Hindenburg Report: किस्सा एक ऐसे 'एंबुलेंस ड्राइवर' का जिसने अडानी ग्रुप के तेज रफ्तार कारोबार को दिया ज़ोर का झटका बहुत ज़ोर से

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Adani Scam: 24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Research) सामने आने के बाद जिस एक नाम को गूगल (Google) पर सबसे ज़्यादा सर्च किया गया वो नाम है नाथन एंडरसन (Nathan Anderson) का। क्योंकि इस अकेले एक नाम की वजह से हिन्दुस्तान के सबसे अमीर होने का खिताब गौतम अडानी (Gautam Adani) से छिन गया। महज 72 घंटे के भीतर इस एक आदमी की बनाई कंपनी ने हिन्दुस्तान के सबसे अमीर आदमी को करीब साढ़े लाख करोड़ गरीब कर दिया। और देखते ही देखते अडानी के एंपायर में दरारे नज़र आने लगीं...और शेयर बाजार में उथल पुथल मच गई।

ऐसे में सवाल यही उठता है कि आखिर ये नाथन एंडरसन है कौन? ये हिंडनबर्ग आखिर क्या बला है? ये हिंडनबर्ग क्या है, कहां से आया, किसने बनाया और क्यों बनाया?

इन सारे सवालों के जवाब देने के लिए चलिए आपको सिलसिलेवार तरीके से नाथन एंडरसन यानी नेट एंडरसन के बारे में बताते हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के पीछे इसी नाथन एंडरसन का दिमाग है। जिसके चंद कागजों के टुकड़ों ने एक पूरी सल्तनत को बुरी तरह झकझोरकर रख दिया।

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Nathan Anderson & Adani: सिर्फ दो दिनों के भीतर बाजार से 51 बिलियन डॉलर की रकम को स्वाहा करवाने वाला नाथन एंडरसन दरअसल पहले एक एंबुलेंस ड्राइवर था। येरुशलम में वो एक अस्पताल की एंबुलेंस चलाता था। उसके बाद उसने अमेरिका का रुख किया और 2017 में अमेरिका की मशहूर कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजमेंट से ग्रेजुएट हुआ।

कोर्स पूरा होने के बाद एंडरसन ने पहले एक फाइनेंशियल डाटा कंपनी फैक्ट सेट में फाइनेंशियल सलाहकार के तौर पर काम किया। उसके बाद वाशिंगटन डीसी और न्यू यॉर्क में शेयर बाजार में ब्रोकर डीलर फर्म में काम किया।

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38 साल के एंडरसन ने हिंडनबर्ग की स्थापना करने से पहले हैरी मार्कोपोलोस (Marcopolos) के साथ काम किया था। मार्कोपोलोस वही शख्स है जिसने बर्नी मैडॉप की पोंजी स्कीम (Ponzi scheme) का खुलासा करके पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था। और मार्कोपोलोस के साथ मिलकर एंडरसन ने प्लेटिनम पार्टनर (Platinum Partner) के बारे में छानबीन की थी जिसने एक बिलियन डॉलर का फ्रॉड किया था।

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उसके बाद एंडरसन ने हिंडनबर्ग रिसर्च के नाम से एक कंपनी की स्थापना की। उसका मकसद उसके नाम के साथ जुड़ा हुआ था। असल में हिंडनबर्ग का नाम एंडरसन ने उस एक हादसे से लिया था जिसमें हाइड्रोजन गुब्बारे के हवा में फटने की वजह से साल 1937 में 35 से ज़्यादा लोग मारे गए थे।

असल में हिंडनबर्ग नाम का एयरशिप एक जर्मन एयरशिप था जो न्यू जर्सी में उस वक़्त आग की चपेट में आकर हादसे का शिकार हुआ था। जिसके बारे में बाद में जांच के बाद ये बात कही जा रही थी कि ये ऐसा हादसा था जिसे टाला जा सकता है।

यानी उसे मैन मेड डिसास्टर कहा जा रहा था। ऐसे में एंडरसन ने उसी हादसे से प्रेरणा लेते हुए अपनी कंपनी का नाम हिंडनबर्ग रिसर्च रखा। इस कंपनी का मकसद था आर्थिक मामलों में मैन मेड डिसास्टर का पता लगाना और उनके बारे में तहकीकात करना।

Hindenburg Report: हिंडनबर्ग रिपोर्ट सबसे पहले उस वक्त सुर्खियों में छा गया जब सितंबर 2020 में इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाले निकोला कॉर्प को झूठा और फरेबी करार देकर उद्योग जगत में हंगामा खड़ा कर दिया था। असल में निकोला कॉर्प ने अपने दावों के दम पर जनरल मोटर्स के साथ साझेदारी कर ली थी। हिंडनबर्ग ने उस प्रमोशनल वीडियो को चुनौती दी थी जिसे निकोला ने अपने इलेक्ट्रिक ट्रक को तेज रफ्तार से चलता हुआ दिखाया था।

हिंडनबर्ग की चुनौती के मुताबिक वो ट्रक उताह के रेगिस्तान में किसी पहाड़ी में लुढ़काने से ज़्यादा कुछ नहीं था। बाद में हिंडनबर्ग ने जब इस बात को सबूत के साथ रखा तो कंपनी ने इस बात को कबूल भी कर लिया और 2021 में कंपनी ने अमेरिकी की सिक्योरिटी एंड एक्स्चेंज कमीशन को 125 मिलियन डॉलर देकर अपना पिंड छुड़ाया था।

इस बात का असर ये हुआ था कि 60 डॉलर का शेयर तीन डॉलर पर पहुँच गया था जिससे करोड़ों अरबों डॉलर का स्टॉक मार्केट को नुकसान हुआ था। दरअसल कंपनी ने अपने फर्जी दावों की बदौलत जून 2020 में जब शेयर बाजार में कंपनी लिस्ट हुई तो उसने अपने शेयर की कीमत का आंकलन 34 बिलियन डॉलर का बताया था जबकि असलियत में उसकी कुल कीमत 1.34 बिलियन डॉलर थी।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अमेरिका में ऐसी दर्जनों कंपनियों की धोखाधड़ी को उजागर किया है, जिसमें से WINS फाइनेंस का मामला भी शामिल है। जिसके बारे में हिंडनबर्ग ने खुलासा किया था कि इस कंपनी ने चीनी कंपनी के जरिए पैसा बाजार में लगाया है।  और उसके बारे में निवेशकों को कुछ भी नहीं बताया। ये रकम करीब 350 मिलियन डॉलर के आस पास की बताई गई थी।

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