दिल्ली में पढ़ने वाली इस अफ़ग़ानी लड़की से डरा तालिबान, धमकी के बाद भी उठा रही है आवाज़
DU के दौलत राम कॉलेज से राजनीति विज्ञान ग्रेजुएट 24 वर्षीय महिलाअफगानिस्तान में तेजी से तालिबान के खिलाफ महिलाओं के विरोध का चेहरा बन रहा है।
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अफ़ग़ानिस्तान में खूंखार तालिबानियों के बीच अपने कंधों पर देश का झंडा लिए दहाड़ लगाने वाली इस युवती के बारे में आप जरूर जानना चाहेंगे. आप जब इस मर्दानी की हिम्मत के बारे में जानेंगे तो ये जरूर सोचेंगे कि वाकई हौंसले को हराने की ताकत दुनिया में किसी के पास नहीं.
ये ताकत ना किसी बंदूक में है और ना किसी तोप में. ना ही उन तालिबानी लड़ाकों में जो कुछ सेकंड में ही इंसानियत को खत्म कर देते हैं. ना उनके आधुनिक हथियार में जिसके बल पर इन्होंने अफ़ग़ान पर कब्ज़ा कर लिया.
भले ही अफ़ग़ानिस्तान पर इन्होंने कब्ज़ा कर लिया लेकिन उस शख्स की दिलो-दिमाग पर कैसे कब्जा करेंगे, जिसके दिल में आज़ादी का जुनून हो. जुनून इस बात का हो कि हमें तो कोई हरा नहीं सकता.
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और जब कोई ठान ले कि हमें कोई हराने वाला नहीं, तो फिर उसकी जीत को रोकने वाला भी कोई नहीं. अब आने वाले दिनों में किसकी हार होगी किसकी जीत, ये तो वक़्त ही बताएगा, लेकिन इस युवती के जज्बे ने पूरी दुनिया का दिल जीत लिया.
इस युवती का नाम है क्रिस्टल बयात (Crystal Bayat). वैसे तो ये मूलरूप से अफ़ग़ानी हैं. लेकिन ग्रेजुएशन भारत से की है. इन्होंने दिल्ली के दौलत राम कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस से ग्रेजुएशन की है. दिल्ली के यूनाइटेड नेशंस इंस्टिट्यूट से मास्टर डिग्री की है. इंडिया से पढ़ाई करने के बाद वर्ष 2019 में वो अफ़ग़ानिस्तान लौट गईं थीं. इनकी मां डॉक्टर हैं और पिता अफ़ग़ान सरकार के इंटिरियर मंत्रालय में कार्यरत रहे हैं. क्रिस्टल ख़ुद लेखक और एक्टिविस्ट हैं.
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1500 लोगों के बीच सिर्फ 7 महिलाएं थीं
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क्रिस्टल बयात की उम्र 24 साल है. वो अफ़ग़ानिस्तान में पॉलिटिकल एक्टिविस्ट हैं. वे महिलाओं को उनका हक़ दिलाने के लिए आवाज़ उठाती हैं. अभी पिछले दिनों अफ़ग़ानिस्तान में 1500 से ज्यादा लोगों ने हाथ और कंधे पर देश का झंडा लेकर आज़ादी मार्च निकाला था.
इस मार्च का नेतृत्व 7 महिलाओं ने किया था. इन महिलाओं में भी सबसे आगे रहने वाली युवती हैं क्रिस्टल बयात. ये तालिबान मुक्त कराने के लिए आवाज उठाते हुए सबसे आगे रहीं. इन्होंने महिलाओं और पुरुषों को भी तालिबान के खिलाफ सड़क पर आने के लिए प्रेरित किया.
उन्होंने एक मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस देश में महिलाओं ने पिछले 20 साल में जितनी तरक्की की वो सबकुछ अब ख़त्म हो गया है. महिलाओं को आर्थिक, प्रशासनिक और राजनीति तीनों मुद्दों में हिस्सा होने की जरूरत है.
Crystal Bayat was one of seven women at a protest she helped organize on Independence Day in Afghanistan. Days after the Taliban took over, raising the Afghan flag became an act of resistance. “I am raising the voice of a million women,” she said. https://t.co/riqSV9xF6j pic.twitter.com/XxLDuDSIKN
— The New York Times (@nytimes) August 20, 2021
वे मुझे गोली भी मार दें, तो भी मैं लड़ूंगी : Crystal Bayatमैंने 19 साल तक पढ़ाई की. ताकी अपने सपने को पूरा कर सकूं. लेकिन आज अचानक मेरे सपने टूट गए. काफी संख्या में महिलाएं अपनी आवाज़ उठाना चाहती हैं. लेकिन वो डरी हैं. बाहर नहीं निकल सकतीं हैं. मैं उन लाखों महिलाओं की आवाज़ उठा रहीं हूं. मेरे देश का झंडा हमारी पहचान है. एक महिला ठीक उसी तरह से हिम्मती है जितने की पुरुष. मुझे धमकी मिल रही है. लेकिन मैं डरी नहीं हूं. मैंने अपनी ज़िंदगी में कभी तालिबान को नहीं देखा. ऐसा पहली बार है जब मैंने तालिबान का सामना किया. हम सभी आज़ाद हैं. इसलिए चाहतीं हूं 20 दिनों तक लगातार आवाज़ उठाएं. इस समय के हालात से सभी लोग डरे हैं. लेकिन मैं डरी नहीं हूं. अगर वे मुझे गोली भी मार दें. तो भी मैं कोशिश करूंगी. मैं अपने उद्देश्य को पूरा करना चाहूंगी. मैं उन्हें अपने अधिकारों से वंचित नहीं होने दूंगी.
वॉट्सऐप के जरिए महिलाओं को जोड़ रहीं हूं
क्रिस्टल बयात ने कहा कि वो वॉट्सऐप के जरिए महिलाओं से संपर्क में हैं. इसी के जरिए मैसेज भेजकर वो सभी महिलाओं को जागरूक कर रही हैं. वो बताती हैं कि अभी सिर्फ शरिया काऩून से ही डरी नहीं हैं बल्कि वो अपनी ज़िंदगी जीने के लिए लड़ रहीं हैं.
तालिबानी कहते हैं महिलाओं का आवाज उठाना हराम है : बयात
क्रिस्टल बयात कहतीं है कि जब से वो सड़क पर विरोध करने उतरीं तभी से तालिबानी उन पर नजर बनाए हुए हैं. एक तालिबानी लड़ाके ने तो उनके सामने भी आ गया और कहने लगा कि महिलाओं का इस तरह से आवाज उठाने को इस्लाम में हराम (Haram) माना जाता है. इस आधार पर जान से मारने की धमकी भी दी. लेकिन इसका जवाब देते हुए उन्होंने साफ किया कि वो महिलाओं के हक़ के लिए लड़ाई लड़ती रहेंगी.
तालिबानियों ने दुकानें लूट लीं, ना ज़िंदगी बची और ना आज़ादी
क्रिस्टल बयात कहती हैं कि 15 अगस्त को जब से तालिबान ने कब्जा किया तभी से जिंदगी बद से बदतर हो चुकी है. काबुल में तालिबानियों ने दुकानों में छापेमारी कर लूटपाट की. लोग जब अपनी दुकान में पहुंचे तो पूरा खाली मिला.
वहां जमकर तोड़फोड़ हुई थी. महिलाओं के सलून में तोड़फोड़ करते हुए पोस्टर पर कालिख पोत दी गई. अब यहां पर खासतौर पर महिलाओं की ना तो जिंदगी बची है और ना ही आज़ादी. इसलिए अब इंटरनेशनल मीडिया और संस्थाओं को आगे आने की जरूरत है.
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