GORAKHPUR MANISH GUPTA CASE : आरोपी पुलिसवालों की इसलिए नहीं हो रही गिरफ्तारी, असली वजह चौंकाने वाली है

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इनGorakhpur Manish Gupta Murder Case Update news : उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ बार-बार ये दावा करते हैं कि राज्य में जीरो टॉलरेंस की नीति है. ख़ासतौर पर क्राइम को लेकर पुलिस कोई भी चूक नहीं कर रही है. जिनकी लापरवाही सामने आ रही है उन पर तत्काल एक्शन लिया जा रहा है.

गोरखपुर कांड (Gorakhpur Kand Incident) में भी यही दावा किया गया. कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता (Kanpur Manish Gupta) की हत्या में शामिल रामगढ़ताल के तत्कालीन एसएचओ इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह (Jagat Narayan Singh) और अन्य 5 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज कर ली गई.

सभी 6 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया. लेकिन चौंकाने वाली बात है कि 4 दिन बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. क्या सभी 6 आरोपी पुलिसकर्मी कहीं गायब हो गए? या फिर पाताल में छिप गए. आखिर वो कहां है कि उन्हें पुलिस नहीं पकड़ पा रही है.

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ऐसा तो नहीं हो सकता है कि जिस महकमे में सभी छह आरोपी पुलिसकर्मियों वर्षों से काम कर रहे हैं उनके ठिकानों और छुपने के बारे में दूसरे पुलिसवालों को कोई जानकारी नहीं हो.

आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी नहीं होने पर पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी सवाल उठाए हैं.

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गिरफ्तारी के बजाय आरोपियों को दिया जा रहा है मौक़ा

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लिहाजा, सभी आरोपियों को गिरफ्तार ना करके कहीं ना कहीं जानबूझकर उन्हें ये मौक़ा दिया जा रहा है जिससे वो अपने खिलाफ जुटाए जाने वाले सबूतों को ख़त्म कर दें. जिससे कोर्ट में ये साबित ही ना हो सके कि घटना में इन आरोपियों की कोई भूमिका रही थी. इसके अलावा, कोर्ट से भी गिरफ्तारी पर स्टे लेने का पूरा मौका मिल जाए.

वरना, जिस केस में ख़ुद राज्य के मुखिया यानी सीएम ये दावा करें कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा, उनके इस दावे के बाद भी उनके ही गृह जनपद की पुलिस अपने ही विभाग के भागे और संगीन आरोपों में फंसे पुलिसवालों को गिरफ्तार ना कर पाए. ऐसे कैसे हो सकता है? मतलब साफ है कि पुलिसवालों को पूरा मौक़ा दिया जा रहा है कि वो अपना बचाव की स्क्रिप्ट तैयार कर लें.

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सिपाही से इंस्पेक्टर बने, नकद नारायण सिंह से कुख्यात

वैसे तो 3 सितारे वाले इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह पुलिस महकमे में पिछले कई सालों से चर्चित रहे हैं. ये जहां भी तैनात हुए बिना खास वजह के कोई काम ही नहीं करते थे. अपने अधिकारियों को इतना खुश रखते थे और लोगों से इतने वसूली करते थे इनका नाम ही जगत नारायण से नकद नारायण पड़ गया. यानी, कैश में ही काम करने वाले.

इसके अलावा, ये भी कहते हैं कि बिना पैसे लिए वो कोई काम ही नही करते हैं. जो दो दरोगा और तीन सिपाही इनके साथ 27 सितंबर की रात होटल में मनीष गुप्ता और इनके साथियों से वसूली करने गए थे, वे सभी मिलकर पिछले काफी समय से रैकेट चला रहे हैं.

इनका टारगेट खासतौर पर होटल ही होते थे. इन होटलों मे अगर दूसरे शहर से कोई बड़े प्रोफाइल वाले रुकने आते थे होटलकर्मियों से उनकी डिटेल मांगकर ये चेकिंग के नाम पर पहुंच जाते थे. फिर उन्हें तरह-तरह से फंसाने की धमकी देकर वसूली करते थे. इनका कोई ये मकसद नहीं होता था कि सुरक्षा के लिहाज से या फिर किसी वांछित क्रिमिनल की तलाश में किसी होटल में जाते थे. इनका सीधा फंडा कमाई, ब्लैकमेलिंग और वसूली होता था.

गोरखपुर में मनीष गुप्ता की जैसे पुलिस ने चेकिंग की, क्या वैसे होटल में कभी भी पुलिस को चेकिंग का अधिकार है?

गिरफ्तारी ना होने के पीछे ये हैं खास वजहें

  • सूत्रों का दावा है कि सभी आरोपी संपर्क में हैं, लेकिन गिरफ्तारी जानबूझकर नहीं हो रही है

  • ऐसा इसलिए ताकि वो खुद ही गिरफ्तारी के खिलाफ कोर्ट से स्टे ले आएं और बच जाएं

  • इसके अलावा जितने दिन वो बाहर रहेंगे, खासतौर पर होटल के गवाहों पर दबाव बना लेंगे

  • आरोपियों को तुरंत इसलिए भी गिरफ्तार नहीं किया गया क्योंकि सभी सबूत इनके खिलाफ थे

  • गिरफ्तारी ना होने की सबसे बड़ी वजह है कि अभी पकड़े गए तो कई अधिकारियों की पोल खुलने का डर है

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