Chambal : चंबल में सिर्फ बागी नहीं होते 'रोमियो' भी होते हैं! चंबल के डाकुओं की लव स्टोरी

ADVERTISEMENT

Chambal : चंबल में सिर्फ बागी नहीं होते 'रोमियो' भी होते हैं! चंबल के डाकुओं की लव स्टोरी
social share
google news

Crime stories in Hindi : क्राइम तक का चुनावी सफर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से होते हुए चंबल की घाटी में दाखिल हो रहा है, इस सफर पर हमारा पहला पड़ाव है इटावा, जहां से चंबल की शुरुआत होती है जो राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीहड़ों तक फैली हुई है। अंजाम जो भी हो लेकिन कम से कम शुरुआत खुशनुमा होनी चाहिए, लिहाज़ा इटावा में दाखिल होते ही हम जिस होटल में चाय पीकर सुस्ताए वहां हमारी मुलाकात हुई संजय नाम के अधेड़ आदमी से। बातचीत शुरु हुई तो हमने उसे बताया कि हम क्राइम तक वाले हैं और चंबल के इन इलाकों में जुर्म और जुर्म के इतिहास को खंगालने आए हैं। इस पर संजय थोड़ा नाराज़ हुआ, बोला कि "आप लोगन को डाकुओं में सिरफ दुर्दांत अपराधिए नजर आत है, ऊ काहे डाकू बने, कौन उन्हें डाकू बनाए ऊ नहीं दिखात है। आखिर ऊ डाकुअन भी तो इंसान रहे"। मैंने पटाक से जवाब दिया कि इंसान वो होते हैं जिनमें इंसानियत होती है, जिनके सीने में दिल होता है। इस पर संजय ने तपाक से कहा कि "आप लोगन का कछु पता ही नहीं, इन बीहड़न में डकैत सिरफ डकैती नहीं करत रहें, उन लोगन की प्रेम कहानियां भी यहीं दफ्न हैं। अइसन कहानियां जो आप लोगन सोच भी नहीं सकत, त्याग और बलिदान वाला प्रेम।"

चंबल के डकैतों पर सैकड़ों फिल्में बनी हैं जिनमें इरफान खान की मशहूर फिल्म पान सिंह तोमर पर का डॉयलॉग है, डकैत होते पार्लियामेंट में, चंबल में बागी होते हैं। हालांकि अगर हम इन डाकुओं को बागी मान भी लें तो कहानी यहीं खत्म नहीं होती, कहानी तो यहां से शुरु होती है। और ये कहानी चंबल के सैकड़ों सालों के इतिहास से भी पुरानी है, ये कहानी चंबल के डाकुओं की लव स्टोरी की। संजय की बात पर हमने तय किया कि पहले हम इन डकैतों की लव स्टोरी को ही खंगालते हैं और चंबल की बाकी कहानियों को वैसे वैसे सुनाते जाएंगे जैसे जैसे हम चंबल की घाटी में दाखिल होते जाएंगे।

चंबल में ईलू ईलू

ADVERTISEMENT

चंबल के कुख्यात डाकुओं ने इन बीहड़ों में सिर्फ खौफ या आतंक ही नहीं फैलाया है कि बल्कि यहां के डाकुओं ने लव के लिए बीहड़ में ऐसी कहानियां लिखी हैं, जिसने सिनेमा के पर्दे को भी पीछे छोड़ दिया है। इन डाकुओं के बारे में कहा जाता है कि इन पर जब जुल्म हुआ तब इन्होंने बंदूक उठाई और हदें पार कर दी लेकिन जब इन्हें इश्क हुआ तो इश्क के लिए जान की बाजी लगा दी और मोहब्बत की ऐसी मिसाल कायम की जो बीहड़ों की तारीख में दर्ज हो गई।

सुल्ताना और पुतली बाई की मोहब्बत

ADVERTISEMENT

Crime News India : 40-50 के दशक में एक तरफ जहां इलाके में सुल्ताना डाकू का आतंक था, वहीं दूसरी तरफ गरीब परिवार में जन्मी गौहरबानों पेट पालने के लिए लोगों के सामने नाचने के लिए मजबूर थी, इस पेशे ने उसे नया नाम दिया- पुतलीबाई। एक रोज़ पुतलीबाई पर सुल्ताना डाकू की नजर पड़ी, और उसने उसे अपनी टोली के इंटरटेनमेंट के लिए अपने अड्डे पर बुलाना शुरु कर दिया। दोनों में नज़दीकियां बढ़ने लगीं और पुतलीबाई अपना घर बार छोड़कर सुल्ताना के साथ बीहड़ों में ही रहने लगी। दोनों की लव स्टोरी के चर्चे उस दौर में काफी हुए, यहां तक की सुल्ताना डाकू के ऊपर कई फिल्में भी बनीं। हालांकि पुलिस एनकाउंटर में सुल्ताना के मारे जाने के बाद पुतलीबाई गिरोह की सरदार बनी। पुतलीबाई पहली ऐसी महिला डकैत थी, जिसने गिरोह के सरदार के रूप में सबसे ज्यादा पुलिस से मुठभेड़ की, ऐसी ही एक मुठभेड़ में पुतलीबाई को अपना एक हाथ भी गवाना पड़ा था।

ADVERTISEMENT

फक्कड़ और कुसमा की प्रेम कहानी

बीहड़ों में जो दूसरी सबसे मशहूर लव स्टोरी है वो है दस्यु सरगना रामआसरे तिवारी उर्फ फक्कड़ और कुसमा नाइन की। कहा जाता है कि कुसमा फक्कड़ की परछाई की तरह थी। फक्कड़ का साथ कुसमा ने आखिर तक नहीं छोड़ा, कहते हैं फक्कड़ को खुद के बाद सबसे ज़्यादा एतबार कुसमा पर ही था। करीब दस साल फक्कड़ के साथ बीहड़ों में बिताने के बाद उसने एमपी पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। कुसमा फक्कड़ को इस कदर प्यार करती थी कि साल 2003 में जब फक्कड़ बुरी तरह बीमार था, तब कुसमा न सिर्फ उसकी सेवा करती थी, बल्कि साए की तरह हमेशा उसके साथ रहती थी। हालांकि कुसमा जितना फक्कड़ से प्यार करती थी उससे भी ज़्यादा फक्कड़ गिरोह से गद्दारी करने वाले लोगों से नफरत करती थी। एक बार को फक्कड़ गद्दारों को छोड़ देता मगर कुसमा नहीं छोड़ती थी।

सीमा परिहार और लालाराम की लव स्टोरी

90 के दशक में सरगना लालाराम सीमा परिहार को उठाकर बीहड़ लाया था, बाद में लालाराम ने गिरोह के एक सदस्य निर्भय गुर्जर से सीमा की शादी करवा दी, लेकिन दोनों जल्दी ही अलग हो गए। सीमा परिहार के मुताबिक, उसे लालाराम से प्यार हो गया था और फिर उसने लालाराम से शादी कर ली। साल 2000 में पुलिस मुठभेंड में लालाराम के मारे जाने के बाद सीमा परिहार ने भी आत्मसमर्पण कर दिया। सीमा परिहार पर ना सिर्फ फिल्में बन चुकी हैं बल्कि वो बिग बॉस में भी जा चुकी है।

चंबल में बागियों की लव स्टोरीज़ की फेहरिस्त में कई और लैला मजनू हैं, जिसमें रज्जन गुर्जर-लबली पांडेय, नीलम गुप्ता-श्याम जाटव, जगन गुर्जर-कोमेश, सलीम गुर्जर-सुरेखा, चंदन यादव-रेनू यादव, मानसिंह-भालो तिवारी, सरनाम सिंह-प्रभा कटियार, तिलक सिंह-शीला, जयसिंह गुर्जर -सुनीता बाथम और निर्भय सिंह-बंसती पांडेय की जोड़ियां बीहड़ों में काफी चर्चित रही हैं।

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT

    ऐप खोलें ➜