'ठंडा मतलब कोका कोला' का फॉर्मूला जिसका सीक्रेट दुनिया में सिर्फ दो लोग ही जानते हैं!

ADVERTISEMENT

'ठंडा मतलब कोका कोला' का फॉर्मूला जिसका सीक्रेट दुनिया में सिर्फ दो लोग ही जानते हैं!
social share
google news

Shams ki Zubani: क्राइम में आज का किस्सा एक ऐसे फॉर्मूले का सीक्रेट है। ये ऐसा फॉर्म्यूला है जिसकी बदौलत उस कंपनी ने दुनिया भर में राज किया। लेकिन वो फॉर्म्यूला क्या है, किसने तैयार किया, किसको पता है और उस फॉर्म्यूले को बचाने के लिए कंपनी कैसे कैसे सीक्रेट प्लान पर काम करती है, ये सब कुछ बेहद दिलचस्प और सच कहा जाए तो रहस्यमय भी है।

इससे पहले हम कंपनी के उस सीक्रेट फॉर्म्यूले और उसके सीक्रेट प्लान की तरफ जाएं सबसे पहले क्यों न उस कंपनी के बारे में ही जान लेते हैं जिसकी हैसियत दुनिया में कई मुल्कों की हैसियत से भी ज़्यादा है।

अगर दुनिया भर के लोगों के बीच सर्वे करवाया जाए और एक ऐसा नाम पूछा जाए जिसे वो जानते हैं तो जानकर हैरानी हो सकती है कि सबसे ज़्यादा लोग जिस एक नाम को सबसे ज़्यादा जानते हैं वो नाम है कोका कोला। कंपनी का नाम है कोका कोला। यानी ठंडा मतलब कोका कोला।

ADVERTISEMENT

Shams ki Zubani: जी हां हम उसी सॉफ्ट ड्रिंक कोका कोला कंपनी के बारे में बात कर रहे हैं जिसकी दुनिया भर के 200 देशों में क़रीब 190 करोड़ बोतल की खपत होती है। कंपनी की उत्पादन क्षमता एक दिन में 170 करोड़ बोतल है यानी एक सेकंड में 19400 बोतल। दुनिया भर में जितने भी पीने के आइटम हैं उन सबको मिलाकर अकेले 3.1 फीसदी कोका कोला के ही उत्पाद हैं।

ये बात सभी को हैरान कर सकती है कि कोका कोला इतनी तरह के डिंक बनाता है कि अगर एक इंसान एक ड्रिंक हर रोज ट्राइ करे तो उसे सारी ड्रिंक खत्म करने में 9 साल तक लग सकते हैं। कल्पना कीजिए कि अगर कोका कोला किसी देश का नाम होता तो इसकी जीडीपी का रैंक दुनिया भर में 84वां होता।

ADVERTISEMENT

Shams ki Zubani: कोका कोला अपने उत्पाद के विज्ञापन में जितना खर्च करती है उसकी रकम एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट के विज्ञापनों से कहीं ज़्यादा है। और सबसे हैरानी की बात तो ये है कि जिस वक़्त दुनिया में एल्युमिनियम इंडस्ट्री का पूरी तरह से भट्ठा बैठ गया था इसी कोका कोला की बदौलत ये इंडस्ट्री फिर से चमक उठी।

ADVERTISEMENT

दुनिया में आठ अरब की आबादी है। लेकिन इस 800 करोड़ की आबादी में सिर्फ दो लोग ऐसे हैं जिन्हें कोका कोला के असली फॉर्म्यूले की मुकम्मल जानकारी है। लेकिन वो दो लोग भी कौन हैं इसके बारे में भी उसी कंपनी के लोगों को सहीं ढंग से कुछ नहीं पता। यानी कोका कोला का सीक्रेट फॉर्म्यूला कौन जानता है ये राज भी पूरी दुनिया में दो ही लोग जानते हैं और कोई नहीं। इससे ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कोका कोला कंपनी किस कदर अपने फॉर्म्यूले को सीक्रेट रखती है।

Shams ki Zubani: कोका कोला कंपनी का एक नियम है और वो ये कि यहां कंपनी के शीर्ष अधिकारी कभी भी एक साथ सफर या यात्रा नहीं करेंगे। बेशक उन्हें एक ही जगह क्यों न जाना हो, मगर कंपनी के सभी शीर्ष अधिकारी अलग अलग रास्तों से अलग अलग हवाई जहाज़ या गाड़ी से यात्रा करेंगे, ठीक उसी तर्ज पर जैसा किसी भी देश के राष्ट्राध्यक्षों का प्रोटोकॉल होता है। ऐसा इसलिए ताकि किसी भी विपरीत हालात में कंपनी का कारोबार किसी भी सूरत में प्रभावित न हो।

यहां सवाल यही उठता है कि ये कोका कोला कब बना, किसने बनाया कैसे बनाया और आखिर क्यों दुनिया भर में इसकी रेसिपी यानी कोका कोला के फॉर्म्यूले को सबसे छुपाकर रखा जाता है।

लोग इस बात को जानकर हैरान हो सकते हैं कि कोका कोला कंपनी और कोका कोला की शुरुआत महज एक इत्तेफाक से हो गई। और उस इत्तेफाक की एक बेहद छोटी मगर दिलचस्प कहानी है।

किस्सा कुछ यूं है कि 1865 में अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान जॉन पेम्बर्टन नाम का एक लेफ्टिनेंट कर्नल बुरी तरह से जख़्मी हो गया था। अपने जख्मों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए वो फौजी ड्रग्स का सहारा लेने लगा और उसे ड्रग्स की बुरी लत लग गई। लेकिन इसी लत से छुटकारा पाने के लिए उस फौजी ने जिस पेय पदार्थ का सहारा लिया वो कुछ और नहीं बल्कि कोका कोला था।

Shams ki Zubani: असल में जो फौजी गृह युद्ध में जख़्मी हुआ था वो फौज में जाने से पहले एक फॉर्मेसी में काम करता था। लिहाजा फॉर्मेसी में काम करने की वजह से वो कई कैमिकल के बारे में अच्छी तरह से जानता था। और जिस वक़्त वो ड्रग्स के असर में आया तो उसने अलग अलग कैमिकल को मिलाकर एक नया पेय बनाने में लग गया। जिसमें टेस्ट भी हो और जिसे पीने के बाद जिसकी आदत भी न पड़े कम से कम ड्रग्स जैसी तो न हो।

कई दिनों और कई महीनों तक लगातार रिसर्च करते रहने के बाद आखिरकार उस फौजी को एक रोज कामयाबी मिल ही गई। असल में उस फौजी ने अपने एक दोस्त फ्रैंक रॉबिन्सन के साथ मिलकर एक तरल पेय बनाया जिसमें सोडा को मिलाकर पिया जा सकता था। उन दोनों ने उस पेय को कई लोगों को टेस्ट कराया, तो लोगों ने उस पेय की बड़ी तारीफकी।

पूछने पर पता चला कि इस पेय को तैयार करने में उन लोगों ने इस ड्रिंक को तैयार करने में कोरा अखरोट से कोका पत्ती और कैफीन वाले सिरप का नुस्खा मिलाया था। और वो फॉर्म्यूला जिसे लोगों ने पीकर उसकी तारीफ की उसको दोनों दोस्तों ने कोका कोला का नाम दिया।

फिर दोनों दोस्तों ने 1886 में एक कंपनी बनाई। और कोका कोला की शुरुआती कीमत 5 सेंट प्रति गिलास रखी गई। और 8 मई 1886 को जैकब फॉर्मेसी के जरिए कोका कोला को बेचने का सिलसिला शुरू हुआ।

Shams ki Zubani: शुरु शुरू में कोका कोला को पसंद करने वाले बहुत कम थे। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पहले साल सिर्फ 9 गिलास प्रति दिन के हिसाब से बिक्री हुई थी। पहले साल इस कंपनी की कमाई सिर्फ 50 डॉलर ही थी। पेम्बर्टन और रॉबिन्सन के पास कोका कोला का फॉर्म्यूला ज्यादा दिनों तक नहीं रह सका और एक साल बाद ही 1887 में पेम्बर्टन ने वो फॉर्म्यूला अटलांटा के एक फार्मासिस्ट बिजनेसमैन आसा ग्रिग्स कैंडलर ने 2300 डॉलर देकर खरीद लिया।

उसके बाद कैंडलर ने कोका कोला को कामयाब करने की तरकीब निकाली। असल में कैंडलर ने लोगों को इस ड्रिंक की लत लगाने के लिए बाकायदा मुफ्त के कूपन बांटे। देखते ही देखते लोगों को कोका कोला की ऐसी लत लगी कि इसका स्वाद पूरी दुनिया में मशहूर हो गया। कैंडलर ने इस ड्रिंक को लोगों तक पहुँचाने और उसे मशहूर करने के लिए विज्ञापन पर बेहिसाब पैसा खर्च किया। 1890 आते आते ये पूरे अमेरिका का सबसे मशहूर और चर्चित पेय हो गया। इसकी शोहरत का अंदाज़ा इससे ही लगाया जा सकता है कि लोगों ने इसे अपनी थकान उतारने वाली ड्रिंक बना लिया था।

Shams ki Zubani: दूसरे विश्व युद्धके दौरान जब अमेरिकी सैनिक दूसरे देशों में लड़ने जाते थे उस दौरान कोका कोला की एक बोतल पांच सेंट में मिलती थी। लेकिन कोका कोला कंपनी के अध्यक्ष रॉबर्ट वुड्रफ ने सैनिकों पर कंपनी का पैसा खर्च करने का फैसला किया और सैनिकों के लिए कोका कोला की बोतल मुफ्त में मुहैया करवाई जाने लगी । जिससे कोका कोला को देशभक्ति से जोड़ दिया गया। हिन्दुस्तान में 1950 से कोका कोला की बिक्री शुरू हुई। लेकिन 1977 में नियमों की अनदेखी करने पर इस कंपनी पर भारत में पाबंदी लगा दी गई। लेकिन 1993 में उदारवाद लागू होने के बाद ही कोका कोला दोबार भारत के बाजारों में उतर सका।

दुनिया के बाजारों में धूम मचाने के बावजूद कोका कोला की सबसे बड़ी परेशानी उसके सीक्रेट फॉर्म्यूले को लेकर है। असल में कोक का असली स्वाद उसी सीक्रेट फॉर्मूले की वजह है जिसे कोक पूरी तरह से छुपाकर रखना चाहता है।

सवाल यही है कि जब कोका कोला अपनी रेसिपी को छुपाकर रखने की वजाए उसका पेटेंट भी करवा सकता है तो क्यों नहीं करवाता। जबकि उसने अपनी बोतल को पेटेंट करवा रखा है? इस सवाल का जवाब कोका कोला के अतीत में छुपा हुआ है।

Shams ki Zubani: असल में 1891 में कैंडलर ने इस फॉर्मूले को खरीदा था और तभी कंपनी की शुरूआत हुई थी। 1919 में अर्नेस्ट वुडरफ ने कंपनी को खरीदने की पेशकशकी। और इसके लिए उन्हें बैंक से लोन लेना था। उस वक़्त बैंक ने वुडरफ से कुछ गिरवी रखने को कहा। तब वुडरफ ने कोक की रेसिपी की कॉपी बैंक में गिरवी रख दी। 1025 में वो कॉपी बैंक से बाहर निकाली गई लेकिन फॉर्मूले को कई सालों तक सीक्रेट रखा गया। इसके बाद बुडरफ ने कोक को उस फॉर्मूले को एक वॉल्ट में रखदिया। यानी तिजोरी में बंद कर दिया।

फार्मूले के सीक्रेट होने की जहां तक बात है तो वो इसके लिए कंपनी ने एक कायदा बना रखा है कि एक वक़्त में केवल दो ही लोगों को इस फॉर्मूले के बारे में पता होता है। और वो दो लोग कभी भी एक साथ कहीं नहीं जाते। ताकि अगर कोई हादसा होता है तो कम सेकम कंपनी का कारोबार चलता रहे।

कंपनी फार्मूला इसलिएपेटेंट नहीं करवाती क्योंकि पेटेंट नियमों के मुताबिक 20 साल बाद पेटेंट की रेसिपी रिव्यू को पब्लिक करनी पड़ेगी और तब ये फार्मूला सबके सामने लाना पड़ेगा।

असल में कोका कोला का जो सीक्रेट सॉस है उसे अमेरिका से ही मंगावाना पड़ता है। और अगर कोक कंपनी FERA के क़ानून के तहत इसका आयात निर्यात करती है तो इसका फॉर्मूला सबके सामने ले आया जाएगा। और इसका अनोकापन खत्म हो जाएगा। लिहाजा उस छोटी मगर बेहद जरूरी टेक्निकल जानकारी कोक कंपनी किसी भी सूरत में इसे साझा नहीं करती। और यही उसकी रेसिपी की सबसे बड़ी खूबी है कि कोका कोला पूरी दुनिया में बस अपने नाम से ही बिक रहा है।

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT

    ऐप खोलें ➜