UP Election 2022: लकड़ी के शहर में आग लगाने वाले पप्पू की हो रही हवा ख़राब, चुनाव में 'रंगबाज़' का उड़ा रंग

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कौन हैं मोहर्रम अली पप्पू?

ELECTION 2022 IN HINDI:आठ साल पहले यानी साल 2014 में सहारनपुर के गुरुद्वारा रोड पर बवाल हुआ था। एक जमीन के मसले को लेकर बात का बतंगड़ कुछ ऐसा बना कि शहर में दंगा हो गया। इस दंगे ने शहर का बहुत नुकसान किया। सबसे पहले तो शहर का अमन चैन झुलस गया और उस दंगे की आग में एक वर्ग की संपत्ति को ज़बरदस्त नुकसान हुआ।

दंगे की बात पुलिस की तफ़्तीश ततक पहुँची तो पुलिस ने मोहर्रम अली पप्पू को पकड़ लिया, क्योंकि पुलिस को पता चल चुका था कि लकड़ी के इस शहर में आग लेकर घूमने वाला और कोई नहीं बल्कि वो पप्पू है जिसका गुनाहों से पुराना नाता है और उस पर 80 से ज़्यादा मुकदमे दर्ज हुए हैं।

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केस की सुनवाई के दौरान वह जेल में भी रह चुका है। लेकिन दो दिन पहले ही लखनऊ में मोहर्रम अली को समाजवादी पार्टी की सदस्यता दिलाई गई। पप्पू के समाजवादी पार्टी में शामिल होते ही सहारनपुर में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ साथ सिख और पंजाबी समाज में जबरदस्त गुस्सा है।

उठने लगी पप्पू के ख़िलाफ़ आवाज़

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CHUNAVI RANGBAAZ IN HINDI:सहारनपुर में समाजवादी पार्टी के 15 कार्यकर्ताओं ने पप्पू का विरोध करते हुए पार्टी ही छोड़ दी। सभी इस बार पर एक सुर में बात कर रहे हैं कि जिस शख्स ने समूचे शहर को दंगे की आग में झोंका है उसे शहर और शहर के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे।

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बेजान लकड़ी पर शानदार नक्काशी करके उसमें जान फूंकने के लिए मशहूर ये शहर किसी भी हालत में उन लोगों को बर्दाश्त करने की सूरत में नहीं हैं जिसने समूचे शहर के अमन चैन को ही दंगे की आग में फूंकने की साज़िश रची थी।

फेसबुक पर पप्पू का फैन क्लब

ELECTION CRIME NEWS: मोहर्रम अली पप्पू पार्षद भी रह चुके हैं, यानी इलाक़े में उनकी अच्छी ख़ासी चलती है। और लोगों के सामने वो अच्छे खासे रंगबाज़ भी बन चुके हैं।

एक दिलचस्प पहलू ये भी सामने आया है कि फेसबुक पर मोहर्रम अली पप्पू का एक फैन क्लब भी सक्रिय है। जिसमें उसकी वाह वाही करने वाले लोगों की अच्छी ख़ासी तादाद भी दिख रही है। ज़ाहिर है कि इस बार चुनाव में पप्पू सिर्फ पप्पू ही नहीं रहेंगे, बल्कि चुनावों में अच्छा खासा असर रखेंगे।

मुकदमों का किंग ‘पप्पू’

RANBAAZ OF ELECTION: 2014 में जिस वक़्त पुलिस ने मोहर्रम अली पप्पू के खिलाफ़ कार्रवाई की थी उस वक़्त ही उनके ख़िलाफ 87 मुकदमें चल रहे थे। यानी पुलिस और साथ पप्पू की रंगबाजी का पुराना सिलसिला भी है।

पप्पू के ख़िलाफ़ बनी फ़िज़ा

सहारनपुर की फ़िज़ा पप्पू के माफ़िक़ चलती तो कतई नहीं दिखाई दे रही। डेढ़ साल तक मोहर्रम अली पप्पू जेल की सलाखों के पीछे भी रह चुके हैं जबकि उनके ख़िलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून यानी NSA की सख्त धारा में कार्रवाई हुई थी।

अब आज़ाद है 'पप्पू'

LATEST ELECTION CRIME NEWS: हालांकि दंगे के वक़्त एक दूसरे के खिलाफ़ नफ़रत की ज्वाला लेकर आमने सामने आ गए दोनों समुदाय में अब समझौता हो गया है। और ज़मानत पर मोहर्रम अली पप्पू बाहर भी आ गए हैं, लेकिन साथ में चुनाव भी आ गया ।

लिहाजा सहारनपुर के लोग शहर की सभी सातों विधान सभा के चुनाव पर इसलिए नज़र रखे हुए हैं कि मोहर्रम अली पप्पू कहां से चुनाव लड़ते हैं या लड़वाते हैं। क्योंकि इस बार शहर का मिज़ाज एकदम जुदा दिखाई दे रहा है, कम से कम पप्पू के साथ खड़ा तो नहीं ही दिखाई दे रहा।

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