Raju Srivastav : अमिताभ की वो फिल्म और ऑटो ड्राइवर से कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव बनने की पूरी कहानी

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Raju Srivastav Story : राजू श्रीवास्तव. सबको हंसाने वाला अचानक सभी को रुलाकर चला गया. राजू श्रीवास्तव क्राइम तक की कहानियां भी सुनते थे. वो एक तरह से क्राइम तक की फैमिली का हिस्सा थे. इस तरह क्राइम तक परिवार का एक सदस्य अब कम हो गया. लेकिन उनकी यादें हमेशा दिलों में जिंदा रहेगी. राजू श्रीवास्तव एक बेहद ही सामान्य परिवार से कॉमेडी की दुनिया में आए थे. वो जब कॉमेडी की दुनिया में तब स्टैंडअप कॉमेडियन नाम की कोई चीज नहीं थी.

हां, इतना जरूर था कि उस समय जॉनी वॉकर और महमूद कॉमेडी के शहंशाह थे. लेकिन ये सबलोग फिल्मों में कॉमेडी करते थे. जॉनी लीवर उस समय उभरते हुए कॉमेडियन थे. और वो धीरे-धीरे स्टैंडअप कॉमेडियन की दुनिया में नाम कमा रहे थे. उसी दौरान मुंबई में राजू श्रीवास्तव भी आए थे. लेकिन शुरू से राजू का नाम यही नहीं था.

 राजू श्रीवास्तव का जन्म 25 दिसंबर 1963 को कानपुर के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. इनके पिताजी का नाम रमेश चंद्र श्रीवास्तव था. वो खुद क कवि थे. स्टेज पर कविता पाठ करते थे. लोग उन्हें बलाई काका के नाम से जानते थे. बचपन में राजू श्रीवास्तव का नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव था. अपने पिता से उन्हें स्टेज शो करना एक तरह से विरासत में मिला था. लेकिन परिवार के लोग ना कभी उन्हें फिल्म देखने देते थे. और ना एक्टिंग की तरफ कोई रुझान था. लेकिन अमिताभ बच्चन वो नाम है जिनकी वजह से राजू श्रीवास्तव कॉमेडी की दुनिया में कदम रख सके थे. वो खुद इस बात को कई इंटरव्यू में कह चुके हैं.  

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Comedian Raju Srivastava Story in hindi by Shams Tahir Khan

राजू श्रीवास्तव ने अपनी रियल लाइफ (Raju Srivastava Real Life) के बारे में एक इंटरव्यू में कहा था कि हमारा कोई गॉड फादर नहीं था. ना बॉलीवुड में. और ना मुंबई में. स्ट्रगल के दिनों में सबसे पहले राजू श्रीवास्तव को मशहूर कव्वाल शंकर शंभू जी ने रहने के लिए घर दिया था. राजू श्रीवास्तव कहते थे कि कव्वाल शंकर शंभू जी ने पहली बार मुझे 2 महीने तक फ्री में रहने को घर दिया था. इसके बाद जॉनी लीवर मुझे घर ले गए थे. वो कहीं पर मुझे छोटा स्टेज शो करते हुए देख लिए थे. इसके बाद मुझे घर ले गए थे. उस समय जॉनी लीवर को काम मिलने लगा था. मैं स्ट्रगल कर रहा था. वो मुझे घर ले गए थे. और काफी समय तक रखा.

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राजू श्रीवास्तव कैसे कॉमेडियन बने, कानपुर से मुंबई का सफर

Raju Srivastav Kanpur to Mumbai Story : कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव की लाइफ स्टोरी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. कानपुर की गलियों से निकलकर मुंबई में स्टार कॉमेडियन बनने तक के सफर के बारे में राजू श्रीवास्तव ने खुद बताया था. वो कहते थे कि पहले स्टैंडअप कॉमेडियन नाम की कोई चीज नहीं थी. फिल्मों में कॉमेडियन होते थे लेकिन स्टेज पर कभी कोई अकेले खड़ा होकर कॉमेडी नहीं करता था.

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मैं बचपन से ही हंसी मजाक करता था. लेकिन ये सोचा नहीं था कि कभी मुंबई चला जाऊंगा. क्योंकि मेरे घर में तो फिल्म देखने तक की मनाही थी. घर में किसी नाटक में काम करने के लिए भी मनाही थी.

अमिताभ की दीवार फिल्म ने ऐसे बनाया कॉमेडी किंग

Raju Srivastava Real Story in hindi : मुंबई आकर मिमिक्री करने और कॉमेडियन बनने के पीछे अमिताभ बच्चन जी का बड़ा हाथ है. राजू श्रीवास्तव ने बताया था कि असल में मैंने जिंदगी की पहली फिल्म दीवार देखी थी. उन दिनों मैं कानपुर में 8वीं में पढ़ाई करता था. घरवाले फिल्म देखने के लिए मना करते थे. कहते थे कि 10वीं में अच्छे नंबर से पास हो जाओगे तब फिल्म देखने का मौका मिला. असल में दोस्तों ने कहा था कि फिल्म कभी कभार देख सकते हैं. इसलिए बड़ी हिम्मत करके और पैसे जुटाकर सिनेमा चला गया. 1 रुपये 90 पैसे का टिकट लेकर वहां अमिताभ बच्चन की दीवार देखी. जिंदगी की पहली फिल्म. बड़ा सिनेमा हॉल.

अब दीवार देखकर जब सिनेमा हॉल से बाहर निकला तो वैसे ही अमिताभ बच्चन की तरह कमर पर हाथ रखकर बाहर निकला. शर्ट बांध ली. अगले दिन स्कूल पहुंचते ही बोला... आज खुश तो बहुत होगे...जो आजतक मंदिर की सीढ़ियां नहीं चढ़ी वो आज दोनों हाथ फैलाए खड़ा है...बिल्कुल अमिताभ बच्चन की आवाज में ये सुनते ही सभी क्लास वाले दोस्त तालियां बजाने लगे. इसके बाद तो दोस्त किसी के बर्थडे में ले जाकर डायलॉग बुलवाने लगे. और मुझे मजा आने लगा. इस तरह धीरे-धीरे कॉमेडी की तरफ कदम बढ़ने लगे. और फिर वो भी दिन आया कि मुंबई के लिए ट्रेन पकड़ ली.

Raju Srivastav Kahani : राजू श्रीवास्तव ने एक इंटरव्यू में बताया था कि आखिर ऑडियो कैसेट ने मुझे लोगों के दिल तक पहुंचा दिया था. उन्होंने बताया कि जब मैं मुंबई आकर स्ट्रगल कर रहा था तब एक स्टेज शो में कुछ मिनट की कॉमेडी मिली थी. उस शो में मुख्य गायिका अनुराधा पौडवाल जी थीं. उस कार्यक्रम में गुलशन कुमार जी भी थे. उन्होंने मुझे सुना तो पूछा कि जो ये तुम कॉमेडी कर रहे हो उसे आधे घंटे लगातार कर सकते हो क्या. तो मैंने कहा था. हां, कर सकता हूं. इसके बाद उन्होंने कहा कि मैं एक ऑडियो कैसेट निकालुंगा. तब मैंने कहा था कि गानों और फिल्मों का कैसेट बनता है. ये हंसी-मजाक का भी बनता है क्या. तब गुलशन जी ने कहा था कि हां मैं बनाऊंगा. इसके बाद हंसना मना है... नाम से एक कैसेट रिलीज हुआ. वो कैसेट से मेरी आवाज लोगों तक पहुंच गई. कई बार मैं ऑटो में जाता था तो लोग कहते थे कि ये कोई श्रीवास्तव है खूब हंसाता है. लेकिन मुझे लोग पहचानते नहीं थे.

राजू श्रीवास्तव एक बार का एक किस्सा बताते हुए कहा था कि वो ट्रेन से कानपुर जा रहे थे. ट्रेन में लोगों से बात करते हुए कॉमेडी और मिमिक्री सुनाने लगे. तब एक व्यक्ति ने कहा था कि अरे सुनो तुम्हारे लिए एक काम है. मैंने पूछा क्या है. तब बताया कि एक टी-सीरीज का कैसेट आया है. उसमें भी कोई ऐसे ही कॉमेडी सुनाता है. मेरे पास टी-सीरीज (T-Series) का एड्रेस है और वहां जाकर तुम भी उसी कैसेट में काम मांग लो. अच्छा कमाने लगोगे.

एक जमाने में ऑटो भी चलाया था राजू ने : कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि एक जमाने में राजू श्रीवास्तव मुंबई में आकर ऑटो भी चलाने को मजबूर हुए थे. वो एक शो के लिए 50 रुपये तक लेते थे. क्योंकि इससे ज्यादा पैसे कोई देने को तैयार नहीं था. उत्तर प्रदेश के कानपुर में पैदा हुए राजू श्रीवास्तव 1988 में अपनी आंखों में कामयाबी के सपनों को लेकर सपनों की नगरी मुंबई पहुंचे थे. कहते हैं कि वो फिल्मों में काम पाने के लिए संघर्ष के दौरान ऑटो ड्राइवरों को ही इकट्ठा करके उन्हें ही कॉमेडी सुनाया करते थे. टी-सीरीज पर उनका ऑडियो कैसेट आने के बाद स्टैंडअप कॉमेडी के लिए काम मिलने लगा था. शुरुआत जॉनी लीवर से हुई और फिर धीरे-धीरे राजू श्रीवास्तव का भी नाम उभरने लगा था.

इसी बीच राजू श्रीवास्तव का एक सपना साकार हो गया जब उन्हें 1988 में आई अनिल कपूर की तेज़ाब फिल्म में एक मेहमान भूमिका मिल गई. हालांकि वो रोल बहुत छोटा था जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित नहीं कर सका, लेकिन राजू श्रीवास्तव का यहां से फिल्मी सफर जरूर शुरू हो गया था.

क़रीब एक साल तक धक्के खाते खाते एक रोज राजू श्रीवास्तव को फिल्मी पर्दे पर आने का एक और मौका मिला जब सलमान खान की डेब्यू फिल्म... मैंने प्यार किया... में उन्हें ड्राइवर का एक छोटा रोल मिला.

लॉफ्टर चैलेंज शो ने राजू को पूरी दुनिया का कॉमेडी किंग बना दिया

Comedy King Raju Srivastva: फिल्मों में आने के बाद साल 1993 में आई शाहरुख खान की बाज़ीगर फिल्म ने राजू श्रीवास्तव को फिल्मों के पर्दे पर भी उन्हें पहचान दिलाने में अहम रोल निभाया. इसके बाद तो राजू श्रीवास्तव हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे और एक के बाद एक 15 फिल्में पूरी कर डालीं. उसी दौरान छोटे पर्दे पर द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज का कार्यक्रम शुरू हुआ. ये कार्यक्रम कॉमेडी की दुनिया का किंग बना. और इस प्रोग्राम ने राजू श्रीवास्तव को कामयाबी और शोहरत की बुलंदी तक पहुंचा दिया. द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज ही वो शो था जिसमें राजू श्रीवास्तव को दुनिया ने गजोधर भैया वाली पहचान दिलाई. कई लोग तो उन्हें राजू नहीं बल्कि गजोधर भैया ही कहने लगे थे. लेकिन वही गजोधर भैया अब हमारे बीच नहीं रहे. लेकिन उनकी हंसी हमेशा हमलोगों के दिलों दिमाग में गूंजती रहेगी.

राजू श्रीवास्तव की लव स्टोरी

 Raju Srivastav Love Story : राजू श्रीवास्तव की शादी की कहानी भी फिल्मी है. असल में इसकी शुरुआत होती है एक शादी कार्यक्रम से ही. असल में अपने भाई की शादी में उन्होंने पहली बार शिखा को देखा था. उसी समय राजू को प्यार हो गया था. उस समय राजू सिर्फ दोस्तों के बीच कॉमेडी किया करते थे. इस बारे में अपने भाई को बताया तो पता चला कि पहले कुछ कर लो फिर शादी होगी. लेकिन शिखा से उनकी जान पहचान हो गई.

इसके बाद वो शिखा को लेटर लिखकर बात किया करते थे. लेकिन शादी के लिए उन्हें 12 साल का इंतजार करना पड़ा था. क्योंकि 1982 में ही वो मुंबई में अपनी किस्मत आजमाने चले आए थे. जबकि शादी 17 मई साल 1993 में हुई थी. शादी के कई साल बाद साल 2005 में दि ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज ने पूरी दुनिया में पहचान दिलाई थी. वो पहचान आज भी है और कल भी रहेगी.

गजोधर भैया नाम कहां से आया?

असल में गजोधर नाम का एक असली शख्स रहा है. वो राजू श्रीवास्तव के ननिहाल में नाई थे. ये उनकी आदतें देखकर वो असली कैरेक्टर में दुनिया के सामने पेश किया. गजोधर कैरेक्टर लोगों के जेहन में है. यहां तक की लोग राजू श्रीवास्तव को गजोधर भैया भी कहने लगे थे. कई कॉमेडी में गजोधर का कैरेक्टर कभी ट्रेन में करते हुए दिखे तो कभी किसी नेता की मिमिक्री करते देखे गए.

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