ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री नब किशोर दास की 3 महीने से हो रही थी कत्ल की साजिश
ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री नब किशोर दास के कत्ल की थी 3 महीने से साजिश
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ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री नब किशोर दास के क़त्ल के मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच की टीम से पूछताछ में क़त्ल के आरोपी ओडिशा पुलिस के एएसआई गोपाल कृष्ण दास ने कहा है कि वो करीब तीन महीनों से मंत्री नब किशोर दास का कत्ल करना चाहता था। क्योंकि दास ने झारसुगुडा का माहौल खराब कर रखा था। उसकी दबंगई से खुद इलाके के पुलिसवाले भी घबराते थे। ऐसे में उसे लगता था कि जब तक वो मंत्री की जान नहीं लेगा, तब तक झारसुगुडा के लोग चैन की नींद नहीं सो पाएंगे। पूछताछ में आरोपी ने कहा है कि उसने नब किशोर दास को मारने के लिए ना सिर्फ़ पूरी तैयारी की थी, बल्कि कई बार अपनी पिस्टल कॉग करके उसके करीब पहुंच चुका था, लेकिन सही मौका नहीं मिलने की वजह से उसने अपना इरादा टाल दिया।
क्राइम ब्रांच के सूत्रों ने साफ किया है कि कत्ल की तैयारी के तौर पर उसने झारसुगुडा में मौजूद अपने भाई के होटल को भी एक दिन पहले बंद करवा दिया था। पुलिस ने आरोपी गोपाल कृष्ण दास के भाई सत्या को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की है।उधर, आरोपी की निशानदेही पर सेप्टिक टैंक से बरामद कागज के टुकड़ों का राज अभी भी साफ नहीं हो सका है। मामले की जांच में पुलिस की मदद कर रही सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबरोटरीज ने आरोपी गोपाल कृष्ण दास की हैंडराइटिंग का सैंपल कलेक्ट किया है, ताकि उसकी लिखे हैंडनोट से उसकी हैंडराइटिंग को मैच करवा कर ये देखा जा सके कि वो नोट वाकई गोपाल कृष्ण दास का ही लिखा है या फिर किसी और का? हालांकि सेप्टिक टैंक में पानी में टुकड़ों में गल चुके नोट में लिखी बातें अभी तक फॉरेंसिक एक्सपर्ट पूरी तरह से पढ़ नहीं पाए हैं।
ओडिशा पुलिस के एएसआई गोपाल कृष्ण दास ने 29 जनवरी को मंत्री नब किशोर दास की प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मार कर जान ले ली थी। और गिरफ्तारी के बाद उसने झारसुगुड़ा एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन के टॉयलेट में अपने हाथों से लिखा एक हैंड नोट फ्लश कर दिया था। बाद में पूछताछ के दौरान उसने बताया कि इस हैंड नोट में उसने क़त्ल की वजह लिखी थी, क्योंकि उसे डर था कि मंत्री की हत्या करने के बाद उसे भी मार डाला जाएगा।
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वो क़त्ल, जो दिन दहाडे सैकडों लोगों की आंखों के सामने हुआ... वो क़त्ल, जिसका मुल्जिम रंगे हाथों मौका ए वारदात से पकड़ लिया गया... वो क़त्ल, जिसने सिर्फ ओडिशा ही नहीं बल्कि पूरे देश को दहला कर रख दिया... पुलिस अब उसी ओपन एंड शट केस के सबूत एक टॉयलेट के पीछे बने सेप्टिक टैंक के अंदर ढूंढ रही है... रात के अंधेरे से लेकर दिन के उजाले तक क्राइम ब्रांच और सफाईकर्मियों की टीम सेप्टिक टैंक के अंदर मैराथन सर्च ऑपरेशन चला रही है... टॉर्च की रौशनी में कभी खुरपी से तो कभी जाली से टैंक का कोना-कोना छान रही है... जी, आपने बिल्कुल ठीक समझा ओडिशा पुलिस कुछ इसी तरह मंत्री नब किशोर दास के कत्ल का राज जानने की कोशिश कर रही है... इसके पीछे की साजिश का पता लगा रही है...
अब आप पूछेंगे कि भला जिस मामले में मुल्जिम हाथोंहाथ गिरफ्तार कर लिया गया हो, जिसकी जांच ओडिशा पुलिस की क्राइम ब्रांच के टॉप अफसरों की टीम कर रही हो और जिस मामले की तफ्तीश का सुपरविजन खुद सूबे के एडीजी कर रहे हों, उस मामले की तह तक पहुंचने के लिए आखिर पुलिस को इतने पापड़ क्यों बेलने पड़ रहे हैं? और सबसे अहम तो यही है कि आखिर ऐसे किसी मामले के सबूत सेप्टिक टैंक के अंदर कैसे पहुंच सकते हैं? तो इसके लिए आपका चार रोज़ पीछे यानी रविवार 29 जनवरी के दिन लौटना जरूरी है... जब ओडिशा पुलिस ने नब किशोर दास को गोली मारने के फौरन बाद अपने ही महकमे के मेंबर एएसआई गोपाल कृष्ण दास को गिरफ्तार कर लिया था...
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दरअसल, उस रोज़ गोपाल कृष्ण दास को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उसकी सुरक्षा के मद्देनजर उसे शहर की भीड़-भाड़ से दूर झारसुगुड़ा एयरपोर्ट के पुलिस स्टेशन में शिफ्ट कर दिया था और यहीं उससे क़रीब साढे चार घंटे तक पूछताछ भी हुई थी... लेकिन इसके बाद जब उसे आगे की पूछताछ के लिए एक दूसरे ठिकाने पर ले जाया गया, तो दास ने जो खुलासा किया, उसे सुन कर पुलिस भी हक्की-बक्की रह गई... सूत्रों की मानें तो दास ने पूछताछ करनेवाले अफ़सरों से कहा,
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"मुझे डर था कि मंत्री को गोली मारने के बाद उसके समर्थक या पुलिस मौके पर ही मेरी जान ले लेगी। मुझ पर हमला होगा। इसलिए मैं पूरी तैयारी से नब किशोर दास का कत्ल करना चाहता था... और कुछ इसी इरादे से मेरे मन में चल रही सारी बातों को और मंत्री को मारने की वजह को मैंने एक नोट में लिख रखा था। ताकि अगर मैं मंत्री को गोली मारने के तुरंत बाद मारा जाऊं, तो मेरी जेब से वो नोट बरामद हो और सारा सच दुनिया के सामने आ जाए। लेकिन अब जबकि पुलिस ने मुझे मौका ए वारदात से जिंदा और सही-सलामत गिरफ्तार कर लिया है, तो मैंने अपने हाथों से लिखे उस नोट को थाने के वॉशरूम में ही फ्लश कर दिया है। ताकि अब वो राज़ कभी भी बाहर ना आ सके।"
मंत्री के कत्ल के आरोपी एएसआई गोपाल कृष्ण दास के इस खुलासे के साथ ही क्राइम ब्रांच की अफ़सरों के होश उड़ गए। कुछ देर के लिए उन्हें समझ में नहीं आया कि आखिर ऐसा कैसे हो गया? लेकिन जब पुलिसवालों ने ये याद किया एयरपोर्ट थाने में लाए जाने के फौरन बाद ही वो कुछ देर के लिे वॉशरूम गया था, तो पुलिस को पूरी बात समझने में देर नहीं लगी। अब क्राइम ब्रांच की एक टीम फौरन उल्टे पांव एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन पहुंची, जहां उसने टॉयलेट के फ्लश से लेकर उसके पीछे बने सेप्टिक टैंक में सर्च आपरेशन चलाना शुरू किया। और आपको जानकर हैरानी होगी कि घंटों चले इस तलाशी अभियान के बाद पुलिस ने टुकडों में तब्दील एक कागज के कम से कम हिस्से बरामद किए।
यानी अब तक की तफ्तीश से ऐसा लगता है कि आरोपी गोपाल कृष्ण दास और नब किशोर दास के बीच कुछ तो ऐसा जरूर था, जो शायद इन दोनों को ही पता था। गोपाल कृष्ण अपनी मौत के बाद तो वो वजह दुनिया को बताना चाहता था, लेकिन अब जीते जी वो इस राज़ को शायद हमेशा-हमेशा के लिए राज ही रहने देना चाहता है। सवाल ये है कि आखिर वो बात क्या है?
अब चुनौती ये है कि घंटों तक पानी में पडे होने की वजह से कागज के ज्यादातर टुकडे या तो गल चुके हैं या फिर गलने लगे हैं... ऐसे में उन टुकडों को सही-सलामत बरामद करना और उनमें लिखे अल्फाज को पढ कर साजिश का पता लगाना क्राइम ब्रांच के लिए भी एक नई चुनौती बन गया है... टुकडों को आपस में जोडना, सही सिक्वेंस तैयार करना जितनी बडी चुनौती है, उससे बडी चुनौती पेपर से मिट चुके अक्षरों को पढ पाने में की है... जानकारों की मानें तो अगर आरोपी ने वो नोट किसी डॉट पेन से लिखा है, फिर तो उससे कुछ तथ्यों के हासिल होने की उम्मीद बनती है, लेकिन अगर ये सबकुछ उसने इंक पेन या फिर जेल पेन से लिखा है, तो फिर उन कागज के टुकडों से सच पता लगाना भूसे के ढेर से सुई ढूंढने जैसा साबित हो सकता है...
अब आप पूछेंगे जो शख्स पहले ही पुलिस की गिरफ्त में हो, पुलिस आखिर उससे कत्ल का राज क्यों नहीं उगलवा पा रही है? सच्चाई जानने के लिए आखिर उसे सेप्टिक टैंक में फेंके गए कागज के इन टुकड़ों की ऐसी क्या जरूरत है? तो इसके दो जवाब सामने आते हैं। अव्वल तो आरोपी चूंकि खुद ही एक पुलिसवाला है, उसे इंटैरोगशन से बचने का तौर तरीका भी खूब पता है और वो अपने साथी पुलिसवालों को पूरी तरह से छकाने और बरगलाने में लगा है... ऊपर से जिस आदमी को किसी का कत्ल करने के बाद अंजाम के तौर पर अपनी मौत भी कबूल हो, उस आदमी से सच उगलवा पाना इतना आसान नहीं है... क्योंकि उसकी करतूत ही बताती है कि उसकी मानसिकता सिर पर कफन बांध कर चलनेवाली है... इसके अलावा कत्ल का राज मुल्जिम के मुंह से सुनना पुलिस के लिए जितना ज्यादा जरूरी है, उसे मुल्जिम के हाथों से लिखे से नोट की सूरत में बरामद करना भी उतना ही जरूरी है, क्योंकि ये नोट अदालत में मुल्जिम के खिलाफ एक अहम सबूत साबित हो सकता है...
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