Shams Ki Zubani: वो तीन साल तक सोफ़े पर मुर्दा बैठी रही, इंसानी रिश्तों को झकझोर देने वाली कहानी

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Shams Ki Zubani: वो तीन साल तक सोफ़े पर मुर्दा बैठी रही, इंसानी रिश्तों को झकझोर देने वाली कहानी
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Shams Ki Zubani: दिल को झकझोर देने वाली कहानी लंदन की है। एक लड़की जिसकी उम्र 35-36 साल नाम जोएस कार्ल विंसेंट था। पिता का नाम लारेंस था औ लारेंस कारप्रेंटर का काम करते थे। जोएस की पत्नी भारतीय मूल की थी। जोएस पांच बहनो में सबसे छोटी थी। ये कहानी जॉयस विन्सेंट की मौत का रहस्‍य की कहानी है। जो 12 साल बाद भी अच्‍छे-अच्‍छों के होश उड़ा देती है। 38 साल की जॉयस की लाश उनके फ्लैट से मिली थी। आखिर कैसे एक लाश तीन साल तक सोफे पर बैठे रही तो चलिए आपको सिलसिलेवार बताते जॉयस की पहेली बनी मौत की यह कहानी।

तीन साल से सोफे पर बैठे मुर्दे का राज़

दरअसल 19 अक्‍टूबर 1965 को जॉयस का जन्‍म लंदन में हुआ था। जॉयस का बचपन बड़ी परेशानियों में गुजरा। किसी तरह जॉयस ने पढ़ाई पूरी की। कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद जॉयस को अच्छी नौकरी मिल गई। उसने अकाउंटेंसी की पढ़ाई की थी लिहाजा सैलरी भी अच्छी मिल रही थी। जॉयस की कोई आदत खराब नहीं थी वह कभी ना ड्रग्स लेती और ना ही किसी बुरे कामों में शामिल थी। जॉयस की पहचान एक अच्छी लड़की के तौर पर थी।

बस उसके साथ बचपन की पुरानी यादें थी बेहद बुरी यादें जो डोमेस्टिक वायलेंस से जुड़ी थीं। वह अक्सर जॉयस को परेशान कर दिया करती थी। अपनी दुश्वारियों को भूलकर जॉयस ने अंस एंड यंग कंपनी में नौकरी शुरु कर दी थी। जहां नौकरी पाकर बहुत खुश थी सेलरी भी अच्छी थी। 2000-2001 में जॉयस ने इस कंपनी ने इस्तीफा दे दिया और उसने दफ्तर में बताया कि उसे नौकरी नहीं करनी वो अपने दोस्तों के साथ कहीं बाहर जाना चाहती है।

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कुछ दिनों में एनजीओ में जॉब करने के बाद उसने छोटे से होटल में नौकरी शुरू कर दी। उसी होटल के पास एक छोटा सा रूम भी ले लिया था। जॉयस का सिंगल रुम सेट था। यह बेहद सस्ता रूम था। यहां पर ज्यादातर लोग ड्रग एडिक्ट और आवारा किस्म के ही थे। जो कम आमदनी के चलते इस इलाके में रहा करते थे। इस अपार्टमेंट में जॉयस की कमरा सबसे कोने में था। नौकरी के साथ साथ जॉयस ने अपनी एक हाउसिंग स्कीम ले रखी थी जिसके चलते घर से जुड़े बिजली, पानी और 50 फीसदी किराया ऑटो डेबिट हो जाया करता था।

जब खुला जॉयस के फ्लैट का दरवाज़ा!

Shams Ki Zubani: जॉयस की जिंदगी 2003 तक ऐसे ही चलती रही। 2003 के बाद से जॉयस अचानक कहीं गायब हो गई। इस दौरान जॉयस को किसी ने नही देखा। दिन महीने गुजरते गए जॉयस के घर के बाहर अखबारों का ढेर भी लगता जा रहा था। हैरानी की बात ये थी कि जॉयस के कमरे में लाइटें जल रही थी और टीवी चलने की भी आवाज रही थी। धीरे धीरे वक्त गुजरता गया और साल 2006 आ गया। इस दौरान तीन साल में किसी ने भी जॉयस को नही देखा और ना ही जानने की कोशिश की कि वो कहां है।

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चूंकि 3 साल से जॉयस का पचास फीसदी किराया और बिजली का बिल जा रहा था लिहाजा मकान मालिक भी इत्मीनान मे था। दरअसल बाकी का 50 फीसदी किराया जॉयस को देना होता था लिहाजा 25 जनवरी 2006 में मकान मालिक ने जॉय की तलाश शुरु की। किराया बढ़कर करीब 3 लाख हो चुका था। अब मकान मालिक ने हाउसिंग स्टाफ की मदद से घर का दरवाजा खुलवाने का फैसला किया।

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मकान मालिक के जरिए हाउसिंग स्टाफ के पास मास्टर चाभी मौजूद थी और फिर दरवाजा खोला गया। दरवाजा खुलते ही सबके पैर कांप गए। दरवाजे के बिल्कुल सामने सोफे पर एक इंसानी कंकाल बैठा हुआ था। कमरा बदबू और घुटन से भरा हुआ था। टीवी भी चल रहा था बीबीसी-1 चैनल भी चल रहा था। सोफे पर कई सारे क्रिसमस गिफ्ट्स और एक शॉपिंग बैग भी पड़ा था। जॉयस के फ्लैट में खिड़की से रोशनी भी कम आ रही थी। जिसके बाद हाउसिंग स्टाफ ने पुलिस को फोन किया।

सोफ़े पर बैठा कंकाल और सामने चलता हुआ टीवी

Shams Ki Zubani: जांच के दौरान इसी घर से पुलिस को मेडिकल डॉक्यूमेंट मिलते हैं जिसके बाद लाश का पोस्टमॉर्टम किया जाता है तो खुलासा होता है कि ये कंकाल किसी और का नहीं बल्कि जॉयस का है और जॉयस की मौत दिसंबर 2003 में हो चुकी थी। यानि तीन साल तक जॉयस की लाश सोफे पर ही बैठी रही। लगातार तीन साल तक टीवी भी चलता रहा और लाइट जलती रही लेकिन किसी पड़ोसी ने कोई सुध नही ली।

मीडिया में ये दर्दनाक खबर आने के बाद ब्रिटेन में एक बहस छिड़ी की समाज किस दिशा में जा रहा है जहां किसी को किसी की जिंदगी और मौत से कोई सरोकार नही हैं। हैरानी की बात ये है कि इस तीन साल के बीच जॉयस के घरवालों ने उन्‍हें कई चिट्ठ‍ियां भी लिखीं लेकिन उसे पढ़ने वाली तो इस दुनिया से जा चुकी थी।

बताया जाता है कि जिस समय जॉयस की मौत हुई तब वह एक शख्‍स को डेट कर रही थीं। पुलिस ने प्रेमी की तलाश की लेकिन काफी मश्क्कत के बाद भी वह नहीं मिला। जॉयस की मौत का सटीक कारण ढूंढ़ना पुलिस और डॉक्टरों के लिए एक चुनौती था। बहरहाल जॉयस की मौत की गुत्‍थी आज भी कयासों और सवालों से घिरी हुई और अनसुलझी है। जॉयस की इस रहस्‍यमई मौत से प्रेरित होकर हॉलीवुड में ‘ड्रीम्स ऑफ लाइफ’ नाम की एक फिल्‍म भी बनी है।

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