Bihar violence theory: हिंसा की आग में सुलगते बिहार का पूरा सच, तीन शहर और दो थ्योरी में छुपी असलियत
Bihar violence theory: बिहार को किसने आग के हवाले किया, वो किसका इशारा था जिसने बिहार के तीन तीन शहरों को बुरी तरह झुलसा कर रख दिया? किसकी साज़िश थी जिसने बिहार के अमन और चैन को हिंसा की आग में झोंक दिया। असल में रामनवमी की हिंसा के बाद अब इसी बा
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Bihar violence Theory: रामनवमी पर बिहार में साम्प्रदायिक हिंसा हुई। ये बात किसी से छुपी हुई नहीं है...। बिहार में हुई हिंसा और आगज़नी के बाद एक बाद बात हरेक की जुबान पर आती दिखाई दी कि आखिर अमन और चैन का दुश्मन कौन है? वो किसका इशारा था जिसने माहौल को हिंसा की आग में झुलसाने की साज़िश रची...।
बात निकली और दूर तलक गई भी। बिहार में हुई हिंसा को लेकर अब एक के बाद एक कई थ्योरी सामने आने लगी हैं।
बिहार में जो कुछ भी हुआ, उसकी तह में सिर्फ दो ही सच हैं...पहला मंदिर पर हमला हुआ...और दूसरा मदरसे पर हमला हुआ...इसके आगे का सच ये है कि आम लोगों के घर जले, दुकानें जली, नफरत के शोले उठे और इस सुलगती आग में जमकर सियासी रोटी सेंकी गई।
आरोप यही है कि बिहाक के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन वाले दावों को दंगाइंयों ने तार-तार कर दिया इसके बावजूद मुख्यमंत्री की नींद नहीं टूटी...।
आज तक के संवादादाता रोहित सिंह ने अजीजिया मदरसा पहंचकर वहां के भीतर का जायजा लिया तो जो मंजर दिखा वो भयानक था... अधजले पन्नों से उठता धुंआ वहां हुई बर्बादी की गवाही दे रहा था।
इंसानियत का सबक सिखाने वाली किताबें नामुराद दंगे की आग में जलकर राख में बदल रही थीं...दंगाईयों ने मदरसे की लाइब्रेरी..को आग के हवाले कर दिया था।
अजीजिया मदरसा का अपना इतिहास है...मगर अब इस इतिहास में एक नया पाठ जुड़ गया। वो अध्याय हैं दंगाइयों के कहर का... ऐसा नहीं है कि दंगाईयों का कहर सिर्फ मदरसे पर टूटा है। बिहार का एक और इलाका बिहार शरीफ हिंसा के जख्मों से कराह रहा है। दुकानों को आगे के हवाले कर दिया गया,गोदाम से लेकर गाड़िया तक जलाई गई,नफरत के शोलों से भगवान का घर भी नहीं बचा।
कई घंटों तक बिहार शरीफ में तबाही का तांडव जारी रहा, हालांकि अब खामोशी है...मगर अमन और शांति से ताल्लुक रखने वाले सवाल चीख रहे हैं..
सवाल यही कि आखिर माहौल कैसे बिगड़ा और किसने बिगाड़ा?
अगर वक्त रहते नालंदा का प्रशासन कुँभकरण की नींद नहीं सोया होता तो आज ऐसे हालात न होते,… इंटरनेट न बंद करना पड़ता, स्कूल कॉलेज में ताला नहीं लगाना पड़ता...कलेक्टर साहब के चेहरे पर हवाइंया नहीं उड़ रही होती...
आइये अब बिहार के नालंदा की बात करते हैं। नालंदा के एसपी हैं आशोक मिश्र। लेकिन इलाके के लोगों की बातों पर यकीन किया जाए तो तालीम के इस शहर को तबाही की आग में झोंकने के लिए पुलिस कप्तान की वर्दी ही कसूरवार है। यानी वर्दी ही दागदार है...जिले में लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने जिम्मेदारी थी, लेकिन अपनी जिम्मेदार निभाने में पूरी तरह फेल साबित हुए। पूरा शहर संगीनों के साए में जीने को मजबूर है, हर तरफ पुलिस का पहरा है..... और हर जुबां पर दंगों की आपबीती।
कल तक बिहार के सासाराम की जो गलियां खुशियों से गुलजार थी, आज वहां डर और दहशत का बसेरा है... दंगाई अपने मंसूबों में कामयाब हो गए और शहर के चेहरे दंगों की आग से बुरी तरह बदसूरत हो गए। किसी की दुकान लुट गई तो किसी का घर तबाह हो गया। पूरे इलाके में खौफ पसरा है, किसी को नहीं पता कि अगले पल क्या हो जाए-नफरत का अंधेरा कब छटेगा...कोई नहीं जानता...
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