महिलाओं को बुर्के में क्यों रखना चाहता है तालिबान?
अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban) की सरकार है, और तालिबान शरिया कानून का हिमायती है। वही शरिया कानून जिसका हवाला देकर तालिबानी महिलाओं को बुर्के में समेट कर घर में कैद करना चाहता है
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मुसलमानों में जिन कुछ कट्टरपंथियों ने महिलाओं को बुर्के से ढांक दिया क्या वो असल में इसका मतलब समझते भी हैं? क्या वो बुर्के की आड़ महिलाओं की आज़ादी का सौदा कर रहे हैं। उन्हें आगे बढ़ने से रोक रहे हैं। कुरान, हदीस और शरिया पर जाने से पहले ये जानते हैं कि आखिर बुर्का है क्या और ये लफ्ज़ आया कहां से?
ईरान में औरतों का बुर्का
बुर्का शब्द का प्रचलन ईरान से आया है, जब इस्लाम मजहब ईरान में आया तब उन लोगों ने वहां के प्रचलित परिधान को अपना लिया और धीरे-धीरे ये वहां महिलाओं का परिधान बन गया। लेकिन क्या ईरान में औरतें पर्दा वैसे ही करती हैं जैसे अफगानिस्तान में तालिबानी लोग महिलाओं से कराना चाहते हैं। ऊपर लगी तस्वीर को देखिए, ईरान में महिला पर्दा ज़रूर करती हैं लेकिन ये पर्दा उनके बालों का होता, और वो ये पर्दा करते हुए दफ्तरों और दूसरी जगहों पर नौकरी भी करती हैं। स्कूल कॉलेज भी जाती हैं।
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अफगानिस्तान में बुर्का
ये अफगानिस्तान में महिला का बुर्का है, ना महिला को कोई देख सकता है और ना महिला ही किसी को देखने के काबिल बचती है। तालिबानी चाहते हैं कि अफगानिस्तान में महिलाएं ऐसा बुर्का पहनें। घरों में रहें और घर से बाहर ना निकलें, निकलना हो तो किसी मर्द को साथ लेकर निकलें। महिलाओं को स्कूल कॉलेज जाने की ज़रूर नहीं है। दफ्तरों में काम करने की बात तो खैर छोड़ दीजिए।
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महिलाओं के पर्दे पर क्या कहता है कुरान?
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मुस्लिमों की धार्मिक किताब कुरान में बुर्के के बारे में क्या लिखा है, महिलाओं के लिए बुर्का पहनने की असली वजह क्या है? दरअसल, इस आसमानी किताब में महिला और पुरुष को कैसे कपड़े पहनने चाहिए, इसका जिक्र किया गया है। महिलाओं के लिए लिखा गया है कि उन्हें ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जो बेढंगे ना हो, या मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने वाले ना हों। जिस्म पर टाइट कपड़े ना पहनें, सिर ढका होना चाहिए और कपड़े शालीन होने चाहिए ताकि गैर-मर्द उनकी तरफ आकर्षित ना हों। हालांकि कुरान में बुर्का शब्द का कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया गया।
कुरान में पुरुषों के पर्दे का भी ज़िक्र है!
कुरान के जानकार मानते हैं कि उसमें सिर्फ महिलाओं के ही नहीं बल्कि पुरुषों के पर्दे का भी ज़िक्र है मगर किसी भी पुरुष या उलेमाओं को उस पर्दे की कभी परवाह नहीं रही। कुरान में ज़िक्र है कि मां, बहन, बीवी, बेटी और रिश्तेदारों को छोड़कर मर्द को किसी गैर महिलाओं को नहीं देखना चाहिए। उसे आंखों का पर्दा करना चाहिए लेकिन क्या आपने किसी मर्द को इस बारे में बात करते हुए सुना है।
हिजाब और बुर्के में क्या अंतर है?
इस मुद्दे पर शुरू से ही इस्लामी विद्वानों में ख़ासी बहस चलती रही है कि महिलाओं और पुरुषों के लिबास की सही परिभाषा क्या होनी चाहिए। इसी बहस के बीच दो शब्द निकले हैं जिनमें से एक हिजाब और दूसरा नक़ाब। हिजाब एक अरबी भाषा का शब्द है जिसका मतलब है सिर ढंकना और नक़ाब का मतलब है पूरी तरह से शरीर को ढंकना, जिसे बुर्का भी कहा जा सकता है।
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