काबुल एयरपोर्ट पर फंसे लाखों लोग, अब वहां से निकलने का बचा है एक ही रास्ता

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एयरपोर्ट पर अफरातफरी का माहौल

तालिबान से जान बचाने के लिए लाखों की तादाद में अफगानिस्तान के लोगों विदेश भागने की फिराक में हैं, मगर उनकी मुश्किल ये है कि इस वक्त अफगानिस्तान से निकलने का एक ही ज़रिया है और वो काबुल का अशरफ गनी एयरपोर्ट। फिलहाल काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा अमेरिकी सेना के हाथों में है। जबकि काबुल के बाहरी इलाके की सुरक्षा की कमान तालिबान ने अपने हाथों में ले रखी है। कायदे से देखें तो काबुल में हुए दोनों धमाके एयरपोर्ट के बाहर हुए हैं, तो क्या तालिबान ने ये धमाके करवाए अगर नहीं तो क्या तालिबान काबुल की सुरक्षा करने में नाकाम साबित हो रहा है।

धमाकों के पीछे है किसका हाथ?

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तो फिर सवाल ये कि आखिर ये धमाका किसने किया? शुरुआती जानकारी के मुताबिक इसके पीछे आईएसआईएस खुरासान का हाथ है। माना जाता है तालिबान और आईएसआईएस में नहीं बनती है, और तालिबान आईएसआईएस को अमेरिका का पिट्ठू मानता है। इन हमलों में हुए अमेरिकी नागरिकों की मौत मामले को संजीदा बना सकता है, क्योंकि अगर अमेरिका ने बदला लेने का प्लान बनाया तो तालिबान की हालत ऐसी हो जाएगी कि मुंह को आया और हाथ ना लगा।

काबुल एयरपोर्ट पर फंसे हुए इतने लोग

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अब आते हैं काबुल एयरपोर्ट के हालात पर, तालिबान के चंगुल से बचकर भागने की फिराक में एयरपोर्ट पर लाखों अफगानी वहां से निकलने की जुगत में लगे हुए हैं। अमेरिका की बात करें तो जुलाई से अबतक 88 हज़ार लोगों को उसने काबुल से बाहर निकाला है। इसमें 70 हज़ार लोगों को पिछले 10 दिनों में ही अमेरिका ने अफगानिस्तान से बाहर निकाला है। लेकिन फिर भी एक बड़ी तादाद में लोग अब भी काबुल एयरपोर्ट पर फंसे हुए हैं।

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31 अगस्त के बाद काबुल में क्या होगा?

माना जाता है कि अफगानिस्तान के 2.5 लाख लोगों को तालिबान से खतरा है, जिनमें से सिर्फ 60 हजार लोग ही उसके चंगुल से बच पाए हैं। ऐसे में बाकी बचे करीब 2 लाख लोगों के सामने बचने के लिए सिर्फ गिने चुने दिन ही बचे हैं, तो काबुल एयरपोर्ट के बाहर खड़े लोगों के हाथों से वक्त रेत की तरह तेजी से निकलता जा रहा है। क्योंकि 31 अगस्त के बाद काबुल में क्या होगा? इस बारे में कोई नहीं जानता।

काबुल एयरपोर्ट पर एक तस्वीर देखने को मिली, जिसमें एक विदेशी सैनिक स्ट्रेचर लेकर भागता है और जल्दी से गश खाकर गिरी महिला को उठाकर उसकी मदद करने लगता है। काबुल एयरपोर्ट पर तालिबान के चंगुल में दोबारा फंसने की चिंता लोगों के पैरों की ताकत छीन रही है। विदेशी सैनिकों को समझ नहीं आ रहा कि वो एयरपोर्ट पर आतंकी हमले से अपनी रक्षा करें या फिर काबुल में इकट्ठे इन लोगों की मदद करें।

सबसे ज्यादा बुरा हाल छोटे-छोटे बच्चों का है, जो आसमान से बरसती आग से बुरी तरह झुलस गए हैं। जल्द से जल्द काबुल छोड़ने की मजबूरी से लोगों की जान पर बन आई है। छोटे-छोटे मासूम बच्चों की जान दांव पर है, काबुल से आने वाली इन चीखों ने सारी दुनिया को दहला दिया है। सिवाए तालिबान के जो किसी भी हाल में इन मासूम बच्चियों को धर्म की बेड़ियां पहनाना चाहता है।

हालांकि काबुल एयरपोर्ट पर सिर्फ बच्चे नहीं रो रहे, धक्का मुक्की खाने वाली महिलाओं की हालत भी अच्छी नहीं है। जो कभी भी भगदड़ का शिकार हो सकती हैं, लेकिन फिर भी वो घर लौटने को तैयार नहीं हैं। अफगानिस्तान के ये लोग जानते हैं कि कभी भी मदद का हाथ छूट सकता है, लेकिन इनके पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है।

तालिबान ने चारों तरफ से काबुल एयरपोर्ट को घेर लिया है, काबुल की तरफ जाने वाली रोड हो या फिर एयरपोर्ट का मेन गेट, हर तरफ तालिबान ने नाकेबंदी कर रखी है। जिससे बचने के लिए लोगों की भारी भीड़, एयरपोर्ट के उत्तरी गेट का रुख कर रहे हैं, लेकिन वहां भी तालिबान के लड़ाके उन्हें परेशान कर रहे हैं।

ये होगा आखिरी रास्ता

अब ऐसे में सवाल ये है कि अगर इन धमाकों के बाद काबुल एयरपोर्ट बंद करना पड़ा तो हालात क्या होंगे। एक रास्ता है औऱ वो है कंधार एयरपोर्ट, हालांकि कंधार का एयरपोर्ट तालिबान के कब्ज़े में है। और वहां से तालिबान की सहमती के बाद अफगानिस्तान में फंसे लोगों को बाहर निकाला जा सकता है।

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