यासीन मलिक: एक बूथ एजेंट से ऐसे बना था खूंखार आतंकवादी, 4 वायुसैनिकों को किया था शहीद

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यासीन मलिक: एक बूथ एजेंट से ऐसे बना था खूंखार आतंकवादी, 4 वायुसैनिकों को किया था शहीद
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Yasin Malik News: यासीन मलिक को जानने के लिए ज़रूरी है पहले कुछ ऐसी घटनाओं पर नज़र दौड़ाएं कि वो कौन कौन से क़िस्से थे जिसने यासीन मलिक को सुर्खियों का सरताज बना दिया। सबसे पहले

13 अक्टूबर 1983। जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में भारत और वेस्टइंडीज़ का क्रिकेट मैच चल रहा था। इस मैच में जैसे ही लंच ब्रेक हुआ, कुछ लड़के मैदान में दाखिल हो गए और पिच खोदने लगे। पुलिस ने सभी को पकड़ लिया और उनके ख़िलाफ़ मुकदमा चला।

11 फरवरी 1984। आतंकी मक़बूल भट को फांसी दे दी गई थी। श्रीनगर में इस फांसी का जमकर विरोध हुआ। मकबूल भट के समर्थन में पोस्टरों से श्रीनगर को पाट दिया गया था। इस हरकत के लिए पुलिस ने जिस 18 साल के लड़के को पकड़ा था उसका नाम रजिस्टर में दर्ज हुआ था यासीन मलिक।

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Yasin Malik Profile: 13 जुलाई 1985। श्रीनगर के ख़्वाज़ा बाज़ार में नेशनल कॉन्फ्रेंस की एक राजनैतिक रैली हो रही रही थी, तभी अचानक 60-70 लड़के उस रैली में पहुँच गए और वहां पटाखे फोड़ दिए। पटाखों की आवाज़ से लोगों को बम विस्फोट का भ्रम हुआ और भगदड़ मच गई।

ये तीन घटनाएं केवल ये जताने के लिए सामने लाए हैं ताकि पता चल जाए कि हम जिस यासीन मलिक की बात करने जा रहे हैं वो असल में अपने ज़माने में वो हिन्दुस्तानी क़ानून के लिए कितना बड़ा सिरदर्द बना हुआ था।

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असल में यासीन मलिक ही वो वाहिद शख़्स है जिसकी जम्मू कश्मीर में आतंक को बढ़ाने और वहां के नौजवानों को भड़काने और बरगलाने के लिए एक कुख्यात पहचान बनी हुई है। मीडिया के सामने आकर कश्मीर की आज़ादी के तराने गाने की कोशिश करने वाला यासीन मलिक असल में बंदक और बम के दम पर कश्मीर में अपना ख़ौफ़ और आतंकवाद को बढ़ावा देने की फिराक़ में लगा रहा।

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Latest Terror News: यासीन मलिक इस वक़्त तिहाड़ में बंद है। लेकिन जब यासीन मलिक 17 साल का था तभी पहली बार उसने जेल की रोटी का स्वाद चख लिया था। ये वो दौर था जब मार काट और दहशत फैलाने के लिए यासीन मलिक ने अपनी एक ताला पार्टी बना रखी थी। ये ऐसा संगठन था जो कश्मीर घाटी में हिंसा करने के साथ साथ माहौल खराब करने की कोशिश करता रहा।

1986 में जेल से बाहर आने के बाद यासीन मलिक ने अपनी ताला पार्टी का नाम बदला और उसे इस्लामिक स्टूडेंट लीग यानी ISL का नाम दे दिया। उसके बाद यासीन मलिक ने इस नई पार्टी के नाम पर जमकर उपद्रव मचाया। अशफ़ाक मजीद वानी, जावेद मीर और अब्दुल हामीद शेख जैसे आतंकवादी इस ISL के खास सदस्य थे।

Yasin Malik Verdict: लेकिन मार्च 1987 जम्मू-कश्मीर में हुए विधान सभा चुनाव ने यासीन मलिक की क़िस्मत में जबरदस्त मोड़ पैदा किया। और यही वो चुनाव थे जहां से कश्मीर घाटी की दशा और दिशा बदल गई। इस चुनाव में कई अलगाववादी पार्टियों ने मिलकर मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट (MUF) ने चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में मोहम्मद यूसुफ शाह MUF का उम्मीदवार था और यासीन मलिक उसका एजेंट।

यासीन मलिक ने युसूफ शाह के लिए जमकर चुनाव प्रचार किया था, लेकिन चुनाव में वो हार गया था। ये वही मोहम्मद यूसुफ शाह है जिसने हिजबुल मुजाहिदीन नाम का आतंकी संगठन बनाया था और बाद में इसी मोहम्मद युसूफ शाह ने आतंक की जमात में सैयद सलाहुद्दीन के नाम से पहचान बनाई।

Latest Terror News: 1987 के चुनाव में मोहम्मद यूसुफ शाह की हाल ने ही कश्मीर घाटी में आतंकवाद और अलगाववाद को हवा दी थी। हालांकि एक इंटरव्यू के दौरान यासीन मलिक ने कहा था कि 1987 के चुनाव के बाद उसने हथियार नहीं उठाए थे बल्कि उससे पहले ही वो वहां मौजूद था। चुनाव के बाद कश्मीर घाटी में आतंकी वारदात के बढ़ने के साथ ही मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट तमाम उम्मीदवार आतंकी घटनाओं में शामिल हो गए थे।

1987 में ही यासीन मलिक कुछ वक़्त के लिए पाकिस्तान भी चला गया था। बताया जाता है कि इस दौरान यासीन मलिक ने पाकिस्तान में आतंक की बाकायदा ट्रेनिंग ली थी।

1988 में यासिन मलिक जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रेंट यानी JKLF से जुड़ गया था। और उसके बाद तो उसने कश्मीर घाट में ताबाही मचा दी थी। उसने नौजवानों को भड़काकर उन्हें हथियार उठाने को मजबूर किया था। और 1989 में यासीन मलिक ने अपने इशारे पर JKLF के साथ जुड़े आतंकियों के साथ मिलकर कश्मीर में क़त्ले आम मचा दिया था। रिकॉर्ड गवाह है कि यासीन मलिक के इशारे पर ही कश्मीर घाटी सुलगने लगी थी।

Yasin Malik Verdict: इसी बीच एक ऐसी घटना हुई जिसने पूरे हिन्दुस्तान को हिलाकर रख दिया था। असल में 8 दिसंबर 1989 में देश के गृह मंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद को आतंकियों ने अगवा कर लिया था। और रूबिया सईद की रिहाई के बदले JKLF ने 20 आतंकियों को रिहा करने की शर्त सामने रखी थी।

इसके बाद सरकार और आतंकियों के बीच समझौते के कई दौर हुए, और आखिर में रूबिया सईद के बदले पांच आतंकियों को छोड़ने के लिए सरकार राजी हो गई। आतंकियों और खासतौर पर यासीन मलिक की ये अब तक की सबसे बड़ी जीत थी, जिसको लेकर पूरे कश्मीर में जश्न का दौर शुरू हुआ। कश्मीर में हिन्दुस्तान के ख़िलाफ़ नारे बाजी का नया सिलसिला शुरू हुआ। सड़कों पर कश्मीर की आज़ादी के नारे गूंजने लगे।

Kashmiri separatist leader: रुबिया सईद के अपहरण के बाद क़रीब डेढ़ महीने के बाद यासीन मलिक ने वो हरकत की जिसने हिन्दुस्तान को खून के आंसू रोने को मजबूर कर दिया। 25 जनवरी 1990 को यासीन मलिक और उसके साथी आतंकियों ने श्रीनगर में वायुसेना के जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी।

इस घटना में वायुसेना के चार जवान शहीद हो गए थे। कश्मीर घाटी कत्लेआम शुरू हो गया और कश्मीरी पंडितों को मार कर भगाया जाने लगा। और ये सब कुछ यासीन मलिक के इशारे पर ही हो रहा था।

JKLF leader Yasin Malik: इस घटना के बाद जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बल ने अपने ऑपरेशन तेज़ किए जिसमें JKLF के कई आतंकियों को मार गिराया गया। ये सिलसिला तीन साल तक यूं ही चलता रहा। आखिरकार 1994 में यासीन मलिक को घायल हालत में गिरफ़्तार कर लिया गया लेकिन चार महीने के बाद ही यासीन मलिक जेल से रिहा हो गया। यहां से यासीन मलिक ने सियासत का दामन थामा। लेकिन 1995 में जम्मू कश्मीर में विधान सभा चुनाव का एक बार फिर विरोध किया। बताया जाता है कि JKLF को दरअसल पाकिस्तान से फंड मिलना बंद हो गया था इसीलिए यासीन मलिक ने आतंकवाद का रास्ता छोड़कर अलगाववाद का रास्ता अख्तियार किया और सियासत करने लगा।

1999 में यासीन मलिक को एक बार फिर गिरफ़्तार किया गया। लेकिन जेल के भीतर और बाहर रहते हुए यासीन मलिक ने राजनीति करता रहा। यहां तक कि वो एक सियासतदां बनकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपतियों से मुलाकात भी करने लगा था। इतना ही नहीं यासीन मलिक ने अब सियासत का जामा पहनकर पूरी दुनिया में भारत के ख़िलाफ माहौल बनाना शुरू कर दिया था।

JKLF leader Yasin Malik साल 2007 में यासीन मलिक ने सफ़र ए आज़ादी के नाम से एक मुहिम शुरू की। लेकिन यासीन मलिक की उस वक़्त पूरे हिन्दुस्तान में जमकर आलोचना हुई जब उसने फरवरी 2013 में लश्कर-ए-तोएबा के सरगना हाफिज सईद के साथ मंच साझा किया।

इसके बाद जनवरी 2016 में यासीन मलिक ने पाकिस्तान के तब के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें उसने गिलगित बाल्टिस्तान को पाकिस्तान में मिलाने का विरोध किया था। लेकिन 2017 में भारत की सबसे बड़ी जांच एजेंसी NIA ने यासीन मलिक के ख़िलाफ़ टेरर फंडिंग का मामला दर्ज किया। यासीन मलिक के ख़िलाफ़ पाकिस्तान से पैसे लेकर कश्मीर घाटी में अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने का संगीन आरोप लगा जिस पर दिल्ली की अदालत ने फैसला सुनाया है।

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