यूक्रेन में फंसीं भारतीय छात्राओं की आपबीती : बंकर में बस जिंदा रहने के लिए कुछ खा लेते हैं, पानी नहीं पीते क्योंकि वॉशरूम नहीं जा सकते

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यूक्रेन के खारकीव के बंकर में मौजूद 250 लड़कियों में से कल्पना चौधरी ने बताई CRIME TAK को आपबीती

रूस के हमला करते ही शहर खारकीव के हॉस्टल में रहने वाली 250 भारतीय लड़कियों को एक बंकर में लाया गया. उसी हॉस्टल में पिछले 3 दिनों से मौजूद लड़कियों में से एक कल्पना चौधरी ने वहां की आपबीती बताई. वहां के जो हालात बताए उसे जानकर आप भी दहल जाएंगे.

कल्पना चौधरी ने क्राइम तक को बताया कि....

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हम सपने तो संजोकर आए थे डॉक्टर बनने के. लेकिन यहां इस समय खुद ही बीमारी जैसे हालात में हैं. हालत ऐसी है कि बस किसी तरह से जिंदा हैं. सांसें तो चल रहीं हैं लेकिन कब क्या हो जाए, कुछ नहीं पता. तीन दिन से गर्ल्स हॉस्टल के पास बने एक बंकर में बंद हैं. ये बंकर कई साल पुराना है. उतने ही सालों से बंद भी पड़ा था. जब 24 फरवरी को रूस ने अचानक हमला किया तब इस बंकर को खोला गया. तभी हमलोगों को इसका पता चला.

जैसे ही रूस ने मिसाइल अटैक शुरू किए तभी हम सभी लड़कियों को इन बंकर में लाया गया. पूरी तरह से अंडरग्राउंड बंकर. जरा सी जगह में बनी सीढ़ियों के सहारे बंकर में आने का रास्ता.

सालों से बंद पड़े होने से अजीब सी गंध. जैसे-तैसे बम धमाकों के बीच जान बचाते हुए हमलोग बंकर में दाखिल हुए. बंकर में जगह-जगह सबकुछ टूटा हुआ. बस किसी तरह इक्का-दुक्का लाइटें जलाईं गईं. ताकी अंधेरे को दूर कर सके.

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बंकर में वॉशरूम नहीं तो बस जिंदा रहने के लिए कुछ खा ले रहे

स्टूडेंट कल्पना चौधरी ने बताया कि...

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हॉस्टल से आने से पहले हमलोगों में से जिससे जो खाने-पीने और जरूरी सामान हो सका उसने वो ले लिया. लेकिन लेते भी कितना. कोई कुछ बिस्किट के पैकेट लाया तो कोई पानी. सालों से बंद होने से इस बंकर में घुटन सी होती है.
लेकिन बाहर बम के हमले से बचाने के लिए यहां रहने की मजबूरी है. पुराने बंकर की वजह से वॉशरूम पूरी तरह से खराब हैं. एक तरह से जाम होकर बंद हो चुके हैं. ऐसे में अगर किसी को फ्रेश होने जाना है तो बंकर से बाहर ही आना पड़ता है. और हॉस्टल के वॉशरूम तक जाना पड़ता है. बंकर से हॉस्टल थोड़ी दूरी पर है. अगर वहां आते-जाते हैं तो कब बम फट जाए कुछ पता नहीं. हमेशा खतरा बना हुआ है.

आगे कल्पना चौधरी बताती हैं कि.... क्या करें हमलोग. हम भी तो इंसान हैं. वॉशरूम भी जाना पड़ता है. ऐसे में लड़कियां बंकर में बस उतना ही खा रही हैं जिससे वो जिंदा रह सकें. पानी भी बहुत कम पी रही हैं. ताकी वॉशरूम ना जाना पड़े.

अब तीन दिन होने से धीरे-धीरे खाने का सामान भी खत्म हो रहा है. बाहर दुकानों पर भी कुछ नहीं मिल रहा है. यहां भी दुकानदार सामान स्टोर कर रहे हैं ताकी जंग लंबी चली तो उनके सामान महंगे बिक सके.

अब आलम ये है कि हॉस्टल से सुबह-शाम थोड़ा-थोड़ा कुछ खाने को मिल जा रहा है. लेकिन वो भी कह रहे हैं कि सामान कम है. ऐसे में किसी तरह से काम चलाना है. वरना ऐसा भी हो सकता है कि कुछ भी ना मिले. हमलोग पूरी तरह से डरे हुए हैं. कहीं से कुछ पता नहीं चल रहा है कि आखिर करें तो क्या करें. हमलोगों को कैसे मदद मिलेगी.

हमले से 2 दिन पहले तक इंडिया से आईं स्टूडेंट्स

मेडिकल स्टूडेंट कल्पना चौधरी ने क्राइम तक से फोन पर बताया कि इस समय वे यूक्रेन के खारकीव शहर के ओटकारा यारोशा हॉस्टल में हैं. यहां मेडिकल की पढ़ाई के लिए वो हरियाणा के अंबाला से 4 साल पहले आईं थीं. कल्पना ने बताया कि हमलोग के एजेंट ही कॉलेज में एडमिशन कराने से लेकर हॉस्टल दिलाते हैं. अभी तो 22 फरवरी को ही इंडिया से 4 लड़कियां इस हॉस्टल में रहने आईं.

हमले को लेकर हमें धोखे में रखा गया

हमले से 2 दिन पहले ही इंडिया से कई स्टूडेंट को यूक्रेन लाए जाने पर कल्पना ने कई सवाल उठाए. कल्पना ने बताया कि हमले को लेकर सवाल पूछे जाने पर मेडिकल कॉलेज और हमलोगों को यहां मदद करने वाले एजेंट हमेशा धोखे में रखे.

हमले से पहले तक तो ना मेडिकल कॉलेज और ना ही हमारे एजेंट ने किसी तरह के खतरे की बात कही थी. जबकि पिछले एक महीने से खबरों को देख हमलोग अपने एजेंट से पूछते थे कि क्या कोई हमला हो सकता है. तो हर बार एजेंट या मेडिकल कॉलेज यही कहते थे कि वॉर की बात अफवाह है.

ऐसी बातों में कोई सच्चाई नहीं है. इसी वजह से हमलोग भी यहां से इंडिया लौटने को लेकर कोई सोच नहीं रहे थे. मेरी तो 10 मार्च की फ्लाइट है. कई लड़कियों की 26 और 28 फरवरी की भी फ्लाइट थी. लेकिन वो भी अभी इसी बंकर में फंसी हुई हैं.

कल्पना ने कहा कि किसी तरह भारत सरकार हमें मदद करें क्योंकि अब हालात काफी खराब हो रहे हैं. हमलोग बंकर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. अब खाने का सामान भी खत्म हो रहा है. अगर जल्द मदद नहीं मिली तो इसी हालात में कोई अनहोनी भी हो सकती है.

NOTE : भारत सरकार ने यूक्रेन में फंसे छात्रों की मदद करने के लिए एक एडवाइजरी फॉर्म जारी किया है. अगर आप यूक्रेन में फंसे हैं तो इस ऑनलाइन फॉर्म को भरकर मदद मांगे. फॉर्म के लिए इसे CLICK करें

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