MURDER MYSTERY: मौत की वो 52 साल पुरानी पहेली, जिसे दुनिया भर की पुलिस भी नहीं सुलझा सकी

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MURDER MYSTERY: मौत की वो 52 साल पुरानी पहेली, जिसे दुनिया भर की पुलिस भी नहीं सुलझा सकी
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52 साल पुराने क़त्ल की पहेली

ONE MURDER MYSTERY: 52 साल पहले मिली एक महिला की आधी जली लाश आज भी अपनी पूरी पहचान का इंतज़ार कर रही है। 52 साल पुराना एक राज़ आज भी रहस्य की घाटी में दफ़्न है। 52 साल पुरानी क़त्ल की वो गुत्थी जिसने नॉर्वे समेत पूरी दुनियाभर की पुलिस का दिमाग खराब कर रखा है।

52 साल पुराना वो सस्पेंस आज भी सस्पेंस हैं। सस्पेंस कि आखिर वो आधी जली इस्डेल वूमेन (Isdal Women) कौन है, कहां से आई, किसके लिए आई, क्यों आई और सबसे बड़ा ये सवाल किसकी ख़ूनी साज़िश का वो शिकार होकर गुमनामी के गहरे अंधेरे में खो गई।

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क्या शिनाख़्त है इस्डेल महिला की

WORLD CRIME NEWS: वो महिला कब क्यों और कहां की इस पहेली में इस क़दर छुपी हुई है कि दुनिया भर की तमाम स्मार्ट पुलिस इस रहस्य के सामने आकर अपने हथियार डाल देती हैं। कम से कम पिछले 52 सालों से तो यही होता आया है।

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52 साल पहले जब वो लाश मिली थी तब से लेकर अब तक साइंस भी बहुत तरक्की कर चुकी है। लेकिन शायद इतनी तरक्की अभी नहीं हो सकी कि उस इस्डेल महिला को उसकी खोई पहचान दे सके।

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चट्टानों के बीच औंधे मुंह पड़ी लाश

WORLD CRIME STORY: ये वाक्या 29 नवंबर 1970 को नॉर्वे की सबसे ख़तरनाक और रहस्यमयी वर्गेन घाटी से सामने आया था। जब इस्डेल के नाम से मशहूर यहां की आइस वैली में एक शख्स ने चट्टानों के बीच एक महिला की औंधे मुंह पड़ा देखा। उस शख्स के साथ उसकी दो बेटियां भी थी। जो इस मंज़र को देखकर डर गई थीं।

चट्टानों पर औंधे मुंह लेटी उस महिला को जब पलटा गया तो उसका चेहरा और शरीर का अगला हिस्सा पूरी तरह से जला हुआ था। इस कदर कि उसके उस जले हुए चेहरे को देखकर उसकी पहचान कर पाना नामुमकिन था।

सुराग़ों ने उलझाई क़त्ल की गुत्थी

MURDER MYSTERY IN HINDI:जब उस आधी जली महिला की लाश की और तलाशी ली गई तो कुछ निशानियां मिली जिसने इस रहस्य को और भी ज़्यादा गहरा कर दिया। मसलन उस महिला के शरीर पर जितने कपड़े थे, सबसे लेबल हटा हुआ था या कटा हुआ था। उसके पास मिली पानी की बोतल भी बिना टैग और लेबल के दिखाई दी।

सबसे चौंकानें वाला पहलू तो ये था कि महिला जिस हाल में मिली थी। उसके दोनों हाथ ऐसे थे मानों कोई मुक्केबाज मुट्ठियां जकड़कर अपना बचाव कर रहा हो। और इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात ये कि शरीर का अगला हिस्सा बेशक झुलसा हुआ था, मगर कमर के ऊपर तक ही जले का निशान था।

जानबूझकर छोड़े गए क़त्ल के सुराग़

MYSTERY OF Isdal Women:पहले तो नॉर्वे की पुलिस लाश के मिलने से चौंकी। लेकिन लाश की हालत और लाश के पास से निशानों को मिटाने वाली बात ने नॉर्वे पुलिस को गहरी परेशानी में डाल दिया।

महिला की लाश नॉर्वे की इस्डेल में मिला था। ये वही घाटी है जिसे नॉर्वे में डेथ वैली के नाम की बदनामी मिली हुई है। क्योंकि इस इलाक़े में कई आत्महत्याओं की वारदात होती रहती थी।

उस गुमनाम महिला की शिनाख़्त के लिए छटपटा रही नॉर्वे पुलिस को लाश के पास से जो मिला उसने भी महिला का कोई परिचय नहीं दिया। पुलिस इस बात को लेकर सबसे ज़्यादा परेशान थे कि जहां महिला की लाश मिली वहां आस पास कहीं भी कैंप फ़ायर या बोन फॉयर जैसा कोई भी निशान नहीं मिला। तो वो महिला जली कैसे?

सुराग़ देकर छुप गया क़ातिल!

CRIME STORY FROM NORWAY: पुलिस की टीम को लाश के पास से ही एक टूटा हुआ छाता, नायलॉन के मोज़े, प्लास्टिक की पानी की बोतल, एक पर्स और नीले रंग के बर्फ में पहने जाने वाले रबर के जूते भी मिले। लेकिन इन तमाम चीजों पर कोई ऐसा टैग नहीं था जो किसी भी सूरत में ये पता बता सके कि ये सब कहां से आया और यहां तक कैसे पहुँच गया।

पुलिस के जांचकर्ता इस बात से हैरान थे कि महिला के पास जो कुछ भी मिला उसमें से उसका नाम और पहचान सब मिटी हुई थी। और महिला से जुड़े तमाम सामान वहीं पास की एक चट्टान पर बड़े ही करीने से सजाकर रखे गए थे। महिला जहां पड़ी हुई थी, उसके नीचे पेट्रोल के अंश भी मिले।

पोस्टमॉर्टम से गहराया रहस्य

MURDER IN NORWAY: किसी भी लाश के मिलने के बाद पुलिस जो काम सबसे पहले करती है वो है पोस्टमॉर्टम। तो उस लाश का पोस्टमॉर्टम करवाया गया। पोस्टमॉर्मट आमतौर पर गुत्थी को सुलझा देते हैं। लेकिन यहां तो सब उल्टा ही हो रहा था। लिहाजा यहां भी मामला और ज़्यादा पेंचीदा हो गया।

पोस्टमॉर्टम में लाश के पेट से 50 से ज़्यादा नींद की गोलियां मिली जो अभी पूरी तरह से पची नहीं थी। इसके अलावा उसके फेफड़ों से धुआं मिला जिसका सीधा सा मतलब था कि जिस वक्त महिला को आग के हवाले किया गया उस वक़्त वो ज़िंदा थी।

उसकी गर्दन पर गहरे चोट के निशान थे, जिससे ये अंदाज़ा मिला कि महिला को जलती हुई हालत में ऊपर से नीचे फेंका गया। चट्टान पर गिरने से गर्दन में जानलेवा चोट लगी है। ऑटोप्सी की रिपोर्ट से ये तो पता चल गया है कि मौत की वजह कार्बन मोनोऑक्साइड के साथ साथ नींद की गोलियों का असर भी है। यानी पहली सूरत में ऐसा लगा मानों वो आत्महत्या है।

सोने के दांतों का सस्पेंस बरकरार

52 YEAR OLD SUSPENCE: इसी शव परीक्षण के दौरान पुलिस को महिला के दांतों ने बुरी तरह चौंकाया, क्योंकि ज़्यादातर दांत सोने से भरे हुए थे। मगर दांतों की बनावट और सोने को भरने का वो तरीका स्कैंडिनेविया का नहीं था। इसका मतलब ये था कि वो नॉर्वे की तो नहीं थी इसका मतलब विदेशी थी।

बस इतनी बुनियादी जानकारी हासिल करने के बाद पुलिस एक बार फिर अपने अपने काम पर लगी और उस महिला की लाश को लेकर अपना सिर धुनती रही।

तीन से चार दिन गुज़र गए पुलिस की गाड़ी जहां अटकी थी वहीं अटकी रही। लेकिन तीन दिन के बाद पुलिस को एक बड़ा ब्रेकथ्रू मिला जब उसे रेलवे स्टेशन से दो सूटकेस मिले। वो भी लावारिस।

खुले सूटकेस में बंद हो गया रहस्य

SUSPENCE STORY IN HINDI:तहकीक़ात शुरू हुई तो सूटकेस में बंद एक चश्मे से महिला के उंगलियों के निशानों ने ये गवाही दे दी कि ये सूटकेस उसी महिला के हैं जो अब इस दुनिया में है नहीं। लेकिन सूटकेस से जो सामान सामने आए उन्होंने भी पुलिस को उलझन में ही डाल दिया।

सूटकेस से पुलिस को चश्मे के अलावा एक टाइम टेबल, कुछ नक्शे, दोनों सूटकेस में महिलाओं के इस्तेमाल वाले विग, मेकअप का सामान और एक एग्ज़िमा क्रीम के साथ साथ कपड़े, कई देशों की करंसी और एक नोटपैड हासिल हुआ।

उस दोनों सूटकेस में करंसी को अलग अलग छुपाकर ही रखा गया था जिनमें नॉर्वे की करंसी क्रोनर, स्विस फ्रेंक, बेल्जियम फ्रेंक और ब्रिटिश पाउंड के अलावा थाईलैंड की भाट के कुछ सिक्के भी थे। इसके अलावा एक सूटकेस के अस्तर में छुपाकर रखे गए ड्यूश मार्क भी मिले।

नीली स्याही वाले नोटपैड के कोडवर्ड

FOUR CLUE AND FOUR THEORY:इतना सब कुछ मिलने और पता चलने के बावजूद यहां से रहस्य और भी ज़्यादा गहरा हो गया क्योंकि सारे सामान से पहचान मिटी हुई थी।

पुलिस ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी क्योंकि उसके हाथ एक ऐसी चीज़ थी, जो शायद मकतूल के हाथों की लिखी हुई निशानी थी, और वो थी एक नोटपैड जिस पर नीली स्याही से कुछ कोडवर्ड में लिखा हुआ था।

लम्बी जद्दोजहद के बाद पुलिस को उस नोट पैड में लिखे कोडवर्ड को समझने में कामयाबी मिल गई। ये सारे कोडवर्ड असल में शायद उस महिला के अलग अलग तारीखों में नॉर्वे में रुकने और वहां से जाने और वहां आने का सारा ब्योरा लिखा हुआ था। पुलिस ने मान लिया नोट पैड के हिसाब से वो रहस्यमयी महिला दर्ज की गई तारीखों के हिसाब से ही नॉर्वे में आई और ठहरी। इससे ज़्यादा पुलिस को कोई कामयाबी नहीं मिली।

नीले जूतों को काला राज़

Isdal Women Story in HINDI:इस्डेल महिला के पास से मिले तमाम सामानों की तलाश करते करते आखिरकार पुलिस को एक और कामयाबी मिल ही गई जबकि उसे उस दुकान का पता मिल गया जहां से महिला ने जूते लिये थे और जिन जूतों की बदौलत पुलिस की तफ़्तीश एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पा रही थी। जूते की वो दुकान सीसा वर्गन से क़रीब 210 km दूर स्टवान्गर शहर में मिली।

पुलिस फटाफट दुकान पहुँची तो वहां उसे उस महिला के बारे में एक और ख़ास बात पता चल गई। दुकानदार के बेटे ने पुलिसवालों को बताया कि कुछ अरसा पहले ही उस काले बालों वाली आकर्षक सी दिखने वाली दरम्यानी उम्र वाली उस महिला को जूते की ये जोड़ी बेची गई थी।

पुलिसवालों को ये बात भी चौंकानें वाली लगी कि दुकानदार को आखिर वो महिला क्यों याद रही। तो उस दुकानदार ने कहा कि वो महिला बातचीत में बहुत अच्छी थी, लेकिन याद रखने की असली वजह ये थी कि उसके पास से आने वाली अजीब सी महक, जिसकी बाद में पहचान लहसुन के तौर पर की गई, क्योंकि उस दौर में नार्वे में लहसुन ज़्यादा लोग नहीं खाते थे।

बंद घड़ी से गुज़रा वक़्त

ONE MURDER MYSTERY: यानी पुलिस को अब तक उस महिला का सूटकेस मिला, एक कोटवर्ड में लिखा नोट पैड मिला और उस महिला के पास जूते की जोड़ी बेचने वाली दुकान मिल गई और दुकान से महिला की महक का पता चल गया।

मतलब पुलिस को अब तक चार सुराग हाथ लग गए मगर एक भी सुराग ऐसा नहीं था जो महिला का पता दे पाता।

अब पुलिस को जो चीज पता चली उसने तो और भी ज़्यादा उलझन में डाल दिया क्योंकि पुलिस ने जब उसकी महक के सहारे नॉर्वे के तमाम होटलों को खंगाला तो उसे पता चला उन सात होटलों के बारे में जहां वो ठहरी थी। और जहां खाने में लहसुन का इस्तेमाल होता था।

पासपोर्ट में उलझाई पहेली

Murder And Suspence: पता चला कि वो जिस किसी होटल में चेक इन करती थी उसकी पहचान बदली हुई होती थी। क्योंकि उन दिनों किसी भी होटल में रुकते समय पासपोर्ट देना ज़रूरी होता था लिहाजा उसके सात अलग अलग पासपोर्ट ने पुलिस का माथा चकराकर रख दिया।

अब पुलिस उस नोटपैड पर लिखी कोडवर्ड की इबारत के आधार पर और सात होटलों से मिले उस गुमनाम महिला के निशानों से ये पता चला कि वो तकरीबन नौ होटल में रुकी। और हर बार उसकी पहचान और नाम दोनों अलग थे।

* वाइकिंग होटल, ओस्लो जहां वो 21 से 24 मार्च 1970 तक लौवेन (बेल्जियम) से आकर जेनेवीव लैंसियर के नाम से रुकी।

* होटल ब्रिस्टल, बर्गन, वह 24 से 25 मार्च तक ब्रसेल्स (बेल्जियम) से आकर क्लाउडिया टिल्ट के नाम से रुकी।

* होटल स्कैंडिया, बर्गन, 25 मार्च से 1 अप्रैल तक ब्रसेल्स (बेल्जियम) से आकर क्लाउडिया टिल्ट के नाम से रुकी।

* KNA- होटेलेट, स्टवान्गर, यहां वह 29 – 30 अक्टूबर तक गेंट (बेल्जियम) से आकर क्लाउडिया नीलसन के नाम से ठहरी।

* नेप्टन होटल, बर्गन, यहां 30 अक्टूबर से 5 नवंबर तक लुब्लियाना (स्लोवेनिया) से आकर एलेक्जिया ज़र्ने मर्चेज़ के नाम से रुकी।

* ब्रिस्टल होटल, ट्रॉनहैम, यहां वो 6 – 8 नवंबर ततक एंटवर्प (बेल्जियम) से आकर वेरा जर्ले के नाम से ठहरी थी।

* सेंट स्विथुन होटल, स्टावेंगर, यहां 9 – 18 नवंबर तक फेनेला लॉर्च के रूप में रुकी।

* होटल रोसेनक्रांत्ज, बर्गन, यहां वो 18 से 19 नवंबर तक ओस्टेंड (बेल्जियम) से आकर लीन होउफ्रे के नाम से टिकी।

* होटल होर्डाहेमेन, बर्गन, यहां वो 19 -23 नवंबर तक ओस्टेंड (बेल्जियम) से आकर एलिज़ाबेथ लीनहोउफ्रे के नाम से ठहरी

चार सुराग और चार थ्योरी में छुपा क़त्ल

World Murder Mystery:इतनी पूरी जानकारी निकालने में नॉर्वे पुलिस को पूरे तीन महीने लग गए। और इतनी जानकारी के बावजूद पुलिस को उसकी कोई ऐसी शिनाख्त नहीं मिली जिससे वो केस को और आगे तफ़्तीश करने के लिए तैयार हो पाते। घूम घूमकर उसी ज़ीरो पर पहुँच रही नॉर्वे पुलिस अब पूरी तरह से कुंठित हो चुकी थी। और उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि मरने वाली आखिर कौन है।

अब तक पुलिस के पास थे चार सुराग़ और उन सुराग़ों की रोशनी में पुलिस ने बना ली थीं चार थ्योरी। उन चार थ्योरी में से एक थ्योरी ये थी कि हो सकता है कि मरने वाली कोई जासूस हो, जबकि दूसरी थ्योरी ये थी कि वो किसी जासूस की सहयोगी हो, तीसरी थ्योरी में पुलिस उस महिला को किसी जासूस के लिए काम करने वाली कोरियर के तौर पर तफ्तीश का तानाबाना बुन रहे थे जबकि चौथी थ्योरी ये कहती है कि वो किसी पड़ोसी देश की जासूस हो सकती है जिसे उसके दुश्मनों ने मौत के घाट उतार दिया।

चार भाषाओं का गहरा रहस्य

ONE MURDER MYSTERY: पुलिस को अब तक ये भी पता चल चुका था कि वो महिला कम से कम चार भाषाएं बोलती रही होगी, जिनमें फ्रेंच, स्पेनिश, जर्मन और अंग्रेजी शामिल है।

चार सुराग, चार भाषाएं और चार थ्योरी के साथ पांच दशक पुरानी इस रहस्य की गुत्थी को सुलझाते सुलझाते जब नॉर्वे की पुलिस पूरी तरह से थक गई तब उसने इसकी मदद के लिए इंटरपोल की मदद मांगी। पांच दशकों तक मामला फाइलों में धूल खाने के बाद एक बार फिर तफ्तीश की मेज़ पर आया है।

साल 2016 में नॉर्वे के जांच कर्ताओं ने इंटरपोल की मदद से इस महिल का डीएनए दुनिया के किसी भी हिस्से से पता लगाने का नया टास्क निर्धारित किया है। यानी अब नई विकसित तकनीक के साथ दुनिया भर की पुलिस मिलकर इस 52 साल पुराने रहस्य को अब रहस्य नहीं रहने देना चाहते। मगर देखना दिलचस्प होगा कि आखिर इस रहस्य की गांठ खुलती कब है।

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