Jyoti Murder: आठ साल चले हत्या के मुकदमें में 560 तारीखों के बाद हुआ क़ातिल का फैसला
Jyoti Murder: कानपुर (Kanpur) के मशहूर ज्योति हत्याकांड के मामले में गुरुवार को अपर ज़िला जज ने ज्योति के पति (Husband) उसकी प्रेमिका समेत छह लोगों के दोषी करार दिया है।
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Kanpur Murder Case: 27 जुलाई 2014 को हुए क़त्ल (Murder) का ये मुकदमा (Case) आठ साल तक चला। इसका सबसे हैरतअंगेज पहलू ये है कि इस दौरान 560 तारीखें पड़ी जबकि 45 गवाहों के बयान (Witness) अदालत में दर्ज हुए।
उसके बाद जज अजय कुमार त्रिपाठी इस हत्याकांड में इस नतीजे पर पहुँचे कि ज्योति के पति पियूष श्यामदासानी, पियूष की प्रेमिका मनीषा मखीजा, मनीषा का ड्राइवर अवधेश चतुर्वेदी, रेनू कनौजिया, सोनू कश्यप और आशीष कश्यप को इस मामले में दोषी पाया। जबकि इस मामले में ज्योति की सास समेत तीन लोगों को बरी कर दिया गया।
आठ साल के बाद इस मुकदमें में आखिरकार वो मौका आया जब ज़माने के सामने ज्योति के क़ातिल का चेहरा खुलेआम हो सका। इस मामले में चार ऐसे सबूत भी सामने आए जिनसे ये केस का फैसला करने में जज को सहूलियत हुई।
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सबूत नंबर एक – ज्योति ने डायरी में लिखा था दर्द
Jyoti Murder Case: असल में पियूष की पत्नी ज्योति ने अपनी डायरी में वो सब कुछ लिखा था जो उसका उसके पति के बीच का रिश्ता उसने देखा था. शादी के बाद से ही ज्योति और पियूष एक दूसरे के लिए अनजान ही बने रहे। वो दोनों ज़माने को दिखाने के लिए तो पति पत्नी बने रहे लेकिन असल में दोनों के बीच कभी भी पति पत्नी जैसी कोई बात नहीं रही।
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अलबत्ता ज्योति के कहने पर पियूष ने खुद ज्योति से कहा था कि वो मनीषा के साथ प्यार करता है लिहाजा उसके साथ वो रिश्ता नहीं रख सकता। सिर्फ ज़माने को दिखाने के लिए ही वो पति पत्नी बने रहेंगे। इतना ही नहीं ज्योति ने उस डायरी में वो सारी बातें भी लिखी थी जैसे वो कब घर आता था कब घर से अचानक चला जाता था, वो कब कब मनीषा से मिलने के लिए छुप छुपकर रातों को जाता था।
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इतना ही नहीं वो मनीषा के साथ फोन पर कैसे कैसे बातें करता था। मनीषा ने अपनी डायरी में ससुराल में घुटन जैसी बात भी लिखी थी। साथ ही इस बारे में उसकी अपनी सास से क्या बात हुई वो सब भी ज्योति की डायरी में लिखी हुई थी जिसने पुलिस को इस कत्ल के केस को सुलझाने में सहूलियत हुई।
सबूत नंबर दो- सीसीटीवी ने खोले कई राज
Jyoti Murder जिस दिन ज्योति का क़त्ल हुआ उस रोज पियूष सुबह सवेरे ज्योति को लेकर खाना खिलाने के बहाने से रेस्ट्रॉन्ट ले गया था। पुलिस ने जब ज्योति के कत्ल के बाद रेस्ट्रॉन्ट के सीसीटीवी खंगाले तो उसने पियूष और ज्योति एक टेबल पर खाना खाते तो दिखाई दिए, मगर उनके बीच की कैमिस्ट्री कुछ ऐसी थी जो पुलिस अफसरों को अखर गई थी।
असल में सीसीटीवी से ही ये बात साफ हो गई थी कि पति पत्नी छुट्टी वाले रोज बाहर खाना खाने गए लेकिन रेस्ट्रॉन्ट में खाना खाने से पहले और बाद में दोनों के बीच कोई बात चीत तक नहीं दिखाई दी। इस बीच पियूष लगातार फोन पर ही बात करता रहा।
इस बात ने पुलिस के दिमाग में उस शक को पुख्ता किया था जो ज्योति के मर्डर के बाद पुलिस को पियूष और उसकी हरकतों को देखकर हुआ था। लिहाजा सीसीटीवी की फुटेज को पुलिस ने अहम सबूत के तौर पर पेश किया।
सबूत नंबर तीन- चाकू पर मिला ज्योति का खून
Jyoti Murder : इस हत्याकांड में जिस चाकू का इस्तेमाल हुआ पुलिस ने उसे बरामद करने के बाद उसे लैब में जांच के लिए भेजा। उस चाकू पर लगा खून और ज्योति का खून एक ही ग्रुप का निकला। पुलिस की तफ्तीश में ये बात भी सामने आई कि जिस चाकू से ज्योति की हत्या की गई थी वो एक मॉल से खरीदा गया था।
पुलिस ने बाद में चाकू खरीदे जाने वाला सीसीटीवी फुटेज भी हासिल कर लिया था। इसे भी पुलिस ने अपना सबसे अहम सबूत के तौर पर अदालत में पेश किया था। अदालत में इस सबूत को दिखाने के लिए बाकायदा सीडी चलाकर दिखाई गई थी।
सबूत नंबर चार - कॉल डिटेल अहम बनीं
Jyoti Murder: पुलिस ने इस हत्याकांड की तहकीकात के दौरान पियूष श्यामदसानी के साथ साथ ज्योति और फिर मनीषा मखीजा के फोन की कॉल डिटेल खंगाली थी। जिससे ये बात साफ हो गई थी कि पियूष ने कब कब और कितने वक़्त तक किससे बात की। पुलिस की तफ्तीश में ये बात भी सामने आई थी कि पियूष और मनीषा ने अलग अलग और गलत नाम से सिम कार्ड लिए थे। और उन नंबरों से ही उनके बीच बात होती थी।
ये दोनों सिम टाटा कंपनी के थे और इसे बांदा के रहने वाले किसी श्याम के नाम से खरीदा गया था। यही कॉल डिटेल की रिपोर्ट पुलिस ने अदालत में सबूत के तौर पर पेश की, जो कत्ल की इस गुत्थी को सुलझाने में मददगार साबित हुए।
पुलिस ने इस मामले में 2700 पन्नों की एक केस डायरी अदालत में पेश की। इस मामले की तहकीकात के लिए पुलिस ने तीन टीमों को लगाया था।
इस मामले में पुलिस का सबसे पहला शक पियूष पर उस वक्त हुआ था जब वो पोस्टमॉर्टम के समय टी शर्ट बदलकर पोस्टमार्टम हाउस पहुँचा था। ये बात वहां मौजूद एक पुलिस अफसर को अखर गई थी। उसके बाद पुलिस ने अपनी जांच की दिशा बदलकर पियूष को शक के घेरे में ले लिया था।
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