गोरखपुर कांड : होटल में एसएसपी के नाम पर पुलिसवाले करते थे बेवजह चेकिंग,होटल मालिक का खुलासा, अब मनीष के दोस्तों को धमका रहे

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गोरखपुर (संतोष कुमार शर्मा ) : कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की मौत गोरखपुर पुलिस ही नहीं, उत्तर प्रदेश पुलिस की साख का भी सवाल बन गई है। आखिर कैसे गई मनीष गुप्ता की जान? आखिर क्या हुआ 28 सितंबर की रात, जिसमें पुलिस वालों की पिटाई से मनीष गुप्ता की मौत हो गई। समय से मिलता इलाज तो क्या बचाई जा सकती थी मनीष गुप्ता की जान? ऐसे ही तमाम सवालों की पड़ताल करने क्राइम तक की टीम गोरखपुर पहुंची।

Gorakhpur Manish Gupta murder case : मनीष गुप्ता हत्याकांड की जांच हमने गोरखपुर के उसी रामगढ़ ताल थाने से सटे कृष्णा पैलेस से शुरू की जहां मनीष गुप्ता अपने दो अन्य दोस्तों हरवीर सिंह और प्रदीप चौहान के साथ रुके थे। हमने अपने पड़ताल की शुरुआत मनीष गुप्ता हरवीर सिंह और प्रदीप चौहान के गोरखपुर में रहने वाले दोस्त चंदन सैनी से शुरू की।

चंदन के बुलावे पर ही हरवीर सिंह और प्रदीप चौहान कानपुर के मनीष गुप्ता को लेकर गोरखपुर आए थे। चंदन सैनी भोजपुरी फिल्मों के प्रोड्यूसर हैं, हरवीर सिंह इवेंट मैनेजमेंट का काम करता है और प्रदीप चौहान रियल स्टेट कंपनी में काम करते हैं। चंदन के बुलावे पर ही हरवीर और प्रदीप गोरखपुर आए थे।

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27 सितंबर का वो दिन

चंदन मनीष गुप्ता को नहीं जानता लेकिन मनीष गुप्ता का हरवीर और प्रदीप चौहान से दोस्ती थी और रियल स्टेट कंपनी में काम करते थे। दिनभर गोरखपुर के तमाम जगहों पर घूमने के बाद सभी दोस्तों ने पास कहीं ढाबे पर खाना खाया और रात करीब 11:30 बजे प्रदीप मनी और हरवीर को होटल छोड़कर चंदन वापस अपने घर चला गया।

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रास्ते में चंदन के पास चौकी इंचार्ज फल मंडी अक्षय मिश्रा का फोन आया तो पीछे से प्रदीप और हरवीर की आवाज आ रही थी कुछ अनहोनी की आशंका को देखते हुए चंदन ने गाड़ी मोड़ ली और होटल पहुंच गए। जब होटल आया तो पता चला मनीष गुप्ता को चोट लगी है पुलिस उसको अपने साथ मानसी मेडिसिटी हॉस्पिटल ले गई है, जहां से पता चला की मनीष गुप्ता को बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया है।

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दोस्तों को मिल रही है धमकी

मनीष गुप्ता की पीट-पीटकर की गई इस हत्या के बाद अब चंदन सैनी और उसके दोस्त भी डरे हैं सहमे हैं। गोरखपुर पुलिस धमका रही है कि पुलिस से दुश्मनी ठीक नहीं है। होटल कृष्णा पैलेस की पड़ताल के दौरान कई अहम जानकारी मिली है। जहां 27 सितंबर की सुबह 8:00 बजे मनीष गुप्ता हरवीर और प्रदीप चौहान कृष्णा पैलेस की तीसरी मंजिल के कमरा नंबर 512 में ठहरने आए थे।

होटल के कमरे में हुई घटना को ऐसे समझिए

होटल के अंदर बुकिंग, पुलिस के पहुंचने और मारपीट की घटना को समझने के लिए होटल के मालिक सुभाष शुक्ला से बात की तो पता चला। होटल के रिसेप्शन पर मौजूद कर्मचारी ने मनीष गुप्ता, हरवीर और प्रदीप चौहान तीनों ही युवकों की आईडी जमा करवाई थी। किस उद्देश्य से गोरखपुर आए हैं कब आए हैं कब जाएंगे ऐसी तमाम जानकारियों का जीआरसी फार्म भी भरवाया था।

क्राइमतक से बातचीत में सुभाष शुक्ला ने पुलिस की चेकिंग के नाम पर होने वाली प्रताड़ना को भी बताया। अक्सर रामगढ़ ताल की पुलिस उनके होटल में रात में 12:00 बजे के बाद ही चेकिंग करने आती है। पुलिस के पहुंचने पर होटल में ठहरे अपने सभी यात्रियों की आईडी भी दिखाते हैं, उसके बावजूद कई बार होटल में ठहरे लोगों को बाहर निकाल कर आधी रात में तलाशी ली जाती है।

कभी कप्तान साहब के आदेश का हवाला दिया जाता तो कभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने का हवाला देकर आधी रात में पुलिस चेकिंग करने पहुंच जाती। इतना ही नहीं सुभाष शुक्ला बीते 2 सालों में पुलिस की लगातार आधी रात के बाद होने वाली इस चेकिंग से सुभाष शुक्ला के इस कृष्णा पैलेस होटल का धंधा ही मंदा हो गया है।

होटल की किस्त निकलना मुश्किल हो गई है जबकि जब भी रामगढ़ ताल की पुलिस ठहरने की कहती है खाना खाने के बाद कहती है उस तब मुहैया कराया जाता है और वह भी मुफ्त। अब बात होटल की तीसरी मंजिल के कमरा नंबर 512 की, जहां पर यह पूरी घटना हुई। मनीष गुप्ता के मौत के मामले में पुलिस ने 512 नंबर का कमरा सील कर रखा है।

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ऐसे समझिए कैसे हुई थी मनीष गुप्ता के साथ घटना

लेकिन कमरे में कैसे हालात थे कितने पुलिस वाले थे और उस कमरे में कैसे कुछ हुआ इसको समझने के लिए हम 512 से सटे उसी साइज और डिजाइन के कमरे 514 में पहुंचे। 10 × 10 के लगभग साइज वाले कमरे में 2 लोगों को लेटने के लिए बेड पड़ा था। मनीष गुप्ता बेड पर सो रहे थे। पुलिस के खटखटाने पर हरबीर ने गेट खोला।

कमरे के अंदर छह पुलिसकर्मी और मनीष गुप्ता समेत नौ लोग कमरे में मौजूद थे। जबकि एसएसपी गोरखपुर का बयान आया कि कमरे मे भगदड़ मचने से मनीष गुप्ता की गिरकर मौत हुई। जबकि इस साइज के कमरे में होटल स्टाफ समेत 9 लोगों की मौजूदगी और डबल बेड टेबल के रखने के बाद जगह ही नहीं बचती की कोई दौड़ भी कर ले।

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