Panjshir Valley : सिर्फ एक तस्वीर ही अहसास करा देगी क्यों कहते हैं इसे शेरों की घाटी

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पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. ये कहावत तो कई बार सुनी होगी. लेकिन ऐसे मौक़े कम ही आते हैं जब हौसले देखने को मिलते हैं. लेकिन इस फोटो को देखकर ये समझ जाएंगे कि वाकई हौसला और जज्बा इसे ही कहते हैं. और जब ये हौसला उस वक़्त दिखे जब बात देश की रक्षा की हो. बात आत्मस्वाभिमान की हो.

बात आज़ादी की हो. तो फिर वाकई यही हौसले उड़ान भरते हैं. ना सिर्फ उड़ान ही बल्कि कामयाबी की मंजिल भी तय करते हैं. और इस मंजिल की राह में रोड़ा चाहे कोई आतंकी ही क्यों ना बने. वो भी एक ना एक दिन बौना साबित हो जाता है.

यही आलम है अफ़ग़ानिस्तान के पंजशीर इलाक़े का. पंजशीर यूं ही नहीं शेरों का इलाक़ा बन गया. वाकई यहां इंसान के रूप में जिंदा शेर रहते हैं. ये तस्वीर देखकर आप ख़ुद इसे महसूस कर सकते हैं.

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पंजशीर प्रांत ने किया है ट्वीट

इसी तस्वीर को ही देखिए. इसे पंजशीर प्रांत की तरफ से ट्वीट किया गया है. इस तस्वीर में दिखाई दे रहे शख्स पंजशीर के लड़ाके हैं. एक पैर नहीं है. दोनों हाथों में बैसाखी है. और पीठ पर आधुनिक हथियार है.

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अगर चाहते तो ये ख़ुद को अपाहिज समझ बैठ सकते थे. चुप रहकर सिर्फ तमाशा देख सकते थे. लेकिन ऐसा नहीं किया. क्योंकि ये वक़्त चुप बैठने का नहीं. बल्कि देश के लिए लड़ने का है. शायदी ऐसे ही लोगों का हौंसला है जिसकी वजह से पंजशीर में तालिबान को हर बार मुंह की खानी पड़ रही है.

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पंजशीर के शेरों ने तालिबान के 50 लड़ाकों को मारा, 20 को बनाया बंधक

अभी पंजशीर में तालिबान से जारी है जंग

तालिबान और पंजशीर में लगातार जंग जारी है. तालिबान ने ट्विटर पर कहा है कि स्थानीय अधिकारियों ने शांतिपूर्ण तरीके से पंजशीर सौंपने से इनकार कर दिया. इसके बाद ही तालिबान ने लड़ाके भेजकर पंजशीर पर हमला किया. हालांकि, तालिबान ने दावा किया कि पंजशीर के तीन जिलों पर कब्जा कर लिया है.

इसके अलावा ये भी पता चला कि तालिबान ने 20 से ज्यादा बच्चों को बंधक बना लिया है. इसके कुछ घंटे बाद पंजशीर की तरफ से हमला तेज कर दिया गया और शाम तक ये दावा किया गया कि तालिबान के 50 लड़ाके मारे गए और 20 से ज्यादा को दबोच लिया गया है. हालांकि, 23 अगस्त की देर रात तक जंग जारी थी.

क्या है पंजशीर का इतिहास?

पंजशीर का नाम यहां की एक कहावत से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि 10वीं शताब्दी में, पांच भाई बाढ़ के पानी को काबू करने में कामयाब रहे थे। उन्होंने गजनी के सुल्तान महमूद के लिए एक बांध बनाया, ऐसा कहा जाता है। इसी के बाद से इसे पंजशीर घाटी कहा जाता है। यानी पांच शेरों की घाटी।

पंजशीर घाटी काबुल के उत्तर-पूर्व में हिंदू कुश में है। ये इलाका 1980 के दशक में सोवियत संघ और फिर 1990 के दशक में तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध का गढ़ था। अभी तक की तारीख ये कहती है कि इस इलाके को कभी जीता नहीं जा सका है। न सोवियत संघ, न अमेरिका और न तालिबान इस इलाके पर कभी काबू कर सका।

पंजशीर के शेरों के सामने घुटनों पर आए रुसी और तालिबान अफगानिस्तान की इस घाटी पर आजतक नहीं हुआ कब्जा

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