बिकरू में 'बॉर्डर वाला' बंकर, विकास दुबे के जाने के बाद भी है अति संवेदनशील

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बिकरू में 'बॉर्डर वाला' बंकर, विकास दुबे के जाने के बाद भी है अति संवेदनशील
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कानपुर के बिकरू से सुप्रतिम बनर्जी और विनोद शिकारपुरी के साथ मनीषा झा की रिपोर्ट

पोलिंग बूथ की छत पर बंकर

सुरक्षा के लिए बनाए गए बंकर की ये तस्वीर बॉर्डर की नहीं बल्कि कानपुर के बिकरू के पोलिंग बूथ की है. डेढ़ साल से ज़्यादा का वक़्त हो बीत चुका है, बिकरू गांव विकास दुबे की दहशत से बाहर भी आ चुका है लेकिन आज भी चुनावी लिहाज़ से ये सबसे ज़्यादा संवेदनशील पोलिंग बूथ माना गया है. लिहाज़ा बिकरू में चुनाव के लिए पोलिंग बूथ की छत पर बालू की बोरी का बंकर बनाया गया है. इस पोलिंग बूथ की संवेदनशीलता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ना सिर्फ़ बिकरू गांव में बल्कि आस-पास के गांव में भी चौबेपुर पुलिस ने निगरानी बढ़ा दी है.

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एक समय पर था विकास का राज

बिकरू गांव पिछले 25 सालों से विकास दुबे के इशारे पर ही वोटिंग कर रहा था या यूं कहें कि विकास के दबाव में मतदान कर रहा था. 1994 से 2017 के विधानसभा चुनाव में विकास दुबे के इशारों पर ही वोटिंग हुई। कहा तो यहां तक जाता है कि चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी जनता के पास वोट मांगने ना जाकर विकास दुबे की चौखट पर शीश नवाते थे. जिस भी प्रत्याशी से विकास दुबे ज़्यादा प्रभावित होता था या जिसने चढ़ावा ज़्यादा चढ़ाया हो उसके पक्ष में विकास फ़तवा निकाल देता था. विकास के इशारे पर सारे वोट एक तरफ़ ही जाया करते थे.

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25 साल बाद बिकरू खुलकर डालेगा वोट

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सालों बाद ऐसा मौका आया है कि बिकरू पर इस बार किसी का दबाव नहीं होगा. यानि बिकरू गांव की जनता अपने मन पसंद का नेता चुनने के लिए स्वतंत्र है. सुरक्षा के लिहाज़ से बिकरू अति संवेदनशील है और इसके लिए पुलिस की तैयारी भी पूरी है. चौबेपुर इंस्पेक्टर कृष्ण मोहन राय ने बताया कि बिकरू में मतदान के दिन फोर्स तैयार रहेगी. किसी भी तरह के असमाजिक तत्व पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

बड़े नेता भी लगाते थे दरबार में हाज़िरी!

विकास के आशीर्वाद के बिना बिकरू में जीतना नामुमकिन था इसीलिए बड़े से बड़ा नेता भी यहां नतमस्तक हो जाया करता था। ये विकास दुबे का दबदबा ही था कि सपा सरकार में मंत्री रह चुके शिव कुमार बेरिया, कांग्रेस के सांसद राजाराम पाल, सपा सरकार में ही राज्य मंत्री रह चुकी अरुणा कोरी जैसे बड़े नेता भी उसके दरबार में हाज़िरी लगाया करते थे.

बिकरू में बाज़ी पलटने की बारी!

एहतिायतन पोलिंग के वक़्त भले ही बिकरू में पुलिस फोर्स और बंकर देखने को मिल रहा है लेकिन ज़मन पर अब हालात बदल चुके हैं, बिकरू खुली हवा में वोटिंग के लिए तैयार है. ऐसे में दूसरे गांवों की तरह बिकरू के भी अपने चुनावी मुद्दे हैं. बिकरू के बहुत से लोग गांव में चकबंदी चाहते हैं. इसी बहाने विकास दुबे एंड कंपनी के हथियाए गए ज़मीन वापस लेने का इरादा है. इसके अलावा बिजली पानी जैसे मसले तो हैं ही. फ़िलहाल पुलिस की कोशिश यही है कि बिकरू में शांतिपूर्ण तरीके से मतदान हो सके जिसके लिए भरसक तैयारी की गई है।

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