Russian-Ukrainian War: रूस की सेना का मुकाबला करने की यूक्रेन में हो रही ऐसे तैयारी
यूक्रेन की महिलाओं ने बॉर्डर पर मोर्चा संभाला, रूसी सीमा पर यूक्रेन की खूबसूरत दीवार, यूक्रेन की बूढ़ी दादियों ने बंदूक संभाली, Russian war, Ukraine women ready for war, read more war news latest
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मोर्चे के लिए तैयार हो रही महिलाएं
Russian-Ukrainian War: एक तरफ रूस और यूक्रेन के बीच जंग के हालात टालने के लिए दुनिया भर के देश जुटे हुए हैं। लेकिन खुद यूक्रेन में इस मंडराते हुए ख़तरे का मुकाबला करने के लिए वहां की आधी आबादी ने हथियार उठाकर मोर्चा संभालने का फैसला कर लिया है। यूक्रेन की लड़कियां और महिलाएं रूसी सैनिकों की गोली का जवाब गोली से देने के लिए अब हथियार चलाना सीख रही हैं।
यूक्रेन में अलग अलग तरह के पेशे से जुड़ी लड़कियों ने बंदूक चलाने से लेकर सेल्फ डिफेंस की तमाम तरह की ट्रेनिंग लेना शुरु कर दिया है। पूरे देश में शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग की अलग अलग क्लासेज़ चलने लगी हैं और महिलाएँ घर और दफ़्तर का काम छोड़कर बंदूक थामने की तमीज़ सीख रही हैं।
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फौजी वर्दी में उतर रही आधी आबादी
Russian-Ukrainian War: ऐसा नहीं है कि यूक्रेन की फौज में महिलाओं और लड़कियों की कमी है। यूक्रेन की सेना में 1993 से ही महिलाओं की भर्ती हो रही है। और फौज की बाक़ायदा ट्रेनिंग लेकर यूक्रेन की महिलाएं अपने देश के मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बॉर्डर पर मोर्चा लेने में आगे रही हैं।
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मौजूदा वक्त में यूक्रेन की सेना में क़रीब 30 हज़ार से ज़्यादा महिला सैनिक मौजूद हैं जिनमें से 1100 से ज्यादा अफसर हैं जबकि 13 हज़ार ऐसी महिलाएं हैं जो फौजी वर्दी में जंग के मैदान में उतरकर दुश्मनों के दांत खट्टे करने का माद्दा रखती हैं।
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यूक्रेन की दादियों ने की मोर्चे की तैयारी
Russian-Ukrainian War: एक रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन के मौजूदा हालात को देखते हुए यूक्रेन की सरकार ने 20 से लेकर 60 साल तक की महिलाओं को सेना में शामिल करने का फैसला भी कर लिया है। इनमें से कई महिलाएं तो ऐसी हैं जो पहले भी यूक्रेन की सेना में सर्विस कर चुकी हैं।
2014 के बाद से यूक्रेन में महिला सैनिकों की संख्या क़रीब क़रीब दो गुनी हो चुकी है। 2014 में जिस समय रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर हमला किया था उस वक्त भी यूक्रेन की महिला सैनिकों ने मोर्चे पर रूसी सैनिकों का जमकर मुकाबला किया था। उस समय के संघर्ष में 14 हज़ार से ज़्यादा यूक्रेन के सैनिक मारे गए थे जिनमें महिलाओं की संख्या अच्छी खासी थी।
यूक्रेन की बाबुश्ख़ा बटालियन
Russian-Ukrainian War: यूक्रेन की हिफ़ाज़त करने के लिए वहां की सिर्फ नौजवान महिलाएँ ही हथियार नहीं उठा रहीं, बल्कि वहां की बूढ़ी महिलाओं ने भी अपने मज़बूत कंधे पर बंदूक को टिकाने का माद्दा दिखाया है। यूक्रेन में एक संगठन है ‘बाबुश्खा बटालियन’।
ये बूढ़ी महिलाओं का संगठन है। ये संगठन युद्ध के समय मोर्चे पर डटे सैनिकों की कई तरह से मदद करता है। 2014 में इस संगठन से जुड़ी बूढ़ी महिलाओं ने अपने सैनिकों के लिए बॉर्डर पर खंदक खोदे थे। इसके साथ साथ इस संगठन से जुड़ी महिलाएं सेना की रसद की आपूर्ति, चिकित्सा सेवा और खुफिया तंत्र के लिए काम करने में भी काफी अव्वल हैं।
यूक्रेन का 'ब्यूटीफुल' विवाद
Russian-Ukrainian War: वैसे यूक्रेन पहले भी अपनी महिला सैनिकों को लेकर काफी विवाद में भी रह चुका है। यहां एक परेड के दौरान महिला सैनिक हाई हील्स पहने दिखाई दी थी जिसके बाद वहां के नारीवादियों ने सेना और सरकार के खिलाफ़ आवाज़ उठाई थी और उन्हें सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया था।
वैसे यूक्रेन एक लोकतांत्रिक देश है, जहां महिलाओं को कई अधिकार मिले हुए हैं। यहां महिलाओं को अपनी आज़ादी और उससे जुड़े हुए फर्ज का अच्छे अधिकार मिले हुए हैं। जबकि इसके उलट रूस में महिलाओं को उतने अधिकार नहीं हैं। यही वजह है कि यूक्रेन ने अब अपनी महिलाओं को युद्ध लड़ने के लिए हथियार सिखाने का इरादा करके एक और तुरुप का पत्ता तैयार कर लिया है।
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