पुलिस की वर्दी उतारकर पहना 'बाबा' का चोला, सफेद Suit और Tie में देते हैं प्रवचन, सामने आ गई 'भोले बाबा' की पूरी कुंडली

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पुलिस की वर्दी उतारकर पहना 'बाबा' का चोला, सफेद Suit और Tie में देते हैं प्रवचन, सामने आ गई 'भोले बाबा' की पूरी कुंडली
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Hathras, UP: मंगलवार की शाम को जैसे ही सत्संग में भगदड़ के दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई, पूरे देश में हाहाकार मच गया। करीब शाम सवा चार बजे पहली खबर सामने आई कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग में हुई भगदड़ जिसमें कुचलकर महिलाओं और बच्चों की मौत हो गई। कुछ लोगों ने इस खबर को ये सोचकर उस वक्त नज़र अंदाज कर दिया कि शायद ये कोई छोटी मोटी भगदड़ है जिसमें बड़ी संख्या में लोग हताहत हो गए। लेकिन हर गुजरते पल के बाद ये गिनती बढ़नी शुरू हुई तो हालत खराब होने लगी। देखते ही देखते शाम होते होते ये आंकड़ा 100 को पार कर गया। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सन्नाटा छा गया। इस हादसे का सबसे खौफनाक पहलू ये था कि सत्संग में मची भगदड़ के बाद जब घायलों को पास के अस्पताल पहुँचाया गया तो वहां कहने को सिर्फ एक डॉक्टर और एक कंपाउंडर ही था। और दवा के नाम पर कुछ भी नहीं था। इससे हालात और भी ज्यादा भयानक हो गए। 

फरार हो गया बाबा

जिस वक़्त हादसा हुआ हरेक की जुबान पर एक ही सवाल था कि आखिर ये हादसा जहां हुआ वो कौन से संत महात्मा थे जिनका प्रवचन सुनने के बाद लोग उनकी चरण धूलि पाने के लिए लालायित हो गए, जिसने भगदड़ की शक्ल अख्तियार कर ली? हर कोई ये जानने को बेताब था कि वो पहुँचे हुए महात्मा कौन हैं जिनकी कृपा पाने के लिए लोगों ने उनके कदमों में अपनी जान की बाजी लगा दी। सबसे हैरानी की बात ये है कि हादसे के बाद से ही वो बाबा भोले न जाने कहां फरार हो गए जिनकी चरण धूलि पाने के लिए लोगों की जान निकल गई। 

सामने आ गई पूरी कुंडली

तब सामने आया एक पोस्टर जिसमें संत भोले बाबा और उनकी महिला का बखान था। ज्यादा देर नहीं लगी जब इन भोले बाबा की सारी कुंडली सामने आ गई। भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है जो उत्तर प्रदेश के कांशीराम नगर यानी कासगंज के पटियाली तहसील में बहादुर नगर गांव से ताल्लुक रखते हैं। मगर अपने भक्तों के बीच इस भोले बाबा को नारायण साकार हरि के नाम से भी पुकारा जाता है। इन बाबा की कुंडली में कई ऐसे ग्रह दिखाई दिए जिनसे उनका पूरा किरदार ही सामने आ गया। 

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18 साल तक LIU में किया काम

खुलासा यही हुआ है कि सूरज पाल पहले उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हुआ था।  और करीब 18 साल तक पुलिस के खुफिया विभाग यानी लोकल इंटेलिजेंस यूनिट जिसे एलआईयू भी कहा जाता है, वहां अपनी सेवाएं दीं। उनकी पोस्टिंग राज्य के दर्जन भर थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में रही है। लेकिन लोगों को वो गुप्तचर यानी इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) का पूर्व कर्मचारी ही बताते हैं। 1998 में वीआरएस लेने के बाद अचानक एक रोज सूरज पाल ने ऐलान किया कि उनका सीधा साक्षात्कार भगवान से हुआ। भगवान की प्रेरणा से उन्होंने जान लिया कि यह शरीर उसी परमात्मा का अंश है। बस तभी से खुद को आध्यात्म का सेवक बताकर उन्होंने लोगों को ज्ञान बांटने का धंधा शुरू कर दिया।

सफेद सूट में बांटते हैं ज्ञान

उन्होंने ऐलान किया कि वो अपने गांव में ही झोपड़ी बनाकर रहते हैं और उत्तर प्रदेश के अलावा आसपास के राज्यों में घूम कर लोगों को भगवान की भक्ति का पाठ पढ़ाते हैं। मजे की बात ये है कि भोले बाबा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत  देशभर में लाखों अनुयायी हैं। खास बात यह है कि इंटरनेट के जमाने में दूसरे साधु सतों और कथावाचकों से अलग ये बाबा सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं हैं, और बाबा का कोई आधिकारिक अकाउंट भी किसी प्लेटफॉर्म पर नहीं है। एक खास बात और जो सूरज पाल को दूसरे कथावाचकों और उनके रिवाज से अलग करता है, वो है भोले बाबा 'थ्री पीस सूट' में प्रवचन देते हैं। और वो भी सफेद रंग का सूट और सफेद रंग की टाई।

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मीडिया और सोशल मीडिया से दूर

सत्संग के दौरान उनके साथ उनकी पत्नी भी विराजमान रहती हैं। वैसे विश्व हरि भोले बाबा को अनुयायी भोले बाबा के नाम से पुकारते हैं। भोले बाबा और उनके अनुयायी मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं। भोले बाबा के एक भक्त ने बताया कि उनके जीवन में कोई गुरु नहीं है।लेकिन दुनिया को माया मोह का ज्ञान बांटने वाला बाबा के बारे में इनका विवादों से पुराना नाता रहा है।

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यौन शोषण का भी मुकदमा दर्ज है 'बाबा' पर

यूपी पुलिस के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने क्राइम तक पर ही बाबा की पूरी कुंडली खोलकर जमाने के सामने रख दी। विक्रम सिंह के मुताबिक सूरज पाल पर यौन शोषण समेत कई मुकदमें दर्ज हैं। 2 साल पहले भी जब देश में कोराना की लहर चल रही थी, उस समय उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में मई, 2022 में भोले बाबा का सत्संग का आयोजन किया गया था। तब जिला प्रशासन ने सत्संग में केवल 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी थी, लेकिन कानून की धज्जियां उड़ाते हुए उसमें 50,000 से ज्यादा लोग सत्संग में शामिल हुए थे। इस भीड़ की वजह से पूरे शहर की यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी। ऐसा ही कुछ हाल यहां सिकंदराराऊ थाना इलाके के गांव फुलरई में देखने को मिला, जहां भगदड़ के बाद मरने वालों की संख्या 116 से ऊपर बताई जा रही है। 

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