Kolkata Rape: क्या हैवानियत के राज़ छिपा रहे हैं RG Kar Hospital के पूर्व प्रिंसिपल? अब ऐसे सच उगलवाएगी CBI..
RG Kar Hospital Rape & Murder Case: कोलकाता मर्डर में इस वक्त सीबीआई के निशाने पर दो बड़े किरदार हैं। एक गिरफ्तार है तो दूसरा सीबीआई के सवालों में घिरा हुआ है। गिरफ्तार किरदार से निपटने के बाद अब जांच एजेंसी हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल का इलाज करने का प्लान कर रही है, क्योंकि कई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब वही दे सकते हैं और तभी इस केस की गुत्थी सुलझ भी सकती है।
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न्यूज़ हाइलाइट्स
Kolkata कांड में किरदार नंबर -2 का बयान
CBI को डॉक्टर की बताई बातें हजम नहीं हो रहीं
51 घंटे की पूछताछ के बाद भी सच सामने नहीं आया
Kolkata RG Kar Medical College: कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज (RG Kar Medical College) में हुई रेप और हत्या की वारदात का एक आरोपी है संजय रॉय (Sanjay Roy) जो गिरफ्त में है, और सीबीआई लगातार उसके सीने में छुपे राज बाहर निकालने का जतन कर रही है। पहले उससे कोलकाता पुलिस ने पूछताछ की, फिर देश की सबसे काबिल जांच एजेंसी CBI ने संजय रॉय से सच उगलवाने की कोशिश की, मगर जब जांच एजेंसी को लगा कि संजय रॉय पूरी तरह से खुलकर बात नहीं कर रहा, तो मनौवैज्ञानिक तरीका अपनाया गया और साइकोलोजिकल टेस्ट करवा लिया गया। मगर इसके बावजूद सीबीआई को लग रहा है कि संजय रॉय अब भी कुछ छुपा रहा है। लिहाजा अब मशीन के जरिए उसके सीने में छुपे राज सीबीआई फाश करने की कोशिश करेगी।
Kolkata कांड का किरदार नंबर -2
इसी कोलकाता रेप और मर्डर कांड के एक और किरदार हैं, नाम है संदीप कुमार घोष। ये कोई मामूली हैसियत के आदमी नहीं हैं, बल्कि जिस आर जी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हैवानियत हुई, उसी अस्पताल में डॉक्टर संदीप कुमार घोष प्रिंसिपल थे। अब नहीं हैं। वैसे इस कांड में अब तक जितनी भी लेथन हुई है, उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ इन्हीं का हाथ है। वैसे उस अस्पताल में ये बात भी मशहूर थी कि घोष साहब की इजाजत के बगैर वहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता। और संजय रॉय को इस बात की इजाजत थी कि वो कहीं भी जाकर हाथ पैर और सिर मार सकता है। तभी तो वो उस सेमिनार हॉल तक आधी रात के बाद जा पहुँचा जहां अस्पताल के डॉक्टर भी आमतौर पर नहीं जाते।
51 घंटे की पूछताछ फिर भी सच से दूर
तो बात हो रही थी संदीप कुमार घोष साहब की। असल में संजय रॉय की ही तरह देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई को लगता है कि डॉक्टर घोष भी सच नहीं बता रहे। या कुछ छुपा रहे हैं। क्योंकि अब तक इस केस में जो कुछ भी सामने आया है, वो सब तभी सामने आया जब और जैसे डॉक्टर संदीप घोष ने चाहा। हालांकि सीबीआई अब तक चार पांच राउंड में करीब करीब 51 घंटों तक डॉक्टर साहब के साथ बैठकर चाय-नाश्ता कर चुकी है। बीच-बीच में उनके बीच बातचीत भी हुई मगर डॉक्टर साहब बहुत ढीठ हैं, कुछ बोलते ही नहीं और जब भी बोलते हैं कुछ नया बोल देते हैं, जो पहले वाले जवाब से मेल नहीं खाता।
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सीबीआई करवाएगी Polygraph Test
दरअसल सीबीआई डॉक्टर संदीप घोष की बातचीत से बिलकुल भी संतुष्ट नहीं है। अंदर की बात तो ये है कि सीबीआई ने संदीप घोष का भी पॉलिग्राफ टेस्ट (Polygraph Test) करवाने का मन बना लिया है, अब वो कागज तैयार कर रही है ताकि उस पर कोर्ट की मुहर ले सके। ऐसा सीबीआई इसलिए कर रही है क्योंकि संदीप घोष की बातों और बयानों में जबरदस्त विरोधाभास है, जिसकी वजह से अब उनकी पोल खुलती दिखाई दे रही है।
सीने के राज़ बाहर लाने का प्लान
लेकिन पोल खुलना तो कोई सबूत नहीं हुआ, इसके लिए साइंटिफिक सबूत की जरूरत पड़ती है लिहाजा सीबीआई ने तय कर लिया है कि संजय रॉय को निपटाने के बाद फिर डॉक्टर संदीप घोष को निपटाएंगे यानी उनके सीने में छुपे राज़ को मशीन के जरिए मथकर बाहर निकाला जाएगा।
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संदीप घोष से कई सवाल हुए, मसलन-
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-उनको वारदात के बारे में कब पता चला?
-वारदात के वक्त वो कहां थे?
-पीड़िता के परिवार को इस वारदात के बारे में किसने खबर की?
-खबर सुनने के बाद अस्पताल पहुँचने के बाद क्या क्या किया?
-क्राइम सीन को तमाशबीनों के कदमों तले रौंदने क्यों दिया गया?
डॉक्टर साहब जवाब गोल कर गए
लेकिन ऊपर के दो या तीन सवालों के जवाब के अलावा घोष साहब सारे जवाबों को रसगुल्ले की तरह गोल कर गए। और ऐसी चाशनी फैलाई कि सीबीआई जवाब कम और चिपचिप समेटने में ज्यादा लग गई। वैसे तो इस कांड से पर्दा सीबीआई की डॉक्टर संदीप घोष से बातचीत या सवाल जवाब के बाद ही पड़ जाना चाहिए, लेकिन डॉक्टर साहब ने ऐसा रायता फैलाया कि अब तो सीबीआई के लिए पूरा समेटना जरूरी हो गया है। वैसे संदीप घोष से सीबीआई काफी कुछ जानना चाहती है। लेकिन वो बता ही नहीं रहे हैं।
सीबीआई करेगी डॉक्टर का इलाज
जबकि सच्चाई ये है कि डॉक्टर साहब को सिर्फ इस मर्डर के बाद के बदले हालात के बारे में ही नहीं, इस अस्पताल के भीतर की और भी बहुत सी बातों बल्कि करीब करीब सारी बातों के बारे में सब कुछ पता है, लेकिन वो तो डॉक्टर हैं, कैसे अपने मरीज को एक झटके में ठीक कर दें। मगर शायद वो भूल गए कि सीबीआई भी ढीठ मरीज है जो जल्दी ठीक होकर ही रहेगी, इसलिए अब सीबीआई ने खुद डॉक्टर साहब का इलाज करने का इरादा कर लिया है और अब इस रेप और हत्या की गुत्थी को डॉक्टर साहब से ही खुलवाने का मन बना लिया है।
डॉक्टर की बताई बातें हजम नहीं हो रहीं
सीबीआई को डॉक्टर साहब की जो बात हलक से नीचे नहीं उतर रही वो ये है कि डॉक्टर साहब ने बताया कि उन्हें अस्पताल में डॉक्टर की डेथ के बारे में सुबह सात बजे पता चला। चलो मान लिया, डॉक्टर साहब को अस्पताल आने में करीब एक घंटा लग गया, सीबीआई ने ये बात भी गटक ली। लेकिन किस आधार पर अस्पताल की तरफ से मरने वाली डॉक्टर को घरवालों को उसके मरने की इत्तेला दी गई, और पुलिस तक इस बात को पहुँचाने में इतना टाइम कैसे लग गया?
एक जवाब चाहती है CBI
इसका जवाब जो कुछ भी डॉक्टर साहब को समझ में आ रहा है वो हर बार बदल बदलकर दे रहे हैं, और इसी बात ने सीबीआई को उलझन में डाल दिया कि डॉक्टर साहब की कहीं कौन सी बात मान ले। लिहाजा वो एक जवाब चाहती है। लिहाजा सीबीआई की टीम अब डॉक्टर साहब से एक जवाब हासिल करने का इंतजाम कर रही है। हालांकि सवाल तो अनगिनत हैं, क्योंकि अस्पताल में काम करने वाले और आने जाने वाले अनगिनत लोगों ने पुलिस के आने से पहले गोपीचंद जासूस बनके मौका-ए-वारदात का मुआयना कर लिया था, और अपने अपने कयास अस्पताल भर में उड़ा दिए थे।
कहां से आई आत्महत्या की थ्योरी!
लिहाजा पुलिस के साथ साथ अब सीबीआई क्या कर रही है, तो लेडी डॉक्टर की हत्या के बाद परिवार को पहले आत्महत्या की थ्योरी क्यों दी गई, क्राइम सीन को सुरक्षित क्यों नहीं रखा गया.. जैसे कई अहम सवालों के जवाब सीबीआई ढूंढ रही है। सीबीआई आरजी कर मेडिकल कॉलेज के उन 4 छात्रों के जरिए उस रात के काले सच तक पहुंचना चाहती है जिन्होंने उस रात पीड़ित डॉक्टर के साथ डिनर किया था।
जवाब तो देना पड़ेगा!
अब जाहिर है कि जांच एजेंसी के पास इतने सवाल हैं तो किसी न किसी को जवाब तो देना ही पड़ेगा, आखिर मामला एक ट्रेनी डॉक्टर की जान और जान से भी बड़ी इज्जत का है, और उसके लिए अगर सीबीआई के सवालों की वजह से डॉक्टर साहब की इज्जत उछालती है तो उछले, क्योंकि यहां सवाल देश की एक बेटी की इज्जत का है, उससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता, शायद इसी लिए सीबीआई को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, उसे तो बस सच से मतलब है।
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