गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई पर बड़ी मुसीबत आई, 1 महीने से है ये बुरा हाल
Lawrence Bishnoi : पंजाब की बठिंडा केंद्रीय जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को शुक्रवार को स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया।
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Lawrence Bishnoi News : गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई इन दिनों बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है. असल में उसे टाइफाइड बीमारी हो गई है. जिसका करीब एक महीने से वो परेशान है. उसका इलाज भी कराया जा रहा है. लेकिन अभी कुछ खास राहत नहीं मिली है. बता दें कि लॉरेंस बिश्नोई अभी पंजाब की बठिंडा सेंट्रल जेल में बंद है. PTI की रिपोर्ट के अनुसार, बठिंडा केंद्रीय जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को शुक्रवार को स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया. ये वही गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई है जो पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला मर्डर में आरोपी है.
गायक सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के आरोपी बिश्नोई को बठिंडा केंद्रीय जेल से फरीदकोट के मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले जाया गया। बठिंडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) गुलनीत सिंह खुराना ने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘कुछ दिन पहले बीमार पड़ने के बाद उसे फरीदकोट के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चिकित्सकों ने शुक्रवार को उसे जांच के लिए बुलाया था।’’ उन्होंने कहा कि जांच के बाद उसे जेल वापस ले जाया जायेगा। एसएसपी ने कहा कि बिश्नोई को पिछले महीने टाइफाइड हुआ था और उसे तेज बुखार था और इस वजह से उसे कुछ दिन के लिए फरीदकोट के अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
कौन है लॉरेंस बिश्नोई
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Who is Lawrence Bishnoi : जैसा लॉरेंस नाम वैसे ही चेहरे पर चमक. चाहे जेल में रहे. या फ़िर पुलिस कस्टडी में. जन्म 22 फरवरी 1992. शहर पंजाब का फजिल्लका. लॉरेंस विश्नोई नाम उसकी मां ने रखा था. इस नाम के पीछे एक वजह भी थी. क्योंकि वो पैदा होने पर बिल्कुल दूध की तरह सफेद चमक रहा था. लॉरेंस.. एक क्रिश्चियन नाम है. जिसका मतलब होता है सफेद चमकने वाला. बचपन में जिस तरह से वो स्मार्ट और खेल में दिलचस्पी लेता था, उसे देखकर तो घरवाले यही सोचते थे कि एक ना दिन ये हमारा नाम ज़रूर रोशन करेगा.
लेकिन उन्हें क्या पता था कि नाम रोशन तो करेगा लेकिन खेल की दुनिया में नहीं, बल्कि जरायम की दुनिया में. वो जुर्म जिसके ख़िलाफ कभी उसके पिता हुए करते थे. मां भी विरोध करती थी. क्योंकि पिता ख़ुद एक पुलिसवाले रहे. मां पढ़ी-लिखी. घर में करोड़ों की संपत्ति. लेकिन बेटा एक दिन भटककर जरायम की दुनिया में एंट्री कर जाएगा. शायद ही मां-बाप ने कभी सोचा हो.
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अब इसका जुर्म की दुनिया में सिर्फ़ नाम ही नहीं बल्कि सिक्का जम चुका है. ऐसा सिक्का जिसे हिलाना अब किसी के बस की बात नहीं. क्योंकि उसकी जुर्म की कहानी उसकी उम्र से कई गुना ज्यादा है. इस लॉरेंस बिश्नोई की उम्र तो सिर्फ़ 28 साल है लेकिन अपराध का ग्राफ 50 पार कर चुका है.
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ऐसे आया जुर्म की दुनिया में (Lawrence Bishnoi Biography in Hindi )
Lawrence Bishnoi ki kahani : पहले इस फोटो को देखिए. ये शख्स लॉरेंस बिश्नोई है. चेहरे पर चमक. मूंछें बिल्कुल भगत सिंह के स्टाइल में. आपको बता दें कि भले ही लॉरेंस जेल में रहकर भी पुलिस के सिरदर्द बना है. पर इस लॉरेंस बिश्नोई के पिता लाविंदर सिंह खुद पुलिस कॉन्स्टेबल थे. करोड़ों की जमीन थी. बचपन में बेटे ने जो मांगा वो सबकुछ मिला. उसके महंगे शौक. महंगे कपड़े पहनना आज भी बरकरार है. स्कूल की पढ़ाई फज्जिलका में की.
इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई करने चंडीगढ़ आया. यहां डीएवी कॉलेज में उसका दाखिला होता है. वैसे तो दाखिला पढ़ाई के लिए कॉलेज में हुआ था लेकिन यहीं से वो जुर्म की दुनिया में भी एंट्री कर गया.
Lawrence Bishnoi Biography : इसकी वजह बनी कॉलेज यूनियन को लेकर दो गुटों में लड़ाई. दरअसल, दिखने में स्मार्ट. अच्छे पैसे वाला. शरीर से पूरी तरह फिट. इसे देखकर दोस्तों ने उसे कॉलेज में चुनाव लड़ने के लिए तैयार करा लिया. लेकिन लॉरेंस की बचपन की एक आदत रही.
वो जो कुछ करता था बड़ी शिद्दत और प्लानिंग से करता था. अब चुनाव लड़ना था तो उसने पहले एक ग्रुप बनाया. उसका नाम रखा स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी यानी सोपू (SOPU). ये संगठन आज भी है. भले इसे बनाने वाला आज जेल में है.
तो लॉरेंस बिश्नोई ने पहले संगठन बनाया. उससे छात्रों को जोड़ा और फिर कॉलेज में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा. जीतने के लिए खूब मेहनत की लेकिन नतीजा कुछ और निकला. वो चुनाव हार गया. लेकिन उसे हारने की आदत नहीं थी. लिहाजा, वो इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था. गुस्से में उसने रिवॉल्वर खरीद ली.
Lawrence Bishnoi Hindi : अब जब हाथ में हथियार आ जाए तो फिर ग़ुनाह की दुनिया कब तक दूर रह सकती है, ये कोई नहीं जानता. लॉरेंस के साथ भी ऐसा ही हुआ. और वक़्त जल्द ही आ गया. फरवरी का महीना और साल 2011. एक दिन लॉरेंस बिश्नोई का सामना उसे चुनाव में हराने वाले विरोधी उदय गुट से हुआ.
फिर क्या था. दोनों एक दूसरे के सामने थे. और फिर दोनों में भिड़ंत हो गई. गुस्से में लॉरेंस ने दूसरे गुट पर फायरिंग कर दी. ये पहली बार था, जब लॉरेंस ने फायरिंग की थी. मामला तूल पकड़ा और इधर पुलिस ने केस दर्ज किया.
फरवरी 2011 में लॉरेंस बिश्नोई पर पहली एफआईआर दर्ज हुई थी. इसके बाद तो इस एफआईआर से बचने और दूसरे गुट को सबक सिखाने के लिए उसने एक गैंगस्टर से हाथ मिला लिया. फिर तो वो टी-20 मैच की तरह क्राइम में खेलने लगा और जुर्म की दुनिया में अर्धशतक भी लगा लिया.
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