Russian Ukraine War: होइहि सोइ जो पुतिन रचि राखा, शतरंज की बिसात पर रूस की चाल
व्लादिमीर पुतिन के फैसले पर टिकी युद्ध की हार जीत, जंग की गेंद अब पुतिन के पाले में , रूस का विस्तार पुतिन की रणनीति, यूक्रेन खड़ा है चौराहे पर, जंग में अब क्या होगा, Russian Ukraine War, latest war
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युद्ध विराम की गेंद पुतिन के पाले में
Russian Ukraine War: युद्ध के दूसरे दिन वॉरजोन से जो ख़बर आई उसकी बड़ी तस्वीर यही हैं कि अब यूक्रेन ने युद्ध विराम की गेंद पुतिन के पाले में डाल दी हैं। इसे अगर सरल शब्दों में समझे तो बात कुछ यूं है कि रूस की तरफ से यूक्रेन के सामने बड़ी शर्त रखी गई। शर्त ये कि राष्ट्रपति जेलेंस्की सरेंडर करें तो युद्ध विराम पर विचार मुमकिन है।
रूस की तरफ से रखी गई शर्त के बाद यूक्रेन की ओर से बड़ी पहल की गई। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने युद्ध विराम के लिए टेबल पर बातचीत की पेशकश का पैगाम पुतिन तक पहुँचा भी दिया है। यानी अब यूक्रेन युद्ध नहीं बल्कि बातचीत के रास्ते मौजूदा संकट का हल निकालना चाहता है।
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महायुद्ध के मुहाने पर
Russian Ukraine War: दरअसल पुतिन को बखूबी पता है कि यूक्रेन पर कब्जा करना रूस के लिए जितना मुश्किल है, उनता ही मुश्किल आज की तरीख में यूक्रेन के लिए खुद की रक्षा करना है। यानी दोनों के लिए आगे की डगर आसान नही हैं। इस समस्या के समाधान रास्ता बातचीत की टेबल से ही होकर गुज़रेगा।
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अब सवाल ये हैं कि आखिर पुतिन के दिमाग़ में चल क्या रहा हैं? आखिर चंद घंटों में यूक्रेन पर चारों तरफ से अटैक करने के पीछे की मंशा क्या हैं? ये जानते हुए भी कि ये जोखिम दुनिया को महायुद्ध के मुहाने पर लाकर खड़ा कर सकता हैं।
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युद्ध और विदेश नीति को बारीक़ से समझने में माहिर लोग यही मानते है कि यूक्रेन पर आक्रमण के पीछे पुतिन की एक सोच हैं, वही सोच जिसके बारे में उन्होंने एक लेख भी लिखा था।
पुतिन के लेख में छुपी है मंशा
Russian Ukraine War: पुतिन ने लिखा था, यूक्रेन और रूस एक राष्ट्र हैं। दिसंबर 1991 में सोवियंत संघ का ढहना असल में रूस के इतिहास का विघटन था। मौजूदा यूक्रेन का निर्माण कम्यूनिस्ट रूस ने किया था जो आज कठपुतली राज्य बनकर रह गया।
भले ही 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन एक स्वतंत्र मुल्क बन गया लेकिन पुतिन यूक्रेन को आज भी रूस का हिस्सा मानते हैं। यूक्रेन को लेकर पुतिन के प्लान के बारे में कई थ्योरी सामने आ रही हैं। दरअसल रूस को विस्तार देकर पुतिन अपने मुल्क को वही पुराना अखंड आकार लौटाना चाहते हैं, ठीक वैसा ही जैसा 1991 के पहले था।
एक तीर से कई निशाने साधने की जुगत
Russian Ukraine War: अपने प्लान के तहत पुतिन ने युद्ध से पहले यूक्रेन को तोड़ने के लिए पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्र पीपल्स रिपब्लिक ऑफ दोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र राज्य की मान्यता दे दी.ये वही इलाका है जहां विद्रोही 2014 से ही यूक्रेन सेना से लड़ रहे हैं।
डिफेंस एक्सपर्ट मानते हैं कि स्टैटजी के लिहाज से यूक्रेन पर युद्ध थोपकर पुतिन एक तीर से कई निशाने साध रहे हैं। दरअसल यूक्रेन का झुकाव पश्चिम मुल्कों की तरफ हैं,नाटो से बढ़ती करीबी पुतिन की आंखों में किरकिरी की तरह चुभ रही थी।
अमेरिकी की कमजोर नस पकड़ ली पुतिन ने
Russian Ukraine War: यूक्रेन पर हमला कर पुतिन पश्चिमी मुल्कों को ये दिखाना चाहते हैं कि रूस आज भी सुपर पावर हैं। पुतिन को पता हैं कि इस वक्त पश्चिमी मुल्क कमजोर हैं, महामारी की चुनौतियों की वजह से आर्थिक रूप से बड़ी चोट लगी हैं, तो वहीं बीते साल अफगानिस्तान में तालिबान के हाथों अमेरिकी और नाटो को मुंह की खानी पड़ी हैं.
पुतिन जानते हैं कि अमेरिका या उसके साथ इस वक्त युद्ध नहीं चाहते वही पुतिन भी बड़ी जीत के लिए घर में बड़ा समर्थन चाहते हैं। पुतिन लगातार अपने इसी प्लान को विस्तार दे रहे हैं। 2008 में रूस ने जॉर्जिया पर हमला किया था. रूस ने वहां के दो प्रांतों को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दे दी है. इन दोनों देशों को रूस ही कंट्रोल करता है. 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया था.रूस में क्रीमिया का विलय हो गया है. अब रूस का विस्तार ब्लैक सी तक हो गया है।
शर्तों में उलझा है समझौता
Russian Ukraine War: आगे क्या होगा, जानकार यही मान रहे है कि युद्ध विराम से पहले पुतिन यूक्रेन और नाटो के साथ बातचीत में कई शर्ते रखेंगे। पुतिन चाहते हैं कि नाटो वादा करे कि यूक्रेन को सदस्यता नहीं देगा।
पोलैंड,रोमानिया और बुल्गारिया की फ्रंटलाइन से नाटो की सेना पीछे हटे। यूक्रेन में जेलेंस्की राष्ट्रपति पद छोड़ें और नए राष्ट्रपति की ताजपोशी हो। इसके बाद यूक्रेन जल्द डानबास को स्वतंत्र राज्य का दर्जा दे। अब तक के घटनाक्रम से यही बात साफ है कि पुतिन ने जो चाहा, वही किया।
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