City of Joy में 'We Want Justice' की चीख पुकार, कोलकाता Horror का ताजा और पूरा सच हिलाकर रख देगा

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City of Joy में 'We Want Justice' की चीख पुकार, कोलकाता Horror का ताजा और पूरा सच हिलाकर रख देगा
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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R G Kar अस्पताल के बाहर थ्योरियां ही थ्योरियां

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कोलकाता शहर के लोगों की जुबान पर तैरते सवाल

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क्या वाकई ट्रेनी डॉक्टर को इंसाफ मिलेगा?

Kolkata Rape and Murder Case: वी वान्ट जस्टिस (We Want Justice), वी वान्ट जस्टिस....इन दिनों देश में ये हवा बह रही है, फिजाओं में दूर तलक ये नारे सुनाई दे रहे हैं, जो इस बात का अंदाजा तो दे ही देते हैं कि हमारे आस पास चीख पुकार शोर शराबे के बीच कहीं न कहीं इंसाफ मांगा जा रहा है और फिलहाल इंसाफ नहीं मिला है। इंसाफ की ये पुकार इस बार पूरब के हिस्से से आई है। किसी जमाने में जिसे सिटी ऑफ जॉय (City Of Joy) कहा जाता था, वहां इस समय हर तरफ या तो इंसाफ की गुहार लगाते, आसमान को चीरने वाले नारे हैं या फिर वो चीख पुकार जिसने समूचे शहर की हंसी मुस्कुराहट को छीनकर वहां सिसकियों को बेलगाम कर दिया है। बात बात पर मिठाई का स्वाद लेने वाले इस कोलकाता शहर के तमाम लोगों की जुबान कड़वाहट से भरने लगी है। 

ट्रेनी डॉक्टर के हिस्से में आए जख्मों की फेहरिस्त

दोनों आंखें घायल, होठों से रिसता खून, पूरा चेहरा जख्मी, गर्दन टूटी हुई, दोनों हाथों पर खरोंच के निशान, हाथों की उंगली के नाखून उखड़े हुए, पैरों को देखकर ऐसा लगे मानों उसमें हड्डी है ही नहीं, प्राइवेट पार्ट से रिसती हैवानियत, बदन पर कपड़े के नाम पर थी तो बस एक चादर, जो खून से लथपथ होकर उसके जिस्म से चिपक गई थी। कलेजा चीर देने वाले जख्मों की ये फेहरिस्त उस ट्रेनी के हिस्से आई, जो डॉक्टर बनकर निकलने का सपना लेकर इस अस्पताल में आई थी। 9 अगस्त की सुबह जब उसे अस्पताल के लोगों ने अपनी नंगी आंखों से देखा था, तो उनकी आंखें खुद ब खुद बंद हो गईं। जब तक सिस्टम ने आंखें खोली तब तक सारे शहर का मुंह खुल चुका था और शोर मचने लगा था। 

जबतक हिम्मत थी तब तक लड़ी

न कोई चश्मदीद और न ही कोई गवाह, बस ये एक अंदाजा ही है, कि उस लड़की ने शायद तब तक खुद को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी जब तक होश ने उसका साथ दिया और शरीर में जरा सी ताकत बची रही। मगर चोटों की लिस्ट इतनी लंबी है जिसे देखकर भी ये अंदाजा किया जा सकता है कि उस लड़की के होश और हिम्मत ने भी जल्दी ही उससे अपना हाथ छुड़ा लिया होगा। 

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शहर के लोगों की जुबान पर तैरते सवाल

बताने वाले अब भी ये नहीं बता रहे कि उस मासूम को कब तक नोंचा गया। उस लड़की की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट (Postmortem Report) तो कहती है कि शरीर पर चोट के निशान उसके उस वक्त जिंदा होने की गवाही दे रहे हैं, लेकिन जब उस लड़की ने होश और जान दोनों गवां दी क्या तब भी वहशी उसके शरीर को नोंचते रहे? बहुत से सवाल हैं, मगर अभी तक कुछ बुनियादी सवालों को छोड़ दें तो अब भी सारे के सारे सवाल शहर की जुबान पर आवारा घूम रहे हैं। 

Kolkata CBI
कोलकाता की वारदात के बासअब सारे शहर में घूम रहे हैं वी वान्ट जस्टिस के नारे

ये तो अभी सिलसिले की शुरुआत है

आर जी कर मेडिकल कॉलेज (R G Kar Medical College) की इस दरिंदगी के बहुत से सबूत भी हमारे सामने हैं। जो मीडिया और सोशल मीडिया के छोटे बड़े पर्दे पर सारे जमाने के सामने तैर रहे हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी आ चुकी है।  पुलिस और सीबीआई की तफ्तीश का काफी कुछ हिस्सा अंदर की बात के पर्दे तले भी नज़रों के सामने आ चुका है। लेकिन सिलसिला तो अभी शुरुआती दौर में ही है, ये कहां पर जाकर थमेगा कोई नहीं जानता।

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CBI की साख भी सवालों में

ट्रेनी डॉक्टर के साथ पक्के तौर पर हुई हैवानियत के मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है। बेशक सीबीआई देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी है। जिसकी किसी जमाने में तगड़ी साख हुआ करती थी। लेकिन बीते कुछ अरसे के दौरान इसी सीबीआई ने लोगों के दिलों से अपना भरोसा खोया भी है। ये सच है कि कोलकाता के इस संजीदा और जिंदा मामले को हाईकोर्ट के कहने पर सीबीआई को सौंपा गया था लेकिन ये नहीं भूलना चाहिए कि इसी सीबीआई ने आरुषि तलवार केस का क्या हाल किया था। या फिर इसी सीबीआई ने सुशांत सिंह राजपूत केस की कैसी छीछालेदर की थी। इसलिए सीबीआई इस केस में कितनी गहराई तक जाएगी और कब तक जाएगी, ये सब कोई नहीं बता सकता। ये केस कब तक चलेगा और कहां जाकर रुकेगा, इसका भी कोई अंदाजा नहीं है। 

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अस्पताल के बाहर Theories की लाइन

ये जरूर है कि इस कोलकाता केस के मामले में सिस्टम की बात सब कर रहे हैं। हर किसी ने सिस्टम को कोसने में जैसे मैराथन लगा रखी है। लेकिन ये भी सच है कि इस केस के सुराग और सबूत सब कुछ सबके सामने हैं, लेकिन उन्हें जबरदस्ती घुमाफिराकर मामले को पेंचीदा बनाने का सिलसिला अब शुरू हो गया है। अचानक अस्पताल के बाहर थ्योरियां ही थ्योरियां लाइन लगाकर खड़ी हो गईं। बस एक चीज जरूर ऐसी है जिस पर आकर सबकी नज़र और तफ्तीश के कदम रुक जाते हैं वो है इस केस का आरोपी। जिसके चेहरे पर कई नकाब चढ़े दिखाई पड़ रहे हैं। कुछ तो उतर गए मगर अभी कई उतरने बाकी हैं। 

संजय रॉय कहीं मोहरा तो नहीं?

हैवानियत की हद तक जाने वाली इस वारदात से ताल्लुक रखने वाले सवालों के जवाब जानने के लिए सीबीआई एक साथ कई रास्तों पर अपनी तफ्तीश आगे बढ़ा रही है। वो पुलिस के हाथों गिरफ्तार आरोपी संजय राय से भी पूछताछ करके सारा सच जानने की कोशिश में है। मगर साथ ही साथ ये भी पता लगाने की कोशिश हो रही है कि क्या संजय रॉय सिर्फ एक मोहरा है या फिर वाकई हैवान को भी हैरान करने वाले इस गुनाह का वो अकेला गुनहगार?
सीबीआई आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल रहे डॉ. संदीप घोष से भी कई बार पूछताछ कर चुकी है।

पेचीदिगियों से बचता सिस्टम

सीबीआई डॉक्टर का अपने सीनियर और बाकी कलीग्स के साथ उसके संबंधों समेत तमाम पहलुओं को जानने समझने की कोशिश कर रही है... सीबीआई के फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स इस मामले में सीन ऑफ क्राइम का मुआयना करने वाले कोलकाता पुलिस के फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स और ट्रेनी डॉक्टर की लाश का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर्स से भी पूछताछ कर रही है...जाहिर है पेंचीदिगियां अब बहुत हैं...और यहीं बात इस केस की सबसे बड़ी कमजोरी बन गई है, क्योंकि उन्हीं पेचीदिगियों की आड़ में सियासत भी शुरू हो गई, सिस्टम में बन चुके गड्ढ़ों को भी भरने की कवायद भी तेज हुई। कुछ लीपापोती का भी सिलसिला बना। कहा जाए तो यहां भी कायदे और कानून का मजाक उड़ाने में कोई कसर बाकी नहीं रही।  

क्या वाकई ट्रेनी डॉक्टर को इंसाफ मिलेगा?

इस वारदात के बाद गम और गुस्से के सैलाब ने पूरे मुल्क को अपनी चपेट में ले लिया है। कश्मीर से लेकर केरल तक देश भर के तमाम डॉक्टर भी अपना गुस्सा लेकर अस्पताल को छोड़कर सड़कों पर उछल रहे नारों में अपनी आवाज मिला रहे हैं। आलम ये है कि इस ताजा बने हालात ने सियासत को अच्छी खासी हवा दे दी है। नंबर बनाने और बिगाड़ने का एक नया और समानांतर खेल भी चल पड़ा है। मगर एक सवाल सभी के मन में है...सवाल ये कि क्या इस लड़की को इंसाफ मिल पाएगा? या फिर पुराने मामलों की तरह इस केस की फाइल भी सरकारी दफ्तरों में धूल फांकने लगेगी। 
 

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