन और कई रातों तक दुनिया भर के तमाम हैकरों की कुंडली खंगालते खंगालते FBI के एजेंटों की आंखें सूज गईं थी, लेकिन कामयाबी किसी खोये हुए ख्वाब की मानिंद उनकी नज़रों से दूर थी। तभी उन्हें एक सूचना मिलती है। जिसने क़रीब क़रीब थक चुके FBI एजेंटों को बॉर्नवीटा का नया डोज़ दे दिया। खबर थी कि अल्जीरिया में एक हैकर है हमज़ा बेंडेलाज।

Shams Ki Zubani: ये हमज़ा बेंडेलाज कौन है, क्या करता है और अगर ये इतना ही बड़ा हैकर है तो इसका नाम तो पहले FBI ने क्यों नहीं सुना?

अब FBI के तमाम एजेंट जो इस प्रॉटेक्ट पर लगे हुए थे सब के सब नहा धोकर इस नाम के पीछे पड़ गए। कुंडली खोदकर बाहर निकाल लाने में माहिर FBI ने देखते ही देखते हमज़ा बेंडेलाज का भी सारा अतीत निकाल लिया। हमज़ा 20 साल का एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। जिस पुलिस और सूत्र के ज़रिए FBI को हमज़ा के बारे में पता चला था उसी से ये भी पता चला कि उसके ख़िलाफ़ हैकिंग करके लोगों के खातों में खलबली मचाकर उसे खोखला करने का भी शक है।

इसी शक के आधार पर अमेरिकी एजेंसी अब इसके जुड़े कारनामों की एक नई फेहरिस्त तैयार करने में जुट गई। साथ ही हमज़ा के पीछे भी FBI का एक एजेंट लग गया। महीनों भटकने के बाद fbi एजेंट किसी तरह हमज़ा तक पहुँचने में कामयाब हुआ। और बड़े ही नाटकीय अंदाज़ में उस एजेंट ने खुद को भी एक हैकर साबित करके हमजा का भरोसा जीता और मिलकर हैकिंग करके खासतौर पर क्रिमिनल लोगों के खातों में सेंध लगाने की प्लानिंग करनी शुरू कर दी। उस दौर में एक नया सॉफ्टवेयर चलन में आ चुका था, नाम था ‘स्पाइ आई’ (Spy Eye).

Shams Ki Zubani: असल में डार्क नेट पर मशहर ये सॉफ्टवेयर खुद हमज़ा और उसके साथी ने ही तैयार किया था। और इसी सॉफ्टवेयर के ज़रिए इन लोगों ने दुनिया भर में वर्चुल डाका डाला।

हमज़ा का भेद खुल जाने के बाद FBI के एजेंट ने अब एक नया प्लान तैयार किया ताकि हमजा को गिरफ्तार किया जा सके। लिहाजा वो हमज़ा से उसका तैयार किया गया सॉफ्टवेयर ‘स्पाइ आई’ (Spy Eye) ख़रीदने का इरादा करता है और इसके लिए बाकायदा हमजा को तैयार भी कर लेता है। लेकिन सॉफ्टवेयर की डिलीवरी और सप्लाई होने से पहले ही हमज़ा FBI के हाथों से फिसल जाता है।

बेशक FBI का ये ऑपरेशन आधा ही कामयाब होता है, लेकिन FBI के हाथों लगी एक सबसे बड़ी कामयाबी यही थी कि जिस परछाई का वो अभी तक पीछा कर रहे थे अब उन्हें उसका चेहरा मिल चुका होता है। यानी हमज़ा की पहचान अब FBI को पूरी तरह से मिल जाती है। ताकि उसके चेहरे को वो पूरी दुनिया में फैलाकर दुनिया भर की पुलिस को एलर्ट कर सके।

Shams Ki Zubani: उधर FBI हमज़ा की कुंडली पढ़ने लगती है। खुलासा होता है कि हमज़ा अल्जीरिया के एक छोटे से शहर टिज़िओजू का रहने वाला था। 1988 में पैदा हुआ हमजा बचपन से ही पढ़ने लिखने में बेहद तेज़ था और गणित उसका सबसे प्रिय विषय था। लिहाजा जब वो पढ़ने के लिए यूनिवर्सिटी गया तो वहां उसने कंप्यूटर में पढ़ाई आगे बढ़ाई।

उसने पढ़ाई लिखाई के दौरान ही कंप्यूटर को तो जैसे अपना सबसे पसंदीदा खिलौना बना लिया था। और कंप्यूटर से जुड़ी कोई ऐसी चीज़ नहीं थी जिसके बारे में उसे इतनी जानकारी हो गई थी पढ़ाई लिखाई के दौरान ही कि कोई एक्सपर्ट भी उतनी जानकारी इकट्ठा नहीं कर सकता। वो जब पार्टटाइम काम करने के लिए गया तो उसने कंप्यूटर की रिपेयरिंग का ही काम चुना। और कंप्यूटर ठीक करते करते अचानक उसे अपने कंप्यूटर के ज़रिए दूसरों के कंप्यूटर में झांकने का शौक लग गया।

और देखते ही देखते वो हैकर बन गया। पहले तो वो मौज मौज में ही कंप्यूटर हैक करके लोगों को हैरान कर देता था। लेकिन फिर अचानक वो एक शातिर हैकर बन गया और दूसरे के खातों तक में घुसने के लिए कंप्यूटर के भीतर ही सुरंग बनानी शुरू कर दी। पासवर्ड तो ऐसे तोड़ता था मानों गिनती का खेल खेल रहा हो।

Shams Ki Zubani: जिस समय हमज़ा हैकिंग की दुनिया की तरफ तेजी से कदम बढ़ा रहा था, अल्जीरिया से हज़ारों किमी दूर रूस में एक और शख्स था जिसे भी हैकिंग करना बेहद पसंद था। उसका नाम था एलेक्जेंडर पेनिन। उसकी उम्र भी ज़्यादा नहीं थी। वो 25 बरस का था। यानी दोनों ही क़रीब क़रीब हम उम्र ही थे।

FBI की तफ्तीश यही कहती है कि जिस सॉफ्टवेयर स्पाई आई (Spy Eye) के जरिए हमजा ने दुनिया भर के कंप्यूटरों को खोखला किया वो असल में पेनिन ने ही तैयार किया था। लेकिन जिस वक्त वो इस सॉफ्टवेयर को लगातार अपडेट कर रहा था तभी पेनिन को हमज़ा के बारे में पता चला। दोनों के शौक एक जैसे थे, दोनों की फितरत भी एक जैसी थी लिहाजा दोनों के बीच जल्दी ही यारी भी हो गई। जब दो दीवाने में मिल गए तो फिर दुनिया का कहां डर। लिहाजा दोनों ने मिलकर उस सॉफ्टवेयर को बनाया अपना हथियार और निकल पड़े दुनिया को खोखला करने। ये लोग वायरस के ज़रिए लोगों के कंप्यूटर में एंट्री करते और पूरा कंप्यूटर ही हड़प लेते।

Shams Ki Zubani: इनकी बदमाशी का आलम ये था कि जिस स्पाई आई के जरिए ये लोग दुनिया भर के तमाम लोगों के कंप्यूटर को हड़पते जा रहे थे अब उसी सॉफ्टवेयर को इन लोगों ने डार्कनेट पर बेचना भी शुरू कर दिया।

इन लोगों के तेजी से बढ़ते क़दमों की आहट जैसे ही अमेरिका पहुँची और अमेरिका में शिकायतों के अंबार लगने शुरू हो गए तो फिर इनकी तलाश शुरू हुई। मगर जिनके दिमाग भी कंप्यूटर से तेज़ हों तो वो FBI जैसी लकीर पर चलने वाली एजेंसी के हाथ भी कैसे लग सकते थे। लिहाजा ये दोनों हैकर दुनिया की तमाम एजेंसियों को धता बताते हुए सरपट दौड़े चले जा रहे थे।

लेकिन 2009 से शुरू हुए इस सिलसिले को चार साल बाद यानी 2013 में अचानक इनकी रफ़्तार को ब्रेक लगता है। 8 जनवरी 2013 को हमज़ा अपनी नई नवेली बीवी के साथ छुट्टियां मनाने के लिए मलेशिया गया था। प्रोग्राम ये था कि मलेशिया से वो सीधे काहिरा यानी कायरो जाना था। रास्ते में थाईलैंड पड़ा। शातिर और शार्प हैकर हमज़ा इतना होशियार और चौकन्ना रहता था कि अपना फोन कभी भी एक दिन से ज़्यादा इस्तेमाल नहीं करता था। जिसकी वजह से उसको ट्रेस करना किसी भी एजेंसी के लिए मुश्किल हो जाता । एजेंसियों की नज़रों में धूल झोंकने के लिए अक्सर सैटेलाइट फोन से बात करता था।

Shams Ki Zubani: बहरहाल मलेशिया से छुट्टी मनाने के बाद इसे काहिरा के रास्ते में जब थाईलैंड में अपनी फ्लाइट चेंज करनी थी तभी एयरपोर्ट पर तैनात इंटरपोल के अधिकारी उसे पहचान लेते हैं। लिहाजा पुलिस अफसर उसे और उसकी बीवी को एयरपोर्ट पर ही रोक लेते हैं।

पुलिस अधिकारियों की बातचीत के दौरान वो अपनी पहचान नहीं छुपाता बल्कि साफ साफ इमानदारी से और मुस्कुराते हुए सारी बातें बता भी देता है, लेकिन एक शर्त रखता है कि उसके किसी भी गुनाह में उसकी बीवी का कोई रोल नहीं लिहाजा उसे सफर जारी रखने की इजाज़त मिलनी चाहिए। अधिकारी उसकी बात मान लेते हैं और हमज़ा की बीवी को काहिरा जाने की इजाज़त दे देते हैं।

बीवी के जाने के बाद हमज़ा पुलिस के कब्जे में आ जाता है। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक के स्वर्णभूमि एयरपोर्ट पर उसकी गिरफ़्तारी होती है 8 जनवरी 2013 को।

Shams Ki Zubani: उसके बाद इंटरपोल के पुलिस अधिकारी अमेरिकी अधिकारियों और FBI से बात करते हैं। और यहां से शुरू होती है पांच महीने की न रुकने वाली FBI की दौड़ भाग। क्योंकि प्रत्यर्पण संधि और उससे जुड़ी तमाम औपचारिकताओं को पूरी करने और इतने नामी और शातिर अपराधी को हाथ से जाने न देने की ज़िद ने FBI के एजेंटों को थकादेने वाली दौड़ में झोंक दिया। बहरहाल मई 2013 को हमज़ा को अमेरिकी अधिकारी अपने साथ अमेरिका ले जाने में कामयाबी हासिल पा ही लेते हैं।

हमजा को अमेरिका के अटलांटा लाया जाता है जहां उसके ख़िलाफ़ मुकदमा चलता है। दो साल तक चले मुक़दमे के दौरान FBI ने हमज़ा के ख़िलाफ़ जो सबूत दिए उसके मुताबिक हमज़ा और उसके साथी पेनिन ने 217 बैंकों से क़रीब 60 मिलियन खातों को खाली करते 4 बिलियल डॉलर की रकम लूटी थी। अदालत ने जून 2015 को हमजा को इतनी बड़ी रकम का लुटेरा घोषित करते हुए उसे 15 साल की क़ैद की सज़ा सुनाई। साथ ही दस लाख डॉलर का जुर्माना भी लगाया।

Shams Ki Zubani: हमज़ा को जेल भेजने के बाद अब FBI की टीम उसके साथ पेनिन की तलाश में जुट गई। कामयाबी के लिए ज़्यादा नहीं भटकना पड़ा और जुलाई 2013 को ही अटलांटा एयरपोर्ट से FBI ने पेनिन को भी गिरफ़्तार कर लिया। पेनिन पर भी मुकदमा चला और उसे भी जेल भेज दिया गया।

इसी बीच सोशल मीडिया पर एक अफवाह तेजी से वायरल हुई, जिसके मुताबिक हमजा को फांसी दिए जाने की बात हवा में फैली साथ ही हमजा को रॉबिनहुड का ख़िताब दिया जाने लगा। मुहिम के साथ साथ बहस छिड़गई कि ये तो ग़रीबों का मददगार है और अमीरों को लूटकर ग़रीबों को पैसा देता रहा। खबर तो यहां तक फैली की हमजा ने फिलस्तीनियों की मदद की। देखते ही देखते हमजा को हीरो का दर्जा मिलना शुरू हो गया।

इसकी जांच फिर शुरू हुई तो ऐसा कोई सबूत और सूराग किसी को नहीं मिला कि आखिर इतनी रकम लूटने वाले ने सारे पैसों का किया क्या।

Shams Ki Zubani: इसी बीच ये जानकारी सामने आई कि थाईलैंड एयरपोर्ट पर खुद हमजा ने खुलासा किया था कि उसे दो ही शौक है और अपने उन्हीं शौक को पूरा करने के लिए ज़रूरत के मुताबिक बैंकों से पैसे निकालता है और उन्हें खर्च करता है। उसका पहला शौक दुनिया के महंगे से महंगे हवाई जहाज़ के फर्स्ट क्लास में सफर करना और दूसरा सबसे महंगी जगहों पर रहना। एक आलीशान लाइफ स्टाइल का अपना सपना पूरा कर रहा है। हालांकि उसने कहीं और किसी से भी ये नहीं कहा कि उसने लूटी रकम को कहीं किसी भी मुस्लिम संगठन या फिलस्तीन के लोगों को दी हो।

बहरहाल कुल मिलाकर FBI की रिपोर्ट भी यही खुलासा करती थी कि हमजा कोई और नहीं एक मामूली चोर था जिसने बड़े ही ग़ैरमामूली तरीके से अमेरिका के 217 बैंकों की तिजोरी खाली करके अपने शौक पूरे किए थे।

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