अंदर की बात है, Arrest हो सकते हैं संदीप घोष! ट्रेनी डॉक्टर के साथ उस रात Dinner करने वाले दोस्त अब CBI के Radar पर

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अंदर की बात है, Arrest हो सकते हैं संदीप घोष! ट्रेनी डॉक्टर के साथ उस रात Dinner करने वाले दोस्त अब CBI के Radar पर
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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सियालदाह कोर्ट से पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की मिली मंजूरी

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ट्रेनी डॉक्टर के साथ डिनर करने वाले दोस्तों पर नजर

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संदीप घोष की अब मुसीबत बढ़ने वाली है

Kolkata Rape and Murder Case: सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) करीब 72 घंटों की लंबी और थका देने वाली पूछताछ के बाद भी जब अपने मतलब का सच नहीं जान पायी। या यूं भी कह सकते हैं कि जो सच सीबीआई जान तो चुकी है, लेकिन उसे आरजी कर मेडिकल कॉलेज (RG Kar Medical College) के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष (Sandeep Ghosh) के मुंह से सुनना था मगर प्रिंसिपल साहब ने अपने होशो हवास में रहते हुए उस तरह मुंह नहीं खोला, तो अब उसने पॉलिग्राफ टेस्ट (Polygraph Test) का आसरा किया है। कहने के मायने ये हैं कि अब सीबीआई की टीम किसी दूसरे काबिल डॉक्टर की देखरेख में डॉक्टर संदीप घोष को एक इंजेक्शन देकर और फिर उन्हें तारों से जकड़कर कुछ बुलवाएगी, और मशीन तय करेगी कि डॉक्टर साहब कितना परसेंट सच और कितना परसेंट झूठ बोल रहे हैं। 

पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की मिली मंजूरी

गुरुवार को इन पांचों के पॉलिग्राफ टेस्ट के लिए सीबीआई ने कोलकाता के सियालदाह कोर्ट में अर्जी दी थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। इसके साथ साथ सीबीआई को लगता हैकि उस रात घिनौनी वारदात का शिकार होने वाली ट्रेनी डॉक्टर को आखिरी बार जिंदा देखने वाले और उसके साथ उस रात आखिरी बार डिनर करने वाले उन चार डॉक्टर दोस्तों को भी अभी काफी कुछ पता है जिसका उन्हें पता होना चाहिए, लिहाजा सीबीआई अब उनका भी पॉलिग्राफ टेस्ट कराने की तैयारी में लग गई है। 

बढ़ने वाली है संदीप घोष की मुश्किलें

साफ है कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में लेडी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस में अब पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की मुश्किलें बेहिसाब बढ़ सकती हैं। अंदर की बात तो ये भी कहते सुना जा रहा है कि सीबीआई की ओर से डॉ संदीप घोष की गिरफ्तारी भी की जा सकती है। दरअसल अस्पताल में एक लेडी डॉक्टर के साथ रेप और फिर मर्डर का मामला सामने आने के बाद से ही संदीप घोष खबरों में हैं। हालांकि 9 अगस्त को अस्पताल के सेमिनार हॉल में ट्रेनी डॉक्टर का शव मिलने के दो दिन बाद संदीप घोष ने प्रिंसिपल की कुर्सी छोड़कर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन उसके बाद से ही वो लगातार  केंद्रीय जांच एजेंसी के सवालों के सामने बने हुए हैं। 

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सीबीआई के सवालों के सामने हैं संदीप

सीबीआई की शुरुआती छानबीन में ये तो साफ हो गया कि 8 और 9 अगस्त की दरम्यानी रात को आरजी कर अस्पताल की ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर में सिर्फ एक ही शख्स शामिल था। संजय रॉय। लेकिन अब तक की सीबीआई की जांच में ये भी साफ हो गया कि इस वारदात के सामने आने के बाद आरजी कर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष ने जानबूझ कर मामले को रफा दफा करने की भरपूर कोशिश की। लेकिन अब ये कोशिश उन्होंने अपने पूरे होशो हवास में की, क्या किसी के इशारे पर की, या उनसे सीन ऑफ क्राइम को खराब उनकी लापरवाही का नतीजा है? बस सीबीआई को यही सब समझना है। जांच एजेंसी ये भी जानना चाहती है कि इस मामले में ढिलाई बरतने के लिए क्या पुलिस पर भी दबाव बनाया था? अगर हां, तो क्यों? कुछ ऐसे ही सवालों की तह तक जाने के लिए सीबीआई ने बाकायदा सियालदाह कोर्ट से संदीप घोष के पॉलिग्राफ टेस्ट की मंजूरी ले ली। 

डिनर वाले दोस्त भी रडार पर

हालांकि सीबीआई इस सिलसिले में पहले ही डॉक्टर संदीप घोष के अलावा चारों डॉक्टरों से पूछताछ कर चुकी है। लेकिन इस पूछताछ में कुछ ऐसे जरूरी सवाल हैं जिनके जवाब नहीं मिले। कुछ जवाब तो मिले लेकिन वो नहीं जो सोचे गए थे। बल्कि ऐसे जवाब मिले हैं जो कुछ और ही कहानी समझा रहे हैं। बस तभी सीबीआई को लगने लगा कि सच्चाई है तो कुछ और लेकिन दिखाई और बताई कुछ और जा रही है। यानी ये लोग केस से जुड़ी बातें खुल कर बताने से कहीं न कहीं गुरेज कर रहे हैं। लिहाजा पॉलीग्राफ टेस्ट कराने का पूरा ग्राउंड तैयार हो गया। क्योंकि ये एक ऐसा साइंटिफिक तरीका है जिसे कोर्ट भी मानती है और इसमें किसी का कुछ नुकसान होता नहीं। 

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हर लिहाज से हो रही खाना तलाशी

लगातार सात दिनों तक सीबीआई के सवालों से जूझते हुए संदीप घोष ने कई जवाब दिए हैं। उनकी गाड़ी की भी तलाशी ली जा चुकी है, छानबीन की जा रही है। अस्पताल के सभी रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। मगर सीबीआई के हाथ मनमाफिक बातें नहीं लगीं। सीबीआई ये देखने समझने की कोशिश कर रही है कि कहीं सबूत मिटाने के सिलसिले में डॉ. घोष ने अपनी गाड़ी का कोई बेजा इस्तेमाल तो नहीं किया। कोई सामान लाने-जाने या छुपाने में उसकी कोई भूमिका तो नहीं थी।  ज़ाहिर है, इस मामले में कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ छुपाने की कोशिश जरूर हो रही है, तभी सीबीआई इस तकनीक का सहारा ले रही है।

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जहां से पढ़े जहां गढ़े वहीं अड़े

क्या अजीब इत्तेफाक है कि जिस मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद संदीप घोष उसी कॉलेज के प्रिंसिपल बने अब उसी मेडिकल कॉलेज की हद में हुए गुनाह के लिए सवालों से जूझ रहे हैं। और देखा जाए तो जमाने के नज़र में एक तरह से सबसे बड़े कसूरवार बनकर सामने आ गए हैं। शिकायतें तो संदीप घोष के खिलाफ बहुत हैं। कितनी सही और कितनी गलत इसका फैसला तो अदालत को करना है, मगर मौजूदा हालात में उनके अच्छे दिन तो नहीं चल रहे। ये दिन बदलेंगे या अभी उन्हें और भी ज्यादा बुरे दिन देखने हैं ये बस वक्त की बात है। 
 

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