Delhi Kanjhawala : अंजलि की मौत में मर्डर की FIR क्यों नहीं? PM रिपोर्ट में हुआ ये बड़ा खुलासा
Delhi anjali Kanjhawala : दिल्ली के कंझावला में अंजलि की मौत में नया मोड़. अंजलि की दोस्त निधि के बयान के अनुसार, केस में हत्या की FIR होनी चाहिए थी. अंजलि की मौत में मर्डर की FIR क्यों नहीं?
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Delhi Kanjhawala Case : दिल्ली में न्यू ईयर पर हुई अंजलि की सनसनीखेज मौत की जांच में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट (Postmortem Report) आई है. इस रिपोर्ट में पता चला है कि अंजलि का ब्रेन मिसिंग है. यानी उसे कार में इतनी दूर तक और इतनी देर तक घसीटा गया उसका दिमाग वाला हिस्सा ही घिसटते हुए खत्म हो गया. वहीं, इस घटना की चश्मदीद रही निधि के बयान से परे केस में नया मोड़ आ गया है.
चश्मदीद निधि ने बताया कि हादसे के बाद कारवालों को पता चल गया था कि वो नीचे फंस गई थी. इसके बाद कारवालों ने जानबूझकर कार को कई बार आगे और पीछे किया था. ऐसे में क्या ये मामला सिर्फ गैर इरादतन हत्या का ही रहेगा या फिर हत्या का माना जाएगा. इस पर निर्भया केस की वकील सीमा कुशवाहा (Advocate Seema Kushwaha) ने क्राइम तक को बताया कि...
हां, मैंने वारदात की चश्मदीद रही निधि का पूरा बयान सुना है. उसने बताया कि कार सवार ने आमने-सामने से टक्कर मारी थी. निधि सड़क के दूसरी तरफ गिरी जबकि अंजलि कार के सामने आ गई थी. इसके बाद वो कार में फंस गई थी. इस बारे में कारवालों को पता चल गया था. इसके बाद कारवालों ने जानबूझ कर को कई बार आगे पीछे किया था. इसके बाद वो फिर वहां से निकले थे. यानी कार सवार युवकों को ये पता चल गया था कि एक लड़की कार में फंसी है. अब चाहे जिस वजह से उन्होंने कार को आगे और पीछे किया लेकिन इससे साफ है कि उनका इरादा उसकी जान बचाना नहीं था. अगर जान बचाने का इरादा होता तो कार जरूर रोकते. बचाने की कोशिश करते. लेकिन कार नहीं रोकी. बल्कि आगे पीछे किया. यानी जान लेने की कोशिश की और जान भी ली. यानी उनका इरादा हत्या करने की थी. इसलिए ये केस गैर इरादतन हत्या का नहीं बल्कि हत्या का था. इसलिए इस केस में गैर इरादतन हत्या की आईपीसी धारा-304ए या 304 नहीं बल्कि धारा-302 में केस होना चाहिए.
दिल्ली पुलिस की खानापूर्ति, ऐसे बरती लापरवाही
Delhi Kanjhawala case : अब आते हैं दिल्ली पुलिस की शर्मनाक लापरवाही पर. सबसे पहले 1 जनवरी को सुल्तानपुरी थाने में दर्ज हुई एफआईआर पर आते हैं. उस समय दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल ने खुद एफआईआर कराई और दो धाराएं लगाई गईं थीं. वो धाराएं थीं आईपीसी की धारा-279 और धारा-304ए. यानी लापरवाही से गाड़ी को चलाना और गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज हुआ. यहां सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि पुलिस ने खुद लिखा है कि इसमें गाड़ी चलाने वाले दो आरोपियों ने शराब पी रखी थी. यानी वे नशे में थे. इसके बाद भी गाड़ी चलाते हुए लापरवाही से एक लड़की की जान लेने की धाराओं में गैर इरादतन हत्या की धारा में एफआईआर दर्ज कर ली गई. यानी धारा-304ए में.
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इसके बाद मामला तूल पकड़ा तो अगले दिन दिल्ली पुलिस ने इस केस में 304ए के साथ एक और धारा जोड़ ली. वो थी धारा-304. ये भी गैर इरादतन हत्या की धारा ही होती है लेकिन 304ए से इसमें फर्क है. असल में धारा-304 में ये माना जाता है कि अगर कोई शख्स नशे में गाड़ी चला रहा है तो गलत तरीके से गाड़ी चला रहा है यानी उसे पता होता है कि ऐसा करने से किसी जान जा सकती है. तो इसमें 14 साल की सजा होती है. लेकिन इस केस में साफ है कि आरोपियों ने ना सिर्फ नशे में गाड़ी चलाई बल्कि जानबूझ कर हादसे के बाद कार को आगे पीछे कई बार किया. यानी जानबूझकर उन्होंने ऐसा किया था.
जैसा कि घटना की चश्मदीद रही निधि ने बयान दिया था. निधि ने साफ कहा था कि एक्सीडेंट के बाद कार के नीचे वो फंस गई थी. इसकी जानकारी कार चलाने वालों को हो गई थी. क्योंकि कार में ना म्यूजिक बज रहा था और ना ही आसपास कोई शोर शराबा था. इसके बाद कारवालों ने जानबूझकर कार को कई बार आगे पीछे किया था. अब दिल्ली पुलिस की एफआईआर पर आते हैं. एफआईआर में भी लिखा है कि आरोपियों हादसे के बाद डरकर भागने लगे थे. यानी उन्हें अच्छी तरह पता था कि ये हादसा हो चुका है. इसके बाद ही डरकर वो आरोपी भागे थे.
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अंजलि की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में क्या आया है
Delhi Kanjhwala Anjali Postmortem Report : कंझावला मामले में लड़की की पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखने के बाद दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल की मोर्चरी के हेड डॉ बीएन मिश्रा का कहना है की रिपोर्ट के अनुसार मौत की वजह उसके शरीर पर मल्टीपल इंजरी है. जिसका जिक्र पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किया गया है. उन्होंने बताया कि इतनी जगह पर चोट का जिक्र किया गया है और खून भी काफी निकला जिस से मौत होना स्वाभाविक है. वहीं एक सवाल किया गया कि पोस्टमार्टम में शराब का पता चल पाता है तो उन्होंने बताया की पोस्टमार्टम में शराब को लेकर स्पष्ट तौर पर पता नहीं चलता. उनके अनुसार एफएसएल में इस बात का पता चल जाता है कि किसी ने शराब पी रखी है या नहीं पी रखी है. इस केस में ऐसा कोई जिक्र नहीं है कि शराब पिया है या नहीं पिया है.
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इसलिए यह कंफर्मेशन एफएसएल से ही हो पाएगा. डॉ. बीएन मिश्रा ने यह भी बताया कि विसरा से सिर्फ यह कंफर्म होता है कि शराब पिया या नहीं पिया हुआ है. लेकिन कोई कितनी मात्रा में शराब पिया हुआ है. इसके लिए ब्लड का सैंपल रखना और भेजना जरूरी होता है. इस केस में रिपोर्ट के आधार पर ऐसा पता नहीं चल पा रहा है कि ब्लड भेजा गया इस केस में भी अगर देखा जाए तो बिना ब्लड भेजे यह पता नहीं लगाया जा सकता कि किसी ने कितनी मात्रा में शराब पी रखी थी. साथ ही एक सवाल के जवाब में डॉ बीएन मिश्रा ने यह भी बताया कि इस बात का पता करने के लिए यह जरूरी नहीं है कि शरीर में ब्लड पूरी मात्रा में ही हो ब्लड की थोड़ी भी मात्रा होगी तो उसे यह पता चल पाएगा कि किसी ने शराब पी रखी है और कितनी मात्रा में पी रखी है.
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