आशिक़ के टुकड़े करके उन्हें बैग में भरने वाली डॉक्टर को इंटरपोल भी 21 साल से नहीं ढूंढ़ सका

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आशिक़ के टुकड़े करके उन्हें बैग में भरने वाली डॉक्टर को इंटरपोल भी 21 साल से नहीं ढूंढ़ सका
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Shams ki Zubani: इस क़िस्से की फाइल खुलती है पांच साल पहले। अक्टूबर 2017 का वक़्त था। मलयेशिया में एक ऊंची बिल्डिंग से एक महिला गिरती है। ये बात साफ नहीं हो सकी कि वो खुद गिरी या उसे गिराया गया। यानी ये एक हादसा था या फिर कोई साज़िश।

महिला बिल्डिंग से गिरने के बाद बुरी तरह से घायल हो जाती है और बिना इस राज से पर्दा उठाए कि उसके साथ असल में क्या हुआ, वो हमेशा हमेशा के लिए आंखें मूंद लेती है। उसकी मौत हो जाती है।

महिला की मौत के बाद पुलिस तफ्तीश भी करती है लेकिन उसे महिला की कोई शिनाख्त नहीं मिलती। क्योंकि न तो कोई उसे पहचानता था और न ही उसके पास कोई अपनी पहचान बताने वाला कोई सबूत या दस्तावेज।

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काफी पसीना बहाने के बाद आखिरकार मलयेशिया की पुलिस ये जानने में ज़रूर कामयाब हो जाती है कि मरने वाली महिला का ताल्लुक भारत के केरल राज्य से है। भारत से महिला का ताल्लुक का पता चलने के बाद पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार नहीं करवाया बल्कि उसे मॉर्च्यूरी में सुरक्षित रखवा दिया। और अगले चार महीने तक वो शव वहीं मुर्दाघर में ही पड़ा रहा।

Shams ki Zubani: चूंकि मलयेशिया में केरल से नाता रखने वाले सैकड़ों हजारों लोग रहते हैं लिहाजा पुलिस ने उन लोगों से महिला की पहचान करने के लिए मदद मांगी लेकिन पुलिस को किसी से कोई सुराग नहीं मिला जो उस महिला का पता दे सके। इसके बाद पुलिस ने महिला का पता लगाने के लिए केरल के एक अखबार में महिला की तस्वीर के साथ एक गुमशुदा लाश का एक विज्ञापन दिया।

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उस विज्ञापन को देखने के बाद एक महिला सामने आती है और उस गुमनाम महिला के बारे में कहती है कि वो उसे पहचानती है। हालांकि इस विज्ञापन को देखकर पुलिस के सामने महिला के आने से पहले करीब चार महीने तक कोई भी सामने नहीं आता। असल में उन चार महीनों के दौरान होता ये है कि लोगों को उस महिला की तस्वीर देखकर करीब 20 – 21 साल पुराना किस्सा याद आ जाता है।

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विज्ञापन में छपी तस्वीर देखकर लोगों को डॉक्टर ओमाना का चेहरा याद आता है। और साथ में याद आता है एक दर्दनाक हत्या का क़िस्सा। क्योंकि जिस वक़्त वो वारदात पहली बार सामने आई थी उसने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी थीं। और उस वारदात के बाद से ही पुलिस को उसकी तलाश थी।

लेकिन वो पुलिस के हाथ कभी नहीं आई। उस चक्कर में पुलिस ने उस महिला तक पहुँचने के लिए इंटरपोल की मदद ली। और हालात यहां तक पहुँच गए कि उस महिला को उस वक़्त की सबसे खतरनाक कातिल की लिस्ट में सबसे ऊपरी पायदान पर नंबर मिला था। नाम था डॉक्टर ओमाना इरालाम।

Shams ki Zubani: मलयेशिया से सामने आई डॉक्टर ओमाना की मौत की खबर के बाद केरल पुलिस भी हरकत में आती है क्योंकि बीते 21 सालों तक पुलिस को उसकी तलाश थी। मगर उसी वक़्त केरल की एक और महिला सामने आती है और वो दावा करती है कि मलयेशिया में मरने वाली महिला उसकी बहन है। और उसका नाम मर्लिन रूबी बताती है। उसके बारे में वो महिला दावा करती है कि मर्लिन रूबी मलयेशिया के एक स्टोर में काम करती थी।

दुविधा में पड़ी पुलिस दावा करने वाली महिला से उसका डीएनए टेस्ट करवाती है और इत्तेफाक से डीएनए मिल भी जाता है। ऐसे में अब पुलिस के सामने ये बात तो साफ हो ही जाती है कि ये डॉक्टर ओमाना नहीं बल्कि मर्लिन रूबी है। लिहाजा वो लाश दावा करने वाली महिला को सौंप दी जाती है और उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है।

हालांकि इस महिला की पहचान सामने आने के बाद डॉक्टर ओमाना का क़िस्सा फिर दब गया। और पुलिस ने ये मान लिया कि डॉक्टर ओमाना अब भी फरार है। और यहीं से डॉक्टर ओमाना की कहानी एक बार फिर ज़िंदा हो गई। लोग उसके बारे में बात करने लगे। सवाल उठना लाजमी था कि आखिर ये डॉक्टर ओमाना कौन है। और आखिर क्यों उसे केरल की मोस्टवांटेड क्रिमिनल का दर्जा दे दिया गया।

ये बात भी सब जगह होने लगी कि 20-25 साल पहले आखिर उस लेडी ने ऐसा कैसे मर्डर किया कि उसे आजतक क्यों नहीं भुलाया जा सका। तो डॉक्टर ओमाना का जो सच सामने आया वो और भी दिलचस्प था।

Shams ki Zubani: डॉक्टर ओमाना केरल के एक संपन्न परिवार की रहने वाली एक लड़की थी। पढ़ने में बेहद होशियार और परिवार में उसके भाई वगैराह भी बहुत अच्छे ओहदे पर थे। पढ़ाई लिखाई में अच्छी थी लिहाजा मेडिकल में उसका चयन हो गया और आई स्पेशलिस्ट के तौर पर उसने प्रेक्टिस शुरू कर दी।

इसी बीच परिवार के लोगों ने अपने होनहार लड़की के लिए एक रिश्ता किया और बच्चों के डॉक्टर राधकृष्णन के साथ डॉक्टर ओमाना की शादी हो गई। दोनों बेहद खुश रहने लगे। वक़्त बीता, कुछ सालों में दोनों के दो बच्चे भी हुए। सब कुछ अच्छा चल रहा था। पूरा परिवार वहीं केरल में रह रहा था। दोनों डॉक्टरों की प्रेक्टिस अच्छी चल रही थी, परिवार खुशहाल था। आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी थी।

इसी बीच दोनों पति पत्नी अपने घर को नए ढंग से बनाने का इरादा करते हैं। अपने घर के नया डिजाइन देने के लिए वो एक आर्किटेक्ट से संपर्क करते हैं। उस आर्किटेक्ट का नाम था मुरलीधरन। और उसके आते ही एक नई कहानी जन्म लेती है। मुरलीधरन डॉक्टर दंपत्ति को नई डिजाइन के घर दिखाता है कुछ डिजाइनों पर चर्चा के बाद एक डिजाइन को फाइनल करके उस पर काम शुरू कर दिया जाता है।

Shams ki Zubani: मुरलीधरन का काम और उसकी लगन को देखकर डॉक्टर ओमाना उसकी तरफ आकर्षित होती है और दोनों में पहले दोस्ती और फिर प्यार हो जाता है। और दोनों के बीच नजदीकी बढ़ जाती है। कुछ दिन तक दोनों के बीच की बात दोनों तक ही रहती है लेकिन ऐसे रिश्तों की एक अजब खुशबू होती है जो दूसरों इसकी महक दे देती है।

जाहिर है दोनों के रिश्तों के बारे में अब खुसर पुसर शुरू हो जाती है। जाहिर है ये बात डॉक्टर राधाकृष्णन तक पहुँची। डॉक्टर राधाकृष्णन ने समझाने की कोशिश की लेकिन प्यार में पागल हो चुकी डॉक्टर ओमाना ने अपने पति की बात नहीं मानी। अब बात इस कदर आगे बढ़ गई कि नौबत तलाक की आ गई। डॉक्टर राधाकृष्णन ने आखिरकार अपनी बीवी को तलाक दे दिया। लेकिन दोनों बच्चों को अपने पास ही रख लिया। अब डॉक्टर ओमाना पूरी तरह से आजाद थी।

मुरलीधरन से खुलकर मिलने की वजह से उसकी बात पूरे शहर में फैल गई और देखते ही देखते उसका क्लीनिक भी खाली रहने लगा। पेशेंट भी अब उसके पास नहीं आते थे। लिहाजा डॉक्टर ओमाना ने अब मुरलीधरन पर शादी करने का दबाव डालना शुरू किया।

Shams ki Zubani: लेकिन मुरलीधरन पहले से ही शादीशुदा था और उसके भी दो बच्चे थे। लिहाजा उसने शादी से इनकार कर दिया। मुरलीधनर से ना सुनने के बाद डॉक्टर ओमाना ने केरल छोड़ने का इरादा किया और मलयेशिया में जाकर अपना बसेरा बनाया।

मलयेशिया में पहुँचकर डॉक्टर ओमाना ने एक क्लिनिक में नौकरी शुरू कर दी। मलयेशिया जाने के बाद भी डॉक्टर ओमाना ने मुरलीधरन के साथ संपर्क नहीं छोड़ा। बल्कि दोनों लगातार एक दूसरे को फोन करते और एक दूसरे के संपर्क में बने रहे।

अब मुरलीधरन थोड़ा लालची भी हो गया था और वो डॉक्टर ओमाना से पैसे तक मांगने लगा था। तब डॉक्टर ओमाना ने मुरलीधरन को एक ऑप्शन दिया. उसने कहा कि मलयेशिया आ जाओ तो यहीं रहकर हम दोनों अच्छी ज़िंदगी बिताएंगे।

अब डॉक्टर ओमाना ने अपना नाम बदल लिया। और केरल में अपने ही एक जानकार से मिलकर उसने अपना नाम अमीना बिंदे ओबेदुल्ला कर लिया। और मुरलीधरन को भी एक मुस्लिम नाम दे दिया और दोनों के दस्तावेज बनकर तैयार हो गए। और दोनों  मलयेशिया पहुँचकर पति पत्नी के तौर पर रहने लगे। अब सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। मगर मुरलीधरन की नीयत खराब थी।  उसकी नज़र ओमाना के पैसों पर ही टिकी हुई थी।

Shams ki Zubani: मुरलीधरन की पैसे मांगने की आदत की वजह से ओमाना का उससे झगड़ा होने लगा। तब मुरलीधरन ओमाना को मलयेशिया में छोड़कर भारत वापस लौट आया। भारत लौटकर उसने ओमाना को ब्लैकमेल करना शुरू किया। उसने कहा कि अगर ओमाना पैसे नहीं देगी तो वो मलयेशियाई पुलिस को उसके नकली नाम की जानकारी दे देगा।

मुरलीधरन का ब्लैकमेल करना डॉक्टर ओमाना को अखर गया। तब उसने एक खतरनाक इरादा किया। उसके बाद डॉक्टर ओमाना ऐसी साज़िशरचती है कि जिसके बारे में सुनकर केरल के लोग आज भी सन्न रह जाते हैं।

Shams ki Zubani: ये वाकया है 1996 का। डॉक्टर ओमाना मलयेशिया में जिस क्लीनिक में काम कर रही थी वहां से एक हफ्ते की छुट्टी लेती है और फिर 7 जुलाई को मलयेशिया से केरल पहुँचती है। केरल में तिरुवनंतपुरम में उतरने के बाद वो सीधे अपने भाई के घर पहुँचती है और फिर वहां अपने कीमती असबाब को रखने के बाद वो आगे के सफर पर चल पड़ती है।

तिरुवनंतपुरम से वो सीधे ऊटी पहुँचती है। और रेलवे के रिटायरिंग रूम में ठहर जाती है। लेकिन यहां वो 7 जुलाई को ही रूम नंबर चार बुक करवाती है हेमा के नाम से। बताती है कि वो दिल्ली से आई है।

वहां ठहरने के बाद वो बाजार जाती है और वहां से दो बड़े सूटकेस खरीदती है। और ऊटी के एक रिजॉर्ट में कमरा बुक करवाती है। ये बुकिंग तीन दिनों के लिए करवाती है। रिजॉर्ट में रूम बुक करवाने के बाद वो अपना सामान उसमें रख देती है और फिर वहां से टैक्सी लेकर मार्केट पहुँचती है और वहां के एक टेलिफोन बूथ से मुरलीधरन को फोन करती है।

मुरलीधरन को बताती है कि वो कालीकट में है। वो मुरलीधरन को अपने पास बुलाती है। पैसे देने के बहाने साथही ये भी कहती है कि एक दो दिन समय भी बिताना चाहती है। मुरलीधरन भी खुशी खुशी उसके पास पहुंच  जाता है।

Shams ki Zubani: मुरलीधरन को लेकर वो सीधा उसी रिजॉर्ट में पहुँचती है जहां उसने अपना कमरा बुक करवा रखा था। दोनों उसी रिजॉर्ट में रात बिताते हैं। और अगले रोज सुबह वो बाजार से खरीदे गए दो बड़े ट्रॉली बैग को ले जाकर रेलवे के रिटायरिंग रूम में रखदेते हैं। उसके बाद वहां से निकलकर ये दोनों एक होटल पहुँचते हैं और वहां अच्छा खाना खाते हैं और डॉक्टर ओमाना मुरलीधरन को खूब जमकर शराब पिलाती है।

इसके बाद दोनों रिटायरिंग रूम में जाते हैं। तब डॉक्टर ओमाना मुरलीधरन से कहती है कि वो मलयेशिया से एक ऐसी गोली लेकर आई है जो सेक्स पॉवर को बढ़ाती है। मुरलीधरन और खुश हो जाता है। डॉक्टर ओमाना मुरलीधरन को एक इंजेक्शन लगाती है। इंजेक्शन का असर बहुत तेज होता है और मुरलीधरन की सांसें थम जाती हैं और आंखे बाहर निकल पड़ती हैं।

असल में वो जहरीला इंजेक्शन था जिससे वो मुरलीधरन को मार देती है। वो भी रेलवे रिटायरिंग रूम के भीतर। फिर डॉक्टर ओमाना लाश को खींचकर बाथरूम ले गई। उसके बाद उसने बड़ी ही तसल्ली से तीन घंटों तक उसने मुरलीधरन की लाश के टुकड़े किए। उसके बाद उसने लाश के छोटे छोटे टुकड़ों को अपने साथ लाए पॉलीथिन के बैग में भरने शुरू किए। और बाकी बचा सब कुछ कमोठ में डालकर फ्लश कर दिया।

Shams ki Zubani: उसके बाद लाशके टुकड़ों वाली पॉलिथिन को अपने साथ लाई बड़े बैग में रख लिए। और पूरी रात वहीं आराम से सोकर बिताई। अगली सुबह वो रेलवे रिटायरिंग रूम को खाली करती है और टैक्सी से बैग लेकर वहां से जाती है लेकिन मैनेजर से एक घंटे का अतिरिक्त वक़्त मांगती है ताकि वो वापस आकर अपना सामान वापस ले जा सके।

डॉक्टर ओमाना टैक्सी से उसी रिसॉर्ट में जाती है जहां उसने पहले से ही एक रूम बुक करवा रखा था। वहां जाकर वो सारे बैग कमरे में रखती है और फिर वापस रिटायरिंग रूम पहुँचती है वहां वो कमरे की चाबी मैनेजर को देती है और फिर वहां से सीधे रिसॉर्ट पहुँच जाती है।

रिसॉर्ट के कमरे में जाकर वो बैग खोलती है और लाशों के छोटे टुकड़ों को फ्लश कर देती है। लेकिन वो ज़्यादा टुकड़ों को फ्लश करने की बजाए वो वहां से निकलकर कोयंबटूर की तरफ निकल जाती है। वहां वो एक कमरा मुमताज के नाम से बुक करवाती है। इसके बाद फिर वही तरीका।

Shams ki Zubani: बैग से लाशों के पॉलिथिन बाहर निकालती है और फिर वहां फ्लश करना शुरू करती है। लेकिन लाशों के टुकड़े कुछ महकने लगे थे लिहाजा परफ्यूम को वो लाशों पर छिड़कती है और फिर सोचती है कि बाकी के टुकड़े वो कहां ठिकाने लगाए। तब उसे कोडइकनाल का सुइसाइड प्वाइंट याद आता है। चूंकि वो उसी इलाके की रहने वाली थी लिहाजा वो सीधे अब वहां का रुख करती है। कोडईकनाल पहुँचकर वहां भी एक कमरा बुक करती है।

वो जब कोडइकनाल में उस सुसाइड प्वाइंट पर पहुँचती है तो वहां उस रोज वीकेंड होने की वजह से अच्छी खासी भीड़ दिखी। जिससे उसका मकसद पूरा नहीं हो सका। लिहाजा वो वहां से वापस लौटती है। लेकिन जिस टैक्सी से वो लौट रही थी वो अचानक पंचर हो जाती है। तो टैक्सी वाला दूसरी टैक्सी करवाता है। दूसरी टैक्सी ओमनी वैन थी। जैसे ही ड्राइवर बैग को हाथ लगाता है कि उठाकर उसे अपनी टैक्सी में रखे तो डॉक्टर ओमाना मना कर देती है।

Shams ki Zubani: ड्राइवर को बड़ा अजीब लगता है मगर जब वो वहां से आगे बढ़ता है तो लाश से बदबू की वजह से उसे बेचैनी होने लगती है। तब वो महिला से पूछता है कि बैग में क्या है। तब डॉक्टर ओमाना एक नई चाल चलती है और ड्राइवर को अपने साथ मिलाने के लिए उसे सच बता देती है कि बैग में लाश के टुकड़े हैं और उसे ठिकाने लगाने पर अगर वो उसकी मदद करता है तो उसे पैसे भी मिलेंगे।

टैक्सी ड्राइवर इस प्रस्ताव को ठुकरा नहीं पाया बल्कि उसकी मदद  करने की बात कहता है। सूनसान रास्तों पर चले हुए ठंडी हवा के झोंको से डॉक्टर ओमनी को नींद आ जाती है। थोड़ी देर में जब टैक्सी रुकती है तो वो पुलिस स्टेशन के सामने थी।

Shams ki Zubani: ड्राइवर टैक्सी रोककर चीखता हुआ थाने के भीतर पहुँचा और बोला उसकी टैक्सी में लाशहै. तलाशी हुई तो टैक्सी में एक महिला बैठी हुई थी। डिक्की में रखे बैग की तलाशी में लाश के टुकडे मिले। और पुलिस ने फौरन महिला को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस ने तफ्तीश की और पूछताछ में पता लगा लिया कि लाश के टुकड़े किसके हैं। डॉक्टर ने सब कुछपुलिस को सही सही बता दिया। मुरलीधरन के परिवार को भी बताया गया। डॉक्टर गिरफ्तार हो चुकी थी। उसे पुलिस ने अदालत में पेश किया। करीब पांच साल तक मुकदमा चलता रहा।

साल 2001 में डॉक्टर ओमाना ने बेल के लिए याचिका डाली। अदालत ने उसे ज़मानत दे दी। और जमानत पर बाहर आने के बाद वो ऐसी गायब हुई कि 21 साल बाद भी आज तक उसका कोई अता पता पुलिस नहीं लगा सकी।

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