कार चोरों का इंटरनेशनल गैंग, जिनकी कारस्तानी से हो गई पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती

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कार चोरों का इंटरनेशनल गैंग, जिनकी कारस्तानी से हो गई पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती
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Shams ki Zubani : उसकी दो तीन बड़ी वजह हैं। पहली तो यही कि जिस कार चोरी का क़िस्सा दुनिया भर के लोगों की जुबान पर है वो कार अपने आप में बहुत महंगी कारों की फेहरिस्त में है। दूसरा जो सबसे अहम बात जिसकी वजह से इस चोरी की लोग चर्चा कर रहे हैं वो है कार चोरी के बाद एक देश से दूसरे देश तक पहुँचने की कहानी। और ये महज़ एक बॉर्डर के बार करने का क़िस्सा नहीं है बल्कि पूरे 12586 किलोमीटर की दूरी तय करने की बात है।

ज़ाहिर है इतने बड़े फासले में कई मुल्कों की सरहदों को उस कार ने पार किया। बस इसीलिए इस कार चोरी ने दुनिया के कई लोगों को हैरत में डाल दिया है। लिहाजा क्राइम के क़िस्से में आज ऐसी ही कार की चोरी की कहानी है जो एक मुल्क की राजधानी से चुराई गई और फिर उसे हज़ारों किलोमीटर दूर दूसरे मुल्क के एक शहर में ले जाकर छुपा दी।

इस कार की चोरी इसलिए और भी ज्यादा हैरान करती है क्योंकि लंदन से जब येकार चोरी हुई तो इसकी भनक तक किसी को नहीं लगी। उसके बाद लंदन से पाकिस्तान के कराची तक पहुँचने में भी किसी को अंदाज़ा नहीं हुआ। और कराची में इस विदेशी कार को नया रजिस्ट्रेशन नंबर तक एलॉट हो गया। इसीलिए ये कहानी अपने आप में हैरान करने वाली है।

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Shams ki Zubani : इस चोरी के क़िस्से पर जाएं उससे पहले ज़रा उस कार की ख़ासियत तो समझ लीजिए...जिसे लंदन से चुराया गया और 12596 किलोमीटर दूर पाकिस्तान के कराची में पहुँचा दिया गया। वो कार थी बेंटले का मल्सैन मॉडल। जिस कार को बनाने में ही 375 घंटे लगते हैं। यानी एक कार को तैयार होने में क़रीब करीब आधा महीने से ज़्यादा का वक़्त लग जाता है।

दुनिया भर में ऐसी कारों की गिनती सिर्फ 100 है। जो महज़ 4.9 सेकंड के भीतर जीरो से 100 किलोमीटर की स्पीड पकड़ती है और ये गाड़ी अगर अपनी टॉप स्पीड पर चले तो दिल्ली से बनारस महज़ सवा दो घंटे में पहुँच जाएगी। यानी 305 किलोमीटर प्रति घंटा। हालांकि अब इस कार का प्रॉडक्शन नहीं होता क्योंकि इतनी महंगी कार खरीदने के खरीदार दुनिया भर में हैं ही नहीं।

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असल में इस कार की क़ीमत 5 से 7 करोड़ के बीच है। वैसे दुनिया के उन 100 कारों में से एक कार हिन्दुस्तान के ललित मोदी के पास भी है। इससे ये अंदाज़ा तो मिल ही जाता है कि ये कार कितनी खास है। और इस कार को जब विदेश से भारत या पाकिस्तान लाया जाता है तो उसके लिए100 फीसदी ड्यूटी भी देनी पड़ती है।

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Shams ki Zubani : अब अगर कार को लंदन से भारत या पाकिस्तान मंगवाने के लिए कंटेनर का खर्चा करीब 7 लाख के आस पास आता है।

यही कार लंदन से चोरी होती है और पाकिस्तान पहुँचती है। लंदन से पाकिस्तान पहुँचने के किस्से से पहले ये समझ लीजिए कि इस कार के पाकिस्तान पहुँचने के बाद वहां क्या क्या होता है और फिर इसका पता चलने पर क्या किया जाता है।

इस क़िस्से की शुरूआत होती है 30 अगस्त 2022 को। जब कराची के कस्टम विभाग में लंदन से एक फोन आता है। ये फोन लंदन की सिक्योरिटी एजेंसी का था। फोन में लंदन के सिक्योरिटी ऑफिसर ने कस्टम विभाग वालों से कहा कि लंदन से चोरी हुई एक क़ीमती बेंटले मेल्सन कार कराची में मौजूद है।

ये बात सुनकर कराची का कस्टम विभाग बुरी तरह से चौंक जाता है। लेकिन कस्टम विभाग उस वक़्त और भी बुरी तरह चौंक जाता है जब लंदन से उसे बाकायदा एक पता बताया जाता है। वो पता दरअसल कराची का एक आलीशान इलाके का था जहां ज्यादातर बंगले ही थे। बंगले का पता था, 15 बी साउथ, 10th स्ट्रीट,डीएचए कराची। इसके साथ साथ सिक्योरिटी एजेंसी ने गाड़ी का नंबर और चेसिस नंबर भी कस्टम विभाग वालों को बता दिया। और ताकीद की कि ये कार रिकवर करनी है।

जाहिर है ये एक खबर पूरे कराची और पाकिस्तान के आला अफसरों को हिलाने के लिए काफी थी। देखते ही देखते बात पुलिस तक भी जा पहुँची। बात चौंकाने वाली भी थी और चटकारे लेने वाली भी। क्योंकि हर कोई इसी बात पर चर्चा कर रहा था कि लंदन से कोई कार चुराकर पाकिस्तान के कराची तक ले आया और किसी को पता तक नहीं चला। इसके बाद पुलिस और कस्टम वालों की टीम लंदन से बताए गए पते पर पहुँचती है और बंगले में दाखिल होते ही पुलिस और कस्टम वालों के एक कार नज़र आती है। जिस पर सुरमई रंग का पर्दा पड़ा हुआ था।

Shams ki Zubani : कार का कवर हटाते ही पुलिस और कस्टम विभाग दोनों हैरत में पड़ जाते हैं कि जो कार बताई गई थी वो कार तो वही है। लेकिन पुलिस उस वक्त हैरान रह गई जब लंदन से जो कार का नंबर बताया गया था वो बरामद कार में नज़र नहीं आया। जो नंबर कार पर था वो सिंध आरटीओ से जारी किया गया था। लेकिन उसके बाद पुलिस ने जब चेसिस नंबर मिलाया तो वो मिल गया। तो पुलिस को इतना समझ में आ गया कि मामला है तो चोरी का।

उसके बाद पुलिस ने बंगले में मौजूद दो लोगों से पूछताछ शुरू की। उन लोगों ने बताया कि ये कार कुछ अरसा पहले ही खरीदी थी। जब पुलिस ने उनसे कागज और गाड़ी की चाबी मांगी तो वो उनके पास नहीं थी। तब पुलिस ने गाड़ी को ट्रैक्टर में लदवाकर किसी तरह थाने ले आई...और साथ में उन्हें ले आई जो उस वक़्त उस बंगले में मौजूद थे।

ज़ाहिर है इतनी कहानी सुनने के बाद ये सवाल ज़रूर खड़ा होता है कि आखिर लंदन वालों को ये कैसे पता चला कि वहां से चोरी हुई कार पाकिस्तान में फलां शहर के फलां इलाक़े के फलां बंगले में पार्क है।

असल में उस बेंटले कार में एक ट्रैकिंग डिवाइस लगा हुआ था। जिसके बारे में शायद कार के चोरों को अंदाज़ा भी नहीं था। लंदन की पुलिस ने उसी ट्रैकिंग डिवाइस के जरिए उसकी लोकेशन का पता लगाया और पाकिस्तान के अधिकारियों को इसकी इत्तेला दी।

Shams ki Zubani : अब पुलिस ने उन लोगों से पूछताछ शुरू की जिन्हें पकड़कर वो अपने साथ ले गई थी। उनमें से एक उस गाड़ी का मालिक था या यूं भी कह सकते हैं कि जिसने गाड़ी खरीदने का दावा किया था। और फिर उसी ने पुलिस को ये भी बताया कि जिस डीलर से उसने ये कार खरीदी है उसने गाड़ी के ज़रूरी कागजात नवंबर तक उसके पास तक पहुँचाने का वायदा किया है।

कराची पुलिस उस डीलर तक भी पहुँच गई तो उसने गाड़ी बेचने की बात कबूल की साथ ही सेल्स डीड भी पुलिस को मुहैया करवा दी। उसने तो यहां तक बता दिया कि सिंध ट्रॉंसपोर्ट ऑफिस से बाकायदा इसका रजिस्ट्रेशन तक करवा दिया गया है। तब पुलिस इसलिए चौंक गई जब उसे ये पता चला कि इस विदेशी गाड़ी के बारे में न तो विदेश मंत्रालय को पता और न ही किसी और दूसरे ज़रूरी अधिकारियों को इसकी इत्तेला मिली। तो फिर ये पाकिस्तान तक कैसे पहुँची।

तब पुलिस के सामने इस गाड़ी के पाकिस्तान पहुँचने की वो कहानी सामने आई जिसे सुनकर वो खुद दंग रह गई और चोरों के दिमाग की दाद दिए बिना नहीं सकी।

Shams ki Zubani : असल में इस गाड़ी को डिप्लोमेट चैनल के जरिए पाकिस्तान पहुँचाया गया था। क्योंकि आमतौर पर यही होता है कि दूतावास में काम करने वाले अधिकारी जब किसी भी दूसरे देश में पहुँचते हैं तो वहां वो अपने दूसरे ज़रूरी सामान के साथ साथ अपनी गाड़ियां भी मंगवा लेते हैं और उन गाड़ियों पर कोई इम्पोर्ट ड्यूटी नहीं लगती है।

2019 में पूर्वी यूरोप से एक राजदूत पाकिस्तान पहुंचे थे जो कराची में पोस्टेड थे। और उन्हीं राजदूत महोदय ने अपने देश से अपनी गाड़ियां मंगवाई। और कार चोरों ने उन्हीं के नाम पर इस बेंटले कार को पाकिस्तान तक पहुँचा दिया।

Shams ki Zubani : असल में कार चोरों की मॉडस ऑपरेंडी कुछ इस तरह की थी कि कार चोरों ने लंदन में एक बेंटले कार चुराई। लंदन पुलिस की रिपोर्ट का खुलासा ये भी कहता है कि कार चोरों की कार के मालिकों के साथ कुछ साठ गांठ भी होती है। जिसके तहत कार चोर और कार मालिक सौदे बाजी कर लेते है और जब तक कार चोर इशारा नहीं करते हैं तब तक कार का मालिक कार चोरी की रिपोर्ट नहीं लिखाता।

कार चोरों ने चोरी की उसी बेंटले कार को कराची पोर्ट के लिए बुक करवाया। और पानी के जहाज़ के रास्ते से वो कार लंदन से कराची तक पहुँच गई। चोरों का शातिरपना ये था कि कार के कागजात उन्होंने राजदूत के नाम से तैयार किए थे। यानी उन कागज़ों में गाड़ी का मालिकाना हक राजदूत को दिखाया गया था। लिहाजा डिप्लोमेट इम्यूनिटी की वजह से ये कार खुद ब खुद सरकारी हिफाजत की हक़दार हो गई।

कराची पहुँचने के बाद कार की सौदेबाजी पहले से तय हो गई थी। लिहाजा उसे उसी कराची के बंगले तक पहुँचा दिया गया जहां से इसे बरामद किया गया था। कार के नए मालिक को इस बात की ताकीद दी गई थी कि जब तक इसके कागजात न मिल जाएं और जब तक उन्हें इशारा न मिले तब तक किसी भी सूरत में कार को बंगले से बाहर न निकाला जाए।

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