टिल्लू की हत्या के लिए इतने घंटे पहले तैयार किए गए थे हथियार, एग्जास्ट की क्लिप और सलाखों को घिसकर बनाए गए थे चाकू

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टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के लिए सात घंटे तक रची गई साजिश
टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के लिए सात घंटे तक रची गई साजिश
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Tillu Tajpuria Murder: तिहाड़ में 2 मई को टिल्लू ताजपुरिया की हत्या सुबह सुबह 6 बजकर 10 मिनट के बाद कर दी गई थी। हत्या कैसे हुई, इसकी गवाही तो जेल के सीसीटीवी की तस्वीरों से मिल गई थी। हत्या में कौन कौन शामिल था इसका भी खुलासा हो गया और उन चारों कैदियों के नाम भी सामने आ गए जिन्होंने जेल के ही भीतर जेल की सलाखों को जेल केही भीतर धारदार हथियार में तब्दील किया और फिर उसका इस्तेमाल करके गैंग्स्टर टिल्लू ताजपुरिया को मौत के घाट उतारा। 

ऐसे की गई थी हत्या से पहले तैयारी

लेकिन सीसीटीवी में जिस बात पर बहुत कम लोगों ने नोट किया वो ये था कि हत्या की वारदात में शामिल चारो कैदी बाकायदा तैयार से नजर आ रहे थे, सभी ने जूते पहन रखे थे और बारमूडा और टी शर्ट के साथ वो इस हाल में थे कि बाकायदा किसी भी वारदात के बाद वो मौके से भागने में कामयाब भी हो जाएं।

सात घंटे तक की गई थी हत्या की तैयारी

तिहाड़ की सलाखों से निकलकर सामने आया ये सबसे ताजा खुलासा है कि टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के लिए उसके कातिलों ने करीब सात घंटे तक तैयारी की थी...और ज़ंग लगी सलाखों को तोड़कर उन्हें तेज धारदार हथियार में तब्दील किया था और फिर उसका इस्तेमाल टिल्लू ताजपुरिया की हत्या में किया गया।

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गोगी के गुर्गों ने रची टिल्लू की हत्या की साजिश

ये बात तो किसी से छुपी नहीं है कि गैंग्स्टर जितेंद्र गोगी के साथ दुश्मनी होने के बाद से ही गोगी के गुर्गे किसी भी सूरत में टिल्लू ताजपुरिया को मौत के घाट उतारने की फिराक में थे। लेकिन जब टिल्लू ताजपुरिया ने गोगी को साकेत कोर्ट में गोलियों से भुनवाया उसके बाद तो गोगी के गुर्गे बस इसी फिराक में बैठे थे कि जैसे ही पहला मौका मिलेगा वो टिल्लू को मार डालेंगे फिर चाहें वो जगह कोई भी हो। इसी तर्ज पर गोगी के गुर्गों ने ये पूरी साज़िश रची थी और 2 मई को उसे पूरी तैयारी के साथ अंजाम भी दिया। 

सात घंटे तक की गई गई थी टिल्लू की हत्या की तैयारी

जेल के भीतर जंग लगी सलाखें तोड़ी

तिहाड़ के भीतर ही टिल्लू को मारने का सारा सामान तैयार किया है। वहीं पहले जेल की जंग लगी सलाखों की पहचान और शिनाख्त की गई। उन्हें अपनी जगह से उखाड़ा गया। इस काम के लिए गोगी गैंग के दीपक तीतर और रियाज को लगाया गया था। पता चला है कि रियाज वेल्डिंग का काम करता है लिहाजा कौन सा लोहा किस तरह इस्तेमाल किया जा सकता है, इसकी पहचान उसे सबसे अच्छी तरह थी। लिहाजा उसने जेल नंबर आठ और जेल नंबर नौ की उन सलाखों की पहचान की जिनमें जंग लगी हुई थी। उन रॉड को पहले उखाड़ा गया और फिर दीपक तीतर और योगेश टुंडा उन लोहे की रॉड को चाकू बनाने में जुट गए। 

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एग्जॉस्ट फैन की चार क्लिप निकाली

इसी बीच उन लोगों ने बैरक में लगे एक एग्जॉस्ट फैन को खोलकर उसकी चार क्लिप निकाल लीं, जिसे नुकीला और धारदार हथियार आसानी से बनाया जा सकता था। इसके बाद वो चारो बाथरूम की एक टाइल्स के खुरदुरे हिस्से पर करीब छह घंटें तक उन्हें घिसते रहे जिससे वो काफी तेज और धारदार हो गए। 

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सुबह पांच बजे तक घिसते रहे चाकू

सबसे हैरानी की बात ये है कि चारों ने ये सारा काम रात 11 बजे के बाद करना शुरू किया और सुबह पांच बजे तक वो लोग हथियार तैयार करते रहे। करीब सात घंटे की मशक्कत के बाद वो लोग हथियार बनाने में कामयाब हो गए थे। इसके बाद उन लोगों ने अपने अपने सेल की रॉड को इस कदर टेढ़ा कर दिया था जिससे वो लोग आसानी से निकल सकें। और फिर एक बार सेल से बाहर आते ही सबने चादर का सहारा लिया और पहली मंजिल से नीचे उतर गए। 

जंगी सलाखों और एग्ज़ास्ट की क्लिप को घिसकर बनाए गए थे हथियार

स्क्रीन पर दिखा तिहाड़ का नंगा सच

तिहाड़ के अंदर जो कुछ चल रहा है, जो कुछ हो रहा है, जिस तरह हो रहा है, उसके बारे में सिर्फ सुनते आए थे.. लेकिन पहली बार टीवी स्क्रीन पर तिहाड़ के अंदर का नंगा घिनौना खूनी और दहला देने वाला वो सच दिखाई दिया जिसके बाद तिहाड़  के बारे में सारी ग़लतफहमी दूर हो गई। 

सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर शुरु हुई वारदात

फ्रेम दर फ्रेम तिहाड़ के अंदर हुए एक कत्ल की कहानी अपने आप में रोचक मगर दिल दहलाने वाली है। तिहाड़ की जेल नंबर 8 और वॉर्ड नंबर पांच में लगे सीसीटीवी कैमरे में ये फिल्म शुरू होती है, सुबह 6 बजकर 10 मिनट और 45 सेकंड पर। इससे पहले इस वॉर्ड में बिलकुल सन्नाटा था। सुबह का वक़्त था... लिहाजा सभी कैदी अपनी अपनी बैरक और सेल में ही थे। तभी ठीक 6 बजकर 10 मिनट और 58 सेकंड पर सामने बाईं तरफ से एक कैदी ऊपर से नीचे कूदता है। दरअसल ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर भी कैदियों के बैरक और सेल हैं। पहले कैदी के कूदने के तुरंत बाद दायीं तरफ एक और कैदी नज़र आता है। जिसने लाल टी शर्ट और काली हाफ पैंट पहनी हुई है। ये कोई और नहीं टिल्लू ताजपुरिया है। इसी बीच फर्स्ट फ्लोर से एक दूसरा कैदी नीचे कूदता है। टिल्लू ताजपुरिया उसे देखते ही अपनी सेल के अंदर घुस जाता है और सेल का दरवाजा बंद करने लगता है। 

सेल के बाहर तैनात पुलिसवाले कहां थे? 

फर्स्ट फ्लोर से नीचे उतरे दोनों कैदी सेल के बाहर से ही उस पर धारदार हथियारों से हमला करने लगते हैं। इसी बीच एक तीसरा कैदी ऊपर से कूदता है। फिर चौथा कूदता है। कूदते वक्त वो गिर भी जाता है इस दौरान एक बुजुर्ग कैदी इस चौथे कैदी को रोकने की कोशिश करता है। वो उससे उलझ पड़ता है। इधर पहले ही नीचे कूद चुके तीनों कैदी अब तक टिल्लू ताजपुरिया को उसकी सेल से बाहर खींच चुके थे। और अब एक साथ सभी उस पर ताबड़तोड़ हमला कर रहे थे।इस दौरान दो चार कैदी हमलावरों को रोकने की कोशिश करते हुए नज़र आए। मगर कमाल ये है कि अभी तक एक भी पुलिसवाला कैमरे में नमूदार नहीं हुआ। हालांकि इस कैमरे में ऑडियो नहीं है, लेकिन जिस वक़्त टिल्लू ताजपुरिया पर हमला हो रहा था तब इस पूरे वार्ड में चीख पुकार मची हुई थी।

कैदी की चीखपुकार क्यों किसी ने नहीं सुनी

एक चीख खुद टिल्लू ताजपुरिया की थी दूसरी चीख हमलावरों की और तीसरी ताजपुरिया को बचाने वाले कैदियों की। लेकिन ये सारी चीखें भी तिहाड़ के किसी भी सिपाही या अफसर के कानों तक नहीं पहुँची। ये खून खराबा पूरे दो मिनट तक  चलता  रहा। दो मिनट बाद जब हमलावरों को यकीन हो गया कि टिल्लू ताजपुरिया मर चुका है, तो वो वहां से निकल लेते हैं। चूंकि सारे हमलावर पहली मंजिल से नीचे कूदे थे लिहाजा अब वो नीचे ही रह जाते हैं सीसीटीवी कैमरे की पहली फिल्म  यहीं खत्म हो जाती है। वक्त नोट कर लीजिए 6 बजकर 10 मिनट और 58 सेकंड पर शुरू हुई ये फिल्म 6 बजकर 12 मिनट 42 सेकंड पर खत्म होती है।

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