काबुल ब्लास्ट : इस हमले की स्क्रिप्ट तो 1 साल पहले ही लिख दी गई, जानें कैसे

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काबुल ब्लास्ट : इस हमले की स्क्रिप्ट तो 1 साल पहले ही लिख दी गई, जानें कैसे
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तालिबान के कब्ज़े में आए अफ़ग़ानिस्तान में बेशक आतंकी हमला हुआ है लेकिन इसकी गूंज आज पूरी दुनिया में है। ना सिर्फ गूंज बल्कि ख़तरे की आहट भी आई है। ऐसी आहट जो कब और कहां बड़ा विस्फोट करा दे। इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।

ये मुश्किल इसलिए है क्योंकि इस आतंकी हमले के पीछे की जो वजहें सामने आईं हैं वो बेहद ही डरावनी हैं. क्योंकि अब जंग उन दोनों के बीच है जो एक ही विचारधारा के हैं. यानी ये कट्टर शरिया क़ानून से दुनिया पर राज करना चाहते हैं.

इंसानियत इनके लिए कोई मायने नहीं रखती है. अगर कुछ मायने हैं भी तो वो सिर्फ़ ख़ौफ़ का है. सवाल है कि आख़िर तालिबान और ISIS दोनों ही जब आतंकी संगठन हैं तो फिर ISIS ने काबुल पर हमला क्यों कराया?

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...तो बेखौफ़ हो चुका है ISIS

सवाल एक और भी है। वो ये है कि इन फिदाइन हमलों का अलर्ट 12 घंटे से पहले ही दे दिया गया था। इसके बाद भी क्यों नहीं रोका गया। यानी ये साफ है कि ISIS बेखौफ़ हो चुका है और वो कुछ भी कर सकता है। सामने चाहे अपने ही पुराने आतंकी संगठन हो या फिर सामने वाला दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका ही क्यों ना हो।

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तालिबान और ISIS के बीच जंग की वजह का पता लगाने के लिए जब हमने रिसर्च की तो बेहद ही अहम और चौंकाने वाली जानकारी मिली। दरअसल, इन हमलों की बुनियाद एक या दो दिन नहीं बल्कि एक साल पहले ही लिख दी गई थी। इसका ख़ुलासा अमेरिका नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया की सिक्योरिटी ने नवंबर 2020 में ही कर दिया था।

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ऑस्ट्रेलियन नेशनल सिक्योरिटी की पढ़े स्पेशल रिपोर्ट

ऑस्ट्रेलियन नेशनल सिक्योरिटी ने अपनी सरकारी और ऑफिशियल वेबसाइट पर 26 आतंकी संगठनों की पहचान कर उन्हें प्रतिबंधित किया है। इसमें सबसे अल क़ायदा, बोको हराम, ISIS, ISIS ख़ुरासान, जैश-ए-मोहम्मद समेत दुनिया के सभी बड़े आतंकी संगठनों को शामिल किया है। सिर्फ़ इतना ही नहीं, ऑस्ट्रेलियन नेशनल सिक्योरिटी ने इन आतंकी संगठनों की पूरी एक ख़ुफ़िया रिपोर्ट भी तैयार की है।

जिसे देखकर ये समझ में आता है कि दुनिया में भले ही अमेरिका की खुफ़िया एजेंसियों को हम बेहतर मानते रहे हों लेकिन ऑस्ट्रेलियन नेशनल सिक्योरिटी टीम उनसे कहीं आगे ही है। रिपोर्ट में ये साफ लिखा गया है कि फरवरी 2020 में जब अमेरिका और तालिबान के बीच समझौता हुआ तब इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रॉविन्स पहले से ज्यादा कट्टर हो गया था।

ISIS ख़ुरासान ने ख़ुद को सबसे कट्टर बताया

ISIS ख़ुरासान संगठन ने दुनिया भर के आतंकी संगठनों को ये मैसेज दिया कि अब वही यानी इस्लामिक स्टेट ही एकमात्र कट्टर और जिहादी संगठन है जो अपने वादों पर ख़रा उतरता है। वो तालिबान जैसा नहीं जो बाद में समझौता कर ले।

जैसे तालिबान ने अपने फायदे के लिए अमेरिका से फरवरी 2020 में दोहा और कतर में वार्ता कर समझौता कर लिया है। इस दावे के बाद ही ISIS ख़ुरासान ने कट्टरता और जिहाद के नाम पर ना सिर्फ फंडिंग बढ़ाई बल्कि लड़ाकों की संख्या को भी बढ़ाई।

ऑस्ट्रेलियन नेशनल सिक्योरिटी की इस रिपोर्ट से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि ISIS ख़ुरासान ने ख़ुद को दुनिया में सबसे कट्टर और अपने वादे पर अमल रहने मैसेज देने और तालिबान व अमेरिका को सबक सिखाने के लिए ही काबुल में फ़िदाइन हमले को अंजाम दिया।

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तो आगे क्या है बड़ी चिंता

अब इस हमले से ये तो पता चल ही गया है कि ISIS अब दुनिया भर में ख़ुद को सबसे ज्यादा कट्टर और जिहादी संगठन साबित करने के लिए किसी बड़े हमले को भी अंजाम दे सकता है। यही वजह है कि दुनिया के कई देशों की ख़ुफ़िया एजेंसियां ये दावा कर रही हैं कि अभी भी बड़े आतंकी हमले हो सकते हैं।

ऐसे में ये जानना भी ज़रूरी हो जाता है कि आख़िर दुनिया के वो कौन से बड़े आतंकी संगठन हैं जो इस तरह से बड़े हमलों को अंजाम देते हैं। आज इस विशेष रिपोर्ट में जानिए दुनिया के 4 बड़े आतंकी संगठनों के इतिहास के बारे में। ना सिर्फ इतिहास बल्कि ये भी बताएंगे कि ये आतंकी संगठन कैसे नेटवर्क चलाते हैं और किस तरह से लड़ाके तैयार कर फंडिंग करते हैं.

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