क्या बरक़रार रहेगी 'राजा भैया' की चुनावी रंगबाज़ी? इस बार है जीत का 'सत्ता' लगाने की तैयारी
will raja bhaiya be able to win this assembly election consecutively seventh time
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प्रतापगढ़ से सुनील यादव के साथ सुप्रतिम बनर्जी की रिपोर्ट
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया. यूपी में शायद ही कोई ऐसा होगा, जिसने ये नाम ना सुना हो. फिर चाहे वो बात यूपी की सियासत की हो या फिर बाहुबलियों की, राजा भैया का ज़िक्र किए बग़ैर बात पूरी नहीं हो सकती. यही राजा भैया अब यूपी के विधान सभा चुनाव में फिर से चुनावी रंगबाज़ी दिखाने को तैयार हैं. वो अपने पारंपरिक सीट यानी प्रतापगढ़ के कुंडा विधान सभा से अपनी ही पार्टी यानी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से ख़म ठोक रहे हैं, जबकि बीजेपी और एसपी ने उनके ख़िलाफ़ अपने प्रत्याशी उतार कर उन्हें चुनौती दे दी है.
जीत का 'सिक्सर' लगा चुके हैं 'राजा भैया'
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राजा भैया ने 1993 में पहली बार चुनावी राजनीति में क़दम रखा था. या यूं कहें कि अपनी चुनावी रंगबाज़ी की शुरुआत की थी. लेकिन इसके बाद कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. तब से लेकर आज तक वो लगातार 6 विधान सभा चुनावों में जीत हासिल कर चुके हैं. यानी जीत का 'सिक्सर' लगा चुके हैं. देखना ये है कि इस विधान सभा चुनाव में भी वो अपना यही रिकॉर्ड बरक़रार रखते हुए जीत का 'सत्ता' लगा पाते हैं या नहीं!
क्या 'राजा भैया' सचमुच दुश्मनों को मगरमच्छों के सामने डाल देते हैं?
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वैसे तो राजा भैया के ख़िलाफ़ क़त्ल, अपहरण, क़त्ल की कोशिश, वसूली समेत कई तरह के संगीन जुर्म के मामले दर्ज और खारिज होते रहे हैं. कभी उन पर चालीस से ज़्यादा मुक़दमे दर्ज थे, लेकिन इस बार नामांकन के दौरान उन्होंने जो अपनी तरफ़ से जो हलफ़नामा दिया है, उसके मुताबिक उनके ख़िलाफ़ फिलहाल सिर्फ़ एक ही मामला है. लेकिन राजा भैया को लेकर जो एक बात सबसे ज़्यादा सुनी सुनाई जाती रही है, वो है उनका अपने दुश्मनों को घड़ियालों और मगरमच्छों को खिला देना.
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असल में उनके घर बेंती कोठी के पीछे 600 बीघा इलाक़े में एक तालाब है. जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कई घड़ियाल पाल रखे थे. क़िस्सा ये है कि अपने दुश्मनों को मार कर वो इसी तालाब में मौजूद घड़ियालों के सामने फेंक दिया करते थे. हालांकि राजा भैया इन इल्ज़ामों को झुठलाते हैं. उनका कहना है कि उनका तालाब बड़ा है और गंगा के किनारे है. ऐसे में कई बार गंगा से घड़ियाल और मगरमच्छ तालाब में चले आते हैं.
किसी भी दूसरे सियासतदान की तरह राजा भैया भी सत्ता के दूर पास होते रहे हैं. मायावती ने अपने राजा पर उन पर 'पोटा' लगा दिया था. वो अखिलेश राज में मंत्री भी रहे. लेकिन इसी बीच 3 मार्च 2013 को कुंडा के तत्कालीन सीओ का क़त्ल हो गया. जिसमें राजा भैया का नाम भी उछला. मामला इतना बढ़ा कि जांच सीबीआई के हवाले करनी पड़ी. राजा भैया की कुर्सी भी चली गई. लेकिन सीबीआई ने इस मामले में आख़िरकार उन्हें क्लीन चिट दे दी.
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