रूस को इंटरनेशनल कोर्ट की दो टूक, यूक्रेन के ख़िलाफ़ मिलिट्री ऑपरेशन रोकने का फ़रमान
रूस को जंग रोकने की सख़्त हिदायत, भारत समेत 13 देशों ने रूस को सुनाया फैसला, यूक्रेन के ख़िलाफ़ जंग रोकने का फरमान, रूस को सुनाया फैसला, Russian Ukraine War , Cease Military Operations
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ICJ का जंग रोकने का फ़रमान
Russian Ukraine War: पिछले तीन हफ़्तों से रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। और इस जंग को रोकने की हर मुमकिन कोशिश भी दुनिया भर के तमाम देश कर भी चुके हैं। लेकिन अभी तक जंग रुकने का नाम नहीं ले रही है। इसी बीच आईसीजे (ICJ) यानी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने रूस को जंग रोकने का दो टूक फ़रमान सुना दिया है।
कोर्ट के 15 में से 13 जजों ने एक सुर में जंग को फ़ौरन रोकने की बात कही है, जबकि बाकी दो जजों ने अपना मत इससे उलट दिया है।
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इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के जजों ने रूस को आदेश दिया कि वो सुनिश्चित करे की अब रूसी सेना यूक्रेन के ख़िलाफ किसी भी तरह का कोई मिलिट्री ऑपरेशन नहीं करेंगी।
अब क्या होगा रूस का रुख?
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Russian Ukraine War: अब सवाल यही उठता है कि क्या आईसीजे के कह देने भर से रूस जंग रोक देगा? अगर रूस ने जंग नहीं रोकी, तो इंटरनेशनल कोर्ट क्या कर सकती है? उसके पास क्या विकल्प होंगे? ये सवाल अब सभी को परेशान कर रहे हैं, क्योंकि कोर्ट के पास अपने ही आदेश का पालन करवाने की कोई व्यवस्था नहीं है।
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आमतौर पर होता ये है कि संयुक्त राष्ट्र की संस्था होने के नाते आमतौर पर तमाम सदस्य देश कोर्ट का फैसला मान भी लेते हैं। लेकिन अगर कोई देश इन फैसलों को नहीं मानता तो ICJ सुरक्षा परिषद यानी सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) से संबंधित देश पर दबाव डलवाता है। जिसका असर भी होता है लेकिन जिन देशों के पास वीटो पॉवर होता है तो वो आदेश को नहीं मानते। इनमें चीन का नाम सबसे प्रमुख है।
उसी तरह रूस भी वीटो पॉवर रखता है। पहले भी कई देश इंटरनेशनल कोर्ट के आदेशों को भी ठेंगा दिखा चुके हैं। ऐसे में ये बात देखने की है कि ICJ के इस फैसले को लेकर रूस क्या प्रतिक्रिया देता है।
यूक्रेन के ख़िलाफ़ अब मिलिट्री ऑपरेशन न हों
Russian Ukraine War: 24 फरवरी को यूक्रेन पर हुए हमले के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इंटनरेशन कोर्ट में अपील कर हमले को रुकवाने और इस जंग के लिए रूस को ज़िम्मेदार ठहराने की अपील की थी। उसके बाद कोर्ट के जजों ने इस मसले पर लंबा विचार विमर्श किया और रूस को आदेश दिया कि वो ना सिर्फ़ यूक्रेन में अपना मिलिट्री ऑपरेशन बंद कर दे और बल्कि अपनी तरफ़ से किसी और को भी ऐसा ना करने दे।
आईसीजे के इस फ़ैसले को मायने को और समझने से पहले आइए ज़रा इंटरनेशनल कोर्ट की व्यवस्था और फंक्शनिंग यानी उसके काम करने के तौर तरीक़े भी समझना जरूरी हो जाता है। आईसीजे में अलग-अलग देशों के 15 जज प्रतिनिधि के तौर पर शामिल होते हैं...
भारत के जस्टिस का रूस के ख़िलाफ़ फैसला
Russian Ukraine War: ये प्रतिनिधि समय-समय पर बदलते रहते हैं। फिलहाल इनमें अमेरिका के जस्टिस जोआन ई डोनोग्यू प्रेसिडेंट हैं, जबकि स्लोवाकिया के जस्टिस पीटर टोमका, फ्रांस के जस्टिस रोनी अब्राहम, मोरक्को के जस्टिस मोहम्मद बेन्नौना, सोमालिया के जस्टिस अब्दुलकावी अहमद, युगांडा के जस्टिस जूलिया सेबुटिंडे, भारत के जस्टिस दलवीर भंडारी, जमैका के जस्टिस पैट्रिक लिप्टन रॉबिंसन, लेबनान के जस्टिस नवाफ़ सलाम, जापान के जस्टिस इवासावा यूजी, जर्मनी के जस्टिस जॉर्ज नोल्टे और आस्ट्रेलिया की जस्टिस हिलेरी चार्ल्सवर्थ शामिल हैं।
इसके अलावा रूस के जस्टिस किरिल गेवोर्गियन और चीन के जस्टिस सू हनकिन इस समय ICJ में हैं। अगर बात रूस यूक्रेन युद्ध पर दिए गए फ़ैसले की करें, तो जानकारी ये कि भारत की ओर से नामित जस्टिस दलवीर भंडारी ने इस मामले में युद्ध के ख़िलाफ़ अपनी राय दी है। उन्होंने भी रूस से फ़ौरन युद्ध रोकने को कहा है।
कुछ लोग भारत रूस के दोस्ताना रिश्तों के बीच इस जस्टिस भंडारी के इस स्टैंड पर हैरान हो सकते हैं, लेकिन इंसाफ़ का तकाज़ा शायद यही है कि जस्टिस बग़ैर किसी बात से प्रभावित अपने विवेक से किसी मामले पर राय बनाएं। और ये मामला ऐसा ही है।
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