Ram Rahim : क्या राम रहीम को आसानी से पैरोल देने के लिए हरियाणा में बना नया कानून?
Ram Rahim Parole Inside Story : जनवरी 2022 में राम रहीम को नहीं मिली पैरोल. फिर अप्रैल 2022 में हरियाणा सरकार ने नया कानून लाया. जून से अक्टूबर यानी 5 महीने में 2 बार पैरोल मिल गई.
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Ram Rahim Parole News : गुरमीत राम रहीम इतनी आसानी से जेल से कैसे बाहर आ जाता है? आखिर ऐसा क्या है कि आम कैदी से अलग राम रहीम खास है? राम रहीम ने जनवरी 2022 में भी पैरोल के लिए आवेदन किया था. लेकिन कुछ कारणों से पैरोल अटक गई थी. फिर पैरोल को लेकर 11 अप्रैल 2022 में हरियाणा सरकार ने एक नया कानून बनाया. जिसका नोटिफिकेशन 19 अप्रैल को जारी हुआ. फिर जून से अक्टूबर यानी 5 महीने के भीतर ही राम रहीम को दो बार और कुल मिलाकर 70 दिनों की पैरोल मिल गई.
अभी राम रहीम को हरियाणा सरकार हार्ड कोर क्रिमिनल नहीं मानती. हाई कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगाई है. लेकिन भविष्य में राम रहीम को किसी तरह कोर्ट हार्डकोर क्रिमिनल घोषित भी कर देती है तो उसे कुछ शर्तों के साथ पैरोल मिल जाएगी. जबकि 1988 से लेकर नए कानून के बनने तक यानी 34 सालों के बीच किसी हार्डकोर क्रिमिनल को पैरोल या फरलो देने के लिए कानून नहीं था. पर 2022 वाले इस नए कानून में कुछ शर्तो के साथ पैरोल मिल सकती है.
शायद यही वजह है कि नए 2022 वाले कानून को राम रहीम के लिए बेहद आसान कहा जा रहा है. उसके पक्ष में बनाए जाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं. ये भी कहा जा रहा है कि पुराने कानून में किया गया ये नया बदलाव कहीं खासतौर पर राम रहीम को ध्यान में रखकर तो नहीं है. हालांकि, कानून के जानकार इसकी संभावना तो कम ही जताते हैं लेकिन वो ये भी कहते हैं कि इसका सबसे ज्यादा फायदा खुद राम रहीम ने उठाया है. आइए जानते हैं क्राइम तक इन्वेस्टिगेशन (Crime Tak Investigation) में पैरोल को लेकर क्या कानून आया है. पुराने कानून से उसमें क्या अलग है. और कैसे ये राम रहीम के लिए बेहद खास व आसान बन गया है. आखिर इस नए कानून में ऐसी कौन सी बात है जिससे राम रहीम दूसरे आम कैदियों की तुलना में आसानी से पैरोल पर आ रहा है. जानेंगे पूरी इस रिपोर्ट से...
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बड़ा सवाल : हरियाणा सरकार की नजर में राम रहीम हार्ड कोर क्रिमिनल क्यों नहीं?
राम रहीम एक सजायाफ्ता कैदी है. 2 रेप केस और 2 मर्डर केस में दोषी करार है. खुद निचली अदालत ने माना है कि राम रहीम इन दुष्कर्म केस और सनसीखेज हत्याओं का दोषी है. 20-20 साल की उम्रकैद की सजा भी हो चुकी है. वो ताउम्र जेल में रहेगा. ये फैसला आ चुका है. हालांकि, इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. पर इतना सबकुछ होने के बाद भी राम रहीम हरियाणा सरकार की नजर में हार्ड कोर क्रिमिनल नहीं है. अगर हार्ड कोर क्रिमिनल की श्रेणी में राम रहीम होता तो उसे पुराने कानून के हिसाब से किसी भी कीमत पर पैरोल नहीं मिलती. 1988 से लेकर 2022 तक के 34 साल के इतिहास में हरियाणा में हार्ड कोर क्रिमिनल को पैरोल देने के लिए कोई नियम और शर्त नहीं थी.
राम रहीम को हार्ड कोर क्रिमिनल की श्रेणी में नहीं रखे जाने और फिर जनवरी 2022 में पैरोल के लिए आवेदन करने को लेकर परमजीत सिंह ने सवाल उठाए थे. तब हरियाणा सरकार ने साफ कहा था कि वो यानी राम रहीम हार्ड कोर क्रिमिनल नहीं है. इसके बाद परमजीत सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में फरवरी 2022 में याचिका डाली. उस पर सुनवाई हुई. 7 अप्रैल 2022 को इस पर फैसला आया. जिसमें हाई कोर्ट ने भी कहा कि हरियाणा सरकार का दावा सही है और राम रहीम का क्राइम हार्ड कोर क्रिमिनल की श्रेणी में नहीं आता है.
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जबकि याचिकाकर्ता का दावा था कि अगर कोई रेप और एक से ज्यादा मर्डर का दोषी है तो उसे हार्ड कोर क्रिमिनल माना जाना चाहिए. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी दुबे ने क्राइम तक (Crime Tak) को बताया कि वैसे कई मामलों में रेप और एक से ज्यादा मर्डर केस के दोषियों को हार्ड कोर क्रिमिनल माना जाता है. जैसे इस केस में रेप और मर्डर के दो-दो केस हैं और दोनों में कोर्ट ने दोषी माना है. ऐसे में उसे हार्ड कोर क्रिमिनल माना जा सकता है. लेकिन हम कोर्ट के फैसले पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं कर सकते.
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जनवरी में पैरोल के लिए आवेदन किया पर नहीं मिला, तब फरलो पर बाहर आया था राम रहीम
Why Ram Rahim Parole? क्राइम तक की इन्वेस्टिगेशन में पता चला है कि साल 2022 के शुरुआती महीने में सबसे पहले राम रहीम ने पैरोल पर ही जेल से बाहर आने के लिए आवेदन किया था. 42 दिन यानी 6 हफ्ते के पैरोल के लिए राम रहीम ने ये आवेदन 17 जनवरी 2022 को रोहतक जेल के सुपरिटेंडेंट यानी SP को किया था. इसके बाद एसपी रोहतक जेल ने इस लेटर (Vide Letter No-277) को एक दिन बाद ही यानी 19 जनवरी 2022 को डीजी जेल के पास भेज दिया था. अब डीजी जेल ने 21 जनवरी 2022 को अडिशनल चीफ सेक्रेटरी को ये लेटर (Vide Letter No 4885) अप्रूवल के लिए भेजा था. एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने फाइनली इसे हरियाणा के एडवोकेट जनरल के पास उनकी राय जानने के लिए भेज दिया था. इसके बाद हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर (टेंपररी रिलीज) एमेंडमेंट एक्ट-2013 (Haryana Good Conduct Prisoner (Temporary Release) Amendment Act-2013) के तहत सभी पहलुओं को देखा गया. जिसके बाद कुछ अड़चनों की वजह से एडवोकेट जनरल ने अपनी राय के साथ ये लेटर फिर से लौटा दिया था. जिसे डीजी जेल ने 27 जनवरी 2022 को एसपी रोहतक जेल को भेजा था. कुल मिलाकर इस लेटर पर राम रहीम को पैरोल नहीं मिली थी.
अब जैसे ही इन अड़चनों का पता चला तो उस पैरोल वाले लेटर के जेल में आने के तुरंत दो दिन बाद ही राम रहीम ने फरलो पाने के लिए आवेदन किया था. फरलो के लिए ये एप्लीकेशन 31 जनवरी 2022 को एसपी जिला जेल को दी. जिसमें अधिकतम 3 हफ्ते यानी 21 दिन के लिए फरलो मांगी थी. जिसके बाद उसके फरलो के लिए लेटर गुरुग्राम के डीएम और रोहतक डिविजन के कमिश्नर को भेजा गया.
जैसा कि फरलो (Furlough) के लिए कोई शर्त नहीं होती बल्कि ये कैदी को समाज में घुलने-मिलने के लिए दिया जाता है. ये उसका एक तरह से अधिकार होता है. इसे तुरंत मंजूरी भी मिल गई. और आवेदन करने के 6 दिनों बाद ही मंजूरी मिल गई. इस तरह राम रहीम 7 फरवरी 2022 को ही 21 दिन के फरलो पर बाहर आ गया था. उसी समय पंजाब में विधानसभा चुनाव होने वाले थे. जिसे लेकर काफी चर्चा हुई थी.
अब राम रहीम को नए 2022 के नियम से मिल रही आसानी से पैरोल
इसी साल 11 अप्रैल 2022 को पैरोल समेत कई नियमों के लिए हरियाणा सरकार ने नया संशोधित कानून लागू किया. इसके तहत पुराने 1988 वाले कानून को काफी हद तक बदल दिया गया. जिससे राम रहीम को आसानी से और कम समय में पैरोल मिल गई. पहले पुराना कानून क्या था. उसे समझ लेते हैं.
पहले पैरोल के लिए क्या थी हरियाणा में शर्तें
हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर (टेंपररी रिलीज) एक्ट-2022 से पहले हरियाणा में पैरोल का नियम हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर (टेंपररी रिलीज) एक्ट-1988 (The Haryana Good Conduct Prisoner (Temporary Release) Act, 1988) के तहत हरियाणा में जेल में बंद अच्छे आचरण वाले कैदी को पैरोल मिलती थी.
इस एक्ट के सेक्शन-3 में नियम था कि डीएम यानी जिला मैजिस्ट्रेट की रिपोर्ट पर राज्य सरकार किसी कैदी को पैरोल दे सकती है. पहले तीन तरह की स्थिति में पैरोल मिलती थी. पहली शर्त होती थी कि सजायाफ्ता कैदी के परिवार में किसी की मौत हो जाए या फिर कोई गंभीर रूप से बीमार हो. ऐसा होने पर 3 हफ्ते यानी 21 दिन की परोल मिलती थी.
अगर किसी कैदी की शादी या परिवार में किसी करीबी की शादी हो तो भी पैरोल मिल सकती है. या फिर पत्नी की डिलीवरी होने वाली हो तो भी पैरोल मिल सकती थी. ये पैरोल 4 हफ्ते के लिए मिलती थी.
तीसरी पैरोल की शर्त होती थी अगर सजायाफ्ता कैदी को खेती कार्य के लिए जुताई, बुआई का काम हो या फिर पैतृक संपत्ति के बंटवारे का मामला हो. ऐसे में कैदी को 6 हफ्ते के लिए पैरोल मिल सकती थी. पहले पैरोल पाने की प्रक्रिया भी काफी लंबी होती थी. इसी वजह से जनवरी 2022 में जब राम रहीम ने पैरोल के लिए आवेदन किया था आखिर में उसे पैरोल नहीं मिल पाई थी. किसी कारणवश वो पेंडिंग में पड़ गई थी. जिसके बाद उसने फरलो ले ली थी. लेकिन अब 2022 के नए कानून से पैरोल लेने में बड़ा बदलाव आया है. आखिर क्या है नए पैरोल कानून में. अब उसे जान लेते हैं.
क्या है 2022 का नया कानून, जिससे राम रहीम को पैरोल में हुई आसानी
अब इसे इत्तेफाक कहेंगे या प्लानिंग या कुछ और. लेकिन ये सच है कि इसी साल 2022 के जनवरी महीने में जब राम रहीम ने पैरोल के लिए आवेदन किया था तो उसमें अड़चन आ गई थी. क्योंकि उस समय 1988 वाला कानून प्रभावी थी. हालांकि, पुराने कानून में कुछ संशोधन भी किए गए थे लेकिन वो हार्ड कोर क्रिमिनल को लेकर ही हुए थे. लेकिन जब 11 अप्रैल 2022 को नया हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर (टेंपररी रिलीज) एक्ट-2022 (Haryana Good Conduct Prisoner (Temporary Release) Amendment Act-2022) कानून लागू हुआ तो राम रहीम को बेहद आसानी से 5 महीने के भीतर ही दो बार पैरोल मिल गई. अब इसके पीछे नए कानून की कितनी भूमिका है, इस पर तो हम सवाल नहीं उठा सकते लेकिन जो कानून में बदलाव आए हैं उसे लेकर सवाल जरूर उठते हैं.
नए कानून के नोटिफिकेशन को डायरेक्टर जनरल जेल की तरफ से 19 अप्रैल 2022 को हरियाणा के सभी डिविजिनल कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर, कमिश्नर पुलिस, सभी जिलों के एसपी और सभी एसपी जेल को भेजा गया था. इस नए हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर (टेंपररी रिलीज) एक्ट-2022 (Haryana Good Conduct Prisoner (Temporary Release) Amendment Act-2022) में पैरोल के लिए पुराने 1988 की जगह नया प्रॉविजन हो गया है.
राम रहीम को मिली है रेगुलर पैरोल
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी दुबे ने क्राइम तक को बताया कि अब नए कानून में तीन तरह के पैरोल मिल रहे हैं. इसके लिए सिर्फ जिला अधिकारी की रिपोर्ट पर जेल अधिकारी या फिर सरकार दोनों पैरोल दे सकती हैं. लेकिन शर्त ये है कि उस कैदी से शांति को खतरा नहीं होना चाहिए और ना ही पब्लिक को किसी तरह का नुकसान हो. पैरोल के अब नए तीन प्रकार हैं. पहला, कस्टडी पैरोल (Custody Parole). दूसरा इमरजेंसी पैरोल और तीसरा रेगुलर पैरोल. अभी राम रहीम को रेगुलर पैरोल मिली है. यहां कस्टडी पैरोल का मतलब सजायाफ्ता कैदी को जरूरी हथियारों से लैस पुलिस सुरक्षा में एक खास समय के लिए खास वजह से दी सकती है.
वहीं, इमरजेंसी पैरोल (Emergency Parole) जेल के सुपरिंटेंडेंट यानी एसपी दे सकते हैं. जो कैदी के संबंधित थाने से आई रिपोर्ट के आधार पर दी जाती है. ये पैरोल सजायाफ्ता कैदी को तब मिलती है जब उसके परिवार में किसी की मौत हो जाए या फिर किसी को गंभीर बीमारी हो या फिर खुद कैदी की हालत गंभीर हो. जबकि तीसरा पैरोल रेगुलर पैरोल (Regular Parole) है. ये बेहद ही आसान और बिना शर्तों का है.
नए कानून से राम रहीम को मिल रहे ये फायदे
बिना शर्त 2 बार में 70 दिनों की पैरोल : एडवोकेट अश्विनी दुबे बताते हैं कि इस रेगुलर पैरोल पर राम रहीम बाहर आए हैं. इसके तहत कैदी पूरे एक साल में कुल 10 हफ्ते यानी 70 दिनों के लिए पैरोल पर बाहर आ सकता है. इस पैरोल को साल में 2 बार लिया जा सकता है. यही वजह है कि राम रहीम ने पहली बार 30 और दूसरी बार 40 दिनों की पैरोल ली है. यानी कुल 70 दिन और दो बार में पैरोल मिली है.
हार्ड कोर क्रिमिनल हुआ तो भी मिलेगा पैरोल : इसके साथ ही नए कानून में एक और बड़ा बदलाव किया गया है. वो है हार्डकोर सजायफ्ता कैदी (Hardcore Convicted Prisoner) को शर्तों के साथ पैरोल देने की. इस नए कानून से पहले किसी भी तरह से हार्ड कोर क्रिमिनल को पैरोल नहीं मिल सकती थी. लेकिन नए कानून में है कि परिवार में किसी की मौत होने या फिर बच्चे की शादी के लिए हार्डकोर सजायफ्ता कैदी को कस्टडी पैरोल (Custody Parole) मिल सकती है. लेकिन शर्त ये रहेगी कि उसे 2 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक के बॉन्ड भरने के साथ 2 स्योरिटी (Sureties) देने होंगे. जिस पर संबंधित अथॉरिटी का अप्रूवल भी हो. यानी अगर आने वाले समय में राम रहीम को हार्ड कोर क्रिमिनल भी घोषित कर दिया गया तो भी उसे कुछ शर्तों के साथ पैरोल मिल सकती है.
कानून के जानकर कहते हैं कि 2022 में हुए ये नया बदलाव राम रहीम के लिए बेहद खास है. क्योंकि अगर उसे हार्ड कोर क्रिमिनल नहीं माना जाएगा तो वो आसानी से साल में कम से कम दो बार कुल 70 दिनों के लिए पैरोल ले सकता है. इसके अलावा एक बार 21 दिनों के लिए फरलो भी ले सकता है. अगर किसी तरह से आने वाले समय में उसे हार्डकोर क्रिमिनल भी घोषित कर दिया गया तो भी उस कुछ शर्तों के साथ इमरजेंसी पैरोल या रेगुलर पैरोल भी मिल सकता है जब उसकी सजा 7 साल पूरी हो चुकी होगी.
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