ऐसे बचाया गया अफ़ग़ानिस्तान की रोबोटिक्स लड़कियों के ग्रुप को

ADVERTISEMENT

ऐसे बचाया गया अफ़ग़ानिस्तान की रोबोटिक्स लड़कियों के ग्रुप को
social share
google news

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पूरी दुनिया अफ़ग़ानियों की सुरक्षा को लेकर डरा हुआ है। ऐसी ही एक 60 साल की एक और महिला हैं जिनका नाम है एलिसन रेनो, इस महिला ने तबतक चैन की सांस नहीं ली जबतक की उसने अफगानिस्तान की लड़कियों की रोबोटिक्स टीम को बचाने में सफलता हासिल नहीं कर ली।

रेनो ने बताया कि वो इन लडकियों के लिए एक बचाव मिशन पर गईं थीं।रेनो 2019 में वार्षिक ह्यूमन टू मार्स सम्मेलन में पहुंची थीं वहीं पर उन्होंने उन लड़कियों के ग्रुप को से मिली थीं और उसी दौरान उनसे जुड़ गईं थी। उन लड़कियों की उम्र 16 से 18 वर्ष है - और वो सालों से उनके साथ संपर्क में हैं।

3 अगस्त की रात, 2016 में हार्वर्ड से अंतरराष्ट्रीय संबंधों और अमेरिकी अंतरिक्ष नीति में मास्टर डिग्री के साथ बैचलर डिग्री हासिल करने वाली रेनो ने दुनिया के दूसरी तरफ क्या हो रहा था किस कदर लोग तकलीफ़ में थे , ये जानने के बाद उनकी नींद उड़ चुकी थी। उनहोंने बताया कि "मुझे नहीं पता था कि मुझे इस मिशन को कैसे शुरू करना है, लेकिन मैं इससे पिछे नहीं हट सकती"

ADVERTISEMENT

इससे पहले कि तालिबान उन होनहार लडकियों के साथ कुछ बुरा करे उससे पहले उन्हें उन तक पहुंचना होगा।ये सोचकर रेनो ने ओकलाहोमा रिपब्लिकन सीनेटर ने सरकार से काफी मदद मांगी वहां से उन्हें कोई खास मदद नहीं मिली।

तब उन्हें उनकी एक रूम मेट की याद आई जिसका कतर में ट्रांसफर हो गया था। वहां पर कतर में यूएस एंबेसी के अंदर वो काम करती थी। और इनको इस बात की उम्मीद थी कि वो लड़कियों को रेस्क्यू करवाने में इनकी मदद कर देंगे उन्होंने रिक्वेस्ट की और लड़कियों के बारे में

ADVERTISEMENT

उनको सब कुछ बताया उनके पासपोर्ट को भी इकट्ठा किया आधी रात को वह एंबेसी गई और पूरी रात बच्चों के जो डॉक्यूमेंट एक जगह करती रहीं ताकी कोई भी दिक्कत ना आए उन लड़कियों को बचाने में ।

ADVERTISEMENT

और फिर फाइनली उन्होंने 9 अगस्त को कतर से उड़ान भरी । उनके दिमाग में बस यही चल रहा था कि कैसे भी कर तालिबान के उन लड़कियों तक पहुंचने से पहले वो उनतक पहुंच कर उनको बचा लें।साथ ही वो ये प्रार्थना कर रहीं थीं कि तालिबान उन तक ना पहुंचे।

रेनो ने कहा कि वो टीम की लड़कियों की मदद करने के लिए रोमांचित थी। "ये मिला हुआ मौका बहुत ही छोटा है। "मुझे पता था कि अगर मैं लड़कियों को बचाने का ये अवसर अगर खो देती तो तो फिर कुछ नहीं हो सकता था। अगर ये अभी नहीं तो कभी नहीं है। कभी-कभी आपको केवल एक ही मौका मिलता है।

"लड़कियां काबुल हवाई अड्डे से बाहर निकलने में सक्षम थीं और उन्हें बचाकर अमेरिका के "सुरक्षित स्थान" पर ले जाया गया, जहां वो अपनी आगे की पढ़ाई कर सकेंगी। आपको बता दें कि रेनो अभी भी और लड़कियों को बचाने की दिशा में काम कर रही हैं।

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT

    ऐप खोलें ➜