पकड़ी गई 'ब्लैकमेल' करने वाली 'खतरनाक' लड़की, रेप के झूठे मुकदमे में फंसाना उसके बायें हाथ का खेल

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पकड़ी गई 'ब्लैकमेल' करने वाली 'खतरनाक' लड़की, रेप के झूठे मुकदमें में फंसाना उसके बायें हाथ का खेल
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Jaipur Blackmail Girl: जयपुर से एक बेहद सनसनीखेज वाकया सामने आया है। आमतौर पर रेप जैसा संगीन इल्जाम अगर कोई लड़की किसी पर भी लगाती है तो कानून हर मुमकिन कोशिश में लड़की का ही साथ देता है, लेकिन जयपुर से जो किस्सा सामने आया वो जरा उलट है। यहां एक वकील ने जिला अदालत में एक मुकदमा दर्ज करवाया है जिसमें उसने एक लड़की पर दुष्कर्म का झूठा मुकदमा दर्ज करवाकर रुपये ऐंठने का संगीन इल्जाम लगाया है।

दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग के 14 मुकदमे

दावा किया जा रहा है कि जिस महिला ने वकील के खिलाफ भी अलग अलग थानों में दुष्कर्म के केस दर्ज करवाए उसे अब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उसका नाम है भावना शर्मा। खुलासा है कि आरोपित महिला दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग के 14 अलग-अलग केस दर्ज करवा चुकी है। सामने आई खबर के मुताबिक पुलिस ने बताया कि 8 मई को एडवोकेट नितिन मीना ने सदर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया।

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दोस्ती बढ़ाकर शादी का दबाव

दर्ज शिकायत के मुताबिक भावना शर्मा नाम की आरोपित महिला ने वकील के साथ दोस्ती बढ़ाकर शादी का दबाव डाला, फिर झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी देकर पैसे की मांग की और कहा कि इससे पहले भी उसने कई लोगों पर ऐसे मुकदमें कराए हैं। नितिन मीना पर ज्योति नगर थाने में भी भावना शर्मा ने दुष्कर्म की धाराओं में मामला दर्ज करवा रखा है।

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आठ साल में 14 फर्जी मुकदमें

वकील की शिकायत के बाद एक्शन में आई पुलिस ने भावना शर्मा को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया और कोर्ट ने भावना शर्मा को रिमांड पर पुलिस के हवाले कर दिया है। अब तक जाांच में ये बात सामने आई है कि भावना शर्मा ने साल 2016 से लेकर 2024 तक यानी करीब आठ साल के दौरान 14 मुकदमे दर्ज करवाए है। आरोपित महिला पर गुरुग्राम में कोर्ट दुष्कर्म के झूठे केस में कार्रवाई के लिए लिख चुकी है। महिला की तरफ से दर्ज करवाए गए मामलों में पुलिस अपनी फाइनल रिपोर्ट भी दाखिल कर चुकी है। 

जांच में पुलिस ने भावना शर्मा के खिलाफ सबूत

स्पेशल इन्वेस्टीगेशन यूनिट फॉर क्राइम्स अगेस्ट वूमेन एडीशनल डीसीपी गुरु शरण राव ने जांच में भावना शर्मा को दोषी माना है। पैसों के लेनदेन के ऑनलाइन और कई सबूत भी हासिल किए हैं। पुलिस का कहना है कि इस मामले में अब आईपीसी की धारा 388 यानी मौत या आजीवन कारावास आदि से दंडनीय अपराध का आरोप लगाने की धमकी देकर जबरन वसूली और 504 यानी  जिस मामले में किसी व्यक्ति पर IPC 504 लगाई जाती है उसे पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता है और गिरफ्तारी के लिए न्यायालय की अनुमति लेनी होती है, ये धाराएं लगाकर मुकदमा दर्ज किया है। 

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